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दोस्त की चाची की गांड की चुदाई

मेरा नाम सूरज है, और मैं अपनी एक चटपटी सेक्स कहानी दोस्त की चाची की गांड की चुदाई आपके सामने ला रहा हूँ। मैं लंबे समय से ऐसी कहानियों का शौकीन हूँ। ये कहानी मेरे दोस्त मोहन से जुड़ी है।

मैं मोहन के घर अक्सर जाया करता था। मोहन का चेहरा और शरीर इतना नाजुक था कि मैं उसे लड़की की तरह देखता और उसकी गांड मारने के खयालों में खो जाता। लेकिन वो इन सब से बेखबर था।

एक दिन मैं मोहन से मिलने उसके घर गया। वहाँ बगीचे में एक गजब की हसीना दिखी। छोटे बाल, भरा हुआ बदन, गोरी मुलायम जांघें, भरे गाल, और आकर्षक चेहरा। उसे देखते ही मेरा लंड तन गया।

मोहन की आवाज से मैं चौंका। उसने बताया कि ये उसकी चाची राधा हैं, जो कुछ दिनों के लिए आई हैं। मोहन के परिवार वाले कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे थे, इसलिए चाची उसकी देखभाल के लिए रुकी थीं।

मैं सोचने लगा कि अगर मोहन अकेला होता, तो उसकी गांड मार सकता था। लेकिन अब मेरे दिमाग में चाची की गांड मारने का खयाल भी घूमने लगा।

चाची की नजर मुझसे मिली, और उनकी कामुक आँखों ने बता दिया कि वो चंचल हैं और लंड ले सकती हैं।

मैंने मोहन से कहा, “चल, थोड़ा बाहर घूमते हैं।”

वो मेरे साथ आ गया। मैंने पूछा, “तेरे घरवाले कब जा रहे हैं?”

उसने बताया, “कल सुबह सात बजे की ट्रेन है।”

मैंने कहा, “ठीक है, कुछ दिन मजे करेंगे।”

वो बोला, “नहीं यार, कॉलेज का एक जरूरी प्रोजेक्ट है, बहुत व्यस्त रहूँगा।”

मैंने कहा, “कॉलेज की छुट्टी कर ले।”

उसने साफ मना कर दिया। मैंने पूछा, “कॉलेज कब जाओगे?”

वो बोला, “सुबह नौ बजे, और शाम पाँच बजे लौटूंगा।”

ये सुनकर मेरा लंड पैंट फाड़ने को बेताब हो गया, क्योंकि चाची उस वक्त घर में अकेली रहने वाली थीं। मैंने चाची की गांड मारने की योजना बनानी शुरू कर दी।

मैंने मोहन से कहा, “चल, कल शाम मिलते हैं।”

पूरी रात चाची मेरे खयालों में छाई रहीं। मेरा लंड मुझे सोने नहीं दे रहा था। मैं रात भर उनकी चूत और गांड मारने के सपने देखता रहा, और कब सो गया, पता ही नहीं चला।

सुबह नौ बजे मेरी आँख खुली, और मेरा लंड अभी भी खड़ा था। मुझे गांड चुदाई में ज्यादा मजा आता है। मैं नहाया, तैयार हुआ, और नाश्ता किया। मेरे दिमाग में सिर्फ चाची थीं, और मैं आज उन्हें हर हाल में चोदना चाहता था।

मैंने अपने शरीर और लंड पर अच्छे से तेल की मालिश की। सिर्फ जीन्स पहनी, ताकि लंड फ्री रहे, और ऊपर टी-शर्ट डाली, ताकि नंगा होना आसान हो। सेक्स का असली मजा तो नंगे में ही है।

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सुबह दस बज चुके थे। मुझे पता था कि मोहन कॉलेज जा चुका होगा, और चाची अकेली होंगी। मैं मोहन के घर की ओर चल पड़ा। उसका घर जयपुर में एक शांत इलाके में, सड़क से थोड़ा हटकर था। आसपास के घर भी कुछ दूरी पर थे।

मैंने अपनी बाइक घर से थोड़ा दूर खड़ी की और पैदल पहुंचा। चाची ने नीली स्कर्ट और हल्का गुलाबी टॉप पहना था। वो बगीचे में फूल देख रही थीं, और उनकी गोरी जांघों में से सफेद पैंटी झलक रही थी। उनके बड़े चूचों का उभार टॉप से साफ दिख रहा था।

मेरा लंड बेकाबू हो गया, और जीन्स में तना हुआ साफ दिख रहा था। मैंने खुद को बमुश्किल संभाला।

मैंने गेट खटखटाया। चाची ने मुझे देखा और पूछा, “आप कौन?”

मैंने कहा, “जी, मैं मोहन का दोस्त सूरज।”

चाची, “मोहन तो घर पर नहीं है।”

मैं, “कहाँ गया?”

चाची, “कॉलेज गया है।”

मैं, “कब तक आएगा?”

चाची, “शाम को, बोला था काम ज्यादा है।”

चाची का भरा बदन, गोरी जांघें, और भरे गाल मेरे लंड को बेकरार कर रहे थे। मैं उन्हें घूर रहा था, मेरी नजर उनके चूचों पर टिकी थी। मैं उन्हें हर हाल में चोदना चाहता था।

मैं, “आप कौन हैं?”

चाची, “मैं मोहन की चाची राधा।”

मैं, “आप चाची नहीं, कोई मॉडर्न लड़की लगती हैं।”

वो हँस पड़ीं, “ऐसा क्या है?”

मैं, “आप जवान और स्मार्ट लगती हैं।”

वो बोलीं, “कहाँ से आए हो?”

मैं, “काफी दूर से।”

वो, “आओ, बैठो। चाय लोगे?”

मैं मौके का फायदा उठाना चाहता था। मैं गेट खोलकर उनके पास गया, अपने तने लंड और आँखों में चुदाई की चाहत दिखाते हुए। वो मेरी वासना भरी नजरों को समझ गई थीं।

मैं, “चाय तो पी लूँगा, पर आपको तकलीफ होगी।”

वो इठलाकर बोलीं, “कोई तकलीफ नहीं। आओ, मुझे भी अच्छा लगेगा।”

मुझे हरा सिग्नल मिल चुका था। मैंने कहा, “मेरी बाइक बाहर है, मैं ले आता हूँ।”

वो, “ठीक है।”

मैंने बाइक घर के अंदर लाकर गेट बंद किया। आसपास का इलाका सुनसान था, जैसे जंगल हो। मैं घर में घुसा और दरवाजा बंद किया। चाची रसोई में चाय बना रही थीं। मोहन का घर बड़ा था, पर रसोई में फ्रिज की वजह से जगह तंग थी, जहाँ दो लोग बिना छुए नहीं गुजर सकते थे।

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मैं तेजी से चाची के पीछे गया और अपने लंड को उनकी गांड में सटाकर एक धक्का मारा। चाची का चेहरा लाल हो गया। वो बोलीं, “ये क्या कर रहे हो?”

मैंने अनजान बनकर कहा, “पानी लेने जा रहा था।”

वो, “मुझसे कह देते।”

मेरा लंड उनकी गांड में सटा था। मैंने कहा, “आपको परेशान नहीं करना चाहता था।”

मैं उनकी जांघों को सहलाते हुए हटा और कमरे में आ गया। चाची ने हँसकर मुझे समझ लिया।

थोड़ी देर बाद उनकी आवाज आई, “आओ, चाय ले लो।”

मैंने पूछा, “क्या ले लूँ?”

वो हँसकर, “चाय ले लो।”

वो चाय लेकर कमरे में आईं। जैसे ही वो अंदर आईं, मैंने दरवाजा बंद किया और उन्हें पीछे से पकड़ लिया। मेरा लंड उनकी गांड में सटा था, और मेरे हाथ उनके चूचे मसल रहे थे।

वो थोड़ा घबरा गईं, पर मेरे बदन और लंड की गर्मी ने उन्हें मस्त कर दिया। वो बोलीं, “क्या कर रहे हो?”

मैं, “आज तेरी गांड मारने का मन है।”

मैंने उन्हें कसकर पकड़ रखा था। मैं गालियाँ बकने लगा, “साली, तूने कल से मेरा लंड तड़पाया है। कुतिया, रात भर तेरे बदन ने मेरी नींद उड़ाई। अब भुगत मेरे लौड़े का कहर।”

मेरे कड़क लंड और बदन की गर्मी ने उन्हें दर्द और मजा दोनों दे रहे थे। मैंने उनका टॉप उतार दिया। वो ऊपर से नंगी थीं। मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और अपने नंगे बदन को उनकी पीठ से सटा दिया। मैं उनके चूचों की घुंडियाँ मसलने लगा। वो मदहोश हो गई थीं।

जैसे ही वो ढीली पड़ीं, मैंने उनकी पैंटी उतार दी। अब सिर्फ स्कर्ट बची थी। उनकी गोरी जांघें और नंगे कूल्हे देखकर मैं पागल हो गया। उनकी चिकनी चूत ने मुझे वहशी बना दिया। मेरा लंड लोहे की तरह खड़ा था।

मैं उन पर टूट पड़ा। मेरे बोझ से वो बिस्तर पर झुक गईं। मैंने अपनी जीन्स उतारी। मेरा लंड लाल होकर तना था। मैंने चाची की टांगें उठा लीं, इतनी कसकर कि वो सिहर गईं। उनकी चूत और गांड देखकर मैं उत्तेजना से हाँफ रहा था। वो चुदने को तैयार थीं, पर मैं उन्हें तड़पाना चाहता था।

मुझे पता था कि चाची एक हफ्ते तक मेरी हैं। मैंने उनकी गांड की चुदाई ठानी। मैंने उनकी टांगें छोड़ दीं, और वो चुदने के लिए टांगें चौड़ी कर खड़ी हो गईं।

मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी गांड के छेद पर रखा और उनके चूचे मसलने लगा। मेरे लंड की गर्मी उनकी गांड को गर्म कर रही थी। मेरा नंगा बदन और गर्म साँसें उनके कानों को भट्टी की तरह गर्म कर रही थीं।

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वो निढाल हो गईं। जैसे ही उन्होंने अपनी गांड का छेद ढीला किया, मैंने जोर से लंड उनकी गांड में पेल दिया। वो दर्द से चिल्लाईं, “उईई… ये क्या?”

वो छूटने की कोशिश कर रही थीं, पर मेरी मजबूत पकड़ ने उन्हें मौका नहीं दिया।

मैं, “साली, तेरी गांड मार रहा हूँ।”

चाची, “कुत्ते, दर्द हो रहा है। निकाल इसे।”

मैं, “कुतिया, तूने मुझे तड़पाया, अब भुगत।”

चाची, “हरामजादे, कभी लड़की की नहीं मारी? सिर्फ लड़कों की गांड मारता है?”

मैं, “भोसड़ी की, आज तेरी गांड ही फटेगी।”

मैंने पूरी ताकत से लंड उनकी गांड में घुसा दिया। वो दर्द से बिलख पड़ीं, “उम्म्ह… अहह… ओह…” मैंने उन्हें जकड़े रखा और हल्के-हल्के धक्के शुरू किए। वो दर्द से रोने लगीं, पर मुझे मजा आ रहा था। जब वो ज्यादा रोईं, मैंने उनकी चूत सहलाई। थोड़ी देर बाद उनका दर्द कम हुआ।

मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली और उंगली करने लगा। उन्हें दर्द और मजा दोनों मिल रहे थे। मैंने लंड के धक्के तेज किए और चूत में उंगली जारी रखी।

जल्द ही चाची मस्ती में आ गईं। वो मेरे लंड पर अपनी गांड मारने लगीं। मैंने एक हाथ से उनके चूचे दबाए और दूसरे से चूत में उंगली की। मेरा लंड पिस्टन की तरह उनकी गांड में चल रहा था।

थोड़ी देर बाद चाची की चूत ने पानी छोड़ा, और उन्होंने गांड भींच ली। मेरा लंड भी झड़ने को हुआ। वो दर्द से चिल्लाईं, पर मैंने तेजी से गांड मारी। जल्द ही मैं झड़ गया। वो निढाल हो गईं, और मैं उनके ऊपर ढेर हो गया।

काफी देर बाद वो मेरे नीचे से निकलीं। हमने जल्दी से कपड़े पहने। मैंने उन्हें गले लगाकर चूमा, “कैसा लगा मेरा अंदाज?”

वो शरमा गईं। मैंने उनके होंठ चूमते हुए कहा, “आज तेरी गांड मारी, कल तेरी चूत चोदूंगा।”

ये कहकर मैंने उनकी चूत पकड़ ली। वो हँस पड़ीं, और मैं वहाँ से निकल गया।

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