यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है, एक ऐसी औरत के साथ, जिससे न मैं कभी मिला था, न कभी सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी।
मेरी रफ्तार इतनी तेज थी कि अगर बीच में कुछ आ जाए, तो वह टूट सकता था। मैं इतने जोर से धक्के मार रहा था कि उसकी चूत से ‘पच-पच’ की आवाजें गूंज रही थीं। हम दोनों चुदाई में इतने डूबे थे कि हमें भूल ही गया कि हम कहाँ हैं। हमें यह भी ध्यान नहीं रहा कि बाहर कोई बैठा है।
माफी माँगता हूँ, मैंने बिना कुछ बताए कहानी शुरू कर दी।
यह कहानी मेरी और एक ऐसी औरत की है, जिससे मैं पहले कभी नहीं मिला था, न ही कभी सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी।
पहले मैं अपने बारे में बताता हूँ। मेरा नाम विक्रम है, और मैं जयपुर में रहता हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है। मैं एक आकर्षक नौजवान हूँ, जिसे देखकर हर औरत की चूत में खुजली मच सकती है। मेरी प्रिय पाठिकाओं, तुम भी मुझे देखकर अपनी चूत में उंगली करने लग जाओगी, क्योंकि ऐसा मुझे कई लड़कियों और औरतों ने बताया है।
मैं जिम में वर्कआउट करता हूँ, इसलिए मेरी बॉडी काफी शानदार है।
यह मेरी जिंदगी की पहली सेक्स कहानी है। मैं लंबे समय से सेक्स कहानियाँ लिखने की सोच रहा था। मेरे एक दोस्त ने मुझे सबसे पहले ‘अन्तर्वासना’ के बारे में बताया था। मैंने वहाँ की कहानियाँ पढ़ना शुरू किया, और मुझे मजा आने लगा। फिर मैंने फैसला किया कि अपने साथ घटी एक सच्ची घटना को आप सबके साथ साझा करूँ।
चूँकि यह मेरा पहला लेखन है, अगर कुछ समझ न आए या कोई गलती हो, तो माफ कर देना।
जब मैं छोटा था, तब मेरा मन बहुत सेक्स करने को करता था। जब भी मेरा मन चुदाई का होता, मैं चुपके से पोर्न फिल्में देखता था। उन गंदी फिल्मों को देखकर मेरी चूत चोदने की इच्छा और तीव्र हो जाती थी। लेकिन उस वक्त मेरी शक्ल-सूरत कुछ खास नहीं थी, इसलिए कोई लड़की मुझे भाव नहीं देती थी, न ही मेरी तरफ देखती थी।
उस समय मुझे खुद से बहुत नफरत होती थी कि मैं ऐसा क्यों हूँ। मैं अच्छा क्यों नहीं दिखता? इन सब कारणों से मुझे लड़कियाँ पटाने में बहुत दिक्कत हुई। मैंने अपने हाथ से मुठ मारकर खुद को संतुष्ट किया। जैसे-जैसे समय बीता, मुझे समझदारी आने लगी। फिर भी मुझे नहीं पता था कि औरतों को क्या चाहिए, या लड़कियाँ कैसे खुश होती हैं, उन्हें कैसे पटाया जाता है।
फिर धीरे-धीरे मैंने जिम जाना शुरू किया और अपनी बॉडी को आकर्षक बनाया। इसके बाद मुझे अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा।
यह कहानी एक सच्ची घटना है, जिसमें सिर्फ सच है और कुछ नहीं।
यह उस औरत की कहानी है, जो मुझे अचानक मिली। मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था, न ही सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई आएगी। यह उस समय की बात है जब मैं जिम जाना शुरू ही किया था। जिम के पास एक खूबसूरत लड़की थी। मैं उसका नाम नहीं लूँगा, लेकिन वह दिखने में लाजवाब थी। उसकी तारीफ जितनी करो, कम है।
उसकी आँखें इतनी गहरी थीं, जैसे कोई झील हो, जिसमें डूबने का मन करे। उसका फिगर 34-28-36 का था। जब वह चलती थी, तो उसकी गांड मटक-मटक कर उछलती थी। उसकी उभरी हुई गांड इतनी आकर्षक थी कि अच्छे-अच्छों का लंड खड़ा हो जाए। उसकी गांड देखकर मन करता था कि अभी मेरा 7 इंच का लंड उसमें घुसा दूँ और उसकी चीखें निकाल दूँ। बस, ऐसे ही मेरे दिन बीतते थे।
जब भी मैं जिम के पास से गुजरता, उसे देखने का मौका नहीं छोड़ता था। उसे देखकर ही खुश हो जाता था। मैंने उसे सिर्फ देखा था, मुझे नहीं पता था कि वह कौन है, कहाँ से आई है, उसका नाम क्या है, वह क्या करती है। मुझे कुछ भी नहीं मालूम था।
एक दिन मैं उसे देख रहा था, और उसने भी मुझे देखा। मैंने नजरें नीचे कर लीं और न जाने क्या सूझा कि जेब से पेन निकाला, एक कागज पर अपना फोन नंबर लिखा, उसे मोड़कर फेंक दिया, और उसकी तरफ देखकर चला गया।
मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं थी। बस, मन में आया और नंबर फेंक दिया।
उससे कुछ हुआ नहीं। अब मेरा रोज का यही काम था। जिम से लौटकर अपने कमरे में आता, उसे अपनी कल्पनाओं में देखता, और उसके नाम की मुठ मारकर सो जाता। मैं मन ही मन दुआ करता कि एक दिन वह मुझे मिल जाए और मैं उसे दबाकर चोद दूँ। लेकिन मेरी किस्मत तो गधे के लंड से बंधी थी, कुछ अच्छा होने की उम्मीद कम थी। मैं सोचता था कि इतनी खूबसूरत लड़की मुझे कहाँ मिलेगी।
लेकिन आपने सुना होगा कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश करती है। यह सिर्फ डायलॉग नहीं, हकीकत भी है। मुझे पहले लगता था कि चाहने से कुछ नहीं होता, कोई कायनात-वायनात नहीं होती। लेकिन जब मेरे साथ यह हादसा हुआ, तब मुझे यकीन हुआ कि ऐसा होता है।
बात को ज्यादा न घुमाते हुए, सीधे मुद्दे पर आता हूँ।
मैं रोज की तरह उसके ख्यालों में खोया था। अचानक मेरे फोन पर एक कॉल आया। दूसरी तरफ से हल्की आवाज में कहा गया, “हैलो।”
मैं सोचने लगा कि यह कौन हो सकता है। फिर मैंने जवाब दिया, “हैलो, जी बोलिए!”
उसने कहा, “मैं शालिनी बोल रही हूँ।” (यह उसका काल्पनिक नाम है, असली नाम नहीं बताऊँगा।)
मैंने हैरानी से पूछा, “कौन शालिनी?”
उसने कहा, “वही शालिनी, जिसे तुम रोज देखते हो और बात नहीं करते। तुमने ही नंबर कागज पर लिखकर सड़क पर फेंका था, न?”
यह सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। मैं सोचने लगा कि मैंने अब तक उससे बात क्यों नहीं की, जबकि वह मुझसे बात करने को तैयार थी।
मैंने खुद को संभालते हुए कहा, “मैं तो आपको नहीं देखता। मैं बस अपने काम से आता-जाता हूँ।”
वह बोली, “अच्छा, अब बनो मत। मुझे सब पता है कि तुम मुझे क्यों देखते हो।”
मैंने भी पूछ लिया, “आप ही बताओ, मैं क्यों देखता हूँ?”
उसने शरारती अंदाज में कहा, “अब इतने भोले मत बनो, जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं।”
इस तरह हमारी बातें शुरू हुईं। फिर उसने बताया कि उसकी शादी यहाँ हुई है, और वह सारा दिन घर में ही रहती है। न बाहर जाती है, न कहीं घूमने। सारा दिन घर के कामों में बीत जाता है। उसका पति ऐसा है कि उसे काम से फुर्सत ही नहीं। वह उस पर ध्यान नहीं देता, न उससे प्यार करता है, न उसकी सेक्स की जरूरतें पूरी करता है।
मैंने उसकी सारी बातें सुनीं। जब उसने बताया कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसे चाहिए, तो मुझे समझ आ गया कि यह मौका बिना रिस्क का है। बस मजा लेने-देने का मामला है।
इस तरह हमारी बातें होने लगीं। वह अपने दुख मुझे सुनाती, और मुझे सुनना पड़ता, क्योंकि मुझे उसकी चूत और गांड मारनी थी।
एक दिन मैंने उससे कहा, “ऐसी बातें मत करो। सीधी बात है, जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।”
मेरी बात सुनकर वह गुस्सा हो गई और बोली, “तुम मेरे बारे में ऐसी सोच रखते हो? मैं तुम्हें अच्छा समझती थी, लेकिन तुम तो ऐसे निकले। आज के बाद मुझे फोन मत करना।”
अक्सर ऐसा होता है कि लड़की कुछ और उम्मीद करती है, और हम कुछ और सोचते हैं। मुझे तो उसके साथ सेक्स करना था, इसलिए मैंने खुलकर कह दिया। उसे भी कहीं न कहीं अपने पति से न मिलने वाले सुख के कारण मुझसे बात करना अच्छा लगता था। उसे भी सेक्स की जरूरत थी, लेकिन वह खुलकर नहीं कह पाई।
वह इतनी जल्दी सेक्स की बात पर खुलना नहीं चाहती थी। शायद मुझे यह बात कहने में और समय लेना चाहिए था, लेकिन मैंने जल्दबाजी कर दी।
जब उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया, तो मामला बिगड़ गया। मैंने सोचा, इतना अच्छा माल मिला था, और मैंने क्या गड़बड़ कर दी। थोड़ा सब्र रखता, तो सब हो जाता।
फिर भी मैं परेशान रहने लगा। मैं उसे पहले की तरह देखने लगा, लेकिन वह अब मुझे रोज नहीं दिखती थी। मैं और ज्यादा परेशान हो गया।
फिर अचानक चार दिन बाद सुबह चार बजे उसका कॉल आया। उसने कहा, “जल्दी से मुझसे मिलने आ जाओ।”
मैंने पूछा, “इतनी जल्दी? क्या हुआ?”
उसने कहा, “ज्यादा समय नहीं है। मेरे पति सो रहे हैं। तुम जल्दी यहाँ आ जाओ, मैं बाहर इंतज़ार कर रही हूँ।”
मैं जल्दी से उठा, अपनी बाइक निकाली, और उसके घर के पास पहुँच गया। सुबह के अंधेरे में जब मैं वहाँ पहुँचा, तो वह मुझसे लिपट गई और रोने लगी।
शालिनी बोली, “मुझे माफ कर दो, मैंने तुमसे बात नहीं की।”
मैंने कहा, “माफी तो मुझे माँगनी चाहिए। मैंने गलत बोल दिया था। मुझे सोच-समझकर बोलना चाहिए था कि तुम मुझसे क्या चाहती हो।”
उसने कहा, “मैं वही चाहती हूँ जो तुमने कहा था, लेकिन उस वक्त मुझे नहीं पता क्या हुआ। मैंने तुमसे बात करना बंद कर दिया।”
यह सुनते ही मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। हम सड़क पर खड़े थे। मुझे कुछ होश ही नहीं रहा। मैं बस उसे चूमने लगा। यह मेरा पहला अनुभव था।
उसे सब पता था, क्योंकि वह शादीशुदा थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो। मैंने पहले कभी ऐसी फीलिंग महसूस नहीं की थी।
वह मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी हो। उसके होंठ चूसने से मेरा लंड इतना कड़क हो गया था कि दीवार में घुसा दूँ, तो छेद हो जाए। उसने मेरे लंड को महसूस कर लिया था।
मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और खड़े-खड़े अपने लंड को उसके पेट में गड़ाने लगा। जैसे ही मैंने उसके मम्मों को छूने की कोशिश की, उसने मेरे हाथ रोक लिए।
उसने कहा, “हम सड़क पर खड़े हैं।”
तब मुझे होश आया, और मैंने खुद को संभाला।
उसने कहा, “बाकी सब बाद में…”
मुझे बहुत गुस्सा आया, लेकिन मैं क्या कर सकता था। निराश होकर मैं घर लौट आया।
दोस्तों, बाकी कहानी अगले भाग में। मैंने उसे कैसे चोदा, और चुदाई के दौरान उसका पति आ गया, फिर क्या हुआ, यह सब अगले भाग में लिखूँगा।
मेरी पहली चुदाई की कहानी-2
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