मेरा नाम विवेक है, मेरी उम्र अभी 22 साल है और मैं अपने माता-पिता व बड़ी बहन के साथ करोल बाग, दिल्ली में रहता हूँ। ये मेरी पहली कहानी है मामा की लड़की के साथ सुहागरात मनाई, जिसमें मैंने अपने मामा की बेटी की चुदाई की थी। अब मैं आपको सेक्स से भरी कहानी सुनाता हूँ।
मेरे मामा एक बैंक में नौकरी करते हैं और गुरुग्राम में रहते हैं। मामी गृहिणी हैं, उनके साथ उनकी बेटी, जिसका नाम काव्या है, रहती है जो हाल ही में 18 साल की हुई। उसका रंग गोरा है और काया पतली है। मामा का एक बेटा भी है जो अभी न्यूयॉर्क में अपनी पढ़ाई कर रहा है।
जो वाकया मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो अभी 15 दिन पहले का है। जब मामी ने मुझे गुरुग्राम बुलाया क्योंकि उन्हें 2 दिन के लिए अपने मायके जाना था। जब भी वो कहीं जाती हैं, मुझे काव्या के साथ रहना पड़ता है।
मैं मामा के घर पहुँचा तो मामी मुझे दरवाजे पर मिलीं। उन्होंने बताया कि काव्या नहा रही है, तुम बैठो, वो आएगी तो चाय बनाएगी। इतना कहकर मामी चली गईं।
मैं अंदर जाकर बाहर वाले कमरे में बिस्तर पर लेट गया। अभी 5 मिनट ही हुए थे कि अंदर के कमरे में काव्या दिखी, जिसने सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा था। मेरे कमरे की लाइट बंद थी, पर उसके कमरे में लाइट जल रही थी। इसके बाद जो हुआ, वो मेरी सोच से भी परे था।
काव्या ने अचानक अपने कोमल शरीर से तौलिया हटा दिया। अपनी बहन को पूरी नंगी देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, क्योंकि मैंने कभी किसी लड़की को इस हालत में नहीं देखा था।
उसकी लंबाई 5 फीट 6 इंच है। उसकी फिगर ठीक-ठीक तो नहीं बता सकता, पर उसकी चूचियाँ 32″ की और कमर से वो बहुत पतली है। हाँ, उसकी गांड बहुत आकर्षक थी, शायद 34 या 36 की होगी।
वो इस बात से बेखबर थी कि कोई उसे बिना कपड़ों के देख रहा है। मुझे वहाँ से उसकी चूत बहुत सुंदर दिख रही थी। देखते ही लग रहा था कि उसने अभी बाल साफ किए हैं। मेरा लंड उसकी चूची, गांड और चूत को देखकर बेकाबू हो रहा था। वो शायद अपनी ब्रा और अंडरवियर ढूँढ रही थी।
2-3 मिनट बाद उसे कुछ शक हुआ जैसे घर में कोई है। उसे मेरे बारे में नहीं पता था। उसने जल्दी से तौलिया लपेटा और उस कमरे में आ गई जहाँ मैं लेटा था। लाइट चालू करते ही वो हैरान होकर बोली- भैया, आप कब आए? और अंदर कैसे आए? मैंने कहा- जब मामी थीं, तभी आ गया था।
उसने फिर पूछा- आपने कुछ देखा तो नहीं? मैंने अनजान बनते हुए कहा- कुछ मतलब? वो घबराते हुए बोली- मैं अंदर बिना कपड़ों के थी। मैंने कहा- हाँ, वो सब देख लिया… पर मैं क्या करता, एक अप्सरा मेरे सामने ऐसी थी तो आँखें नहीं हटा सका।
ये सुनकर वो घबराकर सोफे पर बैठ गई। उसके चेहरे से साफ़ लग रहा था कि उसकी धड़कनें बेकाबू थीं। कुछ देर चुप रही। मैंने पूछा- क्या हुआ? तो मेरी बहन बोली- ये सब नहीं होना चाहिए था। मैंने कहा- इसमें न तुम्हारी गलती है, न मेरी। फिर डरने की क्या बात?
फिर न जाने क्या सूझा, उसने दोनों पैर उठाकर सामने की मेज पर रख दिए। वो मेरे ठीक सामने थी, जिससे उसकी चूत साफ दिख रही थी। मैंने कहा- ये क्या कर रही है? हमारे बीच पहले ऐसी कोई बात नहीं हुई थी, इसलिए मैं संभलने की कोशिश कर रहा था।
वो बोली- आपने सब देख ही लिया, तो छुपाने का क्या फायदा? जी भरकर देख लो। उसकी गोरी जाँघें और चूत देखकर मेरा लंड फिर से हरकत में आ गया। मेरी बेचैनी बढ़ने लगी, मेरा हाथ अपने आप उसे सहलाने लगा। वो बोली- आप क्या कर रहे हैं? मैंने कहा- जिसके सामने अप्सरा आधी नंगी हो, वो होश कैसे संभाले? उसने कहा- ये अप्सरा पूरी नंगी भी हो सकती है, क्योंकि आपने सब देख लिया। पर पहले मुझे वो देखना है जो आप सहला रहे हैं।
मुझे और क्या चाहिए था। मैंने जल्दी से पैंट और अंडरवियर उतारकर अपना लंड उसके सामने कर दिया। वो हैरान होकर बोली- ये इतना बड़ा होता है? मैंने कहा- हाँ, इतना ही बड़ा होता है। वो बोली- क्या मैं इसे छू सकती हूँ? मैंने हाँ कहते ही वो सोफे से उठी, तौलिया हटाकर मेरे पास आई और दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया। मैं मदहोश हो गया।
तभी मुझे एक अनोखी खुशबू महसूस हुई, जो काव्या के नंगे बदन की थी। वो मेरे लंड को सहला रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर रखा, फिर धीरे-धीरे उसकी गांड पर फेरा, ऐसा लगा जैसे मक्खन पर हाथ चल रहा हो।
फिर मैंने अपनी जीभ उसकी नंगी जाँघ पर फिराई। वो बोली- भैया, प्लीज रुक जाओ। मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने जीभ उसकी चूत के दाने पर लगा दी। वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, हालाँकि उसने पहले ऐसा कभी नहीं किया था। वो पास में खड़ी होकर मेरा लंड चूस रही थी, और मैं लेटे-लेटे उसकी चूत चाट रहा था।
काफी देर तक हम इस हालत में मजे लेते रहे। तभी मुझे लगा कि मेरी पिचकारी छूटने वाली है, मैंने उसे बताया, पर वो किसी और दुनिया में थी। फिर मेरे लंड से लावा फूट पड़ा। कुछ उसके मुँह में चला गया, और जब उसने मुँह हटाया तो मेरा वीर्य उसके चेहरे पर फैल गया। वो अजीब सा मुँह बनाकर बोली- भैया, ये क्या है? मैंने कहा- ये वीर्य है। वो बोली- आपने पहले क्यों नहीं बताया? मैंने कहा- बताया था, तुमने सुना नहीं।
वो बोली- ठीक है, अब आपको मेरा पानी पीना पड़ेगा। मैंने कहा- नहीं, मैंने भी कभी नहीं पिया, आज छोड़ दो, बाद में देखेंगे। वो चेहरा धोकर आई। जब वो नंगी बाहर जा रही थी, उसकी गांड देखकर मेरा लंड फिर से मस्ती में आ गया।
वो वापस आई और मेरे लंड पर बैठ गई, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। ये हमारा पहला चुम्बन था। मैं उसकी जीभ चूसने लगा, और वो मेरी। कुछ देर बाद मैं उसकी चूचियों पर जीभ फिराने लगा। दोनों चूचियों को बारी-बारी चाटने के बाद वो उठी और फिर से मेरा लंड मुँह में ले लिया। अब उसकी गोरी, मोटी गांड और बिना बालों की चूत मेरे मुँह के पास थी। मैंने उसकी चूत को मुँह में ले लिया।
लगभग 10 मिनट तक हम इस हालत में रहे। मैंने कहा- इस बार सारा रस मुँह में लेना, मैं भी तुम्हारा रस मुँह में लूँगा। वो पहले मना करती रही, फिर मान गई। कुछ देर में मुझे झटके लगे, और उसकी चूत से भी कुछ बहने लगा। हमने एक-दूसरे का रस पिया और अलग हो गए। मैंने कहा- कोई आ सकता है, बाकी काम रात में करेंगे। वो मान गई, और हमने मुँह धोकर कपड़े पहन लिए।
दिन में जब वो किचन में खाना बना रही थी, मैंने उसकी गांड पर अपना लंड लगा दिया। वो बोली- भैया, रुक जाओ, रात में जो चाहे कर लेना, अभी काम करने दो। मैंने एक लिप किस किया और टीवी देखने चला गया।
रात में उसने खाना बनाया, और हमने साथ खाया। फिर हम एक ही बिस्तर पर लेट गए। सर्दी शुरू हो गई थी, तो हमने एक कम्बल लिया। अचानक वो उठकर दूसरे कमरे में गई और लाल रंग का सेक्सी गाउन पहनकर लौटी। मेरी ममेरी बहन मेरे पास लेटी तो मैंने कहा- आज तो हमारी सुहागरात है। वो शर्माकर चेहरा हाथों में छिपा लिया।
मैंने उसका गाउन उतारा तो देखा कि उसने काली जालीदार ब्रा और पैंटी पहनी थी, जिसमें वो बहुत हॉट लग रही थी। उसने मेरे कपड़े उतार दिए। मैंने अंडरवियर नहीं पहना था, तो पैंट उतरते ही मैं नंगा हो गया। उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया, उसके गुलाबी होंठों ने मुझे पागल कर दिया। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतारकर फेंक दी और कहा- मेरे ऊपर आ। हम 69 की पोजीशन में आ गए।
उसकी चूत से एक अजीब सी महक आ रही थी, जो मुझे और दीवाना बना रही थी। काफी देर तक इस हालत में रहने के बाद मैंने काव्या को उठाया और अपने लंड पर बैठने को कहा। वो मेरे पेट पर लेट गई। मेरा लंड उसकी चूत को छूकर मस्ती में झूम रहा था। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे, और हम एक-दूसरे को चूसने लगे।
4-5 मिनट बाद मैंने उसे उठाया और कहा- नीचे लेट, आज तुम्हारी छोटी सी चूत का उद्घाटन करूँगा। काव्या बिस्तर पर लेट गई। वो डर रही थी, बोली- भैया, सुना है पहली बार चुदाई में बहुत दर्द होता है। मैंने दिलासा दिया- मैं धीरे करूँगा, तुम क्रीम ले आ।
काव्या ने मेरे लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाई, और मैंने उसकी चूत पर। उसे लिटाकर मैं ऊपर आया और कहा- दर्द होगा, पर बर्दाश्त कर लेना, चिल्लाना मत। मैंने उसकी एक टाँग उठाकर लंड उसकी चूत पर सेट किया। पहला धक्का मारा, तो वो साइड में फिसल गया। कई कोशिशों के बाद लंड का आगे का हिस्सा अंदर गया, पर काव्या दर्द से बिलबिला उठी।
मैं रुक गया, क्योंकि वो बहुत नाजुक है। थोड़ा आराम मिला तो एक और धक्का मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। वो इस झटके को बर्दाश्त नहीं कर पाई और चिल्लाकर रोने लगी। बोली- उम्म्ह… अहह… हाय… भैया, प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है, बाकी कल कर लेंगे।
मैं रुक गया और उसकी चूचियों को बारी-बारी चूसने लगा। इससे उसका ध्यान बँटा और दर्द कम हुआ। फिर मैंने आखिरी धक्का मारा, तो मेरा पूरा लंड उसकी छोटी चूत में समा गया। वो जैसे बेहोश सी हो गई। मैं डर गया।
पर जल्दी ही वो होश में आई और मुझे हटाने लगी। मैं कहाँ मानने वाला था, कभी उसके होंठ चूसता, कभी उसकी छोटी चूचियाँ। 5 मिनट बाद मुझे लगा कि वो अपनी गांड हिला रही है। मैं समझ गया कि अब उसे दर्द नहीं हो रहा।
मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, तो वो भी मस्ती में झूमने लगी। काफी देर चुदाई के बाद जब मुझे लगा कि छूटने वाला है, मैंने लंड उसकी चूत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया। मेरा पानी छूट गया, जिसे उसने पूरा पी लिया। अब उसकी बारी थी, वो मेरे मुँह के ऊपर बैठ गई। मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी, और वो अकड़कर ढीली हो गई।
उस रात हमने अपनी सुहागरात में 3 बार चुदाई की। एक बार मैं काव्या की गांड में लंड डालना चाहता था, पर वो नहीं मानी, बोली- भैया, आज चूत का दर्द झेल लूँ, अगली बार गांड का उद्घाटन आपसे ही करवाऊँगी।
फिर हम सो गए। अगले दिन फिर से दिन में यही चुदाई का खेल हुआ, जिसके बारे में अगली कहानी में बताऊँगा।
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