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जिम में भाभी की चुदाई की मस्त कहानी-2

मैंने एक हॉट भाभी की चुदाई की। मैं भाभी के घर उन्हें व्यायाम सिखाने जाता था। वासना के वश में एक दिन मैंने कह दिया कि भाभी, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। तो उन्होंने क्या किया?

अब तक की मेरी इस रोमांचक सेक्स कहानी के पहले भाग **जिम में भाभी की चुदाई की मस्त कहानी-1** में आपने पढ़ा कि प्रिया नाम की एक भाभी को मैं उनके घर व्यायाम सिखाने जाता था। उनके कामुक शरीर को देखकर मैं उन्हें चोदने को बेकरार हो गया। फिर एक दिन मैंने उनसे अपने दिल की बात कह दी। थोड़ा नखरा करने के बाद प्रिया भाभी ने हँसकर अपनी चूत चुदवाने का इशारा दे दिया।

अब आगे:

वह कुछ देर तक हँसती रही, और मैं हैरान-परेशान सा चुपचाप उसे देखता रहा।

कुछ देर बाद जब वह शांत हुई, तो मेरी ओर सरकते हुए बोली- क्यों, डर गए ना तुम? सच बताओ!
उसकी बात से मुझे राहत मिली, और मैंने कहा- हाँ, मैं सचमुच डर गया था। चाहो तो मेरे सीने पर कान लगाकर मेरे दिल की धड़कन सुन लो, अभी भी तेज़ चल रही है।

वह मुस्कुराई और मेरी ओर झुककर अपना कान मेरे सीने पर रख दिया। मेरे दिल की धड़कन सुनने लगी।
प्रिया बोली- अरे, ये तो सचमुच ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है!
फिर वह उठी और बोली- मुझे माफ कर दे यार, मैं तो मज़ाक कर रही थी। मैं देखना चाहती थी कि तुम कैसे रिएक्ट करते हो।

उसकी बात से मुझे सुकून मिला।

फिर उसने कहा- जोश में कोई ऐसे करता है भला? तुम्हें क्या लगता है, मुझे नहीं पता कि तुम मुझे पसंद करते हो? मेरे स्तनों को दबाते हो, चुपके-चुपके मेरे चूतड़ देखते हो, और मेरे चूतड़ों की दरार पर अपना लंड टच करते हो। मुझे सब पता है कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। मुझे शुरू से पता है, जब से तुम मेरे स्तनों और चूतड़ों को घूरते हो। तुम क्या सोचते हो, सिर्फ़ तुम्हें ही मैं पसंद हूँ और तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो? मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ। तुम्हारी तरह मेरा भी मन तुमसे अपनी चूत और गांड चुदवाने का करता है। मैं हर वक्त यही सपना देखती हूँ। मैं बस यह देख रही थी कि तुम कितना सब्र करते हो और कब मुझसे यह बात कहते हो। आज करीब डेढ़ महीने बाद वह दिन आया। मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ।

यह कहते हुए उसने मुझे गले लगाया और मुझसे लिपट गई। वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी। उसके मुँह से लंड, चूत, चुदाई जैसे शब्द सुनकर मेरे लंड में ताकत आ गई।

बस फिर क्या था, मुझे जो चाहिए था, वह मिल गया। मैंने बिना वक्त गँवाए प्रिया को कसकर गले लगाया, और हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। हम पागलों की तरह लिपट गए, जैसे जन्मों से अपनी सेक्स की प्यास बुझाने के लिए तड़प रहे हों।

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देखते ही देखते कमरा हमारे चुम्बनों की आवाज़ों से भर गया- ‘उम्म उम्म आउच पुच पुच…’

हम करीब 15 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे। मैं उसके स्तनों को दबाता रहा, और वह मेरे लोअर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाती रही। ‘आह आह… इस्स…’ की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था। हमारी सिसकारियाँ कमरे में शोर मचा रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को मसलने लगा। वह लगातार ‘उंह… हम्म…’ की मादक सिसकारियाँ भर रही थी। मैं उसे बिना रुके चूमता रहा।

चूमते-चूमते, मैं उसके स्तनों को दबाता रहा, और हमारे शरीर में गर्मी और चुदास बढ़ती गई।

कुछ ही देर में हम दोनों एक-दूसरे के सामने पूरी तरह नंगे हो गए। हमें पता ही नहीं चला कि कब हमने एक-दूसरे के कपड़े उतार फेंके।

मैंने प्रिया को योग मैट पर लिटाया और उसके मुँह में अपना मुँह डालकर स्मूच करने लगा। मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसने लगा, अपनी साँसें उसके मुँह में छोड़ने लगा।

वह कुछ ही देर में हाँफने लगी। मैं लगातार स्मूच करता रहा। करीब 5 मिनट बाद मैंने अपना मुँह हटाया।

वह हाँफते हुए साँस लेने लगी और मुझे प्यार से देखने लगी। फिर मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा, अपनी जीभ से चाटते हुए उसके स्तनों तक पहुँचा। मैंने उसके स्तनों को ज़ोर-ज़ोर से दबाया और चाटा। वह लेटे-लेटे मेरे लंड को सहलाने लगी।

मैं उसके स्तनों को जीभ से चाटने लगा- ‘स्सर्र स्सर्र… सप्प सप्प…’। मैं बारी-बारी से उसके दोनों स्तनों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

वह पूरी तरह चुदास में थी और मादक सिसकारियाँ भर रही थी।

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करीब आधे घंटे तक प्रेमालाप के बाद हम दोनों का शरीर पूरी तरह गर्म हो गया था।

मैं उसके स्तनों को चूसता, मसलता और दबाता रहा। वह मेरे लंड को हाथ से आगे-पीछे करती रही। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया था।

उसने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैंने एक हाथ उसके पेट से फेरते हुए उसकी चूत तक ले गया और उसे सहलाने लगा। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मुझे झटका-सा लगा, जैसे किसी गर्म तार से करंट लग गया हो। उसने मेरे सिर को कसकर पकड़ लिया।

मैं समझ गया कि प्रिया पूरी तरह गर्म हो चुकी है और चूत का मज़ा लेने को तैयार है।

मैंने बिना वक्त गँवाए अपने मुँह को उसके पेट से चाटते हुए उसकी चूत तक ले गया। पहले मैंने उसकी चूत को सहलाया, फिर अपनी उँगली ऊपर-नीचे फेरने लगा। उसकी चूत को थोड़ा खोलकर उँगली अंदर-बाहर करने लगा। बीच-बीच में उँगली अंदर डालता, तो वह ‘आह आह…’ की आवाज़ निकालती।

कुछ देर बाद मैंने उसे घुटनों के बल घोड़ी बनने को कहा। वह तुरंत वैसी ही बैठ गई। मैं उसके मुँह की ओर गया और अपने लंड को पकड़कर उसे चूसने को कहा।

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वह इतनी प्यासी थी कि उसने मेरे लंड को हाथ से नहीं, सीधे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके मुँह की गर्मी पाते ही मेरी सिसकारी निकल गई- ‘आह मेरी जान… ऊहह… तू कितनी मस्त है…’

वह मेरे लंड को अंदर तक चूसने में मस्त हो गई और एक हाथ से मेरे आंडों को सहलाने लगी। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता और उसके स्तनों को दबाता रहा। जितना मैं उसके स्तनों को ज़ोर से दबाता, वह उतनी ही तेज़ी से मेरा लंड चूसती और अंदर तक ले जाती।

बीच-बीच में मैं भी लंड को उसके गले तक धकेलता। वह ज़ोर से खाँस पड़ती, लेकिन मैंने लंड नहीं निकाला। मैं उसके मुँह को अपने लंड से चोदता रहा और उसके चूतड़ों पर ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारता रहा।

करीब 15-20 मिनट तक ऐसा चला। फिर मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी टाँगें फैला दीं।

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। जीभ के स्पर्श से वह गनगना उठी और एक लंबी सिसकारी भरी- ‘उईस्स… मर गई… तू कितना अच्छा करता है…’

वह मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं उसकी चूत को चाटता रहा, बीच-बीच में जीभ अंदर डालकर उसकी दीवारों को चाटता। वह तड़पकर अपने चूतड़ ऊपर उठाती।

‘ऊफ़… उम्म्ह… आह… ओह…’ उसकी मादक आवाज़ें गूँज रही थीं। मैंने आधे घंटे तक उसकी चूत चाटी। वह इस बीच दो बार झड़ गई। मैं उसका सारा रस पीकर चूत चाटता रहा।

अब वह मुझसे बोली- प्लीज़, अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दे… मुझे चोद दे… मैं और नहीं सह सकती।
मैंने कहा- ठीक है प्रिया जान, तेरी यह इच्छा भी पूरी करता हूँ।

मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डालने लगा।

मेरा लंड अभी 2 इंच ही अंदर गया था कि वह चीख पड़ी- ‘आई… मर गई… ऊफ़… धीरे डाल ना, दर्द हो रहा है।’
मैंने हैरानी से पूछा- क्या हुआ, तुझे दर्द क्यों हो रहा है?
वह बोली- मुझे चुदाई का सुख नहीं मिलता। यह सब बाद में बताऊँगी, अभी धीरे कर।

मैंने हालात समझते हुए कहा- ठीक है जान, बस थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा ही मज़ा आएगा।
फिर मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में पूरा डाल दिया। वह चिल्लाई- ‘आई… मेरी फट गई… तूने मार डाला।’

मैं एक तरफ उसके स्तनों को दबाता रहा और उसकी चूत को ठोकता रहा। ‘उंह… आह… हाँ… और ज़ोर से…’

दस मिनट तक मैंने प्रिया भाभी को घोड़ी बनाकर चोदा, फिर उसे सीधा लिटाया।

वह अपनी चूत फैलाकर मेरे लंड के लिए तैयार थी। मैंने उसकी टाँगें और फैलाईं और लंड उसकी चूत में पेल दिया।

लंड घुसते ही वह हिली, लेकिन अगले ही पल मज़ा लेने लगी। वह अपनी गांड उठाकर चूत की ठुकाई का आनंद लेने लगी- ‘हाँ… तू कितना ताकतवर है… और ज़ोर से… उंह!’

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मेरे हर झटके के साथ उसकी मस्त आवाज़ें निकल रही थीं। वह मेरे 8 इंच लंबे और 2.5 इंच मोटे लंड से अपनी चूत का मज़ा ले रही थी।

कुछ देर बाद उसने अपनी गांड ऊपर उठाई और चूत को कसने लगी। मैं समझ गया कि वह झड़ने वाली है। कुछ और झटकों के बाद वह झड़ गई और निढाल होकर लेट गई।

वह तो झड़ गई, लेकिन मेरा लंड अभी भी सख्त था। मैं उसकी चूत को पेलता रहा। वह चुपचाप मेरे लंड के हमले झेल रही थी।

मेरे झटके तेज़ होने लगे। वह कराह रही थी- ‘आह, जल्दी कर ना… मुझे दर्द हो रहा है। तेरा लंड बहुत मस्त है, मज़ा भी आ रहा है, दर्द भी हो रहा है।’

करीब 5 मिनट और ठोकने के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। मैंने सारा पानी उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया।

हम दोनों देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे। आधे घंटे बाद हम उठे, एक-दूसरे को देखा और फिर चूमने लगे।

थोड़ी देर बाद फिर वही सिलसिला शुरू हुआ। मैंने दो घंटे तक लगातार भाभी को चोदा। चुदाई का मज़ा लेकर हम बाथरूम में गए। मैंने खुद को साफ किया। तभी उसने शॉवर चालू कर दिया। हम नंगे ही फव्वारे के नीचे खेलने लगे।

बाथरूम में फिर एक बार खुलकर चुदाई की और नहाकर कपड़े पहन लिए।

बाहर निकलकर मैं सोफे पर बैठ गया। वह मेरे लिए और अपने लिए कॉफी ले आई।

हमने कॉफी पी और कुछ देर बातें कीं। मैंने उसे गले लगाकर चूमा और चला गया।

उस दिन मैंने तीन बार भाभी को चोदा। अगले दिन भी तीन बार चोदा।

तीन दिन बाद उसका पति वापस आ गया। फिर भी मैं रोज़ उसे व्यायाम सिखाने जाता और मौका देखकर चोद देता।

अब मैं उसके घर नहीं जाता। वह काफी पतली हो गई है और उसका पेट भी कम हो गया।

वह अब मेरे बिना घर पर व्यायाम करती है। आज भी कभी-कभी उसका फोन आता है और वह मिलने बुलाती है। मैं व्यस्तता के कारण कम ही मिल पाता हूँ।

प्रिय पाठकों, आपको मेरी यह चुदाई की कहानी कैसी लगी?

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