हेलो दोस्तों, ये है मेरी सेक्स कहानी चलती बस में चूत चाटी. मेरा नाम साहिल है और मैं लखनऊ का हूँ। मैं एक बिजनेसमैन हूँ। मैंने अभी शादी नहीं की है और अपने काम के कारण हर जगह घूमता रहता हूँ। मेरी सेक्स की भूख बहुत ज़्यादा है और मैं बहुत सेक्सी हूँ। मुझे सबसे ज़्यादा चूत चाटना पसंद है। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह घटना 2 महीने पहले की है। मैं अपने काम के सिलसिले में लखनऊ से आगरा जा रहा था। मुझे ट्रेन की टिकट नहीं मिली, इसलिए मैंने बस से जाने का फैसला किया। जब मैं बस स्टैंड पर पहुँचा, तो बस खड़ी थी। मैं उसमें चढ़ गया। बस में बहुत भीड़ थी, इसलिए मुझे बैठने की जगह नहीं मिली। चूँकि मुझे काम के लिए जाना ज़रूरी था, मैं बस में खड़ा रहा। जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ पास में एक परिवार बैठा था—पति, पत्नी और शायद उनकी माँ भी थी। फिर बस वहाँ से चल पड़ी।
कुछ देर बाद मैंने गौर किया कि उस शख्स की बीवी, जिसने बुर्का पहना था, बार-बार मेरी तरफ देख रही थी। वह खिड़की के पास बैठी थी, उसका पति मेरे पास बैठा था और उनकी माँ बीच में थी। जब मुझे पता चला कि वह मुझे देख रही है, तो मैं भी उसे देखने लगा और उसे इशारा किया कि वह एक बार अपना बुर्का हटाए और मुझे अपना चेहरा दिखाए। उसने पानी पीने का बहाना बनाकर अपना बुर्का हटाया। भगवान की कसम, क्या मस्त थी वह! उसके होंठ ऐसे थे कि मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे लगा कि अभी उसके पास जाऊँ और उसके होंठों का रस पी लूँ, लेकिन ऐसा करना मुमकिन नहीं था।
फिर मैंने उसे हवा में चुंबन देने का इशारा किया। उसने अपने निचले होंठ को काटा और मुझे समझ आ गया कि भाभी बहुत गरम है। ऐसे ही देखते-देखते एक घंटा बीत गया। वह बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी। मैंने अपने हाथ से अपने लंड को रगड़ा, जिससे उसे मेरे लंड का साइज़ समझ आ गया। वह तो एकदम पागल हो गई थी। हम दोनों मौका तलाशने लगे कि कैसे इस रात को रंगीन बनाया जाए। मेरा नसीब अच्छा था। कुछ देर बाद उसके पति को उल्टी होने लगी। उसने अपनी पत्नी से कहा कि उसे खिड़की के पास आने दे ताकि वह उल्टी कर सके। भाभी को तो इस मौके का इंतज़ार था।
वह फटाफट उठी और जहाँ मैं खड़ा था, उसके पास आकर बैठ गई। फिर हम इंतज़ार करने लगे कि उसका पति कब सोता है। ऐसा करते-करते एक घंटा और बीत गया। बस में बाकी सारे लोग सो गए, सिर्फ मैं और वह जाग रहे थे। मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उसके कंधे से टच करना शुरू किया। इससे मेरा लंड पूरी तरह तन गया। फिर मैंने उसे इशारा किया कि मेरा लंड चूसो। वह तैयार हो गई और अपना चेहरा मेरे लंड के पास ले आई। मैंने फटाक से अपना लंड बाहर निकाला और उसके बुर्के के अंदर डाल दिया। जैसे ही उसके नाज़ुक होंठ मेरे लंड से टकराए, मैं पागल हो गया। वह भी पागल होकर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। उम्म्म… पच… अह… और वह आवाज़ें करने लगी।
फिर मैंने एक हाथ उसके स्तन पर रखा। वे बहुत टाइट थे। मैं उन्हें रगड़ने लगा। वह तड़पने लगी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। जैसा कि मैंने बताया, मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है। मैंने थकने का बहाना बनाया और उसके पैरों के पास बैठ गया। उसने नीचे पेटीकोट पहना था। मैंने धीरे-धीरे उसके पैर फैलाए और एक हाथ से उसके पैरों को सहलाते हुए उसकी चूत तक ले गया। दोस्तों, क्या बताऊँ, उसने चड्डी नहीं पहनी थी और उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने जैसे ही उसे हाथ लगाया, मैं प क्या मस्त थी वह! उसके होंठ ऐसे थे कि मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे लगा कि अभी उसके पास जाऊँ और उसके होंठों का रस पी लूँ, लेकिन ऐसा करना मुमकिन नहीं था।
फिर मैंने उसे हवा में चुंबन देने का इशारा किया। उसने अपने निचले होंठ को काटा और मुझे समझ आ गया कि भाभी बहुत गरम है। ऐसे ही देखते-देखते एक घंटा बीत गया। वह बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी। मैंने अपने हाथ से अपने लंड को रगड़ा, जिससे उसे मेरे लंड का साइज़ समझ आ गया। वह तो एकदम पागल हो गई थी। हम दोनों मौका तलाशने लगे कि कैसे इस रात को रंगीन बनाया जाए। मेरा नसीब अच्छा था। कुछ देर बाद उसके पति को उल्टी होने लगी। उसने अपनी पत्नी से कहा कि उसे खिड़की के पास आने दे ताकि वह उल्टी कर सके। भाभी को तो इस मौके का इंतज़ार था।
वह फटाफट उठी और जहाँ मैं खड़ा था, उसके पास आकर बैठ गई। फिर हम इंतज़ार करने लगे कि उसका पति कब सोता है। ऐसा करते-करते एक घंटा और बीत गया। बस में बाकी सारे लोग सो गए, सिर्फ मैं और वह जाग रहे थे। मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उसके कंधे से टच करना शुरू किया। इससे मेरा लंड पूरी तरह तन गया। फिर मैंने उसे इशारा किया कि मेरा लंड चूसो। वह तैयार हो गई और अपना चेहरा मेरे लंड के पास ले आई। मैंने फटाक से अपना लंड बाहर निकाला और उसके बुर्के के अंदर डाल दिया। जैसे ही उसके नाज़ुक होंठ मेरे लंड से टकराए, मैं पागल हो गया। वह भी पागल होकर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। उम्म्म… पच… अह… और वह आवाज़ें करने लगी।
फिर मैंने एक हाथ उसके स्तन पर रखा। वे बहुत टाइट थे। मैं उन्हें रगड़ने लगा। वह तड़पने लगी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। जैसा कि मैंने बताया, मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है। मैंने थकने का बहाना बनाया और उसके पैरों के पास बैठ गया। उसने नीचे पेटीकोट पहना था। मैंने धीरे-धीरे उसके पैर फैलाए और एक हाथ से उसके पैरों को सहलाते हुए उसकी चूत तक ले गया। दोस्तों, क्या बताऊँ, उसने चड्डी नहीं पहनी थी और उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने जैसे ही उसे हाथ लगाया, मैं पागल हो गया। मैंने उसे इशारा किया कि मुझे उसकी चूत चाटनी है। उसने अपने होंठ काटे और मैं समझ गया कि वह भी तैयार है। मैंने देखा कि आसपास के सारे लोग सो रहे थे।
मैंने धीरे से उसके बुर्के के अंदर अपना चेहरा घुसाया और उसकी चूत पर अपने होंठ रखे। मैं तो एकदम पागल हो गया था और वह भी पागल हो गई थी। उसने अपने हाथ से मेरा सिर अपनी चूत में दबाया और मेरे कान के पास आकर बोली, “आह… मेरी जान, आज तू इस चूत की सारी आग बुझा दे। मैं तेरा एहसान मानूँगी। आज तक मुझे तुझ जैसा कोई नहीं मिला, जो मेरी प्यास बुझाए और इसे चूस-चूसकर इसका पानी निकाले। मेरे राजा, आज इसे मत छोड़ना, इस पर ज़रा भी दया मत करना। यह आज तक तेरा गुलाम है। इसे इतना मार कि यह पूरी तरह शांत हो जाए।”
उसके मुँह से यह सुनकर मैं पागल हो गया और उससे कहा, “मेरी रानी, मैं आज तेरी चूत इतनी चाटूँगा कि तेरी सारी खाज मिट जाएगी।”
वह बोली, “ओह… मेरे राजा, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। चूस मुझे… आह… हम्म…” और मैं उसकी चूत को पागल की तरह चाटने लगा। वह तड़प रही थी, “आह… और ज़ोर से… उम्म… आह… ज़ोर से खा… हम्म…” मैं एक घंटे तक उसकी चूत चाटता रहा। उसने पानी छोड़ दिया और वह शांत हो गई। तब मैंने अपना चेहरा उसके बुर्के से बाहर निकाला। उसने अपना बुर्का हटाया और मेरे पास आकर बोली, “मेरे राजा, जो सुख तूने मुझे आज दिया, उसके लिए मैं बहुत भूखी थी।”
वह बोली, “अब मैं तेरी हो गई। जब तेरा मन करे, तू मुझे चोद सकता है। अभी मेरी आधी प्यास बुझी है। मेरी पूरी प्यास कब बुझाएगा?” मैंने कहा, “जान, अभी तो यह मुमकिन नहीं है।” लेकिन मैंने उसे अपना नंबर दिया और कहा, “जब तेरा मन करे, तू मुझे फोन कर। मैं तेरी प्यास बुझाऊँगा और तेरी चूत और गांड फाड़ दूँगा।” वह खुश हो गई और उसने मुझे एक लिप किस किया। फिर उसने बुर्का पहना और अपनी जगह पर सीधे बैठ गई। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और अपनी जगह पर जाकर खड़ा हो गया। एक घंटे बाद हम आगरा पहुँच गए और अपने-अपने रास्ते चले गए।
काम खत्म होने के बाद मैं वापस आया। कुछ दिनों बाद उसका फोन आया कि वह लखनऊ अपने घर वापस आई है और मुझसे मिलना चाहती है। मैंने उसे मिलने बुलाया। वह अपनी ननद के साथ आई थी। उसकी ननद भी एकदम माल थी।
फिर मैंने उसे और उसकी ननद को कैसे चोदा, यह मैं अगली कहानी में बताऊँगा।
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