माँ की नंगी चूत देखकर मेरा मन उनकी चुदाई करने को उतावला हो गया। मुझे पता था कि माँ पिताजी की चुदाई से संतुष्ट नहीं हैं। शायद इसलिए माँ ने जानबूझकर मुझे अपनी चूत दिखाई थी।
दोस्तों, नमस्ते। मेरा नाम राहुल है, और मैं लखनऊ का रहवासी हूँ। आज मैं जो कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ, वह मेरी माँ की है। मेरी माँ का नाम अनिता है। उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह मेरी माँ हैं। उनकी जवानी ऐसी है कि उनकी उम्र का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। इसके दो कारण हैं।
पहला, माँ की शादी जल्दी हो गई थी, जिससे उन्हें जल्दी बच्चा हुआ। दूसरा, माँ ने अपने शरीर को बहुत अच्छे से संभालकर रखा है। उनका फिगर 34-28-38 है। उनका रंग दूध-सा गोरा है। घर में वह साड़ी पहनती हैं, लेकिन चलते वक्त उनकी साड़ी उनकी गांड में फंस जाती है। आप समझ सकते हैं कि उनकी गांड कितनी आकर्षक होगी।
माँ की जवानी की तारीफ मैं अकेला नहीं करता। उन्हें देखने वाला हर मर्द दीवाना हो जाता है। मैंने कई बार देखा कि घर पर आए रिश्तेदार या अन्य मर्द माँ को घूरते रहते थे। उनकी नज़रें माँ के बदन पर टिक जाती थीं। हर मर्द माँ के साथ सोने के सपने देखता था। मेरे दोस्त भी माँ के शरीर को ताकते रहते थे।
मुझे मालूम था कि पिताजी माँ को सेक्स में संतुष्ट नहीं कर पाते। माँ और पिताजी की बातचीत में मैंने कई बार सुना कि माँ की सेक्स की प्यास बुझ नहीं पाती। रात को उनके कमरे से ऐसी बातें सुनाई देती थीं, जहाँ माँ कहती थीं कि उन्हें मज़ा नहीं मिला। कई बार माँ की प्यास अधूरी रहने से वह चिড়चिড়ी हो जाती थीं। इस कारण मैंने माँ और पिताजी को कई बार झगड़ते भी देखा।
माँ इस बारे में किसी को नहीं बताती थीं, क्योंकि वह घर की बात घर में रखना चाहती थीं। जब उनका झगड़ा बहुत बढ़ जाता, तो मुझसे रहा नहीं जाता था।
एक दिन मैंने माँ से पूछ लिया, “अगर आपको पिताजी के साथ खुशी नहीं मिलती, तो क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ?”
मेरी बात सुनकर माँ गुस्सा हो गईं, क्योंकि मैं उनकी और पिताजी की बातें चुपके से सुनता था। उस दिन माँ ने मुझे डाँटा, लेकिन बाद में सब सामान्य हो गया।
उसके बाद माँ मेरे साथ दोस्त की तरह रहने लगीं। वह मुझसे अपनी ब्रा और पैंटी के सेट दिखाकर पूछती थीं कि कौन-सा रंग अच्छा लगेगा। मैं उनकी मदद करता, लेकिन मन में सोचता कि जब वह खुश नहीं हो पातीं, तो ये सब पहनने का क्या फायदा। ऐसे ही दिन बीत रहे थे।
एक दिन माँ ने मुझसे बाज़ार चलने को कहा। उन्हें कुछ कपड़े खरीदने थे। मैंने हामी भर दी। हम एक कपड़े की दुकान पर गए। वहाँ माँ ने ब्रा और पैंटी के सेट देखने शुरू किए। मुझे अंदर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन माँ के साथ रहना चाहता था, इसलिए कोई चारा नहीं था।
दुकानदार भी माँ के चूचों को घूर रहा था। वह दिखने में हरामी-सा लग रहा था। माँ ने एक सेट पसंद किया और उसे ट्राई करने अंदर चली गईं। तभी अंदर से उनकी आवाज़ आई, और उन्होंने मुझे बुलाया।
जब मैं अंदर गया, तो माँ ब्रा और पैंटी में खड़ी थीं। उनका बदन देखकर मेरी आँखें फटी रह गईं। पहली बार मैंने माँ को ऐसी हालत में देखा। मेरे मुँह में पानी आ गया, और मेरा लंड खड़ा हो गया।
ब्रा को ठीक करते हुए माँ पूछ रही थीं, “कैसी लग रही हूँ? रंग कैसा है?”
लेकिन मैं तो माँ को मुँह फाड़कर देख रहा था। उस दिन मुझे समझ आया कि क्यों हर मर्द माँ को हवस भरी नज़रों से देखता है। माँ की जवानी देखकर मेरा लंड उछलने लगा, लेकिन माँ को मेरे लंड का तनाव नज़र नहीं आया, क्योंकि वह अपने कपड़ों में व्यस्त थीं।
काफी देर तक माँ को देखने के बाद उन्होंने मेरी खामोशी तोड़ी और बोलीं, “हरामी, कहाँ खोया है? मैं पूछ रही हूँ, ये सेट कैसा लग रहा है?”
मैं होश में आया और बोला, “अच्छा लग रहा है।”
लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने मुझे पसीने-पसीने कर दिया। माँ ने कहा, “यहीं रुक!”
यह कहकर उन्होंने ब्रा और पैंटी उतारना शुरू कर दिया। देखते ही देखते माँ मेरे सामने नंगी हो गईं। उनकी चूत देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया, लेकिन शर्मिंदगी के कारण मैंने मुँह दूसरी तरफ कर लिया।
फिर माँ ने दूसरा सेट पहना और बोलीं, “इसे देखकर बता, कैसा लग रहा है?”
मैंने देखा तो माँ की चूत के बाल पैंटी से बाहर झाँक रहे थे। मैंने कहा, “माँ, ये ठीक नहीं लग रहा। आपके नीचे के बाल पैंटी से दिख रहे हैं। बालों के साथ ये अच्छा नहीं लगता।”
मैंने सुझाव दिया कि वह अपनी चूत के बाल साफ करें। माँ ने पूछा, “वो कैसे करते हैं?”
मैंने बताया, “दो तरीके हैं। एक रेज़र से, दूसरा क्रीम से।”
माँ बोलीं, “रेज़र से मुझे डर लगता है।”
मैंने कहा, “अगर रेज़र से डर है, तो क्रीम से बाल हटा लें।”
माँ ने पूछा, “क्रीम कहाँ मिलेगी?”
मैंने बताया, “यहीं बाज़ार में मिल जाती है।”
हमने सेट और बाल हटाने वाली क्रीम खरीद ली और घर लौट आए। घर पर उस वक्त सिर्फ मैं और माँ थे। घर पहुँचते ही माँ बाथरूम चली गईं। दुकान में माँ की चूत देखने के बाद मेरे मन में उत्सुकता जागी थी। मेरा लंड मुझे चैन से बैठने नहीं दे रहा था।
मैंने बाथरूम की ओर देखा, तो दरवाज़ा बंद था। मैं फिर से माँ को नंगी देखना चाहता था। दरवाज़े के पास गया तो मुझे एक छेद दिखा। मैंने उसमें आँख लगाई और अंदर का नज़ारा देखने लगा।
माँ ने गाउन ऊपर करके पैंटी उतार दी थी। उन्होंने गाउन उठाया और चूत पर क्रीम लगाने लगीं। अचानक माँ चिल्लाईं, “स्स्स्… जलन हो रही है! जल्दी कुछ करो!”
मैं पास ही था। मैंने कहा, “माँ, दरवाज़ा बंद है। मैं अंदर कैसे मदद करूँ?”
माँ ने दरवाज़ा खोल दिया। मेरे मन में पहले से लड्डू फूट रहे थे। मैं झट से अंदर घुस गया। माँ बोलीं, “इस क्रीम ने मेरी जान निकाल दी। बहुत जलन हो रही है।”
मैंने कहा, “सब ठीक हो जाएगा। मुझे दिखाएँ।”
मैंने देखा तो माँ की चूत लाल हो चुकी थी। मैंने कहा, “आपने क्रीम सही तरीके से नहीं लगाई। मुझे क्रीम दें, मैं आपकी मदद करता हूँ।”
मैं माँ को बाहर ले आया। अपनी शेविंग क्रीम लाया और माँ के बाल कैंची से छोटे किए। माँ का गाउन गीला हो गया था। मैंने गाउन उतारने को कहा। पहले माँ ने मना किया, लेकिन फिर उतार दिया।
मैंने माँ की चूत को ध्यान से देखा। उसमें से गीला पदार्थ निकल रहा था। मेरा मन चूत चोदने को कर रहा था, लेकिन मैंने खुद को रोका।
क्रीम लगाकर मैंने इंतज़ार किया ताकि बाल नरम हो जाएँ। फिर रेज़र से धीरे-धीरे बाल साफ किए। बीच-बीच में मैं माँ की चूत में उंगली भी कर रहा था, लेकिन ऐसा दिखा रहा था जैसे अनजाने में हो रहा हो।
कुछ देर बाद माँ की चूत पूरी तरह साफ हो गई। मैंने कपड़े से चूत पोंछी। पोंछते वक्त मैंने माँ का चेहरा देखा। उनके चेहरे से पता चल रहा था कि उन्हें चूत के साथ छेड़छाड़ में मज़ा आ रहा है।
मैंने जानबूझकर चूत को रगड़ना जारी रखा। माँ की चूत फूलती-सी लग रही थी। मेरा लंड भी बेकाबू हो रहा था। जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने माँ की चूत में उंगली डालना शुरू कर दिया। माँ ने कोई विरोध नहीं किया और सिसकारियाँ लेने लगीं।
तभी पिताजी का फोन आया। माँ ने बात की, तो पिताजी ने बताया कि वह आज रात घर नहीं आएँगे। यह सुनकर माँ मुस्कराईं। मैं भी खुश हो गया। मैं तो पहले से माँ की चुदाई की फिराक में था।
हमने जल्दी से घर का काम निपटाया और खाना खाकर फ्री हो गए। रात को माँ बोलीं, “चलो, पहले नहा लेते हैं।”
हम दोनों बाथरूम में गए। अंदर जाते ही हम पूरी तरह नंगे हो गए। मेरा लंड तनकर खड़ा था। माँ ने उसे हाथ में लिया। शावर से पानी गिर रहा था, और माँ ने मेरे गर्म लंड को पकड़ रखा था।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने माँ के चूचों को चूसना शुरू किया। उनके चूचों पर गिरता पानी मेरे मुँह में जा रहा था। मेरा मन माँ की गीली चूत चोदने को कर रहा था, लेकिन माँ ने मना कर दिया। वह मेरे लंड को सहलाती रहीं, जैसे बरसों से उन्हें लंड का स्पर्श न मिला हो।
नहाने के बाद हम बाहर आए। एक घंटे बाद माँ मेरे कमरे में आईं। उन्होंने नाइटी पहनी थी, जो उनके बदन पर बहुत सेक्सी लग रही थी। मैंने माँ को बाँहों में भर लिया, और हम एक-दूसरे को चूमने लगे।
मेरा लंड खड़ा होते ही माँ ने उसे पजामे के ऊपर से पकड़ा और मसलने लगीं। मैंने माँ की नाइटी उतार दी और उनकी चूत में उंगली करने लगा।
माँ सेक्स के लिए बेकरार हो गईं और बोलीं, “बेटा, अब उंगली से काम नहीं चलेगा। अपनी माँ की चूत को लंड का मज़ा दे।”
मैंने माँ को बिस्तर पर लिटाया, उनकी टाँगें फैलाईं, और अपना आठ इंच का लंड उनकी चूत पर सेट किया। एक धक्का मारा, तो माँ चीख पड़ीं, “उम्म्ह… अहह… ओह… मर गई… जान निकल गई।”
मैंने उनकी गांड को हाथों से उठाया और चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मैं उनकी गांड के दोनों गोलों को मस्ती से मसल रहा था। आमतौर पर चूत चोदते वक्त चूचे मसलते हैं, लेकिन मैंने अलग अंदाज़ में उनकी गांड मसली।
काफी देर की चुदाई के बाद माँ चरम सुख तक पहुँच गईं। हम एक-दूसरे को चूमते हुए अपने जोश का मज़ा ले रहे थे। “उम्म्म… आह…”
जब माँ की चूत ने पानी छोड़ा, तो मैंने लंड निकाला और चूत का पानी चाटना शुरू किया। माँ बोलीं, “आह… मैं तो बरसों से ऐसी चुदाई की प्यासी थी, बेटा। तू बहुत मस्त चुदाई करता है।”
मुझे माँ की गांड बहुत पसंद थी, और मेरा मन उनकी गांड मारने का था। मेरा वीर्य अभी नहीं निकला था। मैंने अपनी इच्छा बताई, तो माँ बोलीं, “मैंने कभी गांड नहीं मरवाई।”
मेरे ज़ोर देने पर वह मान गईं और बोलीं, “अगर दर्द हुआ, तो निकाल देना।”
मन ही मन मैंने सोचा, “एक बार अंदर गया, तो निकालने वाला कौन है।”
मैंने माँ की गांड ऊपर की और लंड का टोपा गांड पर सेट किया। एक धक्का मारा, तो माँ जैसे बेहोश-सी हो गईं। कुछ मिनट बाद वह सँभलीं और मुझे पीछे धकेलने लगीं, लेकिन तब तक मैंने पूरा लंड उनकी गांड में घुसा दिया था। मैं उनके ऊपर लेट गया और चूचे दबाने लगा। थोड़ी देर में माँ शांत हो गईं। फिर मैंने उनकी गांड चोदना शुरू किया।
उनकी गांड बहुत टाइट थी। पिताजी ने चूत भी ठीक से नहीं मारी थी, तो गांड तो बिल्कुल कुंवारी थी। मुझे गांड चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था। पंद्रह मिनट तक गांड चोदी, फिर लंड निकालकर चूत में पेल दिया।
माँ बोलीं, “हरामी, आज ही जान निकाल देगा क्या?”
मैंने उनकी बात अनसुनी की और अपनी मस्ती में लगा रहा। माँ की चिकनी चूत को पाँच मिनट तक ज़ोर से चोदा, और मेरा माल उनकी चूत में निकल गया। मैं बुरी तरह हाँफ रहा था, और माँ की हालत भी खराब थी। उस रात मैंने माँ को कई बार चोदा। पूरी रात हमारी चुदाई चलती रही। माँ कई बार झड़ीं और बहुत खुश हो गईं।
उसके बाद, जब भी मौका मिलता, मैं माँ की चूत चुदाई का मज़ा लेता रहा। बाकी कहानियाँ बाद में सुनाऊँगा।
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