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मेरी पहली चुदाई की कहानी-2

अब तक आपने मेरी चुदाई की कहानी के पहले भाग, मेरी पहली चुदाई कहानी-1 में पढ़ा था कि मैं शालिनी नाम की एक शादीशुदा औरत के प्यार में पड़ गया था और उसे चोदना चाहता था।

अब आगे:

घर लौटने के बाद मेरा मन नहीं लग रहा था। एक ही ख्याल बार-बार आ रहा था कि मेरी चूत चुदाई की कहानी कब पूरी होगी।

सारा दिन ऐसे ही ख्यालों में बीत गया। मैं इंतज़ार करता रहा कि शालिनी का कॉल आएगा, उससे बात होगी। लेकिन उस दिन उसका कोई फोन नहीं आया। मैं उसके ख्यालों में मुठ मारकर सो गया। मुठ मारने से तनाव कुछ कम हुआ, और मुझे नींद आ गई, पता ही नहीं चला।

अचानक मैं नींद से जागा। मैंने फोन देखा तो शाम के सात बज रहे थे। फोन में ढेर सारे मिस्ड कॉल थे। इतने मिस्ड कॉल देखकर मैंने तुरंत शालिनी को फोन किया।

सारे कॉल उसी के थे। मैंने जैसे ही कॉल किया, वह बोल पड़ी, “कहाँ थे अब तक? कितने फोन किए! सुबह कुछ करने नहीं दिया, तो क्या नाराज़ हो गए?”

मैंने समझाया, “नाराज़ नहीं हुआ। मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था, और मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।”

उसने कहा, “चलो, अभी मेरे घर पर कोई नहीं है। जल्दी आ जाओ, हम सुबह का अधूरा काम पूरा कर लें।”

उस वक्त रात के करीब आठ बजे थे। मैंने अपनी बाइक उठाई और सीधे उसके घर की ओर चल दिया। बाइक को मैंने थोड़ी दूर पर खड़ा किया ताकि कोई देख न ले, क्योंकि उस इलाके में मेरे जान-पहचान वाले भी थे।

नज़दीक पहुँचकर मैंने उसे कॉल किया और पूछा, “क्या मैं सीधे अंदर आ जाऊँ?”

उसने कहा, “नहीं, रुक जाओ। पहले मुझे देखने दो कि बाहर कोई है या नहीं। अगर किसी ने देख लिया, तो मेरा यहाँ रहना मुश्किल हो जाएगा।”

मैंने कहा, “हाँ, देख लो, मैं इंतज़ार करता हूँ।”

थोड़ी देर बाद उसका कॉल आया। उसने कहा, “कोई नहीं है, जल्दी आ जाओ।”

मैं सीधे उसके घर में घुस गया। अंदर जाते ही उसे देखा और उससे लिपट गया। उसे गले लगाकर चूमने लगा। उस पल मैं पागल हो चुका था, कुछ समझ नहीं रहा था। बस पागलों की तरह चूम रहा था।

उसने मुझे रोका और बोली, “सब कुछ यहीं करोगे? चलो, कमरे में चलते हैं।”

तब मुझे होश आया, और मैंने खुद को संभाला।

हम दोनों कमरे में गए। वहाँ पहुँचते ही मैंने उसे घुमाया और उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया। मेरा लंड तब तक खड़ा हो चुका था। मैं पीछे से उसकी मोटी गांड में लंड रगड़ रहा था और आगे से उसके मम्मों को दबा रहा था। मैं इतने जोर से दबा रहा था, जैसे मुझे पहली और आखिरी बार मम्मे दबाने को मिले हों।

वह बोली, “आह… धीरे करो, दर्द हो रहा है।”

लेकिन मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने अपने अंदर के जानवर को जगा लिया था। उसकी कोई बात मेरे कानों तक नहीं पहुँच रही थी। उस पल तो बस मन कर रहा था कि अभी उसकी गांड में लंड घुसा दूँ।

मैंने उसकी साड़ी पीछे से उठाई और लंड को उसकी गांड पर सेट करके धक्का मार दिया। बिना अनुभव के लंड पेलने की कोशिश में लंड अंदर गया ही नहीं। मेरी हरकत पर उसे हँसी आ रही थी।

उसने पूछा, “पहली बार कर रहे हो क्या?”

मैंने कहा, “हाँ, मैंने पहले कभी सेक्स नहीं किया।”

उसने कहा, “फिक्र मत करो, मैं सब सिखा दूँगी।”

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मैंने कहा, “जल्दी सिखाओ ना।”

उसने मेरे गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा, “चलो, बाथरूम चलते हैं, वहाँ करेंगे।”

अब तक हमारे कपड़े नहीं उतरे थे। सिर्फ मेरा लंड मैंने पैंट से बाहर निकाला था। उसने अभी तक मेरा लंड भी नहीं देखा था।

मैंने कहा, “हाँ, चलो अंदर चलते हैं।”

वह मेरी तरफ घूमी, और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने आया। जब उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी, तो वह बोली, “हे भगवान! तुम इतने बड़े हथियार को मेरे छोटे से छेद में डालने की कोशिश कर रहे हो, और तुम्हें तो यह भी नहीं पता कि इसे कैसे डाला जाता है।”

उसके मुँह से ऐसी बातें सुनकर मैं सोचने लगा कि यह कितनी चालू औरत है, कितनी बेशर्मी से बोल रही है।

मैंने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए आगे बढ़ना बेहतर समझा। फिर वह मेरे लंड को पकड़कर मुझे बाथरूम में ले गई। मैं उसके साथ लंड पकड़े हुए खिंचता चला गया। उस पल मुझे लगा कि लंड कितनी कमाल की चीज़ है। उसने सिर्फ लंड पकड़ा, और मेरी पूरी बॉडी उसके कंट्रोल में आ गई।

उसके लंड पकड़ते ही मुझे झनझनाहट होने लगी। ऐसी फीलिंग थी कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। लंड पकड़ते ही मैं और जोश में आ गया।

बाथरूम में घुसते ही उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और लंड को हाथ में पकड़कर नीचे बैठ गई। वह उसे देखने लगी।

मैंने पूछा, “क्या देख रही हो?”

उसने कहा, “मैं इसके लिए तरस रही थी। उस दिन न जाने मैंने तुमसे क्या बोल दिया और बात करना बंद कर दिया।”

मैंने कहा, “कोई बात नहीं, जो हुआ सो हुआ। अब आगे का करते हैं।”

फिर उसने मेरा लंड सीधे अपने मुँह में डाल लिया। जैसे ही लंड उसके मुँह में गया, मैं काँपने लगा। मुझे अजीब-सा लग रहा था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है, क्योंकि पहली बार किसी औरत ने मेरे लंड को छुआ और मुँह में लिया था। वह लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे उसे कोई लाजवाब चीज़ मिल गई हो, जिसके लिए वह बरसों से भूखी थी।

मेरे दोनों हाथ मेरे काबू में नहीं थे। उसके हाथ मेरी गांड पर टिके थे, और मेरा लंड उसके मुँह में था। वह मेरी गांड को आगे-पीछे करने की कोशिश कर रही थी। मुझे समझ आया कि वह मुझे आगे-पीछे करने को कह रही है। मैंने उसके सिर को पकड़ा और गांड को आगे-पीछे करने लगा। उसके मुँह से ‘ओक ओक’ की आवाज़ें आने लगीं।

कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाला। मैंने कहा, “मुझे अंदर डालना है।”

वह मुझे चूमने लगी। चूमते-चूमते मैंने उसकी साड़ी उतारनी शुरू की। धीरे-धीरे पूरी साड़ी उतार दी। वह सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में रह गई। मैंने उसका ब्लाउज़ खोला।

मेरे दिमाग में अचानक एक पुराना डायलॉग याद आया, जब हम दोस्त किसी बड़े चूचे वाली लड़की को देखकर ‘लव स्कूल’ कहते थे। आज वही लव स्कूल मेरे सामने था।

मेरी आँखें फटी रह गईं। इतने नुकीले चूचे मैंने कभी नहीं देखे थे। मैं दूध चूसने के लिए पागल हो गया। मैंने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाना शुरू किया। मैं इतना पागल हो रहा था कि समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो गया है।

मैं उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा। चूचे चूसते-चूसते मेरा लंड बहुत कड़क हो गया था। उसका एक हाथ मेरे लंड को पकड़कर आगे-पीछे कर रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

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चूँकि यह मेरा पहली बार था, सब कुछ नया था। फिर उसने मुझे रोका और मेरी पैंट व टी-शर्ट उतार दी। मैं उसके सामने पूरी तरह नंगा खड़ा था।

वह मेरे शरीर को देखकर पागल हो गई और बोली, “मैंने आज तक ऐसा शरीर नहीं देखा। तुम कितने सेक्सी हो।”

मैंने कहा, “तुम पहली औरत हो जिसने मुझे ऐसे देखा है।”

उसने कहा, “कोई तुम्हें देख ले, तो पागल हो जाए।”

यह सुनकर मैं उसे चूमने लगा। मैंने उसका ब्लाउज़ पीछे से फाड़ दिया, क्योंकि मैं बहुत जोश में था। उस पल ऐसी ताकत आ गई थी, जैसे मेरी शक्ति दोगुनी हो गई हो।

वह बोली, “यह क्या कर दिया? ब्लाउज़ फाड़ दिया! थोड़ा सब्र तो करो, मैं कहीं नहीं जा रही। मैं तुम्हारी ही हूँ और हमेशा रहूँगी।”

मैंने उसे सीने से लगा लिया। मैंने उसे इतने जोर से गले लगाया कि उसके नुकीले चूचे मेरी छाती में गड़ने लगे। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर पर मलाई लग रही हो।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसका पेटीकोट खोलने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। उसने खुद अपने हाथों से पेटीकोट खोल दिया। उसने अंदर पैंटी नहीं पहनी थी। मैं उसे नंगी देखकर नीचे बैठ गया।

उसकी मक्खन-सी मुलायम चूत देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उसकी चूत को हाथों से फैलाया। अंदर से वह गुलाबी थी। मैंने अपना मुँह अंदर घुसा दिया और चूत के होंठों को चूसने लगा। इतने जोर से चूस रहा था कि उसकी साँसें रुकने लगीं।

उसने मेरा सिर अपनी टाँगों के बीच और जोर से दबाया और धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी। वह नीचे बैठी, लेकिन मेरा सिर अभी भी उसकी टाँगों के बीच था। तब तक मैं भी लेट चुका था।

फिर उसने मुझे रोका और बोली, “अब अंदर डाल दो।”

मैंने पोज़ीशन बनाई और लंड को उसकी चूत पर सेट करके तैयार हो गया।

जैसे ही मैं लंड अंदर डालने लगा, बाहर से किसी के आने की आवाज़ आई। हम दोनों बाथरूम में थे। ध्यान से सुना तो कोई रूम में आकर बोल रहा था।

उसने फुसफुसाते हुए कहा, “मेरे पति आ गए। हम अंदर फँस गए। अब बाहर कैसे जाएँगे? आज तो मैं मर गई।”

वह ऐसी बातें करने लगी। यह सुनकर मेरी गांड फटने लगी। मेरा खड़ा लंड कब बैठ गया, पता ही नहीं चला। वह कह रही थी, “बाहर जाएँगे, तो वह हमें पकड़ लेंगे।”

तभी उसके पति की आवाज़ आई, “कहाँ हो तुम?”

उसने बाथरूम से जवाब दिया, “मैं नहा रही हूँ।”

उसका पति बोला, “इतनी रात को नहाने की क्या ज़रूरत थी?”

उसने कहा, “मेरी साड़ी गीली हो गई थी, इसलिए नहाने लगी।”

यह सुनकर मुझे थोड़ी राहत मिली। मैंने सोचा, जो होगा देखा जाएगा। अब तो शुरू करते हैं।

तब तक वह खड़ी हो चुकी थी। मैंने लंड को सहलाकर फिर से खड़ा कर लिया। मैंने उसे पीछे से झुकाया और लंड को चूत के छेद पर सेट करके एक झटके में पूरा अंदर घुसा दिया।

लंड के चूत में जाते ही उसकी चीख निकल गई। चीख इतनी ज़ोरदार थी कि उसके पति ने बाहर से सुन ली।

मुझे डर लगा कि कहीं वह अंदर न आ जाए। उस पल मुझे लग रहा था कि अगर मेरी नज़र में यह गलत है, तो उसके पति की नज़र में भी गलत होगा।

उसके पति ने बाहर से चिल्लाकर पूछा, “क्या हुआ?”

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उसने खुद को सँभालते हुए कहा, “कुछ नहीं, मैं ज़रा फिसल गई थी।”

यह सुनकर मैंने लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। वह मेरे हर झटके का मज़ा ले रही थी। मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा था। धीरे-धीरे मेरे धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी। तभी उसने मुझे रोका।

उसने कहा, “तुम्हें नीचे लिटाकर करूँगी।”

उसने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया। मैं फर्श पर लेट गया। वह मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया। उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। मेरी आँखों के सामने मेरा लंड उसकी चूत में गायब हो गया। मैं सोचने लगा कि चूत में कितना गहरा गड्ढा होगा, जो इतने बड़े लंड को निगल गया।

फिर वह मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा, क्योंकि पहली बार मेरा लंड किसी चूत में घुसा था।

वह इतनी तेज़ी से ऊपर-नीचे होने लगी कि ‘पच-पच’ की आवाज़ें आने लगीं। उस वक्त हमें बिल्कुल ख्याल नहीं था कि आवाज़ बाहर जा सकती है और बाहर कोई बैठा है।

वह अपनी धुन में ऊपर-नीचे हो रही थी। फिर वह मुझसे लिपट गई और ऊपर-नीचे का खेल बंद कर दिया। उसने कहा, “मेरा हो गया।”

मुझे समझ नहीं आया कि वह क्या कह रही थी। मैंने कहा, “हाँ, कोई बात नहीं।”

मैंने उसे नीचे लिटाया और उसके ऊपर आ गया। मैं उसकी टाँगों के बीच बैठकर उसकी चूत को देखने लगा। वह पहले से ज़्यादा उभरी हुई थी।

मैंने पूछा, “ऐसा क्यों हुआ?”

उसने कहा, “पहली बार कोई मस्त डंडा मेरी चूत में गया है और मुझे पूरी तरह संतुष्ट किया है। ऐसे में चूत खुशी से फूलकर कुप्पा हो जाती है।”

यह सुनकर मैं खुश हो गया और मैंने सीधे अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

उसने कहा, “क्या हुआ? अभी तक तुम्हारा नहीं हुआ?”

मैंने कहा, “देखो ना, कितना खड़ा है। तुम्हारी चूत में जाने के लिए तड़प रहा है।”

मैंने उसे चूमते हुए धक्के लगाना शुरू किया। थोड़ी देर बाद मैं उसकी गांड और चूत को नीचे से देखने लगा। वह गांड उठाने लगी। मैंने रफ्तार बढ़ाई और धकाधक चुदाई करने लगा।

तब तक उसका एक बार और हो चुका था। फिर मैंने तेज़ धक्के मारते हुए कहा, “मेरा पानी निकलने वाला है।”

यह कहते ही मेरे लंड का पानी उसकी चूत में निकल गया। मैं थककर उसके ऊपर लेट गया।

फिर मैंने कहा, “यहाँ से बाहर कैसे जाएँगे? तुम्हारा पति बाहर बैठा है।”

उसने कहा, “मैं बाहर जाकर उसे कहीं भेज देती हूँ। उसके जाने के बाद तुम चले जाना।”

उसने बाथरूम से आवाज़ लगाई, “आप दूध ले आओ ना। तब तक मैं बाहर निकलकर खाना लगा देती हूँ।”

उसका पति ‘ठीक है’ कहकर दूध लेने चला गया। मैंने जल्दी से कपड़े पहने, उसे चूमा, और वहाँ से निकल गया।

उसके बाद, जब भी हमें मौका मिलता है, हम चूत चुदाई का मज़ा ले लेते हैं।

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