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देसी गांव की कुंवारी बुर की चुदाई

यह देसी गांव की कुंवारी बुर की चुदाई कहानी उस समय की है जब मैं गर्मियों में अपने गांव की नहर पर नहाने गया और वहाँ एक कुंवारी लड़की से मुलाकात हुई।

हाय दोस्तों, मेरा नाम अजय चौधरी है। मैं हरियाणा के हिसार का रहने वाला हूँ। अभी मैं चंडीगढ़ में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ। मेरे परिवार में हम दो भाई और माँ-पापा हैं। माँ गृहिणी हैं, और पापा खेती करते हैं। हमारे पास नहर के पास काफी जमीन है।

मैं हट्टा-कट्टा हूँ, और मेरा लंड साढ़े पाँच इंच का है, जिसकी मोटाई अच्छी-खासी है। मैं लंबे समय से ऑनलाइन देसी चुदाई कहानियाँ पढ़ता हूँ। कई बार इन गर्म कहानियों को पढ़कर मैं मुठ मार लेता हूँ। तो मैंने सोचा, क्यों न अपनी जिंदगी की एक सच्ची घटना आपसे साझा करूँ। यह कहानी कुछ समय पुरानी है।

मेरा घर गांव में है, और पास ही एक नहर बहती है। गर्मियों में हम सुबह-शाम नहर पर नहाने जाते हैं। दोपहर में लड़के नहर पर नहीं जाते, तो पड़ोस की लड़कियाँ उस समय नहा लेती हैं।

एक दिन मैं घर पर बोर हो रहा था। दोपहर का समय था, और घरवाले सो रहे थे। मैंने सोचा, नहर पर नहा आता हूँ।

नहाते हुए मुझे दस मिनट ही हुए होंगे कि पड़ोस की एक देसी लड़की, जिसका नाम प्रिया (काल्पनिक) है, नहाने आ गई। वह गोरी, पतली कमर वाली, और उसके बूब्स संतरे जैसे बड़े थे। (अब तो मेरे हाथों में भी नहीं समाते, इतने बड़े हो गए हैं, और यह मेरा ही कमाल है।)

वह नहर पर आई और सलवार-कमीज में ही नहाने लगी, जैसा कि गांव की लड़कियाँ करती हैं। मैं उस समय पानी में तैर रहा था। मुझे तैरता देख उसने कहा, “मुझे भी तैरना सिखा दो।”

मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया, क्योंकि हमने पहले कभी इतनी खुलकर बात नहीं की थी, खासकर अकेले में। मैंने उसे पहले कभी चुदाई की नजर से नहीं देखा था।

उसके कहने पर मैं उसे तैरना सिखाने को तैयार हो गया। वह मेरे करीब आई और पानी में गोता लगाने लगी। मैंने उसे डूबने से बचाने के लिए उसकी कमर पकड़ ली। मेरे हाथ उसकी कमर पर थे, और वह तैरने के लिए हाथ-पैर मार रही थी। इस दौरान मेरा हाथ उसकी छाती पर चला गया, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। मेरे हाथ उसके बूब्स को छू रहे थे, जो संतरे जैसे रसीले थे।

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मेरे अंदर कामवासना जागने लगी। मैंने मौका देखकर जानबूझकर उसके बूब्स को छूना और दबाना शुरू किया। वह ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ती गई।

मैंने उसके चूचों को पूरी तरह हाथों में भर लिया, फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। मेरा लंड अंडरवियर में तन चुका था। पानी के अंदर भी मुझे अपने लंड की गर्मी महसूस हो रही थी।

मैंने प्रिया को खड़े होने को कहा। वह मेरे सामने खड़ी हो गई। मैं तैरना सिखाने के बहाने उसकी गांड को अपने लंड से छूने लगा। मेरा लंड झटके दे रहा था। उसकी गीली गांड पर लंड का स्पर्श मेरी हवस को और बढ़ा रहा था।

मैंने धीरे-धीरे लंड को उसकी गांड पर सटाना शुरू किया, लेकिन वह चुप रही। कुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा। न मैं कुछ बोला, न उसने। फिर वह मुझसे छूटकर पानी से बाहर जाने लगी। मेरी चुदास चरम पर थी। मैंने उसे रुकने को कहा, लेकिन वह मना करके चली गई।

मुझे डर था कि कहीं वह घर जाकर कुछ न बता दे। मैं घर लौटा और प्रिया के साथ हुई घटना को याद करके दो बार मुठ मार डाली। उस रात मैं यही सोचता रहा कि किसी तरह उसकी बुर चोदने का मौका मिल जाए। रात को सपने में भी मेरा वीर्यपात हो गया।

अगले दिन रविवार था। हमारे घर पर ही टीवी था, और रविवार को फिल्म आती थी। प्रिया सुबह 11 बजे हमारे घर टीवी देखने आई। गर्मी के कारण मेरे माँ-पापा सो रहे थे। टीवी वाले कमरे में सिर्फ मैं और प्रिया थे।

मैंने पक्का किया कि माँ-पापा सो रहे हैं। फिर मैं प्रिया के बिल्कुल पास बैठ गया और धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा। उसने कुछ नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने हाथ उसकी कमर से चूचों तक ले गया। उसने एक बार मेरी ओर देखा और फिर टीवी देखने लगी।

लग रहा था कि उसे अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ डालकर उसके चूचों को दबाया। उसने फिर भी कुछ नहीं कहा। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी देसी बुर को छुआ। उसने मेरा हाथ हटाया। मैं थोड़ा हिचक गया, लेकिन मेरी हालत खराब थी।

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मैंने दोबारा उसकी बुर पर हाथ फेरा। मुझे पता चला कि उसने पैंटी नहीं पहनी थी। मैंने सलवार में हाथ घुसाने की कोशिश की, लेकिन नाड़ा कसकर बंधा था। काफी मेहनत के बाद मेरा हाथ अंदर गया। उसकी बुर गर्म और हल्की गीली थी। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उंगली उसकी बुर में डाल दी। उसने आँखें बंद कर लीं।

चुदाई का माहौल तैयार हो गया था। मैंने कहा कि वह ऐसे ही बैठी रहे। मैंने माँ-पापा को फिर से चेक किया; वे गहरी नींद में थे।

वापस आने पर मैंने देखा कि प्रिया ने सलवार घुटनों तक उतार दी थी। मैंने उसकी बुर सहलानी शुरू की और दूसरे हाथ से उसके बूब्स दबाने लगा। मेरा लंड पैंट में दर्द कर रहा था। मैंने चेन खोलकर लंड बाहर निकाला और उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।

उसने लंड छोड़ दिया। मैंने धीरे से कहा कि लंड पकड़ ले, लेकिन उसने मना कर दिया। मैंने जबरदस्ती उसका हाथ लंड पर रखवाया और रगड़ने लगा। कुछ देर बाद उसने खुद लंड पकड़कर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।

मैं उसे चूमने लगा। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे सोफे पर लिटाया, उसकी बुर को रगड़ा, और लंड उसकी बुर के मुँह पर रखकर ऊपर लेट गया। लंड उसकी कुंवारी बुर में घुसने लगा। वह दर्द से गर्दन इधर-उधर पटकने लगी।

मैंने और जोर लगाया। उसकी आँखों से पानी आने लगा। मैंने एक झटका मारा, और लंड उसकी बुर में उतर गया। वह मुझसे लिपट गई, “उम्म्ह… अहह… हय… ओह…” लंड उसकी बुर में था। मैंने नीचे देखा, तो उसकी बुर से हल्का खून निकल रहा था। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए और लंड को हल्के-हल्के चलाने लगा।

वह अभी भी तड़प रही थी, लेकिन कुछ देर बाद शांत हो गई। उसकी कुंवारी बुर पहली बार चुद रही थी। खून और कामरस मिलकर चिकनाई बना रहे थे, जिससे मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर होने लगा। मैं उसकी बुर की चुदाई आराम से करने लगा और बीच-बीच में उसके बूब्स मसलने लगा।

उसके चूचे मसलने से टमाटर जैसे लाल हो गए। अब उसे भी चुदाई का मजा आने लगा था। उसके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं, और मेरा लंड गप्प-गप्प उसकी बुर में जा रहा था। उसकी बुर बहुत गीली हो चुकी थी।

दस मिनट तक मैं उसकी बुर चोदता रहा। फिर मैंने उसे उठाया और डॉगी स्टाइल में झुकने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। मैंने उसे फिर से नीचे लिटाया और चुदाई जारी रखी।

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पाँच मिनट बाद वह मुझे कसकर पकड़ने लगी, और उसकी बुर मेरे लंड पर कसने लगी। शायद वह झड़ रही थी। उसके पानी से पच-पच की आवाज होने लगी। कुछ धक्कों बाद मेरा लंड भी वीर्य छोड़ने लगा।

हम दोनों शांत हो गए, लेकिन मेरा मन नहीं भरा। मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके होंठ चूसता रहा। मेरी नंगी गांड ऊपर थी, और वह मेरे नीचे पड़ी थी। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर तन गया।

मैंने दोबारा चुदाई की बात की, लेकिन उसने मना कर दिया। मैंने बहुत मनाया, पर वह नहीं मानी। हम उठ गए। मेरा लंड अभी भी तना था। मैंने उसे लंड चूसने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। मेरा उदास चेहरा देखकर उसने मेरे लंड को हाथ में लिया और मुठ मारने लगी।

उसके कोमल हाथों से मेरा लंड फिर तन गया। वह मुठ मारती रही, और मैं उसके चूचे दबाता और चूमता रहा। पाँच मिनट बाद मेरे लंड ने फिर वीर्य की पिचकारी मारी। उसका हाथ वीर्य से सन गया। मैंने उसे कपड़ा दिया, और उसने हाथ साफ किया। मैंने भी लंड पोंछकर पैंट पहन ली।

उसने कहा कि उसकी बुर में अभी भी दर्द है। मैंने उसे दर्द की गोली दी, और वह अपने घर चली गई।

इसके बाद हम हर रोज चुदाई के मौके ढूँढने लगे। जब भी मौका मिलता, मैं उसकी बुर मार लेता था। अब भी वह मुझसे अपनी बुर चुदवाती है, और मैं जमकर उसकी चुदाई करता हूँ। मैंने उसके चूचों को दबा-दबाकर और बड़ा कर दिया है।

अगली कहानी में मैं बताऊँगा कि कैसे मैंने प्रिया की छोटी बहन की बुर चोदकर उसका उद्घाटन किया।

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