नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम राज है, और मैं जयपुर के पास के एक गाँव से हूँ। मुझे भाभियों और आंटियों में बहुत रुचि है। मैं भाभी या आंटी की चूत चोदने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देता।
आज मैं आपके सामने एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ। पड़ोसन भाभी की मस्त देशी चूत की गर्म चुदाई कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ। मेरी उम्र 34 साल है, और मेरा शरीर फिट है। मैं रोज़ कसरत करता हूँ; ये मेरे रूटीन का हिस्सा है।
बात दो साल पहले की है, जब मैं एक कंपनी के टेंडर के काम से जयपुर गया था। वहाँ मैं किराए के रूम में रहता था। पास में ही एक खूबसूरत भाभी रहती थी, जो बहुत हॉट लगती थी। हॉट से मेरा मतलब फिगर से नहीं, बल्कि उनकी अदाओं से है। मेरे हिसाब से औरत को उसकी अदाएँ हॉट बनाती हैं। वो भाभी थोड़ी मोटी थी, जैसी मुझे पसंद हैं। मुझे पतली महिलाएँ ज्यादा आकर्षित नहीं करतीं।
भाभी की उम्र करीब 37 साल थी, लेकिन वो उससे कम उम्र की लगती थी। ये मुझे बाद में पता चला, पर मैं यहाँ पहले बता रहा हूँ ताकि आपको उनके बदन का अंदाज़ा हो जाए।
पहली नज़र में ही मैं उन पर फिदा हो गया था। मैं उन्हें रोज़ ताड़ता था। जिस दिन वो नहीं दिखतीं, मन बेचैन रहता। उन्हें देखना मेरी आदत बन गई थी। कई बार वो भी मुझे देख लेती थीं। उनके तीखे नैन-नक्श दिल पर छुरी चला देते थे। वो मुझे देखती थीं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं देती थीं। मैं उन पर लाइन मारने की पूरी कोशिश करता रहता था।
वो भाभी किसी कंपनी में काम करती थीं, इसलिए अक्सर घर के बाहर आते-जाते उनसे मुलाकात हो जाती थी।
दिवाली का समय था। उस दिन काम करते-करते शाम हो गई। मैं ऑफिस से 6 बजे निकला और कार से अपने रूम की ओर जा रहा था। मैं रोज़ कार नहीं ले जाता था, लेकिन जब लगता कि काम की वजह से देर होगी, तो कार ले लेता था। बाकी दिन ऑटो से जाता था।
उस दिन मैंने देखा कि भाभी बस स्टैंड पर खड़ी थीं, शायद बस का इंतज़ार कर रही थीं। मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और उनकी गाड़ी के पास रुक गया। कार रुकते ही उनकी नज़र मुझ पर गई, और उन्होंने मुझे पहचान लिया। लेकिन वो शायद असमंजस में थीं कि मैंने अचानक उनकी गाड़ी के सामने कार क्यों रोकी। मैंने नमस्ते किया, तो उन्होंने हल्की मुस्कान दी।
मैंने पूछा- आप यहाँ कैसे? उन्होंने थकी आवाज़ में कहा- बहुत देर से बस का इंतज़ार कर रही हूँ, लेकिन अभी तक कोई बस नहीं आई। मैंने तुरंत कहा- अगर आप बुरा न मानें, तो मैं आपको लिफ्ट दे देता हूँ। वो जानती थीं कि मैं पास के ही मकान में रहता हूँ।
पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मैंने फिर कोशिश की- भाभी, दिवाली का समय है। आप लेट हो जाएँगी। मैं आपको घर छोड़ दूँगा। कुछ सोचकर वो कार में बैठ गईं। वो मेरे बगल की सीट पर थीं। चुपचाप बैठी थीं। मैंने सोचा कि बात आगे बढ़ानी होगी। मैंने पूछा- आप आज यहाँ कैसे? उन्होंने बताया कि वो यहीं काम करती हैं। इस तरह हमारी बातचीत शुरू हुई।
बातों-बातों में पता चला कि वो अपनी सास-ससुर के साथ रहती हैं। उनके पति महीने-दो महीने में एक बार घर आते हैं। ससुर की दुकान है, वो सुबह दुकान चले जाते हैं। सास भजन-कीर्तन में समय बिताती हैं। इस वजह से वो अक्सर घर पर अकेली रहती हैं।
मैंने पूछा- आपके बच्चे कभी दिखे नहीं? वो बोलीं- मुझे अभी संतान का सुख नहीं मिला। शादी को दस साल हो गए, लेकिन पता नहीं क्यों अभी तक औलाद नहीं हुई। ये सुनकर मैं चुप हो गया। शायद मैंने गलत सवाल पूछ लिया था।
वो भी चुप रही। कुछ ही देर में हम उनके घर के पास पहुँच गए। उन्होंने घर से कुछ दूरी पर ही कार रुकवा दी। मैंने कहा कि मैं आपको घर के सामने छोड़ देता हूँ, लेकिन उन्होंने मना किया- ससुर ने देख लिया तो पता नहीं क्या सोचेंगे।
मैं उनकी बात से सहमत हो गया और कार वहीँ रोक दी। वो उतरकर जाने लगीं, तो मैंने उनका नंबर माँगा। पहले तो वो बोलीं- आप मेरा नंबर लेकर क्या करेंगे? मैंने हिम्मत करके कहा- वो सब बाद में बताऊँगा। उन्होंने मुस्कराकर नंबर दे दिया और अंदर चली गईं।
मैं दिवाली मनाने गाँव चला गया। चार-पाँच दिन वहाँ बिताकर जब रूम पर लौटा, तो आते ही भाभी के दर्शन हो गए। वो कयामत लग रही थीं। उन्हें देखते ही दिल में हलचल मच गई। मैंने नमस्ते की, तो उन्होंने हल्के से मुस्कराकर जवाब दिया।
उनकी मुस्कान से मेरा दिन बन जाता था। उस दिन मेरा काम पर जाने का मन नहीं था। मैं रूम पर बोर हो रहा था, तो सोचा कि भाभी को फोन करूँ। उनका नंबर मेरे पास था।
मैंने फोन किया, तो उनकी प्यारी आवाज़ में हैलो सुनाई दिया। मैंने बताया कि मैं उनका पड़ोसी राज बोल रहा हूँ। मैंने नमस्ते की, तो उन्होंने भी जवाब में नमस्ते कहा। वो जल्दी में लग रही थीं। पूछने पर बताया कि वो पैकिंग कर रही हैं।
मैंने पूछा- कहीं जा रही हैं क्या? उन्होंने बताया कि उनके सास-ससुर पाँच दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, और वो उनका सामान पैक कर रही हैं। मैंने भैया के बारे में पूछा, तो बोलीं- वो दिवाली पर दो दिन आए थे, लेकिन जरूरी काम से फिर चले गए।
उन्होंने कहा कि वो पैकिंग में व्यस्त हैं, बाद में बात करेंगी, और फोन रख दिया।
मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। भाभी घर पर अकेली थीं। इससे अच्छा मौका क्या हो सकता था? मैं खिड़की के पास बैठकर उनके घर पर नज़र रखने लगा कि कब उनके सास-ससुर निकलें, और मैं भाभी को पटाने की कोशिश करूँ।
आधे घंटे बाद मैंने देखा कि उनके सास-ससुर ऑटो में सामान रखकर चले गए। भाभी ने गेट बंद किया और अंदर चली गईं। मैंने तुरंत फोन लगाया। उन्होंने फोन उठाया, और हमारी बातें शुरू हो गईं।
एक-दो दिन बात करते-करते हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन मैंने पूछा- आपने बच्चों के लिए डॉक्टर से सलाह ली? वो बात टाल गईं।
अगले दिन मैं घर पर था, और भाभी भी काम पर नहीं गई थीं। मैंने दिन में फोन किया, और हम घंटों बात करते रहे। शाम के 6 बज गए। मैंने कहा- मैं खाना खाने बाहर जा रहा हूँ, मुझे भूख लगी है। वो बोलीं- आप रूम पर खाना नहीं बनाते? मैंने बताया- आज राशन खत्म हो गया, इसलिए बाहर खाना पड़ेगा। भाभी बोलीं- मेरे घर आकर खा लो। मैं अकेली हूँ, मुझे भी आपका साथ मिलेगा, और आपको बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मैं दो लोगों के लिए खाना बना लूँगी।
मैं खुश हो गया और तुरंत हाँ कर दी। भाभी ने 8 बजे आने को कहा। समय काटना मुश्किल हो रहा था। 8 बजे होते ही मैं उनके घर के लिए निकल पड़ा। मैंने रूम का ताला लगाया। मैंने टी-शर्ट और ढीला लोअर पहना था।
मैंने उनके गेट पर बेल बजाई। उन्होंने दरवाजा खोला। उन्हें देखकर मेरी नज़रें हट नहीं रही थीं। भाभी ने रेशमी गाउन पहना था, गीले बाल कंधों पर बिखरे थे। उन्होंने स्टॉल डाला था, जो पूरी तरह ढका नहीं था। शायद वो अभी नहाकर आई थीं।
हम अंदर गए, और भाभी ने खाना परोस दिया। उनके चूचों की दरार देखकर मेरा लंड लोअर में तन रहा था। जब वो खाना परोसने के लिए झुकतीं, तो मैं उनके चूचों को अंदर तक ताड़ लेता। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। एक बार झुकने पर उनके चूचे पूरी तरह दिख गए। मेरा लंड एकदम तन गया।
बड़ी मुश्किल से मैंने खाना खत्म किया। मेरा लंड बार-बार उनके चूचों को सोचकर उछल रहा था। मैंने बाथरूम जाकर मुठ मार ली, तब जाकर लंड शांत हुआ। खाने के बाद हम इधर-उधर की बातें करने लगे।
बात करते-करते रात के 10-11 बज गए। भाभी ने कोई पहल नहीं की। मेरा मन उनकी चूत चोदने का था, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि बात कैसे शुरू करूँ।
मैं मन मारकर जाने लगा और बोला- मैं अपने रूम पर जा रहा हूँ। भाभी बोलीं- आपको अभी नींद आ रही है क्या? मैंने कहा- नींद तो नहीं, लेकिन लेट जाऊँगा तो आ जाएगी। वो बोलीं- थोड़ी देर रुक जाओ। मैं अकेली हूँ, मुझे डर लगता है।
ये सुनकर मेरा लंड फिर तनने लगा। मैं खड़ा था, तो लंड लोअर में हल्का तना हुआ दिख रहा था। भाभी ने मेरे लंड की तरफ एक नज़र देखा और नज़र फेर ली। शायद उनके मन में भी कुछ चल रहा था, लेकिन वो बोल नहीं रही थीं।
मैं फिर उनके पास बैठ गया। मैंने बच्चों वाली बात छेड़ दी। वो बोलीं- हमने कई जगह टेस्ट कराए, लेकिन पता नहीं कहाँ कमी है।
मैं तो पहले से उनकी चूत चोदने की फिराक में था। मेरा लंड बार-बार खड़ा होकर मुझे पहल करने को उकसा रहा था। मैं पेशाब का बहाना करके उठा ताकि भाभी मेरा तना हुआ लंड देख लें। मैं उठा, तो उन्होंने मेरे लंड को देखा और फिर टीवी की तरफ देखने लगीं।
बाथरूम से लौटने पर भाभी मेरे लंड की तरफ ही देख रही थीं। मैंने सोच लिया कि जो होगा, देखा जाएगा। मैं उनके पास बैठा और उनके कंधे पर हाथ रख दिया। उन्होंने अजीब नज़रों से देखा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी। मैं उनकी आँखों में देख रहा था, और वो मेरी आँखों में।
मैंने धीरे से अपने होंठ उनके होंठों के पास ले गए और उन्हें चूम लिया। वो थोड़ा हिचकीं, लेकिन मेरे अंदर तूफान उठ रहा था। मैंने उनके होंठ जोर से चूसने शुरू किए। दो मिनट में उन्होंने मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
मुझे चुदाई की जल्दी थी। मैंने फटाक से भाभी को नंगी कर दिया। उनका गाउन निकाल फेंका और उन पर टूट पड़ा। मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत चाटने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगीं। काफी देर तक चूत चाटने के बाद मैंने अपने कपड़े उतारे।
उनके होंठ चूसते हुए मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर लगाया और चूत में पेल दिया। भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया। मैं बिना देर किए उनकी चूत चोदने लगा। उनके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… ओह… बीच-बीच में मैं उनके चूचे दबा रहा था और कभी उनके निप्पल चूस रहा था।
भाभी बहुत गर्म माल थीं। उनकी चूत की गर्मी मेरे लंड पर साफ महसूस हो रही थी। मैंने करीब 10 मिनट तक उनकी चूत चोदी और फिर उनकी चूत में ही झड़ गया।
अब हमारे बीच कोई दूरी नहीं थी। उस रात भाभी ने मुझे अपने घर पर रोक लिया। मैंने उनकी चूत को रात में तीन बार चोदा, अलग-अलग पोजीशन में। सुबह 4 बजे मैं अपने रूम पर चला गया, क्योंकि भाभी ने कहा था कि किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं रात उनके घर पर रुका था।
अगले तीन दिन तक हमारा हनीमून चला। मैंने उनकी चूत खूब चोदी। चौथे दिन उनके सास-ससुर वापस आ गए। फिर हमें चुदाई का ज्यादा मौका नहीं मिला। एक-दो बार मैंने कार में उनकी चूत मारी। वो भी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थीं।
फिर मेरा काम वहाँ खत्म हो गया, और मैं अपने गाँव लौट गया। मैंने उन्हें फोन करने की कोशिश की, लेकिन उनका नंबर बंद था। मैंने भी उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की। लेकिन जब-जब मैंने उनकी चूत चोदी, मुझे बहुत मजा आया।
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