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मेरी चूत की पहली चुदाई की कहानी

मेरी चूत की पहली चुदाई की कहानी पढ़ें कि कैसे मेरा पहला बॉयफ्रेंड मुझे अपने दोस्त के फ्लैट में ले गया। मगर वो निकम्मा निकला, तो मैंने नया प्रेमी बनाया और चुदाई का मजा लिया।

हैलो दोस्तों, मेरा नाम प्रिया है। मैं छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूँ। मैं बहुत ही आकर्षक लड़की हूँ और मेरा फिगर 28-30-32 है।

यह चूत की कहानी तब की है जब मैं बीएससी फर्स्ट ईयर में थी। मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती थी, और वह भी मुझे चाहता था।

एक दिन मैं कॉलेज जा रही थी और बस स्टॉप पर अपनी बस का इंतजार कर रही थी। तभी मेरा बॉयफ्रेंड अपनी बाइक लेकर आया और मुझे साथ चलने को कहा। मैं खुशी-खुशी उसके साथ बाइक पर बैठकर कॉलेज के लिए निकल पड़ी।

उसने कहा कि वो बाइक को लंबे रास्ते से ले जाएगा। मैं उससे चिपककर मस्ती में बैठी थी। मैंने कहा- जान, जब तू मेरे साथ है, तो मुझे कोई चिंता नहीं, तू जहाँ ले चल, मैं तैयार हूँ।

वो हँस पड़ा और बोला- ठीक है मेरी रानी, मैं तुझे जंगल वाले रास्ते से ले चलता हूँ। मैंने उसकी छाती से चिपकते हुए कहा- हाँ, ले चल, मुझे कोई डर नहीं। उस समय तक हमने सेक्स नहीं किया था, लेकिन हम दोनों अपनी पहली चुदाई के लिए बेताब थे, अपनी चूत स्टोरी बनाने को उत्सुक थे।

वह मुझे जंगल के रास्ते से ले गया। एक सुनसान जगह पर उसने बाइक को रास्ते से हटाकर एक कच्ची पगडंडी पर उतार दिया।

थोड़ा आगे जाकर उसने बाइक रोक दी और मुझे चूमने लगा। मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरी चूची पर हाथ रखा और जोर-जोर से दबाने लगा। मैं उस घने जंगल में उससे चिपककर पागल हो रही थी। मेरी चूत में चुदास की आग लग रही थी, और पानी टपकने लगा था।

फिर उसने मेरी जींस का बटन खोला, पैंटी नीचे सरकाई और मेरी चूत में उंगली डालने लगा। मैं मस्त होने लगी। अब मेरा मन भी चाह रहा था कि मैं यहीं इसके लंड से चुद जाऊँ। मगर रास्ते में कांटों की वजह से चुदाई मुमकिन नहीं थी। मेरा मन बेकाबू हो रहा था, तो मैंने उसकी पैंट के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी।

वह मेरी चूत में उंगली करता रहा, और मैं उसके लंड को आगे-पीछे करने लगी। थोड़ी देर बाद मेरी चूत से पानी निकलने वाला था, और मैं अकड़ने लगी। तभी जोश में मैंने उसका लंड जोर से मरोड़ दिया।

वह चीख पड़ा- आह… उई… क्या कर रही है, लंड तोड़ देगी क्या!

मैं हँस पड़ी और उसका लंड छोड़ दिया। उसी वक्त उसने मेरी चूत के दाने को पकड़कर खींच लिया। मुझे भी दर्द हुआ, और मैंने उसे धक्का दे दिया। फिर हम दोनों हँसने लगे और फिर से एक-दूसरे के साथ खेलने लगे। उसने मेरी चूत में उंगली डालनी शुरू की, और मैंने उसके लंड की मुठ मारना शुरू किया। कुछ देर बाद उसका पानी निकल गया, और मेरी चूत भी झड़ गई।

हम दोनों कुछ देर अपनी साँसें संभालते रहे। फिर वहाँ से निकल पड़े।

रास्ते में वह बोला- यार, मेरी तृप्ति नहीं हुई। उसकी बात सुनकर मेरी चुदास फिर जाग उठी। मैंने कहा- क्यों, मजा नहीं आया? वह बोला- पानी तो निकला, लेकिन ऐसा तो मैं मुठ मारकर भी निकाल लेता हूँ। मैंने कहा- तो फिर क्या चाहिए? वह बोला- चल, मेरे दोस्त के फ्लैट पर चलते हैं। मैंने पूछा- कोई दिक्कत तो नहीं होगी? वह बोला- मैं पहले उससे बात कर लूँगा। मैंने कहा- उसे फ्लैट से जाने को कह देना। उसने कहा- ठीक है।

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उसने अपने दोस्त से फोन पर बात की। दोस्त ने हामी भर दी और कहा- आ जा, मैं वैसे भी थोड़ी देर में जा रहा हूँ। मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझसे पूछा- अब ठीक है? मैंने मुस्कुराकर हाँ कर दी। हम दोनों उसके फ्लैट की ओर चल पड़े।

फ्लैट पर पहुँचने पर उसके दोस्त ने हमें पानी दिया और बोला- यार, मुझे जाना है। चाबी ले ले और बंद करके बाहर छिपा देना। मेरे बॉयफ्रेंड ने हामी भरी, और उसका दोस्त चला गया।

दोस्त के जाते ही उसने फ्लैट का दरवाजा बंद किया और मेरी चूची मसलने लगा। मैं भी अब बिंदास हो गई थी।

उसने मेरे कपड़े छूए, तो मैंने कहा- मैं उतार देती हूँ, मेरे पास यही ड्रेस है, कहीं फट न जाए। वह हँसकर बोला- फटना तो है ही। मैंने पूछा- फटना मतलब? मैं तो उतार रही हूँ। वह फिर हँसा।

मैं समझ गई और उसकी छाती पर प्यार से मुक्का मारने लगी। मैंने कहा- उसको फटवाने के लिए ही तो तेरे साथ आई हूँ। आई लव यू। उसने मुझे बाँहों में भरा और मेरे होंठ चूमते हुए कहा- आई लव यू टू। फिर वह मेरे कपड़े उतारने लगा।

कुछ ही पलों में उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया। वह मेरी चूची चूसने और चूमने लगा। मैं मस्त हो गई और उसके सिर को अपनी छाती से दबाकर उसे दूध पिलाने लगी।

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वह मुझे चूमते-चूमते बिस्तर पर ले गया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैं भी उसे बेतहाशा चूम रही थी। उसका साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर वह नीचे की ओर बढ़ा और मेरी चूत को सहलाने लगा। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी। उसकी जीभ का स्पर्श गर्म लगा, और मैं सिहर उठी। वह मेरी चूत चाटने लगा।

तभी मुझे उसका लंड देखने का मन हुआ। मैंने उसके लंड को छुआ और बोली- मुझे तेरा लंड देखना है। वह बोला- क्या देखना है? मैंने उसकी पैंट के ऊपर से लंड मसला और कहा- इसे। वह मजाक करने लगा- पैंट को क्या देखना? मैंने कहा- पैंट नहीं, इसके अंदर जो है। वह बोला- पैंट में तो चड्डी है, चड्डी देखनी है?

मैंने झुंझलाकर कहा- चड्डी के अंदर जो छुपा है, उसे देखना है। उसने कहा- चड्डी में क्या है? मैंने उसका लंड मसलते हुए कहा- तेरा लंड देखना है। उसने मेरी चूची दबाई और बोला- इसका कोई नाम तो होगा।

मैं समझ गई कि वह मुझसे लंड कहलवाना चाहता है। मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा- मुझे तेरा लंड देखना है। उसने मुझे चूमा और बोला- अब ये मेरा नहीं, तेरा लंड है। मैंने फिर उसे चूमा और कहा- हाँ, मुझे अपना लंड देखना है।

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उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसका लंड हवा में लहरा रहा था। वह बोला- लो, अपना लंड देख लो और इसे प्यार भी कर लो।

मैंने उसके लंड को पकड़कर हिलाना शुरू किया। पहली बार लंड देखकर मुझे अजीब लगा। मैं जोर-जोर से लंड हिलाने लगी। कुछ ही देर में उसका रस मेरी हथेली पर निकल गया।

मैंने पूछा- ये कैसे निकल गया? वह बोला- यार प्रिया, मेरा जल्दी निकल जाता है, ये पुरानी समस्या है। हम कल मिलेंगे और चुदाई करेंगे। यह कहकर वह कपड़े पहनने लगा।

मुझे तब लंड के बारे में ज्यादा नहीं पता था कि थोड़ी देर कोशिश करने से यह फिर खड़ा हो सकता है।

इस नाकाम चूत स्टोरी से मैं निराश हो गई, और हम दोनों वहाँ से निकल आए। मेरी चूत में आग लगी थी, लेकिन मैं क्या कर सकती थी।

उसके बाद तीन दिन तक उससे मेरी बात नहीं हुई। फिर उसने कॉल किया और मिलने को कहा।

मैंने हाँ तो कह दिया, लेकिन उससे नहीं मिली। हमारा ब्रेकअप हो गया।

कुछ दिन बाद मेरे फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। उसने अपना नाम रोहन बताया। मुझे उसकी बातें अच्छी लगीं, और हम दोस्त बन गए।

एक महीने बाद उसने मुझे प्रपोज किया, और मैंने हाँ कर दी, क्योंकि मैं रोहन के लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती थी। उसने मुझे एक होटल में मिलने बुलाया। मैंने हामी भर दी और होटल चली गई। वहाँ रोहन को देखा, तो वह बहुत आकर्षक था। उसकी हाइट 5 फीट 7 इंच थी, हालाँकि उसकी बॉडी सामान्य थी।

हम दोनों एक कमरे में गए। वहाँ कुछ देर बात करने के बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होने गई। उसने कोई जल्दबाजी नहीं की, जिससे मुझ पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ा।

फिर हम खाना खाने बाहर गए। खाना खाकर कमरे में लौटने पर उसने मुझे चूमा। मैंने भी उसे चूमा। हम दोनों में गर्मी बढ़ने लगी। कुछ देर बाद उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मुझे भी लग रहा था कि अब मैं जल्दी चुद जाऊँ।

उसने अपने कपड़े उतारे। मैं सिर्फ पैंटी में बिस्तर पर लेटी थी। वह अपने लंड को मेरे सामने हिलाने लगा। उसका लंड बहुत सुंदर था, उसका लाल सुपारा मेरी आग को और भड़का रहा था। उसका लंड करीब 6 इंच का था।

मैं उसके लंड को देखकर मन ही मन खुश हो रही थी। मैं अपनी चूचियों के निप्पलों को उंगलियों से मसलने लगी। मेरी आँखों में वासना चढ़ने लगी थी। लेकिन मुझे पिछले अनुभव की वजह से उसके लंड की ताकत परखनी थी।

कुछ देर लंड हिलाने के बाद वह मेरे पास आया। उसने मुझे चूमा और मेरी चूची को होंठों में दबाकर चूसने लगा। उसकी चूची चुसाई से मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह… उह… धीरे… मैं मर गई।

उसने मेरी दोनों चूचियों को खूब चूसा और मेरा हाथ अपने लंड पर रखवाया। उसका लंड बहुत सख्त था। मैं उसे सहलाने लगी। उसने मेरी आँखों में देखा और अपना लंड मेरे मुँह की ओर बढ़ाया। मैंने खुद उसके लंड को पकड़कर अपने मुँह में लिया और चूसने लगी।

कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने मेरी चूत पर लंड लगाया। वह मेरी चूत की फांकों में लंड का सुपारा रगड़ने लगा। मेरी चूत में आग लग चुकी थी, और उसका कड़ा लंड मेरी चूत की भूख मिटाने वाला लग रहा था।

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वह मेरी चूत में लंड डालने लगा। लेकिन मेरी चूत सील पैक थी, और उसका लंड मोटा था। लंड बार-बार फिसल रहा था। उसकी बेबसी पर मैं हँसने लगी।

वह बोला- हँस मत, मुझे गुस्सा आ रहा है। मैंने कहा- तो अपना गुस्सा मेरी चूत में निकाल दे, फट क्यों रहा है? वह बोला- ठीक है, अब देखता हूँ किसकी फटती है।

उसने मुझे पकड़ा, अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर उतार दिया। मैं दर्द से तड़पने लगी और उसे मना करने लगी।

मैं बोली- आह… उह… मर गई… निकाल लो… मुझे नहीं चुदना… मेरी चूत फट रही है। लेकिन उसने मेरी एक न सुनी और लंड से मेरी चूत चोदता रहा। उसका लंड अंदर तक समा गया था, मेरी सील टूट चुकी थी, और मैं दर्द से कराह रही थी।

वह सांड की तरह मेरी चूत में धक्के मारता रहा। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मैं उसका साथ देने लगी। वह मेरी चूची दबाते हुए मेरी चूत को रगड़ने में लगा था। जल्द ही मैं झड़ गई, मगर वह चोदता रहा।

मेरे झड़ने के 10 मिनट बाद वह भी चरम पर पहुँचा। उसने बिना कुछ कहे मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया और मेरे ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों थककर एक-दूसरे की बाँहों में पड़े थे।

कुछ देर बाद मैं उठी और देखा कि बिस्तर पर खून के दाग लग गए थे। मैं घबरा गई, तो वह हँसने लगा। उसने समझाया- तेरी सील टूटी है, अब तू मजे लेने के लिए तैयार है।

मुझे भी मजा आने लगा। मैंने सोचा कि अब सब खत्म हो गया। मगर कुछ देर बाद उसका लंड फिर खड़ा हो गया। मैं हैरान थी कि यह फिर से खड़ा हो गया। मैंने पूछा- ये कैसे खड़ा हो गया?

वह बोला- ये खड़ा क्यों नहीं हो सकता? मैं चुप रही, उसे पिछले अनुभव के बारे में नहीं बता सकती थी।

मैंने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा दी। उसने मुझे फिर से लंड चूसने को कहा। मैंने लंड चूसा, तो वह फिर से लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझे समझ आ गया कि अगर लंड में दम हो, तो वह बार-बार खड़ा हो सकता है। उस दिन हमने चार बार चुदाई की। मैं पूरी तरह तृप्त हो गई थी।

उसके बाद उसने मुझे कई बार चोदा, और हर बार मुझे मस्त कर दिया।

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