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मेरे पड़ोसन की चुदाई

पड़ोसन सेक्स कहानी हिंदी में – “मेरे पड़ोसन की चुदाई—एक हिंदी हॉट, सेक्सी और उत्तेजक चुदाई की कहानी”

मेरा नाम संदीप है। मैं 28 साल का हूँ, गोरा, मजबूत और जवान मर्द। मेरा लंड 8 इंच का है, मोटा और काला, जिसकी टोपी हमेशा गीली और चमकदार रहती है। मेरी नसें उभरी हुई हैं, जैसे कोई चूत फाड़ने के लिए तैयार हथियार। मैं दिल्ली के एक छोटे मोहल्ले में रहता हूँ, जहाँ मेरी पड़ोसन, रेखा, रहती है। रेखा 30 साल की है, गोरी, भरे हुए बदन वाली और हॉट औरत। उसके स्तन बड़े, गोल और रसीले हैं, जैसे दो पके हुए खरबूजे, जो उसकी साड़ी या नाइटी से हमेशा बाहर झाँकते हैं। उसके निप्पल सख्त और गुलाबी हैं, जो कपड़ों के ऊपर से हल्के से दिखते हैं और मेरे लंड को ताठ करते हैं। उसकी कमर पतली है, और उसकी गांड बड़ी, मुलायम और गोल है, जो चलते वक्त लचकती है और मेरे मन में वासना जगाती है। उसकी जाँघें मोटी और चिकनी हैं, और उसकी चूत की गर्मी उसके चेहरे से दिखती है। एक दिन मैंने अपनी पड़ोसन, रेखा की चूत चोदी, और वह घटना मेरे जीवन की सबसे शानदार बन गई। यह है मेरी वासना और चुदाई की कहानी।

शुरुआत: रेखा की नजर और मेरी वासना

मार्च 2025 की बात है। दिल्ली में हल्की गर्मी शुरू हो चुकी थी, और मेरे मन में रेखा को चोदने की आग भड़क रही थी। रेखा का पति ट्रक ड्राइवर था और ज्यादातर समय बाहर रहता था। वह अकेली रहती थी, और मैं उसे हमेशा देखता था। जब वह कपड़े सुखाने छत पर आती, उसकी साड़ी उसके स्तन से सरक जाती, और मेरा लंड ताठ हो जाता। “संदीप, क्या देखता है?” वह हँसते हुए कहती। “रेखा, तू बहुत मस्त लगती है,” मैं हँसते हुए कहता, लेकिन मेरा लंड उसकी चूत के लिए तड़पता। उसकी गांड लचकते देखकर मेरा लंड पानी छोड़ता।

एक बार वह मेरे घर आई। “संदीप, मेरा टीवी खराब हो गया है, देखेगा क्या?” उसने कहा। उसने काली नाइटी पहनी थी, जो उसके स्तन से चिपकी थी। “हाँ रेखा, चल,” मैंने कहा और उसके घर गया। उसके घर में वह मेरे पास बैठी। “संदीप, तू बहुत अच्छा है,” उसने कहा और मेरे कंधे पर हाथ रखा। “आह… रेखा…” मैं सिसकते हुए बोला। “संदीप, तेरी आँखों में क्या दिख रहा है?” उसने फुसफुसाया। “रेखा, तेरी चूत चोदना चाहता हूँ,” मैंने मन में कहा, लेकिन सिर्फ हँसा।

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पहला मौका: उसके घर में चुदाई

22 मार्च का दिन था। रेखा का पति बाहर गया था। उसने मुझसे कहा, “संदीप, आज शाम को घर आ, अकेलापन लग रहा है।” मेरा लंड तड़प उठा। मैं शाम को उसके घर गया। उसने लाल साड़ी पहनी थी, और उसके स्तन ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रहे थे। “रेखा, तू आज बहुत मस्त लग रही है,” मैंने कहा। वह हँसी और मेरे पास आई। “संदीप, मुझे अकेलापन लग रहा है,” उसने कहा और मेरा हाथ पकड़ा। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। मेरी जीभ उसके मुँह में गई, और उसकी जीभ मेरे साथ खेलने लगी। “आह… रेखा…” मैं सिसकते हुए बोला। “संदीप, मेरी चूत चोद,” उसने फुसफुसाया।

मैंने उसकी साड़ी उतारी। उसके स्तन नंगे हो गए। उसके निप्पल सख्त थे। “रेखा, तेरे स्तन मस्त हैं,” मैंने कहा और एक स्तन मुँह में लिया। मैं उसे चूसने लगा। “आह… संदीप… चूस… जोर से चूस…” वह चीखी। मेरा दूसरा हाथ उसके दूसरे स्तन को मसल रहा था। उसके स्तन लाल हो गए। मैंने उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत नंगी हो गई। उसके घने झाट गीले थे। “रेखा, तेरी चूत कितनी गर्म है,” मैंने कहा और अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं। “आह… संदीप… डाल…” वह चीखी। मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा 8 इंच का लंड तना हुआ और मोटा था। “संदीप, यह कितना बड़ा है,” उसने आँखें बड़ी करके कहा।

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चुदाई का मजा

मैंने उसकी चूत पर लंड रगड़ा। “रेखा, ले,” मैंने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह… संदीप… फट गई… आह…” वह चीखी। मेरा लंड उसकी चूत को चीर रहा था। मैं उसके स्तन दबाते हुए उसे चोदने लगा। “रेखा, तेरी चूत टाइट है,” मैंने कहा। हर धक्के से उसकी गांड बिस्तर पर टकरा रही थी। “संदीप, जोर से चोद… मेरी चूत फाड़ दे,” वह चीख रही थी। मैंने उसे आधा घंटा चोदा। “रेखा, अब तेरी गांड चोदता हूँ,” मैंने कहा।

मैंने उसे पलटाया। उसकी गांड गोल और मुलायम थी। मैंने उसकी गांड पर थूका। “संदीप, धीरे,” उसने कहा। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी गांड में डालीं। “आह… संदीप…” वह सिसकी। फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड में डाला। “आह… फट गई… आह…” वह रो पड़ी। “रेखा, तेरी गांड मस्त है,” मैंने कहा और उसकी गांड चोदने लगा। मेरी उंगलियाँ उसकी चूत में थीं। “संदीप, मेरी चूत भी चोद,” उसने कहा। मैंने उसे फिर पलटाया और उसकी चूत में लंड डाला। “रेखा, तेरी चूत में झड़ता हूँ,” मैंने कहा। मैंने उसे चोदा और उसकी चूत में झड़ गया। मेरा गर्म वीर्य उसकी चूत से बह रहा था। “संदीप, तूने मुझे पागल कर दिया,” वह हाँफते हुए बोली।

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रोज की चुदाई

उस दिन से मैं रेखा को रोज चोदने लगा। जब उसका पति बाहर जाता, मैं उसके घर जाता। “संदीप, मेरी चूत तेरी है,” वह कहती। मैं उसकी गांड और चूत दोनों चोदता। एक बार मैंने उसे छत पर चोदा। “संदीप, फाड़ दे मुझे,” वह चीखी। मेरा लंड उसकी चूत और गांड में अंदर-बाहर करता था। कभी-कभी मैं उसे किचन में चोदता। “रेखा, तेरी गांड चाहिए,” मैं कहता और उसे टेबल पर घोड़ी बनाकर चोदता।

आज का सच

अब मार्च खत्म होने वाला है। रेखा का पति घर पर हो तब भी मैं उसे चोदता हूँ। “संदीप, तेरे लंड के बिना मेरी चूत नहीं रह सकती,” वह कहती है। मैंने अपनी पड़ोसन की चूत चोदी, और मेरी वासना उसके साथ पूरी हुई।

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