आज मैं टॉप सेक्स कहाणी की इस नई साइट पर अपनी और अपनी साली की कहानी सेक्सी साली ने घरवाली का सुख दिया, साझा करने जा रहा हूँ। मेरी शादी 2005 में एक साधारण परिवार में हुई थी। तब मेरी उम्र 25 साल थी। मेरी ससुराल में मेरी पत्नी, मेरी 19 साल की छोटी साली, और मेरे ससुर थे। मेरी सास का देहांत 10 साल पहले हो चुका था।
मेरी पत्नी का कोई भाई नहीं था, और ससुर ज्यादातर अपने गाँव में रहते थे। इसलिए शादी के बाद मुझे अपनी पत्नी और साली के साथ उनके शहर के घर में रहना पड़ा। मेरी पत्नी बहुत खूबसूरत है, साली से भी ज्यादा। मैंने कभी साली के साथ सेक्स के बारे में नहीं सोचा था। हमारी जिंदगी मजे से चल रही थी।
शादी के एक साल बाद मेरी पत्नी ने एक प्यारे बेटे को जन्म दिया। चूंकि बच्चा छोटा था और उनकी देखभाल के लिए कोई समझदार महिला नहीं थी, मेरी माँ ने पत्नी को अपने घर बुला लिया। अब घर में मैं और मेरी साली अकेले रह गए। मैं उससे कम बात करता था, सुबह जल्दी काम पर निकलता और रात को देर से लौटता। साली मुझे खाना खिलाकर पड़ोस में अपने चाचा के घर सोने चली जाती थी और सुबह जल्दी आकर मेरे लिए खाना बना देती। सब कुछ ठीक चल रहा था।
पत्नी से बिछड़े एक महीना हो गया था, और अब मेरा मन चुदाई के लिए तड़प रहा था। लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मैं कभी-कभी अश्लील फिल्म की सीडी लाकर रात में देख लेता, जिससे चुदाई की इच्छा और बढ़ जाती।
एक दिन मैंने सोचा कि क्यों न साली को चुदाई के लिए मनाया जाए। इससे मेरा काम आसान हो जाएगा, और जब तक पत्नी नहीं आती, मैं जब चाहे मजे ले सकता हूँ। यही सोचकर मैंने साली को पटाने की योजना बनाई।
एक दिन मैं अश्लील फिल्म की सीडी तकिए के नीचे भूल गया और काम पर चला गया। बाद में याद आया कि सीडी घर पर रह गई। मैंने सोचा, कोई बात नहीं, अगर साली ने देख ली तो मेरा काम और आसान हो जाएगा।
ये सोचकर मेरा लंड पैंट में ही तन गया। अब मेरे दिमाग में बस साली को चोदने का ख्याल था।
शाम को घर लौटा तो साली बिल्कुल सामान्य थी। वो मुझसे कम ही बात करती थी, और मैं भी ज्यादा नहीं बोलता था। उसे सामान्य देखकर मेरा मूड खराब हो गया। मैंने सोचा था कि आज उसकी कुँवारी चूत चोदने को मिलेगी, लेकिन सारे सपने टूट गए।
उस रात मैंने साली को सोचकर दो बार मुठ मारी और अपनी वासना शांत की। अब मैं ये सोचने लगा कि साली को अपनी दिल की बात कैसे बताऊँ। पता नहीं वो चुदवाना चाहती है या नहीं? कहीं बवाल न हो जाए।
यही सोचते-सोचते सारा दिन निकल गया। मेरा काम में मन नहीं लग रहा था, इसलिए उस दिन मैं शाम को जल्दी घर आ गया। मुझे देखकर साली ने प्यारी सी मुस्कान दी और बोली- जीजा जी, आज तो आप बहुत जल्दी आ गए। चाय पीजिए, मैं सब्जी लाने जा रही हूँ।
मैं कपड़े बदलकर चुपचाप चाय पीने लगा और प्यासी नजरों से साली को घूरने लगा। उसकी गोल-मटोल चूचियाँ और 36 इंच की कमर मेरे अंदर वासना का तूफान ला रही थीं। वो बोली- मैं सब्जी ले आती हूँ। और घर से निकल गई। मैं भूखी नजरों से उसे देखता रहा।
बाजार से लौटने के बाद वो अपने काम में लग गई, और मैं कमरे से बाहर पोर्च में बैठ गया। थोड़ी देर बाद अंदर गया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद था, पर कुंडी नहीं लगी थी।
मैंने धीरे से दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया। साली कपड़े बदल रही थी, सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसका शरीर संगमरमर की तरह चिकना था। मैंने सोचा, मौका अच्छा है, इसे दबोच लेते हैं और अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं। लेकिन डर भी था कि कहीं बात बिगड़ न जाए, क्योंकि हमारी ज्यादा बातचीत या मजाक नहीं होता था।
इसी सोच में था कि दरवाजे की घंटी बजी। मैं जल्दी बाहर आया। पड़ोस की चाची और उनकी बेटी आई थीं। मेरा मूड खराब हो गया; एक सुनहरा मौका हाथ से निकल गया।
उसी बीच मैं दो दिन की छुट्टी लेकर अपने घर गया, क्योंकि बेटे को देखे हुए कई दिन हो गए थे, और पत्नी को भी छूए हुए समय बीत गया था। लेकिन घर जाकर भी पत्नी के साथ सेक्स का मौका नहीं मिला। दो दिन बाद मैं वापस आ गया और जानबूझकर रात की ट्रेन पकड़ी। रात 2 बजे ससुराल के घर पहुँचा।
साली और उसकी चचेरी बहन घर में थीं, दोनों मेरे बेड पर सो रही थीं। मैंने कहा- यहीं लेटी रहो, मैं किनारे लेट जाता हूँ।
साली बीच में थी, और उसकी चचेरी बहन किनारे पर। मैं कपड़े बदलकर दूसरे किनारे लेट गया। लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मैंने करवट लेने के बहाने अपनी एक टाँग साली के शरीर पर रख दी और हाथ उसकी छाती पर। मेरा लंड तन गया। मैंने उसे साली की गांड से सटा दिया।
लंड की चुभन से उसकी आँख खुल गई। मैं सोने का नाटक करने लगा। उसने सोचा मैं गहरी नींद में हूँ। मेरा हाथ उसकी छाती पर था, और मुझे उसकी धड़कन तेज होती महसूस हुई। शायद मेरे स्पर्श से उसमें भी वासना जाग गई थी। वो थोड़ी देर अपनी गांड मेरे लंड पर दबाती रही। तभी उसकी चचेरी बहन ने करवट ली, और साली थोड़ा हट गई। मैं चुपचाप सो गया।
लेकिन मैंने मन में ठान लिया कि साली को जल्दी चोदना है। मुझे अपनी चचेरी साली पर गुस्सा आ रहा था; अगर वो न होती, तो मैं उसी रात साली के साथ मजे ले लेता। खैर, कोई काम समय से पहले नहीं होता।
अगले दिन मैं देर से उठा और जानबूझकर उदास दिखाया। उस दिन मैं काम पर नहीं गया। दोपहर को खाना खाकर कमरे में लेट गया। थोड़ी देर बाद साली काम खत्म करके आई और बोली- जीजा जी, आपका मूड ठीक नहीं लग रहा। क्या हुआ?
मैंने कहा- मेरी जिंदगी बेरंग हो गई है। मेरी बीवी और बेटा मुझसे दूर हैं, और मैं यहाँ अकेला हूँ। सब अपने परिवार के साथ हैं, और मैं अपनी बीवी और बेटे को प्यार भी नहीं कर सकता।
ये सुनकर वो परेशान हो गई और रोने लगी। बोली- ये सब मेरी वजह से हुआ। मेरी वजह से आप दोनों को तकलीफ हो रही है। मैंने समझाया- ऐसा नहीं है। लेकिन वो नहीं मानी।
मैंने उसे गले लगाया, तो वो और जोर से रोने लगी। मैं उसे चुप कराने लगा। तभी मैंने उसके माथे पर चुम्बन दिया, तो वो मुझसे कसकर लिपट गई। वो रो रही थी। मैंने सोचा, यही मौका है, सांत्वना के बहाने प्यार करने का।
मैंने उसे चूमना शुरू किया और उसके होंठ चूसने लगा। उसने हटने की कोशिश की, तो मैंने कहा- आज मत रोको, मैं प्यार का भूखा हूँ। अगर तुम साथ नहीं दोगी, तो कौन देगा? अगर चाहती हो कि मैं परेशान न रहूँ, तो मुझे अपनी दीदी की कमी मत महसूस होने दे। मेरा प्यार अपनाओ।
उसका विरोध कम हुआ, और वो मेरी बाहों में लिपट गई। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसमें भी वासना जाग गई, और वो मेरा साथ देने लगी। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए।
मैंने उसके बदन को सहलाना शुरू किया, और उसने भी मेरा शरीर सहलाया। फिर उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। मेरा लंड पूरी तरह टाइट हो गया।
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए, तो वो शरमाते हुए मना करने लगी- मुझे बहुत शर्म आ रही है। मैंने आज तक किसी के सामने कपड़े नहीं उतारे। ये सुनकर मैं खुश हो गया, क्योंकि मुझे एक कुँवारी चूत मिलने वाली थी।
मैंने समझाया- पगली, शरमाने से काम नहीं चलेगा। प्यार का असली मजा बिना कपड़ों के है। जब दो जिस्म बिना कपड़ों के मिलते हैं, तो सुख दोगुना हो जाता है।
धीरे-धीरे मैंने अपनी जवान साली के कपड़े उतार दिए। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैं भी सिर्फ जांघिया में था। उसका दूधिया बदन देखकर मैं पागल हो रहा था। मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो लंबी साँसें लेने लगी, और उसका शरीर अकड़ने लगा।
मैं समझ गया कि उसकी वासना चरम पर है। लेकिन मैं उसे पूरा मजा देना चाहता था, ताकि वो मेरी दीवानी हो जाए। मैं प्यार से उसकी चूचियाँ चूस रहा था। फिर मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसे लंड सहलाने को कहा। मैं उसकी चूचियाँ चूस रहा था, और वो मेरा लंड सहला रही थी। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा।
उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी, और वो अपनी कमर ऊपर उठा रही थी। मैं समझ गया कि वो चुदाई के लिए बेताब है। मैंने 69 की पोजीशन बनाई, उसे मेरा लंड चूसने को कहा, और मैं उसकी चूत चाटने लगा।
जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत पर लगी, वो जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने जीभ को चूत के अंदर-बाहर करना शुरू किया। वो पागल सी हो गई और बड़बड़ाने लगी- आह… जीजा… बहुत मजा आ रहा है। आज से आप मेरे जीजा नहीं, मेरे पति हो! मेरी चूत को और जोर से चाटो! अपना लंड डालकर इसे फाड़ दो! इतना मजा पहले क्यों नहीं दिया?
वो बड़बड़ा रही थी और रुक-रुककर मेरा लंड चूस रही थी। वो मेरे लंड को गले की गहराई तक ले जा रही थी। उम्म्ह… अहह… हय… याह… हम दोनों लंड और चूत चूसने में इतने जोश में थे कि चरम पर पहुँच गए। उसकी चूत ने मेरे मुँह पर पानी छोड़ दिया।
मैंने कहा- मेरा लंड भी झड़ने वाला है। वो बोली- अपना माल मेरे मुँह में गिरा दो। तभी मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी, और उसका मुँह मेरे माल से भर गया, जिसे वो पी गई।
थोड़ी देर हम शांत पड़े रहे। फिर मैंने उसे अपने सीने से लगाया और प्यार करने लगा। वो भी मुझसे लिपटी थी। मैंने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए पूछा- कैसा लगा? वो मुस्कराई- बहुत मजा आया। अगर मुझे पता होता कि आप मुझे पसंद करते हैं, तो मैं ये एक महीना बर्बाद न करती। जब आप और दीदी रात को सेक्स करते थे, तो आपकी आवाजें सुनकर मेरा भी मन करता था कि कोई मुझे भी ऐसा चोदे!
मैंने पूछा- तुमने कोई बॉयफ्रेंड नहीं बनाया? उससे चुदवा लेती। वो बोली- नहीं जीजा, लड़के बड़े हरामी होते हैं। गर्लफ्रेंड बनने पर सबको बताते फिरते हैं। मैं नहीं चाहती कि कोई मेरे बारे में उल्टा-सीधा बोले। मैं शुरू से आपके साथ प्यार करना चाहती थी। इससे मेरा काम भी चलता, और बात घर में रहती।
ये सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और उसे चूमने लगा। वो बोली- क्या मेरी चूत को आपके लंड का स्वाद मिलेगा, या सिर्फ जीभ से काम चलेगा? मैंने कहा- जरूर मिलेगा, मेरी जान! लेकिन मैं इस दिन को यादगार बनाना चाहता हूँ। वो बोली- कैसे? मैंने कहा- जैसे शादी की पहली रात होती है, वैसे हम सुहागदिन मनाएँगे।
वो बाथरूम गई, नहाकर लौटी और बोली- आप भी नहा लो, मैं दुल्हन की तरह तैयार होती हूँ। मैं नहाकर आया, तो वो बेड पर दुल्हन की तरह सजी, घूँघट किए बैठी थी।
मेरा दिल खुशी से पागल हो रहा था, क्योंकि मैं एक कुँवारी कली के साथ सुहागरात मनाने जा रहा था। मैंने बिस्तर पर पहुँचकर उसका घूँघट उठाया। वो बहुत सुंदर लग रही थी।
धीरे-धीरे मैंने उसके सारे कपड़े उतारे और खुद भी नंगा हो गया। मेरा लंड चुदाई के ख्याल से पहले ही खड़ा था। मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू किया, और वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाली, तो वो दर्द से उछल पड़ी और बोली- उंगली से दर्द हो रहा है, तो लंड कैसे झेलूँगी? मैंने कहा- डर मत, मेरी जान। मैं उंगली से तुम्हारी चूत को सहलाऊँगा, तो वो गीली हो जाएगी। शुरू में थोड़ा दर्द होगा, लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा।
मैंने फिर उसकी चूत चूसना शुरू किया और उसे मेरा लंड चूसने को कहा। जब चूत पूरी तरह गीली हो गई, मैंने कहा- आओ, मेरी जान, अब हम एक हो जाएँ। मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के मुहाने पर रखा। वो वासना से भरी थी और बोली- जल्दी करो, मेरे राजा, ये आग बर्दाश्त नहीं हो रही! इसे बुझाओ।
मैंने सावधानी से लंड धीरे-धीरे अंदर डाला। आधा लंड चूत में गया, तो वो दर्द से तड़प उठी। मैंने तुरंत उसकी चूचियाँ सहलानी शुरू कीं और उसके होंठ चूसने लगा। मैंने उसके निप्पल धीरे-धीरे मसले और लंड पूरा अंदर डाल दिया।
जैसे ही लंड उसकी चूत की जड़ तक पहुँचा, उसकी हल्की चीख निकली- उम्म्ह… अहह… हय… ओह… मैंने धीरे-धीरे लंड आगे-पीछे करना शुरू किया और उसके होंठ चूसता रहा। 10-12 धक्कों के बाद जब लगा कि उसका दर्द कम हुआ, तो मैंने स्पीड बढ़ा दी।
वो भी मेरा साथ देने लगी और अपनी गांड ऊपर उछालने लगी। 10 मिनट की चुदाई के बाद वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ, मेरे राजा! मैंने स्पीड और बढ़ा दी। 10-15 धक्कों बाद मेरा माल भी निकलने को तैयार था।
मैंने पूछा- मैं भी झड़ने वाला हूँ, माल कहाँ गिराऊँ? वो बोली- आज मेरा सबसे खूबसूरत दिन है। अपना माल मेरी चूत में गिरा दो! मैंने अपनी पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी, और उसकी चूत मेरे गर्म माल से भर गई। हम इतने थक गए कि बिना कपड़ों के एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए।
शाम को देर से नींद खुली। उसने जल्दी से कपड़े पहने और बोली- आप भी कपड़े पहन लो, कहीं चाचा के घर से कोई आ गया तो मुश्किल होगी।
मैं कपड़े पहनकर बाहर आया। उसने मुझे गले लगाकर मेरे होंठ चूमे और बोली- अब मैं तुम्हारी घरवाली हूँ। जब तक दीदी नहीं आती, मुझे सुबह-शाम तुम्हारा लंड चाहिए। लेकिन अब कॉन्डम के बिना नहीं चोदने दूँगी। बाजार जाकर कॉन्डम और खाने के लिए कुछ ले आओ, वरना चुदाई का प्रोग्राम नहीं हो पाएगा।
उसके उत्साह को देखकर मैं खुश था। मैंने बाइक उठाई और बाजार चला गया।
उस दिन से, दोस्तो, मेरी दुनिया बदल गई। वो सुबह जल्दी आती, और मैं शाम को जल्दी लौटता। हमारा प्यार का सिलसिला शुरू हो गया। हम दोनों खुश थे, मानो हमारी दुनिया ही बदल गई थी।
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