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किरायेदार के साथ मेरी चुदाई

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम शालिनी है। मैं लंबे समय से कामुक कहानियों की पाठिका और लेखिका हूँ।

मैं एक सम्मानित परिवार से हूँ, लेकिन मैं काफी चंचल और चालू लड़की हूँ। मुझे लड़कों के साथ समय बिताना पसंद है। मेरी सभी सहेलियाँ भी मेरी तरह बिंदास हैं।

आज मैं अपनी नई हिंदी सेक्स कहानी लेकर आई हूँ। इस चुदाई की कहानी में मैं बताऊँगी कि कैसे मैंने अपने किरायेदार के साथ अपनी चूत और गांड की आग बुझाई। जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों चुदाई का मजा ले लेते थे।

अब मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति नौकरी करते हैं। अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है। मेरा घर बड़ा है, इसलिए मेरे पति ने चार हिस्से किराए पर दे रखे हैं। सभी किरायेदार नौकरीपेशा लोग हैं। दिन में उनके पति काम पर चले जाते, और उनकी पत्नियाँ या तो घर पर रहती थीं या अपने काम के लिए बाहर निकल जाती थीं।

इस तरह दिन में मेरा घर लगभग खाली रहता था।

मैं अपने सभी किरायेदारों से खुलकर बात करती हूँ। लेकिन जब मेरी चूत में खुजली होती, तो मैं अपने किरायेदार से चुदवाने का मन बनाने लगती।

मेरे पति बिस्तर पर बहुत अच्छे हैं। जब भी उन्हें मौका मिलता, वे मेरी चुदाई कर लेते। लेकिन मुझे रोज चुदाई चाहिए थी, और मेरे पति हफ्ते में एक-दो बार ही मुझे चोद पाते। इससे मेरी चुदास पूरी नहीं होती थी।

मैं सुबह सारे घर के काम निपटा लेती, और जब किरायेदार काम पर चले जाते, तो मैं अकेली रह जाती। दोपहर में मैं किरायेदारों से बात करती, लेकिन जब उनकी पत्नियाँ भी बाहर चली जातीं, तो मैं बोर होने लगती। मेरी सहेलियाँ तो मजे में थीं, क्योंकि वे अपने घर पर अपने प्रेमी या पड़ोसी को बुलाकर चुदवा लेती थीं।

मेरे किरायेदारों में एक लड़का है, जिसका नाम राकेश है। वह अभी अकेला है, उसकी शादी नहीं हुई। हमारी जल्दी ही दोस्ती हो गई। मैं उसे बहुत पसंद करने लगी। हम दोनों मजाक करते और खुलकर बातें करते। राकेश अच्छा लड़का था।

चूंकि वह रात की नौकरी करता है, मैं उससे दोपहर में बात कर लेती। जब मैं छत पर कपड़े सुखाने जाती, राकेश मेरे पीछे आ जाता, और हम छत पर बातें करते।

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जब हमारी बातचीत बढ़ी, तो वह डबल मीनिंग बातें करने लगा। मैंने ही उसे छूट दी थी, इसलिए वह और बिंदास हो गया। मुझे वह अपने लिए शिकार-सा लगने लगा। मैं उसे अपने हुस्न के जाल में फँसाने की सोचने लगी।

राकेश मुझे अच्छा लगने लगा था, लेकिन मैं उसे अपने घर नहीं बुला सकती थी। इसलिए मैं उससे बात करके ही मजे लेती। धीरे-धीरे हमारा रिश्ता प्यार में बदलने लगा।

मैं आमतौर पर सलवार सूट पहनती हूँ, लेकिन गर्मी में मैक्सी पहन लेती थी। मैक्सी में मेरी चूचियाँ और गांड का उभार साफ दिखता था। राकेश मुझे मैक्सी में घूरता था। कभी-कभी बात करते वक्त वह मेरी मैक्सी के अंदर झाँकता, तो उसे मेरी चूचियाँ दिख जाती थीं। मैं भी उसे आकर्षित करने के लिए और ज्यादा दिखाने लगी। वह मेरे पीछे और ज्यादा आने लगा। मैं जानती थी कि उसे मेरा जिस्म पसंद है।

जब हम बात नहीं कर पाते, तो एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते। हमारी इस मुस्कान में गहरा मतलब छिपा होता था, जो सिर्फ हम दोनों समझते थे।

किराया लेने के लिए मुझे किरायेदारों के पास जाना पड़ता था। राकेश समय पर किराया दे देता, इसलिए मैं उसे थोड़ी छूट देती। कभी-कभी मैं उसके रूम में बात करने चली जाती। उसका रूम साफ-सुथरा रहता, और मेरे पति भी उससे खुश थे।

उस दिन घर में कोई नहीं था। दो किरायेदार परिवार के साथ बाहर गए थे, और एक किरायेदार अपनी पत्नी के साथ नrobin ड्यूटी पर था। उस दिन मेरी चुदास चरम पर थी। मैं नहाकर छत पर कपड़े सुखाने गई।

कपड़े सुखाते वक्त राकेश ने पीछे से मुझे पकड़ लिया। मैं मना करने लगी, लेकिन वह नहीं माना। उसने कहा: भाभी, मैं तुम्हारे जिस्म का दीवाना हूँ। मुझे पता है तुम भी मुझे पसंद करती हो।

उसकी बात सच थी। वह मुझे चूमने लगा। मैं मना करती रही, लेकिन मुझे उसका चूमना अच्छा लग रहा था।

कुछ देर बाद मेरा विरोध खत्म हो गया, और मैं उसे चूमने लगी। उसने मेरी चूची दबाई, तो मैं गर्म हो गई। मैंने उसे अलग किया, क्योंकि पड़ोसी छत पर आ सकते थे।

मैं अपने रूम में आ गई और राकेश के साथ चूमने के पल याद करने लगी। मेरी चूत गर्म हो रही थी। तभी राकेश ने दरवाजा खटखटाया।

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मैंने पूछा: कौन?
उसकी आवाज आई: मैं हूँ, भाभी।

मैंने दरवाजा खोला। वह अंदर आया और मुझे चूमने लगा, मेरी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने कहा: तुम अपने रूम जाओ, मैं आती हूँ।

वह मान गया। मैं थोड़ी देर बाद उसके रूम में गई। वह सिर्फ अंडरवियर में था, उसका लंड खड़ा था। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, दरवाजा बंद किया, और चूमने लगा।

घर में कोई नहीं था। राकेश ने मेरी मैक्सी उतारी, मैं ब्रा और पेंटी में रह गई। उसने मेरी चूचियाँ ब्रा के ऊपर से मसलीं, फिर मेरी पेंटी चाटने लगा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी।

उसने अपनी ब्रा और पेंटी उतारी, मैं नंगी हो गई। मेरी बड़ी चूचियों को देखकर वह मचल गया। उसने एक चूची चूसने और दूसरी मसलने लगा, फिर दूसरी चूची चूसने और पहली मसलने लगा।

वह मेरी चूत चाटने लगा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी। चुदाई के लिए बेचैन हो गई थी। उसने मेरी चूत में उंगली डाली। मेरी चूत में हल्के बाल थे, उसे मजा आ रहा था।

हमारी बातचीत में पहले से ही अडल्ट जोक्स और सेक्स की बातें होती थीं, इसलिए हम खुलकर साथ दे रहे थे। उसने मुझे अपना लंड चूसने को कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। वह मान गया और मेरी चूत में उंगली करने लगा।

मेरी चूत से पानी निकल रहा था। मैं उसे और अंदर उंगली करने को कह रही थी। वह जोर-जोर से उंगली करने लगा। मैं तेज सिसकारियाँ लेने लगी।

हम दोनों चुदाई के लिए तैयार थे। मैंने कहा: अब देर मत करो, मेरी प्यास बुझा दो।

राकेश ने मुझे चित्त लिटाया और मेरी चूत के सामने अपना लंड रखा। मैंने चूत खोल दी। उसने अपना लौड़ा मेरी चूत की फांकों पर टिकाया। उसके लंड के स्पर्श से मेरी चूत मचल उठी।

वह मेरी चूत पर लंड रगड़ने लगा। मैंने उसे चुदाई का इशारा किया। उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मोटे लंड से मेरी सिसकारी निकली: उम्म्ह… अहह… हय… ओह… लेकिन मेरी चूत ने जल्दी उसे सहन कर लिया।

वह मेरी चूत में पूरा लंड डालकर चोदने लगा। हम मस्ती में सेक्स कर रहे थे। कभी वह मेरी चूची मसलता, कभी निप्पल चूसता।

धकापेल चुदाई चल रही थी। दोपहर में हम पसीने से तर-बतर हो गए। मेरी चूत पहले से गर्म थी, और उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे अजीब-सा मजा आ रहा था।

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कई दिनों बाद मुझे दमदार लंड से चुदने का मौका मिला। राकेश ने भी बहुत दिन बाद सेक्स किया था। वह जोर-जोर से मुझे चोद रहा था।

उसके मोटे लंड से मेरी चूत की प्यास बुझ रही थी। मैंने सोच लिया था कि अगर मेरे पति रोज मुझे नहीं चोदेंगे, तो मैं राकेश से चुदवाऊँगी।

वह पूरा लंड डालकर चोद रहा था। मुझे मजा और शांति मिल रही थी। मैं गांड उठा-उठाकर चुदवा रही थी।

लगभग बीस मिनट बाद हम झड़ने लगे। वह चरम पर था, लेकिन जोर-जोर से चोद रहा था। मेरी सिसकारियाँ तेज हो गई थीं।

हम दोनों एक साथ झड़ गए। लंबे समय तक सेक्स करने के बाद हमने पानी छोड़ा। हमें बहुत मजा आया।

थककर मैं उसके साथ लेट गई। हमारी साँसें तेज चल रही थीं। हम नंगे पड़े थे। कुछ देर बाद मैंने ब्रा, पेंटी, और मैक्सी पहनी और अपने रूम में चली गई।

राकेश ने मुझे रोककर चूमा, फिर मैं चली गई।

अब हम रोज दोपहर में सेक्स करते हैं। मेरे पति और किरायेदार काम पर चले जाते, तो मैं राकेश के रूम में चुदवाने जाती। वह मुझे अच्छे से चोदता था। जब मेरे पति की नाइट ड्यूटी होती, मैं राकेश को बता देती।

उस रात हम खुलकर चुदाई करते। मैं अब ओरल सेक्स भी करने लगी। मुझे उसका लंड चूसना पसंद है। उसने मेरी गांड भी मारी। उसकी कहानी अगली बार लिखूँगी।

हम आज भी दोपहर में सेक्स करते हैं। राकेश अभी भी मेरे घर में किराये पर है। उसे छोड़ना मेरे लिए मुश्किल है।

आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी? कृपया फीडबैक दें।

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