नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम पंकज है और मेरी उम्र 28 साल है। मैं आपको अपनी एक सच्ची ट्रेन के सफर में चुदाई कहानी सुनाने जा रहा हूँ और मुझे यकीन है कि आपको यह बहुत पसंद आएगी। मैं कई सालों से इस साइट पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और मेरे मन में भी ख्याल आया कि अपनी कहानी आपको सुनाऊँ। दोस्तों, यह घटना मेरे कॉलेज के दिनों की है, जब मेरी उम्र 26 साल थी। मैं एक बार ट्रेन से सफर कर रहा था और उस वक्त खिड़की के पास बैठा था। जून का महीना था, बाहर हल्का-हल्का बारिश हो रही थी और ट्रेन पहले से ही कुछ देर लेट चल रही थी।
मैंने अकोला से ट्रेन पकड़ी थी। उस वक्त मेरे सामने एक 28 साल की साँवली और थोड़ी मोटी लड़की बैठी थी। उसके साथ उसकी माँ भी थी। उस लड़की का नाम नेहा था। वह अपनी माँ के साथ जबलपुर जा रही थी और उसके पिता भोपाल में कोई नौकरी करते थे। कुछ देर बाद ट्रेन चली और मैंने उससे बात शुरू की। सबसे पहले मैंने पूछा, आपको कहाँ जाना है? उसने कहा, हमें रतलाम जाना है। फिर हमारी बातचीत शुरू हुई और थोड़ी देर बाद उसकी माँ भी हमसे बात करने लगी और मज़े करने लगी।
दोस्तों, कुछ देर बाद उसकी माँ को नींद आ गई और उसने अपना सिर नेहा की गोद में रखकर सो गई। मैंने देखा कि नेहा अब पूरी तरह खुल गई थी। वह मुझसे मस्ती करने लगी और अपने पैरों से मुझे छूकर गर्म करने लगी। हमारा सफर ऐसे ही चलता रहा। फिर उसने मुझसे पूछा, आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा, नहीं है। मेरे जवाब को सुनकर वह हँसने लगी और फिर उसने बात का विषय बदल दिया।
फिर एक स्टेशन पर मैं कचौड़ी लेने उतरा तो वह भी मेरे पीछे आ गई। उसने मुझे ऐसे देखा कि मुझे समझ आ गया कि वह मुझसे कुछ चाहती है। मैं उसके करीब जाकर बात करने लगा और बीच-बीच में उसे छूने लगा। कभी उसके बालों को, तो कभी मौका देखकर उसके स्तन को छूने लगा। लेकिन वह कुछ नहीं बोली और सारे मज़े ले रही थी। फिर मैंने कुछ देर बाद उसकी चूत पर हाथ रखा और आगे बढ़ने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़कर हटा दिया और गुस्से से मुझे देखने लगी। उसे देखकर मैं समझ गया कि वह अभी तैयार नहीं है। फिर मैंने उससे बात शुरू की और थोड़ी देर बाद वह पहले जैसी हो गई। अब उसका स्टेशन आने वाला था। उसने मुझे बताया कि उसे जाना है और उसने मुझे इशारा किया। फिर वह उठकर चली गई।
मैं तुरंत समझ गया कि वह मुझे दरवाजे के पास बुला रही है। मैं उठकर उसके पीछे गया और वहाँ पहुँचते ही उसने कहा, आप मुझे बहुत पसंद हो और मुझे अपना मोबाइल नंबर दो। मैंने उसे अपना नंबर दिया और वह अपनी सीट पर चली गई। कुछ देर बाद उसका स्टेशन आया और वह चली गई। कुछ घंटों बाद मेरा स्टेशन आया और मैं भी ट्रेन से उतर गया। घर पहुँचकर मैं उसका ख्याल करने लगा कि मैंने उसका नंबर क्यों नहीं माँगा। फिर कुछ दिन तक उसके बारे में सोचकर मैं उसे भूल गया।
फिर शाम को 7 बजे मुझे एक अनजान नंबर से मिस्ड कॉल आया। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं मिस्ड कॉल पर ज्यादा गौर नहीं करता, ज्यादातर वे गलत नंबर होते हैं। लेकिन थोड़ी देर बाद फिर कॉल आया और मैंने बात शुरू की।
मुझे लगा कि यह वही ट्रेन वाली लड़की होगी और मैं खुशी से उछल पड़ा।
फिर उसने अपने बारे में बताया कि वह पिछले दो साल से शादीशुदा है, लेकिन उसका कोई बच्चा नहीं है क्योंकि उसका पति अभी बच्चे के लिए तैयार नहीं है। वह बहुत अच्छा इंसान है और उसकी बहुत ख्याल रखता है। लेकिन वह ज्यादातर बाहर रहता है, इसलिए उसे अकेलापन महसूस होता है। बाकी सब ठीक-ठाक है।
दोस्तों, फिर हमारी बातें ऐसे ही चलती रहीं। एक दिन हम मॉल में मिले क्योंकि उसने मुझे शॉपिंग में मदद करने के लिए बुलाया था। मैं समय पर वहाँ पहुँचा और वह एक होटल में मेरा इंतज़ार कर रही थी।
हमने शॉपिंग की, साथ में खाना खाया और फिर वह अपने घर चली गई। उसने मुझे एक जींस गिफ्ट की, लेकिन मुझसे कुछ नहीं लिया। उसने कहा, मैं बाद में वह लूँगी जो मुझे चाहिए। उस दिन उसके पति टूर पर थे। उसने मुझे रात को फिर फोन किया और हमारी बात हुई।
अगले दिन हम फिर मिले। इस बार उसने पंजाबी सूट पहना था और वह एकदम पंजाबी कुड़ी लग रही थी। मैं उसका रूप देखता रह गया। फिर वह मुझे अपने घर ले गई। दोस्तों, मैंने पहली बार उसका घर देखा था। वह बहुत अच्छे से सजा था और बहुत बड़ा भी था। फिर वह मेरे लिए जूस लेकर आई और मुझे दिया।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, मैं आज यहाँ दूध पीने आया हूँ। वह फट से मेरी गोद में बैठ गई और बोली, इतनी जल्दी क्या है, अभी तो पूरी रात बाकी है।
मैंने कहा, पूरी रात है तो क्या, बार-बार पीकर भी मेरा पेट नहीं भरेगा। उसने कहा, तुम तो सब पी जाओ, यह तुम्हारे लिए ही है। लेकिन पहले खाना खा लें, पता नहीं फिर वक्त मिले न मिले।
मैंने कहा, पहले मुझे नाश्ता तो करने दे जानू। मैंने उसके मुलायम चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसके कोमल होंठों का रस चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम एक-दूसरे को चूमने में मग्न हो गए। हमने चुम्बनों की बरसात शुरू कर दी। फिर हम अलग हुए। उसने खाना बनाया और हमने खाना खाया। इस दौरान हम बहुत हँसे और मस्ती-मज़ाक किया।
वह मेरे सामने एक जालीदार मैक्सी पहनकर आई। उसकी गुलाबी ब्रा और काली पेंटी साफ दिख रही थी। उसने मादक नज़रों से मुझे अपने पास बुलाया और मैं गुलाम की तरह उसके पास चला गया। मैंने उसे एक मुलायम चुम्बन दिया, उसका मुँह दूसरी तरफ किया, उसके बाल थोड़े हटाए और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फेरने लगा। वह तुरंत मुझसे चिपक गई।
मैंने उसे चूमना शुरू किया—गर्दन पर, फिर कानों पर, फिर गालों पर। उसकी सेक्सी गांड मेरे लंड पर दबाव डाल रही थी। मैं चूमते-चूमते अपना हाथ उसके स्तन तक ले गया और उन्हें मसलने लगा। वह पागल होने लगी। अब मेरा लंड उसकी गांड के बीच में सेट हो गया था।
मैंने उसे उठाकर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया। वह किसी प्यासी नागिन की तरह मुझे देख रही थी। जैसे ही मैं उसके पास गया, उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने भी उसका पूरा साथ दिया और उसकी मैक्सी नीचे सरका दी।
फिर उसने मेरा लंड हाथ में लिया, नीचे बैठ गई और मुझे बेड पर बिठा दिया। वह मेरा लंड चूसने लगी। उसने कहा, तेरा लंड बहुत मीठा है रे। मैं हँसने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से लंड चूसने लगी। मैंने कहा, धीरे, मुझे दर्द हो रहा है। फिर 5 मिनट बाद मेरा वीर्य निकला और मैंने सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया। मैंने उससे सॉरी कहा तो उसने कहा, इसमें सॉरी की क्या बात, आज तूने मेरी वीर्य पीने की इच्छा पूरी की, तुझे धन्यवाद।
वह मेरे सामने पूरी नंगी थी। क्या मस्त फिगर थी उसकी! उसकी चूत तो क्या कहूँ, उसने उस पर बालों से डिज़ाइन बनाया था। फिर उसने कहा, अब तू मेरी चूत चाट और मेरी दूसरी इच्छा पूरी कर।
मैं उस पर टूट पड़ा और पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा। अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। वह सातवें आसमान पर पहुँच गई और सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी—उह्ह्ह उम्म्म येस्स्स ऊस्स्स्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह जानू।
फिर उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के पास ले गई। उसने कहा, इसे अंदर डाल दे।
मैंने फट से अपना लंड उसकी चूत में घुसाया। मेरे एक झटके में मेरा लंड आधा अंदर चला गया। वह दर्द से चिल्लाई, आआआई मेरे मर गई, थोड़ा धीरे डाल ना।
फिर मैं धीरे-धीरे ठोकने लगा। अब उसे मज़ा आने लगा और वह मेरे होंठों पर ज़ोर से चूमने लगी।
वह मेरा जोश बढ़ाने लगी। मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर करने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा—आह्ह ओह्ह्ह ऊईईई।
वह मादक आवाज़ें निकाल रही थी—राजा, ज़ोर से ठोक मुझे, आज मेरी चूत को ठोककर फाड़ दे, येस्स्स्स उम्म्म्म उफ्फ्फ्फ।
मैंने भी रफ्तार बढ़ा दी।
फच-फच-फच-फच की आवाज़ से बेडरूम भर गया।
कुछ देर बाद उसने कहा, राजा, अब मैं झड़ने वाली हूँ, मुझे ज़ोर से चोद, आह्ह्ह उम्म्म्म उफ्फ्फ्फ येस्स्स उम्म्म्म येस्स्स आआआईईई।
उसके स्तन ज़ोर-ज़ोर से हिल रहे थे।
मैंने उसकी कमर पकड़ी और कुछ देर ज़ोर से ठोके देकर उसकी चूत को वीर्य से भर दिया।
उसने कहा, वाह राजा, आज तूने मेरी चूत की आग शांत की। उसने मुझे गले लगाया और ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी।
फिर हम दोनों नहाने गए। वहाँ भी हमने नहाते-नहाते उसे एक बार ठोका। हम दोनों साथ नहाने गए। वहाँ उसका गीला शरीर देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे चूमना शुरू किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर अंदर-बाहर करने लगा।
मैंने उसके स्तन दबाने शुरू किए। फिर कुछ देर बाद वह नीचे बैठ गई और मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वह मेरे लंड पर थूक रही थी और फिर उस थूक को पी रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कहा, ज़रा रुक।
वह बाहर गई और तेल लेकर आई। उसने मेरे पूरे शरीर पर तेल लगाया। उसने मेरे शरीर की थोड़ी देर मालिश की और मेरे लंड को तेल से भरकर उसे हाथ से ज़ोर-ज़ोर से हिलाया।
फिर उसने मुझे बाथरूम में लिटाया और मेरे 7 इंच के लंड पर बैठ गई। वह घोड़ी की तरह उछल-उछलकर मुझे चोदने लगी और ओह्ह्ह्ह येस्स्स जानू ओह्ह्ह्ह याआआअ की आवाज़ें निकाल रही थी।
मैं उसके स्तन दबा रहा था और कभी-कभी उसके निप्पल को मुँह से चबा रहा था। वह थोड़ा चिल्ला रही थी। उसके स्तन इतना दबाने से लाल हो गए थे, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह बहुत प्यासी थी और आज मिले मौके को गँवाना नहीं चाहती थी। वह अपने मन की सारी सेक्स फंतासियाँ हकीकत में बदल रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी।
तेल की मालिश और पानी की वजह से हमारे शरीर पूरी तरह चिकने हो गए थे, जिससे हमें बहुत मज़ा आ रहा था।
हम ऐसे ही 7-8 मिनट तक ठोकते रहे। फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसका एक पैर नल पर रखने को कहा। उसका मुँह मेरी तरफ करके खड़ा होने को कहा।
उसने जैसा मैंने कहा, वैसा किया। फिर मैंने नीचे से अपना लंड उसकी चूत में डाला और उसे धीरे-धीरे चूमते हुए चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने पानी छोड़ दिया। उसकी चूत से लंड रगड़ने की वजह से फच-फच-फच-फच की मादक आवाज़ें आने लगीं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसे भी ऐसा सुख मिल रहा था जो पहले कभी नहीं मिला था। वह कह रही थी—आआआ उम्म्म्म ओह्ह्ह्ह चोद मेरे राजा, चोद मुझे, फाड़ दे मेरी चूत… फाड़ इसे… मेरी प्यास बुझा दे… ओह्ह्ह्ह येस्स्स।
15 मिनट तक उसे बिना रुके ठोकने के बाद मैं अब पानी छोड़ने वाला था। मैंने उससे कहा, मेरा कामरस तुझे पीना है या अंदर डालूँ?
उसने कहा, मेरे राजा, तेरा कामरस मैं पहले ही चख चुकी हूँ, अब इसे मेरी चूत में डालकर इसकी आग बुझा दे।
मैंने अंदर वीर्य छोड़ दिया और वह बहुत खुश हो गई। उसने मेरा सिर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से मुझे चूमना शुरू किया और थैंक यू कहा।
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