मेरी सच्ची XXX कहानी में पढ़ें कि कैसे जिम में मेरी दोस्ती एक खूबसूरत लड़की से हुई और एक दिन उसने मुझे अपने जन्मदिन की पार्टी में बुलाया। फिर क्या-क्या हुआ?
दोस्तों, मैं आपका दोस्त अर्जुन सिंह एक और धमाकेदार सच्ची जिम में मिली सुंदरी की चुदाई की XXX कहानी लेकर हाजिर हूँ, जिसे पढ़कर लड़कियाँ चूत में उंगली करेंगी और लड़के मुठ मारेंगे।
मैं दिल्ली के लक्ष्मी नगर का रहने वाला हूँ और 27 साल का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है और लंड का साइज साढ़े छह इंच है। मेरा लंड पक्का फौलादी है, जिसने कई हसीनाओं की प्यास बुझाई है।
अब मैं आपको उस घटना के बारे में बताता हूँ जो पिछले साल 20 अगस्त को मेरे साथ हुई। मैं रोज जिम जाता हूँ और जिम में खूबसूरत लड़कियाँ तो आती ही हैं, ये तो आप सब जानते हैं।
हुआ यूँ कि एक दिन जिम खत्म करके मैं बाहर निकला तो मेरे जिम में ट्रेनिंग करने वाली एक लड़की अपनी कार के पास खड़ी फोन पर बात कर रही थी। वो थोड़ी परेशान लग रही थी। मैंने सोचा, छोड़ो, ये तो बड़ा attitude दिखाती है। जिम में आज तक इसने मुझसे बात नहीं की। इसे जो करना हो, करे, मुझे क्या।
लेकिन जैसे ही मैं अपनी कार लेकर आगे बढ़ा, उसने मुझे आवाज दी। मैंने सोचा, चलो, ये खुद बात कर रही है, शायद किसी मुसीबत में है। लड़की है और रात का वक्त है, मदद तो बनती है।
मैं कार से उतरकर उसके पास गया और बोला- क्या दिक्कत है? सब ठीक तो है?
वो बोली- हाय, मैं निहारिका (बदला हुआ नाम)। यार, मेरी कार में कुछ खराबी आ गई है, स्टार्ट नहीं हो रही। मैं काफी देर से परेशान हूँ। घर पर न भाई है, न पापा, कोई मदद के लिए आ भी नहीं सकता।
मैंने पूछा- तुम्हारा घर कहाँ है?
उसने थोड़ा दूर बताया। मैंने फटाफट कहा- निहारिका, मैं तो मैकेनिक नहीं हूँ, पर तुम्हें घर तक छोड़ सकता हूँ, अगर तुम्हें कोई ऐतराज न हो।
निहारिका बोली- अरे, ये तो तुम्हारी मेहरबानी होगी। पर कार का क्या होगा?
मैंने समझाया- टेंशन मत लो, तुम्हारी कार यहाँ सुरक्षित है। जब तुम्हारा भाई या पापा आएँगे, तो पार्किंग से ले जाएँगे।
काफी देर की बहस के बाद निहारिका मान गई और बोली- ठीक है, मुझे जल्दी घर छोड़ दो।
जिम से उसके घर का रास्ता 25 मिनट का था, लेकिन मैं चाहता था कि निहारिका से ज्यादा बात हो सके, क्योंकि मेरी नजर उस पर पहले से थी। वो जिम में किसी को भाव नहीं देती थी। आज उसका काम पड़ा, तभी बोली, वरना चार महीने से जिम में आ रही थी, मैंने उसे कभी किसी से बात करते नहीं देखा।
दोस्तों, निहारिका के बारे में बताऊँ तो वो एक गजब की हसीना थी। जिम में कसरत करके उसने अपना फिगर इतना मादक बना लिया था कि बस पूछो मत। उसका छरहरा बदन इतना नशीला था कि कोई भी पागल हो जाए। उसकी गांड को देखकर तो कोई सब कुछ भूल जाए। उसकी गांड का गुलाबी छेद कैसा होगा, ये सोचकर मैं तो दीवाना हो रहा था।
खैर, हमने बात शुरू की। मैंने पूछा- कितने समय से जिम आ रही हो? तुम्हारा फिगर तो कमाल का हो गया है।
उसने तारीफ सुनकर गर्व से कहा- इस जिम में मुझे चार महीने हो गए।
मैंने कहा- वाह, गजब! पर तुम जिम में न किसी से बात करती हो, न किसी को देखती हो। मैडम, इतना घमंड अच्छा नहीं।
निहारिका हँस पड़ी- अरे, ऐसा कुछ नहीं। बस जिम में अभी तक कोई दोस्त नहीं बना। वैसे, अब तुमसे बात हुई है, शायद तुम अच्छे दोस्त बन जाओ। मुझे न ego है, न कोई घमंड, बस थोड़ा रिजर्व रहने की आदत है।
बात करते-करते कब उसका घर आ गया, पता ही नहीं चला। निहारिका ने कार से उतरते वक्त मेरा नंबर लिया और थैंक्स बोलकर चली गई।
अगले दिन मैं जिम में समय से पहुँचा। निहारिका पहले से वहाँ थी। मुझे देखते ही उसने मुस्कुराकर हाथ मिलाया।
निहारिका- हाय अर्जुन, कैसे हो?
मैं- हाय, मैं तो बिंदास हूँ। तुम बताओ, कैसी हो?
निहारिका- मैं ठीक हूँ। कल के लिए फिर से थैंक्स।
मैं- स्वागत है।
अब हमारा जिम में एक साथ आना-जाना रोज का हो गया। मैं उसे उसके घर के पास से पिक और ड्रॉप करता।
हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे।
फिर एक अगस्त को निहारिका ने बताया- कल मेरा बर्थडे है। क्या हम शाम को कहीं जा सकते हैं?
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। हालाँकि निहारिका का इतनी जल्दी पार्टी के लिए कहना थोड़ा अजीब था, पर मैं खुश था कि बात तो आगे बढ़ी।
मैंने तुरंत कहा- ठीक है, हम शाम 7 बजे शास्त्री नगर में मिलते हैं।
अगले दिन हम वहाँ से साउथ एक्सटेंशन गए, जो दिल्ली का मशहूर पार्टी स्पॉट है। मैं जिस पब में अक्सर जाता हूँ, वहाँ हम गए।
निहारिका और मैंने दो-दो ड्रिंक लिए और फिर डांस फ्लोर पर डांस करने लगे। डांस करते-करते मुझे थोड़ा नशा हो गया। हम दोनों कसकर चिपककर डांस कर रहे थे। डांस के दौरान मैंने निहारिका को हल्के से चूमा। शायद वो भी नशे में थी, उसने मेरे किस पर ध्यान नहीं दिया, या शायद उसे पसंद आया।
मैंने उसके कान के पास जाकर पूछा- एक और ड्रिंक चाहिए?
निहारिका ने हामी भरी।
मैंने दो तगड़े ड्रिंक लाए। हमने ड्रिंक लिया और फिर डांस करने लगे। इस बार निहारिका ने आपा खोया। वो मेरे करीब आकर चिपककर डांस करने लगी। कभी अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ती, तो कभी अपनी गांड से लंड का स्पर्श कराती। उसकी मस्त गांड पर तो मेरी नजर पहले दिन से थी।
मैंने निहारिका के चूतड़ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और जोर से चूमा। निहारिका भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मेरी पैंट में मेरा लंड लोहे सा तन गया था, जो निहारिका भी महसूस कर रही थी।
तभी निहारिका ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया। मैंने उसे अपने सीने में छिपाया और चूमने लगा। निहारिका ने मेरे लंड को हथेली में भरकर मसलना शुरू किया, जिससे वो और सख्त हो गया।
मेरी हालत खराब हो रही थी और निहारिका की चूत भी गीली हो चुकी थी। डांस फ्लोर पर जितना मजा हो सकता था, हो चुका था। अब आगे कुछ करना था तो किसी रूम में ही मुमकिन था।
मैंने कहा- चलो, कहीं और चलते हैं।
निहारिका बोली- कहीं और नहीं, कोई रूम बुक करो। मैंने ड्रिंक कर लिया है, घर नहीं जा सकती।
मैं- घरवाले कुछ नहीं कहेंगे?
निहारिका- घर पर आज कोई नहीं है, पर पड़ोसी मुझे नशे में देखकर न जाने क्या सोचेंगे।
मैंने ओके कहा और उसे सीने से चिपकाया।
मैंने फोन से पास के होटल में रूम बुक किया और कार से हम वहाँ पहुँच गए। नशे की वजह से निहारिका की हालत खराब थी। वो मुझसे बिना देर किए मेरा लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी।
होटल के रूम में पहुँचते ही निहारिका मुझ पर टूट पड़ी। मैंने उसे अपनी बाहों में भरा। मैंने उसके गले को चूसना शुरू किया, उसके कान काटे और चेहरे को चूमता गया। फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
क्या लाजवाब पल था, यारो! निहारिका के होंठों का रस… आह… वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
15-20 मिनट चूसने के बाद मैंने उसे अपनी जाँघों पर बिठाया और आराम से चूसने लगा, साथ ही उसकी ड्रेस उतारने लगा। जैसे ही निहारिका के स्तन मेरे सामने आए, मैं तो होश खो बैठा। एकदम गोरे, मस्त स्तन थे, जिन पर गुलाबी निप्पल कयामत ढा रहे थे।
मैंने तुरंत एक निप्पल मुँह में लिया और दबाते हुए चूसने लगा। वो गुनगुनाने लगी और मेरे सिर को अपने स्तनों से चिपका लिया।
फिर मैंने निहारिका के सारे कपड़े उतार दिए। उसका बदन किसी अप्सरा सा लग रहा था। मैं उसे ऊपर से नीचे तक निहारता रहा। बड़े-बड़े गोरे स्तन, पतली कमर और टाइट भरी हुई गांड… जो मेरे लंड को बख्शने के मूड में नहीं थी। मैंने उसे हर जगह खूब चूसा।
निहारिका बोली- अब तुम लेटो, मैं तुम्हें अपने मुँह का जादू दिखाती हूँ।
उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरे निप्पल चूसने लगी। एक हाथ मेरे बालों में फेरने लगी और दूसरे से मेरी पैंट का हुक खोलने लगी। उसने पैंट नीचे की और अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड फटने को था।
वो नीचे आई और मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से मुँह में लेने लगी। थोड़ी देर ओरल सेक्स के बाद उसने मेरा अंडरवियर उतारा और मेरे लंड का सुपारा मुँह में भर लिया। वो मेरे लंड के टोपे पर जीभ फेरने लगी। कभी होंठों से, कभी गाल से लंड को सहलाती। कभी पूरा लंड मुँह में लेती, कभी आधा चूसती, कभी सिर्फ टोपा चटकारती। फिर ढेर सारा थूक डालकर लंड को गीला करती और चाटकर चिकना करती।
वो 20 मिनट तक मेरे लंड को चूसती रही। मैं और बर्दाश्त नहीं कर सका। मेरा वीर्य निकल गया। मैंने हटने की कोशिश की, पर वो तो लंड का रस पीने को बेताब थी। उसने मुझे हटने नहीं दिया और सारा रस निगल लिया।
सच कहूँ, दोस्तों, मैंने कई बार लंड चुसवाया, पर निहारिका की चुसाई जैसा कभी नहीं हुआ।
अब मेरी बारी थी उसे जन्नत दिखाने की। मैंने उसकी चूत पर मुँह लगाया। क्या गजब की चूत थी… एकदम फूली हुई पावरोटी सी। बस पावरोटी में छेद नहीं होता, और निहारिका की चूत में एक प्यारा गुलाबी छेद था। मैंने जीभ उसकी चूत में डाल दी और एक हाथ से उसकी गांड का छेद फैलाने लगा। निहारिका पागल सी हो गई। वो अपनी गांड हवा में उठाकर मेरी जीभ को चूत में गहराई तक लेना चाहती थी। मैंने उसकी चूत को खूब चाटा और चूसा। फिर जैसे ही मैंने जीभ उसकी गांड के छेद पर रखी और उंगली चूत में डाली, निहारिका ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। वो रस बेहद स्वादिष्ट था।
मैंने उसका सारा रस चाट लिया। चाटने के बाद भी मैं उसकी चूत चूसता रहा, जिससे वो फिर गर्म हो गई।
अब निहारिका की चूत में लंड डालने की बारी थी। उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में लेकर चूसा। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर तन गया।
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं, चूत में थूक डालकर गीला किया और लंड उसके छोटे से छेद पर रखकर जोर का झटका मारा। मेरा 3 इंच लंड उसकी चूत में समा गया। मेरा टोपा मोटा है, जिससे उसे दर्द हुआ और उसकी आँखों से आँसू निकल आए। वो छटपटाने लगी, चादर खींचने लगी और सिर पटकने लगी।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और एक और जोरदार धक्के से पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। मैं रुक गया। मेरा लंड उसकी चूत में अपनी ताकत दिखा रहा था।
कुछ पल बाद मैं जोर-जोर से धक्के देने लगा। निहारिका अपना आपा खो रही थी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। मैंने उसकी चुदाई जारी रखी।
थोड़ी देर बाद निहारिका नॉर्मल हुई और नीचे से गांड उछालकर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में लेने लगी। मेरी ये हसीना, जो डेढ़ महीने पहले मिली थी, उसकी चुदाई का वो पल कभी न भूलने वाला था।
10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैंने निहारिका को डॉगी स्टाइल में आने को कहा, जो मेरा सबसे पसंदीदा आसन है।
इस पोजीशन में निहारिका की गांड गजब की सेक्सी लग रही थी। उसके दोनों छेद मेरे सामने लपलपा रहे थे। गांड का छेद थोड़ा उभरा हुआ था और चूत का छेद खुल-बंद हो रहा था। पर अभी चूत चोदने का वक्त था। मैंने मुँह से थूक निकालकर लंड पर लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में ठोक दिया। इससे मुझे गजब का मजा आया।
लंड घुसते ही निहारिका के मुँह से लंबी आह निकली।
मैंने पीछे से जोरदार शॉट मारना शुरू किया। निहारिका नीचे से लंबी-लंबी आहें भरने लगी।
मेरी जाँघें उसके चूतड़ों से टकराकर ‘फट-फट’ की आवाज कर रही थीं। उसकी चूत से निकलते पानी से मेरे लंड की ठोकर पर ‘फच-फच’ की मधुर आवाज आ रही थी।
साथ ही निहारिका की मादक आवाज गूँज रही थी- उम्म्ह… अहह… ओह… फक मी… फक मी… और जोर से अर्जुन… और गहरा ठोको… आआहह…
डॉगी स्टाइल सच में कमाल का आसन है, दोस्तों। बड़ा लाजवाब पोजीशन है।
निहारिका की लंबी चुदाई चल रही थी। वो नीचे लेटकर ‘आह… फक मी… फक मी…’ बोले जा रही थी।
मैंने पीछे से उसकी गांड में उंगली डालना शुरू किया। उसकी गांड बहुत टाइट थी, मेरी उंगली भी मुश्किल से जा रही थी।
निहारिका नीचे से चिल्ला रही थी- आह अर्जुन, और तेज करो… ऐसे ही…
लंबी चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसकी गांड पर लेट गया।
कुछ पल बाद हम एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए। निहारिका मेरे सीने से चिपक गई।
उस रात मैंने निहारिका की चार बार चुदाई की और एक बार उसकी गांड भी मारी।
वो सब मैं अपनी अगली कहानी में लिखूँगा।
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