इस नाजायज रात की कहानी में जानें कि कैसे बस के सफर में भीड़ की वजह से मुझे अपनी बहू के करीब खड़ा होना पड़ा, जिससे मेरी वासना भड़क उठी और…
मित्रों, मैं लंबे समय से टॉप सेक्स कहाणी की कहानियों का शौकीन रहा हूँ। मैंने टॉप सेक्स कहाणी की कई उत्तेजक कहानियाँ पढ़ी हैं। इन सेक्सी कहानियों को पढ़कर मुझे बहुत आनंद मिलता है। बाद में मैंने अपने एक मित्र को भी इन कहानियों के बारे में बताया। उसे भी ऐसी नाजायज कहानियाँ पढ़कर मज़ा आया।
एक दिन जब हम दोनों मित्र साथ बैठकर शराब पी रहे थे, उसने अपने दिल की एक बात साझा की। हम सेक्सी कहानियों पर चर्चा कर रहे थे। उसने एक बार ससुर-बहू की चुदाई की एक नाजायज कहानी पढ़ी थी। नशे में उसने मुझे अपने साथ घटी एक घटना बताई।
मैं उसी ससुर और बहू की नाजायज रात की कहानी को अपने शब्दों में आपके सामने पेश कर रहा हूँ। कृपया ध्यान दें कि यह कहानी मेरी नहीं, बल्कि मेरे मित्र की है, और मैं उसकी जुबानी इसे बयान कर रहा हूँ। अब मैं अपने मित्र की जगह लेता हूँ और कहानी शुरू करता हूँ।
मेरे परिवार में दो बेटे हैं। बड़े बेटे की शादी को सात साल हो चुके हैं। बीच में एक बेटी है, जिसकी शादी चार साल पहले हुई थी। सबसे छोटा बेटा है, जिसकी शादी को दो साल हुए हैं, लेकिन उसे अभी तक संतान सुख नहीं मिला।
हमारा परिवार संयुक्त है, और सभी एक बड़े घर में रहते हैं। घर विशाल है, और सभी के लिए अलग-अलग कमरे हैं, इसलिए बड़ा परिवार होने के बावजूद कोई असुविधा नहीं होती। मैं परिवार का मुखिया हूँ, इसलिए शादी-विवाह या किसी की मृत्यु के बाद के रीति-रिवाजों में मैं ही जाता हूँ।
मैं सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हूँ। गाँव और आसपास के इलाके में मेरी अच्छी प्रतिष्ठा है। लोग हमारा सम्मान करते हैं। अगर किसी को मेरी मदद चाहिए होती है, तो मैं कभी मना नहीं करता। इसलिए सभी के साथ मेरे संबंध अच्छे हैं।
यह घटना तब की है, जब मुझे अपनी छोटी बहू को उसके मायके से लाने जाना था। मेरे दोनों बेटे नौकरी में व्यस्त थे, और उनकी छुट्टी नहीं थी। मैं घर पर खाली रहता था, इसलिए यह जिम्मेदारी मुझे दी गई। मेरे परिवार के बारे में जानकर आपको मेरी उम्र का अंदाज़ा हो गया होगा।
जब मैं बहू के मायके के शहर पहुँचा, तो उसके घरवाले उसे बस स्टैंड पर छोड़ने आए थे, क्योंकि वापसी की बस आधे घंटे बाद थी। सब कुछ पहले से तय था, इसलिए ज्यादा बातचीत का समय नहीं मिला। बस नमस्ते-सलाम के बाद बस आ गई।
उस बस स्टैंड पर आमतौर पर भीड़ कम रहती थी, लेकिन उस दिन न जाने क्यों बहुत भीड़ थी। बस रुकी, और हम जल्दी से सामान लेकर चढ़ गए, क्योंकि बस को वहाँ सिर्फ़ दो मिनट रुकना था।
मैं बहू के पीछे चढ़ा, और मेरे पीछे पंद्रह-बीस और यात्री चढ़ गए। भीड़ में धक्का-मुक्की हो रही थी, जिसने हमें आगे की ओर धकेल दिया। भीड़ से बचने के लिए हमने सामने वाले दरवाजे की ओर बढ़ना बेहतर समझा।
हमारे गाँव का स्टॉप भी उसी तरफ था, इसलिए हम सामने वाले दरवाजे के पास खड़े हो गए। बहू ने परिवार की मर्यादा रखते हुए मुझसे घूँघट किया था। मैं अपनी छोटी बहू को राधा कहकर बुलाता था। वह मेरी बेटी जैसी थी।
भीड़ के धक्कों से हम दोनों को संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा था। बस का डिब्बा पूरी तरह भर गया था। जब बस चली, तो धीरे-धीरे लोग अपने आप व्यवस्थित हो गए। मैं बहू के ठीक पीछे खड़ा था, लेकिन जब मेरा ध्यान भीड़ से हटकर अपने शरीर पर गया, तो मैंने महसूस किया कि मेरा लंड बहू की गांड से सट गया था।
लंड पर ध्यान जाते ही बहू की गांड का स्पर्श महसूस हुआ, और मेरे लंड में तनाव शुरू हो गया। मैं थोड़ा लज्जित था, क्योंकि मैंने अपनी बहू को कभी वासना की नज़र से नहीं देखा था। लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि अनचाहे ही मन में वासना जागने लगी।
मेरा लंड पूरी तरह तनकर बहू की गांड की दरार से चिपक गया। उत्तेजना में मैंने हल्का-सा दबाव बनाया। सोचा कि बहू को कुछ पता नहीं चलेगा, क्योंकि उसके सामने दो युवक खड़े थे, और उसकी चूचियाँ उनकी छाती से सट रही थीं।
कुछ देर बाद जब बहू को उन युवकों से परेशानी होने लगी, तो उसने पीछे मुड़कर मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा- पिताजी, इनके पास खड़ा होना मुझे ठीक नहीं लग रहा। आप जरा पीछे हटें, ताकि मैं आपकी ओर मुँह करके खड़ी हो सकूँ।
मैंने उसकी मन:स्थिति समझी। मैंने अपने तने हुए लंड को उसकी गांड से हटाया और पीछे सरककर उसे घूमने की जगह दी। वह मेरी ओर मुँह करके खड़ी हो गई। उसका घूँघट भी उतर गया था। जब वह इसे ठीक करने लगी, तो मैंने कहा- राधा, ज्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं। अभी हालात ऐसे हैं कि इन रीति-रिवाजों का बोझ कुछ देर के लिए उतार दो।
उसने मेरी आँखों में देखा और हल्की मुस्कान के साथ मेरे शरीर से सटकर खड़ी हो गई। हमारी लंबाई में दो-तीन इंच का अंतर था, इसलिए हमारी साँसें एक-दूसरे की नाक से टकराने लगीं।
उसके स्तनों का उभार देखकर मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने बहाने से उसकी कमर पर हाथ रख दिया, क्योंकि उत्तेजना अब जंगल की आग की तरह फैल रही थी, जिसे रोकना मेरे बस में नहीं था। मेरा लंड बार-बार उसकी चूत के आसपास के हिस्से को छू रहा था। मुझे नहीं पता था कि वह मेरे बारे में क्या सोच रही थी, लेकिन मैं अपनी हवस को काबू करने की कोशिश में था।
जब अगला स्टॉप आया, तो उतरने वाले यात्रियों के कारण मेरा शरीर राधा के शरीर से पूरी तरह सट गया। उसकी चूचियाँ मेरी छाती से दबने लगीं। मेरा लंड पूरी तरह अकड़ गया था।
उत्तेजना में मैंने उसकी गांड पर हाथ रख दिया। उसने मेरी ओर देखा, शायद उसे मेरे मन के भाव समझ आ गए थे। उसने नज़रें झुका लीं, लेकिन इस बार वह मेरे लंड की ओर झाँकने की कोशिश कर रही थी। शायद उसे भी मेरे लंड का स्पर्श महसूस हो रहा था।
जब मैंने धीरे-धीरे उसकी गांड दबानी शुरू की, तो वह समझ गई। उसने अपना हाथ नीचे किया और मेरी पैंट की जेब के पास कुछ तलाशने लगी। एक-दो बार उसका हाथ मेरे लंड से टकराया। फिर उसने मेरे तने हुए लंड पर हाथ रख दिया।
अब ससुर और बहू का तालमेल बन गया था। मेरे हाथ उसकी गांड को सहलाने लगे, और उसका हाथ मेरे लंड को। मैंने अपनी छवि बचाने के लिए एक भावनात्मक चाल चली।
मैंने राधा के कान में कहा- बहू, माफ करना, हालात ही ऐसे हैं कि यह सब हो रहा है। तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा?
वह बोली- नहीं पिताजी, जो होता है, अच्छे के लिए होता है।
उसके जवाब से मुझे तसल्ली हुई कि यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
फिर उसने मेरी पैंट की ज़िप खोलकर हाथ अंदर डाल दिया। उसके नरम हाथ मेरे लंड को पकड़ने और दबाने लगे। उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर रगड़ रही थीं। मेरे हाथ उसकी गांड को मसलने लगे। मैं पास खड़े लोगों पर भी नज़र रख रहा था कि कोई हमें देख न ले।
काफी देर तक राधा मेरे लंड को सहलाती रही, जिससे मेरी उत्तेजना चरम पर थी। पैंट गीली होने का डर होने लगा। मैंने उसके कान में कहा- बस बहू, इससे ज्यादा मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा।
वह समझ गई कि मेरे उम्रदराज़ लंड की इज्ज़त खतरे में है।
उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली- घर पहुँचकर रात को आपका इंतज़ार करूँगी। जब मेरे पति और सास सो जाएँगे, तो मैं मिस्ड कॉल दे दूँगी। आप मौका देखकर आ जाना।
मैंने कहा- यह जगह ऐसी बातों के लिए ठीक नहीं। अभी सफर का मज़ा लो।
वह चुपचाप खड़ी हो गई। कुछ देर बाद मैंने फिर उसकी गांड पर हाथ रखा, और वह मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी। इस तरह मस्ती में वक्त कट गया, और स्टॉप आ गया।
हम स्टॉप से उतरकर टैक्सी में बैठे। मैंने व्हाट्सएप पर मैसेज शुरू किया, क्योंकि टैक्सी ड्राइवर के सामने ऐसी बातें करना ठीक नहीं था।
अब ससुर-बहू की चुदाई की सेटिंग करनी थी। मैंने चैट में लिखा- तुम रात को सबके लिए दूध लाना। मैं तुम्हें गोली दूँगा। सबके दूध में गोली मिला देना, लेकिन अच्छे से हिलाना। हमारे गिलास अलग रखना। दूध पीने के आधे घंटे बाद सब गहरी नींद में सो जाएँगे।
राधा मेरी बात समझ गई। घर पहुँचकर उसने वैसा ही किया। सबको दूध पिलाया और हिलाकर देखा। कोई नहीं जाग रहा था। सब गहरी नींद में थे।
उसने गेस्ट रूम तैयार कर लिया था और एक सिंदूर की डिब्बी भी रख दी थी। वह मेरे लंड के साथ अपनी चूत की सुहागरात मनाना चाहती थी। बस में उसने कहा था कि पिताजी, काश आप मेरी सुहागरात में मेरे साथ होते। आज वह अपना यह सपना पूरा करने जा रही थी।
सारी तैयारी के बाद वह बोली- पापा, सब तैयार है। आप आ जाइए।
मैंने कहा- हाँ बेटी, मैं नहाकर आता हूँ।
मैं नहाकर नंगा ही गेस्ट रूम में गया। वहाँ उसने वाइन तैयार रखी थी।
मैंने कहा- यह सब बाद में, पहले एक राउंड चुदाई कर लें।
वह बोली- पिताजी, मैं तो आपसे भी ज्यादा उतावली हूँ। इसे पीकर आपको जोश आएगा, और आप मुझे वैसे ही रुलाएँगे जैसे सास को।
मैंने हैरानी से पूछा- तुमने कब देखा?
वह बोली- जब आप शराब पीकर सास को रुलाते हैं, तो मैं दरवाजे की झिरी से देख लेती हूँ। पिछले दो साल से आपका यह सात इंची हथियार अपनी चूत में लेना चाहती थी। आज मेरा सपना पूरा हुआ।
मैं राधा के चेहरे को हैरानी से देख रहा था। मुझे नहीं पता था कि वह मेरे लंड के लिए इतनी बेचैन थी।
मैंने कहा- तुमने पहले कभी बताया क्यों नहीं?
वह बोली- कैसे कहती पिताजी, मैं बहू हूँ। मैंने कई बार इशारे किए, झाड़ू लगाते वक्त अपनी गांड आपके सामने उठाई, पोछा लगाते वक्त अपने स्तन दिखाए, लेकिन आपने ध्यान नहीं दिया।
मैंने कहा- ठीक है, अब एक राउंड कर लो, फिर जैसा तुम कहोगी, वैसा करेंगे।
वह बोली- लेकिन पिताजी, यह चुदाई का वीडियो जो आप बनाएँगे, उसे संभालकर रखना। अगर किसी के हाथ लग गया, तो घर में तूफान आ जाएगा।
मैंने कहा- चिंता मत करो, यह सुरक्षित रहेगा।
वह बोली- पहले घूँघट और सिंदूर की रस्म कर लें।
मैंने उसका घूँघट हटाया और उसकी माँग में सिंदूर भरा। फिर उसका लहंगा उठाया। वह दारू और गिलास ले आई और बोली- पिताजी, एक पैग लगा लो।
मैंने कहा- अकेले नहीं पी सकता, मुझे साथ चाहिए।
वह किचन से एक और गिलास ले आई। मैंने पैग बनाया। उसने सूँघा, तो मैंने कहा- बहू, इसे एक घूँट में पीना होता है।
उसने पैग पिया और मुँह बिगाड़कर बोली- पिताजी, इतनी कड़वी चीज़ कैसे पी लेते हो?
मैंने कहा- यह बाद में बात करेंगे। आज मैं तुम्हें पंद्रह-बीस आसनों में चोदूँगा। घर में हर कोने में चुदाई करेंगे। चार घंटे में तुम्हारी चूत का भट्ठा न बना दूँ तो कहना। गोली का असर चार घंटे रहेगा।
वह मेरे सामने नंगी हो गई। मेरा लंड पहले से तना था। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों का रस चूसने लगा। वह नीचे से अपनी चूत को मेरे लंड की ओर धकेलने लगी। वह लंड के लिए बहुत तड़प रही थी।
उसकी तड़प देखकर मैंने बिना देर किए अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। वह मुझसे लिपट गई और मेरे शरीर को चूमने लगी। मैंने उसकी टाँगें मोड़कर उसकी चूत की पोज़ीशन बनाई और उसकी चुदाई शुरू कर दी।
दो मिनट में राधा की आँखें बंद होने लगीं। उसका शरीर अकड़ने लगा। फिर दो मिनट बाद वह झटके देकर झड़ गई। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। इस तरह ससुर-बहू की चुदाई का पहला दौर खत्म हुआ।
हम बाथरूम में गए और एक-दूसरे के शरीर को चूमने लगे। पाँच मिनट में मेरा लंड फिर तन गया। मैंने उसे फर्श पर बिठाया और अपना लंड चुसवाने लगा। उसके होंठों में लंड मुश्किल से समा रहा था। उसने किसी तरह तीन-चार मिनट निकाले। फिर मैंने उसे दीवार से लगाया और शावर चालू कर दिया।
उसके नंगे शरीर से पानी उसकी चूत से होकर नीचे गिरने लगा। मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी। वह मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी। उसने एक टाँग मेरे कंधे पर रख दी। मेरी जीभ उसकी चूत में गहरे तक घुसने लगी। मुझे चूत चाटने की पुरानी आदत थी। सात-आठ मिनट चाटने के बाद मैंने उसे इतना गर्म कर दिया कि उसने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया।
फिर मैंने उसके शरीर को पोंछकर हॉल में ले गया। सोफे पर लिटाकर उसकी एक टाँग ऊपर उठाई और उसके बीच में आ गया। मेरा मोटा लंड उसकी चूत में पेला और ज़ोर-ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी। उसकी चूचियाँ इधर-उधर हिलने लगीं। मैंने उन्हें कसकर पकड़ा और उसके ऊपर लेटकर उन्हें काटते हुए उसकी चूत को चोदने लगा।
दस मिनट तक उसकी चूत को खोला। फिर उसे उठाकर सीढ़ियों पर ले गया। मैं नीचे बैठा और उसे अपनी जाँघों पर बिठाया। वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर उछलने लगी। इस बार पाँच मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़े।
थोड़ी देर आराम किया। फिर घर में जहाँ भी जगह मिली, मैंने उसकी चूत को खूब चोदा। किचन, ड्राइंग रूम, स्टोर रूम—हर जगह उसकी चूत का कुआँ खोदा। वह थककर चूर हो गई। जब चुदाई खत्म हुई, तो वह चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उसे अपने छोटे बेटे के कमरे में छोड़ दिया।
वापस आकर मैंने दो पैग और लगाए और कपड़े पहनकर सो गया। कई दिनों तक मैंने उस चुदाई के वीडियो को देखकर लंड हिलाया। जब उसकी चूत में फिर आग लगी, तो उसने घरवालों को नींद की गोली खिलाकर फिर से चुदाई का प्रोग्राम बनाया।
इस तरह उसकी चूत की प्यास बुझने लगी, और मुझे भी एक टाइट चूत का मज़ा मिलने लगा। तीन महीने बाद वह गर्भवती हो गई और अब डिलीवरी के लिए अस्पताल गई है। मैं उसके लौटने का इंतज़ार कर रहा हूँ।
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