मैं एक लड़की को जीवविज्ञान की ट्यूशन देता था। एक दिन प्रजनन अंगों पर चर्चा थी, तो उसने स्पर्म के बारे में पूछा। फिर मैंने उसे सेक्स का पूरा ज्ञान कैसे दिया? कुंवारी चूत को सिखाया सेक्स का सबक
मेरा नाम अर्जुन है, और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। यहाँ मैं काल्पनिक नाम का इस्तेमाल कर रहा हूँ। मेरी उम्र 29 साल है, और मैं पेशे से ट्यूशन टीचर हूँ। मैं घर-घर जाकर ट्यूशन देता हूँ, इसलिए मेरा काम इधर-उधर घूमने का रहता है।
पहले मैं वाराणसी में पढ़ाया करता था। जो घटना मैं आपको बता रहा हूँ, वो मेरे जीवन की सच्ची घटना है। पहले मैं अपने पेशे को लेकर ऐसी सोच नहीं रखता था, लेकिन टाइम पास करने के लिए मैंने इंटरनेट पर सेक्स कहानियाँ पढ़ना शुरू किया।
इन कहानियों को पढ़ते-पढ़ते मेरा ध्यान लड़कियों की चूत, चूचियों और गांड की ओर बढ़ने लगा। मुझे नहीं पता था कि मेरे अंदर सेक्स की आग सुलग रही थी। लेकिन जब यह घटना हुई, तो सब बदल गया।
मैं जीवविज्ञान और रसायन विज्ञान पढ़ाता हूँ। एक दिन मुझे ट्यूशन के लिए कॉल आया। यह घर पर पढ़ाने का काम था। मेरे पास समय था, तो मैंने हामी भर दी। यह ट्यूशन एक लड़की के लिए था।
उसका नाम गोपनीयता के कारण यहाँ नहीं बता सकता। बस इतना समझ लीजिए कि वो कॉलेज में थी और जीवविज्ञान व रसायन विज्ञान की ट्यूशन लेना चाहती थी। मैं उसके घर पढ़ाने जाने लगा।
एक दिन प्रजनन अंगों का टॉपिक पढ़ाना था। इसमें कई ऐसे विषय थे, जिन्हें पढ़ाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं थी, क्योंकि यह मेरा काम था। लेकिन चूँकि वो एक लड़की थी, मैं खुलकर बात करने में हिचक रहा था।
जब सेक्स का विषय शुरू हुआ, तो उसने सवाल पूछने शुरू किए। चूँकि वो लड़की थी, पुरुष प्रजनन अंगों के प्रति उसकी जिज्ञासा स्वाभाविक थी। उसने स्पर्म के बारे में पूछा।
वो बोली, “सर, स्पर्म कैसा होता है और कैसे निकलता है?”
उसके मुँह से ये सुनकर मैं थोड़ा असहज हो गया। अगर कोई लड़का होता, तो बात आसान थी, लेकिन लड़की होने के कारण मुझे संयम रखना था।
मैंने कहा, “स्पर्म पुरुषों के गुप्तांग से निकलता है।”
वो बोली, “कब निकलता है?”
उसके सवाल ने मेरे दिमाग में उन कहानियों को जगा दिया। मेरा लंड पैंट में तनने लगा।
मैं जवाब देना चाहता था, लेकिन मेरी ज़ुबान अटक रही थी। मैंने बात टालते हुए कहा, “इसके बारे में कल बात करेंगे। अभी थोड़ा रसायन विज्ञान पढ़ लेते हैं।”
वो बोली, “सर, बताइए ना। कॉलेज में कोई ठीक से समझाता नहीं। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूँ और सब कुछ विस्तार से जानना चाहती हूँ। किताबों में भी ज्यादा जानकारी नहीं है।”
मैंने कहा, “स्पर्म एक तरल पदार्थ है, जो पुरुष के गुप्तांग से सेक्स के बाद निकलता है।”
यह कहते हुए मेरी नज़र उसके सीने पर चली गई। अचानक हमारी नज़रें मिलीं, और हम एक-दूसरे को देखने लगे। मेरा लंड पूरी तरह तन चुका था।
मैंने कहा, “आज के लिए इतना ही। बाकी टॉपिक कल कवर करेंगे।”
वो मुस्कराते हुए मेरी ओर देखने लगी।
मेरी हालत खराब थी, लेकिन उसके चेहरे पर ज़रा भी शर्मिंदगी नहीं थी।
वो बोली, “ठीक है सर, कल दोपहर को आइए और विस्तार से पढ़ाइए।”
ट्यूशन खत्म कर मैं घर लौटा। मेरी आँखों के सामने उसके उभार घूम रहे थे। उसकी पतली कमर और जाँघों के बारे में सोचकर मेरा लंड बेकाबू हो रहा था। मेरा मन उसके साथ सेक्स करने को बेताब था।
अगले दिन मैंने ठान लिया कि आज मैं पीछे नहीं हटूँगा। वो जो पूछेगी, मैं खुलकर जवाब दूँगा। मेरे मन में यह भी था कि शायद मुझे उसकी चूत का स्वाद चखने का मौका मिल जाए।
अगले दिन मैंने अपने सारे काम जल्दी निपटाए। उस दिन सिर्फ़ उसी को पढ़ाना था। छुट्टी का दिन था, लेकिन मेरे लिए काम का दिन था।
घर पर मैंने फोन में पोर्न देखना शुरू किया। उसमें एक टीचर अपनी स्टूडेंट को मेज पर लिटाकर उसकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। यह देखकर मेरा लंड तन गया। मैं उसे मसलने लगा।
तभी मेरा फोन बजा। मेरी स्टूडेंट थी। उसने कहा, “सर, 2 बजने वाले हैं। आप अभी तक नहीं आए?”
मैंने कहा, “बस निकल रहा हूँ।”
मैंने ठान लिया था कि आज जो होगा, देखा जाएगा। मैं उसकी चूत के दर्शन तो कर ही लूँगा, लेकिन सब सीमा में रहकर। उसके बाद जो वो चाहेगी, वो उस पर निर्भर होगा।
मैं जल्दी तैयार होकर निकल गया। उसके घर पहुँचा, तो घर सूना था। रविवार था। उसने हरी टी-शर्ट और काली जीन्स पहनी थी। उसके उभार टी-शर्ट में साफ उभरे हुए थे।
मैंने पूछा, “घर में कोई नहीं है?”
वो बोली, “नहीं सर, आज छुट्टी थी, तो सब घूमने गए हैं।”
मैंने पूछा, “तुम नहीं गई?”
वो बोली, “नहीं, मुझे वो सेक्स वाला टॉपिक पूरा करना था। मैं कोई टॉपिक मिस नहीं करना चाहती। आज आप अच्छे से पढ़ाएँगे ना?”
वो मुस्कराते हुए बोली।
मैंने कहा, “हाँ, आज हम हर टॉपिक विस्तार से देखेंगे।”
यह कहते हुए मेरी नज़र उसके चूचों पर थी, और मेरा लंड तनने लगा।
कमरे में बैठकर हम पढ़ाई शुरू करने लगे।
मैंने पूछा, “तो आज कौन-सा टॉपिक कवर करना है?”
वो बेझिझक बोली, “वही सेक्स वाला टॉपिक, सर!”
उसके इतने खुलेपन से मैं हैरान रह गया। सेक्स शब्द सुनकर मेरा लंड पैंट में झटके देने लगा।
मैं हकलाते हुए बोला, “हाँ… बिल्कुल, आज उसी पर बात करेंगे।”
वो मेरी घबराहट समझ गई और मुस्कराते हुए अपनी जीवविज्ञान की किताब लेने चली गई।
वापस आकर उसने किताब मुझे थमाई और बोली, “कल आपने ठीक से नहीं बताया, सर।”
मैंने कहा, “क्या नहीं बताया?”
वो बोली, “यही कि स्पर्म कहाँ से निकलता है?”
मैंने आज ठान लिया था कि नहीं हिचकूँगा। मेरे दिमाग में वो पोर्न सीन घूम रहे थे।
मैंने बेझिझक कहा, “पेनिस से निकलता है।”
वो बोली, “लेकिन मैं कुछ और भी पूछना चाहती हूँ, जिससे मेरा दिमाग उलझा है।”
मैंने कहा, “पूछो।”
वो थोड़ा झिझकते हुए बोली, “क्या पेनिस को ही लंड कहते हैं, सर?”
उसके मुँह से लंड शब्द सुनकर मैं बेकाबू हो गया। मेरा ध्यान उसकी चूत की फाँकों पर चला गया। मैं जोश में आ गया।
मैंने कहा, “हाँ, उसे लंड कहते हैं, और वेजाइना को चूत।”
वो शरमाते हुए बोली, “चूत के बारे में तो पता था, लेकिन लंड के बारे में नहीं। इसलिए पूछा।”
वो अब खुलने की कोशिश कर रही थी।
फिर उसने पूछा, “सर, क्या लंड से हमेशा स्पर्म निकलता है?”
मैंने कहा, “नहीं, ये सिर्फ़ सेक्स के बाद निकलता है।”
वो बोली, “मतलब चोदने के बाद?”
उसके मुँह से ये शब्द सुनकर मैं और बेकाबू हो गया।
मैंने अपने तने हुए लंड को पैंट के ऊपर से मसलते हुए कहा, “हाँ, चूत को चोदने के बाद।”
वो मेरी बात सुनकर शरम से लाल हो गई।
मैंने आगे बढ़ते हुए पूछा, “क्या तुमने कभी ऐसा किया है?”
वो बोली, “नहीं सर, किया नहीं, लेकिन देखा है।”
मैंने पूछा, “कहाँ देखा?”
वो बोली, “कॉलेज के पीछे की झाड़ियों में।”
उसने बताया, “मेरी क्लास की एक लड़की थी, जो कॉलेज के 40 साल के चौकीदार के साथ ये सब कर रही थी।”
मैंने पूछा, “तुमने सब कुछ देखा?”
वो बोली, “हाँ, उसका लंड मेरे आधे हाथ जितना था। पहले वो उसके लंड पर कूद रही थी, लेकिन बाद में जब उनका सेक्स खत्म हुआ, तो वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।”
मैं हँसने लगा और बोला, “सच में?”
वो बोली, “आप हँस क्यों रहे हैं, सर?”
मैंने कहा, “चुदाई के समय सब गर्म हो जाता है, कुछ पता नहीं चलता। लेकिन बाद में पता चलता है कि क्या हुआ।”
वो बोली, “सर, चुदाई में सचमुच दर्द होता है?”
मैंने कहा, “नहीं, ये चोदने वाले की कला पर निर्भर करता है।”
वो बोली, “चुदाई करना कला होती है?”
उसकी नज़र अब मेरी पैंट की ज़िप पर घूम रही थी।
मैंने कहा, “हाँ, चुदाई एक कला है। कुंवारी चूत की चुदाई बहुत संभालकर की जाती है। चोदने वाले को मज़ा आता है, लेकिन चुदने वाली को हल्का दर्द हो सकता है। क्या तुमने अपनी चूत को कभी लंड का स्पर्श करवाया?”
मेरा सवाल सुनकर वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली, “नहीं सर, मैंने तो बस अपनी चूत को उंगली से सहलाया है।”
मैंने पूछा, “उंगली करने से कैसा लगता है?”
वो बोली, “जब से मैंने वो चौकीदार वाली घटना देखी, मेरा मन करता है कि मैं लंड को करीब से देखूँ।”
मैंने कहा, “अगर चाहो, तो देख सकती हो।” मैंने अपने तने हुए लंड की ओर इशारा किया।
वो बोली, “सर, कुछ होगा तो नहीं?”
मैंने कहा, “नहीं, छूने से कुछ नहीं होता।”
मैंने अपनी ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाला। मेरा लंड उसके सामने तनकर झटके दे रहा था।
वो बोली, “सर, ये स्पर्म है?”
मैंने कहा, “नहीं, ये चुदाई की तैयारी के लिए चिकनाहट वाला पदार्थ है।”
मेरा लंड बेकाबू था। मैंने उसके कंधे सहलाते हुए कहा, “इसे पकड़कर देखो, तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जाएँगे।”
उसने मेरे लंड को अपने नरम हाथों में लिया और दबाकर देखने लगी। मेरे हाथ उसकी बगल से होते हुए उसके चूचों को हल्के से दबाने लगे। वो कोई विरोध नहीं कर रही थी। उसका ध्यान मेरे लंड पर था। वो कभी उसे पकड़ रही थी, कभी टोपे पर उंगली फेर रही थी।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
वो बोली, “सर, यहाँ छूने से इतना मज़ा आता है?” उसने मेरे लंड का टोपा मसलते हुए पूछा।
मैंने कहा, “हाँ, लेकिन ये तुम्हें इससे भी ज़्यादा मज़ा दे सकता है। क्या तुम इसे महसूस करना चाहोगी?”
उसने तेज़ साँसों के साथ हाँ में सिर हिलाया। मैंने उसकी गर्दन पकड़कर उसके होंठ चूसने शुरू किए। उसने मेरे बाल सहलाते हुए मेरा साथ दिया।
कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। उसने काली ब्रा पहनी थी। मैंने कहा, “क्या तुम अपने उभारों के बारे में नहीं जानना चाहोगी?”
उसने तेज़ साँसों के साथ हाँ में सिर हिलाया। मैंने उसकी ब्रा उतारी। उसके मध्यम आकार के गोरे चूचे और भूरे निप्पल मेरे सामने थे।
मैंने कहा, “ये निप्पल हैं। चुदाई में इन्हें चूसा जाता है, और बच्चे के जन्म के बाद यहीं से दूध निकलता है।”
मैंने उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। उसके मुँह से “आह… स्स्स…” की आवाज़ निकली।
फिर मैंने दूसरा निप्पल चूसा और पहले वाले को चुटकी में दबाने लगा। वो मेरे लंड को तेज़ी से मसल रही थी। मेरा हाल भी बेकाबू हो रहा था।
मैं खड़ा हुआ और अपनी पैंट व अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड उसके सामने नंगा था। मैंने उसके हाथ मेरे लंड पर रखवाए। फिर मैंने अपनी गोटियाँ छूने को कहा। वो उन्हें सहलाने लगी।
मैंने कहा, “इन्हें टेस्टीज़ कहते हैं। यहाँ स्पर्म बनते हैं, और चुदाई के समय यहीं से स्पर्म लंड में आते हैं।”
फिर मैंने उसकी जीन्स उतारी और उसकी नीली पैंटी खींचकर उसकी चूत नंगी कर दी। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा। वो तड़पने लगी।
मैंने पूछा, “इसके बारे में भी विस्तार से जानना है?”
वो बोली, “हाँ सर, प्लीज़!”
मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी और चूसने लगा। फिर बाहर निकालकर बोला, “मर्द इसे ऐसे प्यार करता है।”
मैं उसके ऊपर आया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला, “जब दोनों तैयार होते हैं, तब चुदाई होती है। क्या तुम इसे अनुभव करना चाहोगी?”
वो बोली, “हाँ सर, लेकिन मैंने कभी चूत में लंड नहीं लिया। कुछ होगा तो नहीं?”
मैंने कहा, “यही कला मैं तुम्हें सिखाऊँगा।”
वो बोली, “ठीक है।”
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपने लंड को उसकी टाइट चूत पर रखा। दो बार रगड़ा, तो वो कसमसाने लगी। बोली, “सर, यहाँ बहुत मज़ा आ रहा है।”
मैंने कहा, “उंगली से भी ज़्यादा?”
वो बोली, “हाँ, बहुत ज़्यादा।”
मैंने कहा, “आज तुम चुदाई का मज़ा भी लोगी।”
मैंने अपने लंड के टोपे पर थूक लगाया और उसकी चूत की फाँकों को फैलाने लगा।
वो बोली, “आह सर… कर दो… अब बेचैनी हो रही है।”
मैंने कहा, “हाँ मेरी जान, आज मैं तुम्हें सेक्स का पूरा सबक सिखाऊँगा।”
मैंने उसकी चूत में हल्का धक्का दिया। वो सोफे को नाखूनों से खरोंचने लगी। मैंने एक और धक्का मारा, तो आधा लंड उसकी चूत में अटक गया। वो मुझे हटाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन अब पीछे हटना मुश्किल था। मैंने ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो चीखी, “उम्म… आह… ओह…”
मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसके चूचों को मसलने लगा।
दो-तीन मिनट तक मैं उसकी टाइट चूत में लंड डाले लेटा रहा। जब वो शांत हुई, तो मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू किए। वो मुझे बाहों में लपेटने लगी। मैं उसके ऊपर लेटकर उसकी चूत की चुदाई करने लगा।
कुछ ही मिनटों में वो मेरे होंठ चूसते हुए अपनी कुंवारी चूत चुदवाने लगी। मुझे भी भरपूर मज़ा आ रहा था। मैंने उसकी टाँग उठाकर सोफे पर चढ़ाई और उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के देने लगा।
वो दर्द से कराह रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर आनंद भी दिख रहा था। पाँच मिनट बाद वो अचानक उठी और मुझे बाहों में भरकर लिपट गई। उसका पहला स्खलन हो गया था।
चूत में चिकनाहट बढ़ने से मेरा जोश और बढ़ गया। दो मिनट बाद मैं भी धक्के देते हुए उसकी चूत में स्खलित हो गया। हम दोनों थककर ढेर हो गए। हमारी साँसें तेज़ चल रही थीं।
जब हम शांत हुए, तो मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला। उस पर खून लगा था। वो घबराने लगी।
मैंने कहा, “ये पहली चुदाई का खून है। तुम्हारी चूत की सील, यानी हाइमन, टूट गई है। पहली बार में खून निकलता है, लेकिन फिर नहीं निकलेगा।”
वो उठने लगी, तो उसकी चूत में दर्द हुआ। मैंने उसे सहारा दिया, और वो बाथरूम चली गई।
चूत साफ करके वो लौटी, तो नॉर्मल हो चुकी थी। मैंने भी तब तक कपड़े पहन लिए थे। वो भी अपने कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा, “अभी कुछ पूछना है, तो पूछ लो।”
वो बोली, “सर, आज के लिए इतना काफी है। अब घरवाले आने वाले हैं।”
मैंने पूछा, “मज़ा आया?”
वो बोली, “हाँ सर, अब समझ आया कि वो लड़की कॉलेज के चौकीदार से क्यों चुदवाती थी।”
मैंने पूछा, “तो क्या तुम भी ऐसा मज़ा लेना चाहोगी?”
वो शरमाने लगी।
मैंने कहा, “शरमाओ मत। मैं तुम्हें सेक्स का पूरा ज्ञान दे दूँगा। बस मेरे कहे अनुसार करना।”
वो बोली, “जी सर, अब थकान हो रही है। बाकी क्लास फिर कभी करेंगे।”
उस दिन के बाद मैंने उस कुंवारी चूत को सेक्स का हर पाठ बारीकी से सिखाया। उसकी चूत को चोद-चोदकर खूब मज़ा लिया। वो भी मेरे लंड का मज़ा लेते हुए सेक्स का ज्ञान हासिल करती रही।
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