नमस्ते दोस्तों, मैं रोहन हूँ। चुदक्कड़ लड़कियों, भाभियों और हॉट आंटियों को मेरे लंड का नमस्ते।
मेरी उम्र 24 साल है, और मैं दिखने में आकर्षक हूँ। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ।
ये कहानी मेरे और मेरे दोस्त की माँ के बीच बने शारीरिक रिश्ते की है।
ये बात करीब नौ महीने पुरानी है। हमारी कॉलोनी में एक खेल का मैदान है, जहाँ मैं अक्सर क्रिकेट खेलने जाता था। वहाँ मेरी कॉलोनी और आसपास के लड़के भी आते थे। ऐसे ही खेलते-खेलते मेरी दोस्ती अहमद नाम के लड़के से हो गई।
मैंने यहाँ अहमद का असली नाम नहीं लिखा, क्योंकि ये कहानी उसकी माँ की है, और मैं उनकी पहचान जाहिर नहीं करना चाहता।
अहमद से दोस्ती के बाद हम अक्सर साथ घूमने जाते। एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया। जब मैं उसके घर पहुँचा, तो उसकी माँ को देखकर दंग रह गया। उनकी उम्र लगभग 40 साल थी, लेकिन चेहरा ऐसा चमक रहा था कि वे 30-32 साल की भाभी लग रही थीं। उनका नाम नाजिया था (नाम बदला हुआ है)। उनका फिगर 38-30-40 का था। ये नाप मुझे बाद में उनके साथ सेक्स के दौरान पता चला, लेकिन मैं अभी बता रहा हूँ ताकि आप उनकी खूबसूरती का अंदाजा लगा सकें।
उनके घर पर मेरी नजर उनकी माँ से हट ही नहीं रही थी। मैं नहीं चाहता था कि अपने दोस्त की माँ के बारे में ऐसा सोचूँ, लेकिन उनके जिस्म का आकर्षण मुझे बार-बार उनके बारे में गलत ख्याल लाने पर मजबूर कर रहा था।
नाजिया आंटी ने भी देख लिया था कि मैं उन्हें घूर रहा हूँ, लेकिन वे कुछ नहीं बोलीं। वे भी कभी-कभी मेरी तरफ देख लेती थीं, क्योंकि हम आमने-सामने बैठे थे।
उनसे थोड़ी बात हुई, जिसमें पता चला कि उनके पति बैंक में नौकरी करते हैं और दिन में घर पर नहीं रहते। थोड़ी देर बाद मैं और अहमद छत पर खेलने चले गए। लेकिन मेरा मन खेल में नहीं लग रहा था। मैं नाजिया आंटी के गोरे जिस्म के बारे में ही सोच रहा था। उनके ख्यालों में मेरा लंड खड़ा होने लगा था।
उस दिन घर लौटकर मैंने नाजिया आंटी के बारे में सोचकर मुठ मारी, तब जाकर मेरे लंड को राहत मिली।
अब मेरा मन रोज अहमद के घर जाने को करता। मैं अहमद को उकसाता कि उसके घर चलें, ताकि मैं उसकी माँ को देख सकूँ। मैं उन्हें पटाने की कोशिश में था। उनके ख्याल मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रहे थे।
जब भी मैं उनके घर जाता, मेरी नजरें उनकी चूचियों और गांड को नाप लेती थीं। मैं सोचता कि बाहर से इतनी मस्त लग रही हैं, तो नंगी तो कयामत होंगी। मैं उनके नंगे बदन को देखने के लिए तड़प रहा था, लेकिन ऐसा कोई मौका नहीं दिख रहा था।
नाजिया आंटी भी मुझे देखती थीं, लेकिन मुझे उनके मन का कोई संकेत नहीं मिल रहा था कि वे मेरे साथ कुछ चाहती हैं या नहीं। इसलिए मैं उनके मन को टटोलने की कोशिश में था।
मैं हमेशा उनके आसपास मंडराता रहता। कभी-कभी बहाने से उन्हें छू भी लेता। मुझे लगता था कि वे मेरी इच्छा समझ चुकी थीं, लेकिन कुछ कह नहीं रही थीं।
जब भी मैं उन्हें छूने की कोशिश करता, मैं ऐसा दिखाता जैसे गलती से हुआ। मेरी हरकतों पर वे हल्के से मुस्कुराकर बात टाल देती थीं।
नाजिया आंटी के लिए मेरी प्यास दिन-ब-दिन बढ़ रही थी। मैं उन्हें नंगी करके चोदने के सपने देख रहा था, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था।
एक दिन मैं अहमद के घर गया। खेल के बीच में अहमद को किसी दोस्त का फोन आया, और वह मुझे अपनी माँ के साथ अकेला छोड़कर चला गया।
पहली बार मैं नाजिया आंटी के साथ घर पर अकेला था। मन में आया कि उनके चूचे दबा दूँ, लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मैं अहमद के कमरे में चला गया।
वहाँ मैंने उसके कंप्यूटर पर टाइम पास करना शुरू किया। तभी मुझे एक ब्लू फिल्म मिल गई। चूंकि आंटी अपने काम में व्यस्त थीं, मैंने सोचा कि अहमद के आने तक फिल्म देख लूँ। मैंने दरवाजा बंद करके ब्लू फिल्म शुरू कर दी। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया।
मैं लोअर के ऊपर से लंड सहलाने लगा। तभी अचानक आंटी दरवाजा खोलकर अंदर आईं और मुझे ब्लू फिल्म देखते हुए लंड हिलाते पकड़ लिया। उनके हाथ में चाय का कप था।
उन्होंने मुझे देखा और गुस्से का नाटक करते हुए चाय रखकर चली गईं।
मुझे डर लगा कि कहीं ये बात अहमद तक न पहुँचे। अगर आंटी ने ये बात बता दी, तो शायद मैं उनके घर न आ पाऊँ। मैं सॉरी बोलने रसोई में गया।
आंटी काम कर रही थीं। मुझे देखकर वे नॉर्मल लगीं।
मैंने हिम्मत करके कहा: आंटी, मुझसे गलती हो गई। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
आंटी बोलीं: कोई बात नहीं, इस उम्र में लड़के ऐसा करते हैं।
उनकी बात सुनकर मैं हैरान था। मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं उनकी गांड को ताड़ने लगा, और मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा। मैंने उनकी गांड दबाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन डर के मारे रुक गया।
आंटी बोलीं: यहाँ क्या कर रहे हो? हॉल में जाओ।
वे मेरे लंड को देख रही थीं। फिर बोलीं: मैं तुम्हारे लिए खाना लाती हूँ।
मैं निराश होकर हॉल में चला गया।
थोड़ी देर बाद आंटी चाय लेकर आईं। चाय रखते वक्त वे झुकीं, तो मैंने उनकी चूचियों की दरार देख ली। मेरे मुँह से ‘आह्ह’ निकल गई। आंटी ने मुझे ऐसा करते देख लिया, फिर मेरे सामने बैठ गईं।
चाय पीते वक्त आंटी ने पूछा: तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा: नहीं, आंटी।
मैंने आगे कहा: आंटी, आप बहुत खूबसूरत हैं। अगर मैं आपका पति होता, तो…
आंटी: तो क्या?
मैं: आपकी बहुत तारीफ करता, आपको कभी कमी नहीं होने देता।
आंटी बोलीं: मैं तुम्हें इतनी पसंद हूँ?
मैं: हाँ, आंटी!
कहते हुए मैं उनके पास बैठ गया।
आंटी बोलीं: मेरे पति को मुझमें कोई दिलचस्पी नहीं। वे मेरी तारीफ नहीं करते।
मैंने कहा: मैं तो आपको बहुत पसंद करता हूँ।
कहते हुए मैंने उनकी जाँघ पर हाथ रखा। आंटी ने मेरा हाथ हटाया और बोलीं: मैं तुम्हारे दोस्त की माँ हूँ। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
लेकिन अब मैं रुक नहीं सका। मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और चूमने की कोशिश की।
आंटी छुड़ाने की कोशिश करने लगीं, बोलीं: तुम मुझसे बहुत छोटे हो।
मैंने कहा: आंटी, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ। मैं ये बात कब से कहना चाहता था।
आंटी मेरी बाहों में छटपटा रही थीं। उनकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने उनका मुँह अपनी ओर किया और चूमने लगा।
पहले तो वे छुड़ाने की कोशिश करती रहीं, लेकिन फिर मेरी चुम्मी का जवाब देने लगीं। मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और जोर से चूमने लगा। मेरे हाथ उनकी चूचियों को टटोलने लगे।
तभी अहमद की गाड़ी की आवाज आई, और हम अलग हो गए। आंटी की आँखों में मायूसी थी। मुझे भी मजबूरी में घर लौटना पड़ा।
एक हफ्ते बाद आंटी ने फोन पर बताया कि अहमद और उनके पति दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं। हम उस दिन का इंतजार करने लगे। मैं आंटी से मिलने को बेचैन था।
जिस दिन अहमद और उनके पति गए, मैं आंटी के घर पहुँचा। मुझे देखते ही आंटी खुश हो गईं।
हमने दरवाजा बंद किया। मैंने आंटी को बाहों में लेकर चूमना शुरू किया। दोनों को मजा आने लगा। आंटी सिसकारियाँ ले रही थीं।
मैंने आंटी को रसोई के पास डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उनकी कुर्ती उतार दी। मैं उनकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा, फिर उनके पेट और नाभि को चाटने लगा।
मुझसे रुका नहीं गया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और आंटी को फिर चूमने लगा। आंटी ‘उम्म्ह… अहह… हय… ओह…’ की सिसकारियाँ ले रही थीं।
मैंने उनकी सलवार और पैंटी उतार दी। उनकी चूत पर हल्के बाल थे। मैं घुटनों पर बैठकर उनकी चूत चाटने लगा।
आंटी मचलने लगीं, बोलीं: ये गंदी जगह क्यों चाट रहे हो?
मैंने कहा: आंटी, मुझे ये जगह पसंद है।
मैंने उनकी चूत में जीभ डाली। आंटी तेज सिसकारियाँ लेने लगीं। बोलीं: मेरे पति ऐसा नहीं करते। आज पहली बार इतना मजा आ रहा है।
मैंने अंडरवियर उतारा और आंटी के हाथ में लंड दे दिया। वे गर्म हो चुकी थीं। उन्होंने लंड पकड़कर मुठ मारना शुरू किया।
मैंने उन्हें लंड चूसने को कहा। पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मेरे कहने पर दो मिनट तक चूसा, फिर बोलीं: बस, इससे ज्यादा नहीं कर पाऊँगी।
मैं समझ गया कि उनके पति ने उन्हें लंड चूसने की आदत नहीं डाली। मैंने उनकी जाँघें खोलीं और लंड उनकी चूत पर रखा।
लंड को चूत पर रगड़कर मैंने धक्का मारा। आंटी की सिसकारी निकली। मैं उनकी चूत चोदने लगा। दोनों को मजा आने लगा।
आंटी बोलीं: एक साल बाद चूत में लंड का स्वाद लिया है।
मैं उनकी चूत को जोर-जोर से चोद रहा था। उनके चूचे मेरे धक्कों के साथ हिल रहे थे। आंटी मस्त हो गई थीं।
दस मिनट चोदने के बाद मेरा माल निकलने को हुआ। मैंने पूछा: माल कहाँ निकालूँ?
आंटी: मेरी चूत में ही निकाल दो।
मैंने दो धक्के मारे और लंड का माल उनकी चूत में डाल दिया। मैंने कई पिचकारियाँ मारी और आंटी के ऊपर लेट गया।
फिर आंटी ने मुझे उठाया। हम बाथरूम गए, साथ में नहाए। मैंने उनकी चूत साफ की, और उन्होंने मेरा लंड धोया।
उस दिन आंटी ने मुझे खाना खिलाया और रात को फिर आने को कहा। दो दिन तक हम चुदाई का मजा लेते रहे।
आंटी बोलीं: अब जब चाहो, मेरी चूत चोदने आ जाना।
अब जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई का मजा लेते हैं।
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