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हॉस्पिटल में मस्ती

आप सभी जानते हैं कि एक डॉक्टर को कई मरीजों और नर्सों के साथ काम करना पड़ता है, और हर नर्स और मरीज का स्वभाव अलग-अलग होता है। जो हॉस्पिटल में मस्ती कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वह मेरे कई अनुभवों में से एक है। मैं अपनी सारी कहानियाँ धीरे-धीरे आपके साथ साझा करूँगा। यह कहानी मैं देसी भाषा में सुनाऊँगा ताकि इसे और मज़ेदार बनाया जा सके।

उस वक़्त मैंने अपनी डिग्री पूरी की थी और मुझे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अच्छी नौकरी मिल गई थी। मैं बहुत खुश था। सब कुछ मिल गया था, बस एक प्यारी चूत की कमी थी। कॉलेज के दिनों में मैं मॉडलिंग करता था और मेरी काया भी बहुत अच्छी है, लेकिन फिर भी उस वक़्त चूत की कमी थी। मेरे दोस्त मुझे ताने मारने लगे थे कि इतना सुंदर होने का क्या फायदा अगर चूत का मज़ा न लिया। बस, मैंने ठान लिया कि अब कुछ ही दिनों में एक अच्छी सी चूत का मज़ा लेना है। नौकरी अच्छी चल रही थी, सब काम ठीक था। मेरे स्टाफ में मेरे अधीन दो औरतें थीं, दोनों अधेड़ उम्र की। उनसे मज़ा तो नहीं आ रहा था, लेकिन उनमें एक चीज़ मस्त थी—उनके स्तन पामेला एंडरसन जैसे थे। बस, सारा दिन उनके स्तनों के दर्शन में ही बीत रहा था।

फिर एक दिन बहुत मस्त बात हुई। मेरे स्टाफ की एक औरत को कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा। उसने अपनी जगह अपनी लड़की को काम के लिए छोड़ दिया। हाय, क्या मस्त माल थी! शब्दों में उसकी खूबसूरती का बयान करना बहुत मुश्किल है। वह बिल्कुल रानी मुखर्जी जैसी लगती थी। बस, फिर मैंने सोच लिया कि अगर चोदना है, तो बस इसे ही चोदना है। लेकिन हॉस्पिटल में, और वह भी दूसरी औरत के सामने, यह सब करना बहुत मुश्किल था। फिर भी, उसे चोदना तो था ही, बस तरीके सोचने लगा। मैंने उसे काम सिखाने के बहाने अपने साथ ज़्यादा रखना शुरू किया। जब मरीज नहीं होते थे, तो बीच-बीच में उससे बातचीत भी करने लगा। धीरे-धीरे वह भी खुलने लगी।

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मुझे याद है, उस दिन शुक्रवार था। ऑपरेशन थिएटर (OT) का दिन था, तो मरीज भी कम थे। किस्मत से दूसरी औरत भी छुट्टी पर थी। फिर क्या था, मैंने सोच लिया कि आज ही मौका है। जो करना है, आज ही करना है। रोज़ की बातचीत से वह खुल तो चुकी थी। उस दिन वह सुबह देर से आई। मैंने पूछा, “आज इतनी देर क्यों हो गई?” उसने कहा, “सर, आज पीठ में बहुत दर्द है।” मैंने ऊपरवाले को धन्यवाद दिया और कहा, “दिखाओ, कहाँ दर्द है?” उसने कहा, “सर, नीचे साइड में।” मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ते हुए उसका आकलन करने लगा। फिर मैंने कहा, “अब धीरे-धीरे आगे झुको।” वह धीरे-धीरे आगे झुकने लगी। उस वक़्त उसकी गोल-गोल गांड और उसकी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल सामने थी। मैंने पूछा, “दर्द है?” उसने कहा, “हाँ सर, थोड़ा सा है।” मैंने कहा, “ऐसे नहीं चलेगा, अंदर असेसमेंट रूम में आ जाओ।” वह अपनी गांड हिलाते हुए अंदर आ गई।

मैंने उसे लेटने को कहा। जब वह लेटी, तो मैंने उसके पीठ के दोनों तरफ हाथ रखे और आकलन करने लगा। मैं पूछता रहा, “यहाँ दर्द है?” उसने कहा, “नहीं सर।” मैं पूछते-प पूछते उसके स्तनों के बिल्कुल पास पहुँच गया और पूछा, “यहाँ दर्द है?” उसने कहा, “हाँ सर, इसके आसपास ही है।” मैंने हिम्मत करके अपना हाथ अंदर डाला और उसके स्तनों को सहलाने लगा। मैंने पूछा, “यहाँ तो नहीं है दर्द?” उसने कहा, “हाँ सर, यहीं होता है दर्द।” यह कहकर वह मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराई और बोली, “सर, आप तो हर दर्द की दवा जानते हैं, तो मेरा भी इलाज कर दीजिए ना।” मैंने कहा, “कर देता हूँ, लेकिन जो मैं बोलूँ, वो करना पड़ेगा।” वह बोली, “जी सर।”

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बस, फिर क्या था! मैंने उसे सीधा किया और उसके गालों पर चूमना शुरू कर दिया। चूमते-चूमते कभी मेरा हाथ उसके स्तनों को सहला रहा था, तो कभी उसकी चूत को। क्या घनी चूत थी साली की! फिर चूमते-चूमते मैंने उसे खड़ा किया। उस वक़्त तक मेरा लंड पूरी तरह तन चुका था और बाहर आने के लिए तड़प रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब अंडरवियर फाड़कर बाहर आ जाएगा। फिर उसका हाथ भी धीरे-धीरे मेरी पैंट की तरफ बढ़ने लगा। शायद वह समझ गई थी कि मेरा लंड उसे प्यार करने के लिए बेताब है। उसने धीरे-धीरे मेरी पैंट खोली, अंडरवियर नीचे किया, और मेरा लंड इस तरह बाहर आया जैसे कोई स्प्रिंग छोड़ दी हो। उसे देखते ही वह बोली, “हाय दैया, इतना बड़ा! यह तो मेरी चूत का कबाड़ा कर देगा।” मैंने कहा, “वो बाद में, साली, पहले इसे प्यार कर।”

फिर उसने मेरे 8 इंच के लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। ओह, क्या मस्त चूसाई करती थी साली! मेरे मुँह से “आआह, ओह्ह्ह, याआआ” की आवाज़ें निकल रही थीं। वह ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप हो। तकरीबन 15 मिनट की चूसाई के बाद मैंने कहा, “मैं आने वाला हूँ।” उसने कहा, “सर, मैं आपका रस पीना चाहती हूँ।” फिर मैंने कहा, “ले, पी ले,” और सारा रस उसके मुँह में डाल दिया। उसने एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने दी। अब मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। मैं उसके गोल-गोल स्तनों को चूसने और चाटने लगा। वह भी “आआआह, आआआह, मम्म्म, मम्म्म, ओह्ह्ह” की आवाज़ें निकालने लगी। फिर स्तनों की चूसाई करते-करते मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वह चीखने लगी, “डॉ. साहब, नहीं, दर्द हो रहा है, आआआह, निकालो, निकालो।” शायद उसका पहली बार था। किसी को पता न चल जाए, इस डर से मैंने उंगली बाहर निकाल दी और उसे दो ज़ोरदार थप्पड़ मारे। मैंने कहा, “साली, अबकी बार आवाज़ की, तो यह लंड तेरे मुँह में पूरा घुसा दूँगा।”

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फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। वह सिसकियाँ भरने लगी, “आआआह, डॉ. साहब, आआआह, बहुत मज़ा आ रहा है, आआआह।” तकरीबन 15 मिनट बाद उसने कहा, “मैं आने वाली हूँ, आआआआह,” और वह झड़ गई। इतने में मेरा लंड दोबारा तैयार हो चुका था। फिर मैं उसके पैरों के बीच आया, उसकी चूत के नीचे एक तकिया रखा, और एक ज़ोर का झटका दिया। उसकी चीख को दबाने के लिए मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया। “ओह्ह, ओह्ह” की आवाज़ें आ रही थीं। उसने मेरे बाल खींचकर मुझे हटाने की कोशिश की, लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाला था। फिर एक और ज़ोरदार झटके के साथ मैंने पूरा लंड अंदर डाल दिया और अपनी गति तेज़ कर दी। पाँच मिनट बाद वह शांत होने लगी और मेरा साथ देने लगी। शायद उसका दर्द कम हो गया था। वह भी अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी। तकरीबन 30 मिनट की चुदाई के बाद मैं आने वाला था। कहीं वह गर्भवती न हो जाए, इसलिए मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर अपना माल निकाल दिया। साली ने फिर सारा पी लिया। इसके बाद हमने कमरा साफ किया और काम पर लग गए।

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