मेरी मौसी की बेटी, यानी मेरी मौसेरी बहन, गाँव से पढ़ाई के लिए हमारे घर आई। मैंने उसकी कुंवारी देसी चूत की चुदाई कैसे की, मेरी इस देसी मौसेरी बहन की कोरी चूत की सीलतोड़ चुदाई कहानी में पढ़ें!
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम रवि यादव है। मैं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर के पास एक गाँव में रहता हूँ। मैं 30 साल का, 5 फीट 11 इंच का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ। मेरे लंड का साइज 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, जो किसी भी लड़की या औरत को संतुष्ट कर सकता है।
टॉप सेक्स कहानी पर ये मेरी पहली सेक्स कहानी है। ये मौसेरी बहन की चूत की चुदाई की कहानी आज से 8 साल पहले की है, जो मेरे और मेरी मौसी की बेटी के बीच हुए सेक्स की है।
मेरी मौसी की बेटी का नाम पूजा (बदला हुआ नाम) है। उस वक्त उसकी उम्र 19 साल थी। उसकी हाइट 5 फीट 4 इंच थी और उसका 34-28-34 का फिगर बेहद आकर्षक था। जब वो अपनी सेक्सी गांड मटकाते हुए चलती थी, तो अच्छे-अच्छों के लंड खड़े हो जाते थे। आसपास के कई लड़के उसे छेड़ते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी।
मैं अक्सर मौसी के घर जाता था। मौसी की दो बेटियाँ थीं, कोई बेटा नहीं था। उनकी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी। मौसी और मौसा मुझे बहुत प्यार करते थे। वो गाँव में रहते थे। 12वीं पास करने के बाद मौसी ने मेरी माँ से बात करके पूजा को हमारे यहाँ पढ़ाई के लिए भेज दिया। मैंने उसका दाखिला लड़कियों के कॉलेज में करवा दिया। अब घर में हम तीन लोग थे- मैं, मेरी माँ और पूजा। मेरे पिता नहीं हैं।
पूजा कॉलेज जाने लगी और मैं उसकी पढ़ाई में मदद करता था।
उस वक्त तक मेरे मन में उसके लिए कोई गलत ख्याल नहीं था। लेकिन एक दिन सुबह वो नहा रही थी। उसने गलती से बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था। मेरी माँ मंदिर गई थीं।
मैं रात को सिर्फ नेकर और बनियान पहनकर सोता हूँ। सुबह जब पूजा बाथरूम में थी, मैं उठा और लंड पकड़े हुए तेजी से बाथरूम की ओर भागा, क्योंकि मुझे जोर से पेशाब लगी थी। दरवाजे पर पहुँचते ही मैंने लंड बाहर निकाला और जैसे ही दरवाजा खोला, अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखें फटी रह गईं।
मेरे हाथ से लंड छूट गया और वो 3 इंच से 7 इंच का हो गया। पूजा पूरी नंगी थी, अपनी चूचियों को साबुन से रगड़ रही थी। मुझे देखकर उसने एक हाथ से चूचियाँ और दूसरे से अपनी देसी चूत ढक ली और सिर झुकाकर दीवार से सट गई। लेकिन उसकी नजर मेरे खड़े लंड पर थी। मैं बाथरूम में घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया। मैंने उसे बाहों में भरा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो मुझे धक्का दे रही थी और हँसते हुए बोली- ये क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे।
मैंने उसके चूचों को मसलना शुरू किया। तभी माँ के आने की आवाज आई। हम अलग हुए। मैंने जाकर दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।
इस घटना के बाद मेरी नजर पूजा के यौवन पर टिक गई। मैं उस फूल के रस को भँवरे की तरह चूसना चाहता था। शायद उसे भी मेरा खड़ा लंड देखकर मजा आया था। मैंने गौर किया कि अब वो मेरे लंड के उभार को देखने की कोशिश करती थी। जब मैं उसे ऐसा करते देखता, तो लंड पर हाथ फेरता, जिससे वो मुस्कुराकर वहाँ से हट जाती।
हमें मौका नहीं मिल रहा था। हम दोनों किसी अच्छे मौके की तलाश में थे। फिर एक दिन मौका मिल गया, जब माँ को दस दिनों के लिए इलाहाबाद जाना था। उनकी ट्रेन शाम को थी। मैंने माँ को ट्रेन में बिठाया। लौटते वक्त मेडिकल स्टोर से कुछ दवाइयाँ और तीन-चार कंडोम के पैकेट ले लिए।
घर में अब सिर्फ हम दोनों थे। मैं रात का इंतजार करने लगा। पूजा रात का खाना बना रही थी। मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा।
मेरी देसी बहन भी मस्त हो गई। वो मेरे चूमने का साथ देने लगी। फिर बोली- अभी रुक जाओ, पहले खाना बना लूँ।
मैं हट गया।
उसने जल्दी-जल्दी खाना बनाया। हमने खाना खाया। मैं ड्राइंग रूम में बैठ गया। वो बर्तन लेकर रसोई चली गई।
रसोई से लौटने पर मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया। उसके बिस्तर पर गिरते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और होंठ चूमने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाने लगा।
वो भी गर्म होने लगी।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतार दिए। मैं उसके नंगे मम्मों को चूसने लगा। वो मस्ती में ‘आह… उह… अह… कुछ करो प्लीज… आह…’ की सिसकारियाँ ले रही थी। साथ ही वो मेरे लंड को पकड़कर ऊपर-नीचे कर रही थी। जितनी तेजी से मैं उसके मम्मों को दबाता और चूसता, वो उतनी ही जोर से मेरे लंड को दबाकर हिलाती।
धीरे-धीरे मैं उसकी देसी चूत पर आया। मैं उसकी कोरी चूत को जीभ से कुरेदने लगा। मेरी जीभ का अहसास पाते ही वो मचल गई। मैं उसकी चूत चूसने लगा। उसे जैसे करंट सा लगा। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
चुदास की मस्ती ने हमें अंधा कर दिया था। हमें बस एक-दूसरे के साथ सेक्स के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा था।
उसने मेरे कान में कहा- मुझे भी कुल्फी खानी है।
मैं तुरंत उठा और लंड उसके मुँह की ओर करके लेट गया। हम 69 की पोजीशन में आ गए। वो मेरे लंड को चाटने और चूसने लगी, और मैं उसकी देसी चूत को जी भरकर चूस रहा था।
वो अपने पैरों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी और झड़ गई।
उसके झड़ने के बाद भी मैंने उसकी चूत चूसना नहीं छोड़ा और सारा नमकीन रस पी गया।
लगातार चूत चाटने से वो कुछ ही पलों में फिर गर्म हो गई।
मैंने उसे सीधा किया और उसकी टाँगों के बीच आकर लंड पर कंडोम चढ़ाया। मैं उसकी देसी चूत पर लंड रगड़ने लगा।
वो चुदास से तड़प रही थी और जोर-जोर से बोली- आह… अब डाल दो प्लीज…
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और चूत की फाँकों में लंड रगड़ा। वो और मचल गई। मैंने लंड का सुपारा चूत में रखकर धक्का मारा, पर लंड फिसल गया। वो हल्के से कराह उठी, लेकिन जब लंड नहीं घुसा, तो मुझे गुस्से से देखने लगी, जैसे मुझे अनाड़ी कह रही हो।
इस बार मैंने उसके कंधे पकड़े, लंड चूत पर टिकाया और कंधे खींचते हुए जोर का धक्का मारा। आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो दर्द से तड़प उठी और रोने लगी। वो लंड निकालने को कहने लगी, छूटने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे जोर से पकड़ रखा था, वो हिल भी नहीं पाई।
मैंने उसके रोने की परवाह न करते हुए लंड आधा बाहर खींचा और एक और जोर का धक्का मारा। वो बेहोश सी होने लगी। मैं उसकी हालत देखकर रुक गया और उसके मम्मों को चूसने लगा।
थोड़ी देर में वो नॉर्मल हुई और अपनी गांड हिलाने लगी। मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
वो ‘आह… सी… अह…’ करने लगी।
मैं धक्के मारता रहा। उसकी मस्ती मुझे भी मस्त कर रही थी। उसकी तंग देसी चूत में पानी आने से लंड को अंदर-बाहर करने में मजा आ रहा था। मैं उसकी चूचियों को मसलता और चूसता हुआ उसे जोर-जोर से चोद रहा था।
20 मिनट की चुदाई में वो तीन बार झड़ चुकी थी। अब मेरा होने वाला था और उसका भी। वो मुझे जोर से पकड़कर झड़ने लगी। मैं भी उसकी चूत में झड़ गया। हम वैसे ही सो गए।
एक घंटे बाद नींद खुली तो वो मुझसे चिपक गई। कंडोम मेरे लंड से चिपका था। मैं उठकर लंड साफ किया और लेट गया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी।
फिर से खेल शुरू हो गया। उसने लंड चूसकर खड़ा कर दिया। मैंने उसकी फटी चूत को चाटकर तैयार किया। फिर कंडोम चढ़ाकर उसकी देसी चूत में लंड पेल दिया। इस बार वो मस्ती से मेरे साथ सेक्स कर रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने लंड पर सवारी करने को कहा। वो मेरे लंड की सैर करने लगी। फिर कुतिया बनाकर भी चोदा। चुदाई का मजा मस्ती से आने लगा।
तीन बार की चुदाई के बाद वो मेरे बिस्तर की रानी बन गई।
ऐसा ही दस दिन चला। इसके बाद जब भी मौका मिला, हम सेक्स करते रहे।
फिर उसकी पढ़ाई पूरी हुई और वो अपने गाँव चली गई। अब उसकी शादी हो गई है।
आपको मेरी मौसेरी बहन की देसी चूत की चुदाई की कहानी कैसी लगी?
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