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पड़ोसन भाभी की चूत उनके मायके में चोदी

नमस्ते दोस्तों, मैं आप सभी के लिए अपनी पड़ोसन भाभी की चूत की चुदाई की एक रोमांचक कहानी लेकर आया हूँ। मेरा नाम मनीष है, पर मेरे दोस्त मुझे प्यार से मनी बुलाते हैं। मैं एक आकर्षक, हट्टा-कट्टा और अच्छे परिवार से हूँ। जब से मैं जवान हुआ हूँ, मेरा लंड मुझे चैन से नहीं बैठने देता। मैं रोज अपने लंड को हिलाता हूँ, लेकिन इसकी प्यास कभी नहीं बुझती। मुझे चुदक्कड़ आंटियाँ और प्यासी भाभियाँ बहुत पसंद हैं।

ये बात उन दिनों की है जब मैं बस से अपने कॉलेज जाया करता था। आप सब जानते हैं कि सुबह के समय बसों में कितनी भीड़ होती है। उस दिन मैं हमेशा की तरह कॉलेज जा रहा था। मेरे साथ मेरी पड़ोसन भाभी, रंजना, भी उसी बस में चढ़ गईं। बस में भयंकर भीड़ थी।

रंजना भाभी ने मेरी ओर देखा, और मैंने उनकी ओर। हम दोनों पास-पास खड़े थे। बस कुछ दूर चली, और और लोग चढ़ गए। अब बस खचाखच भर चुकी थी। भाभी की भारी गांड मेरे लंड से सट गई। जैसे ही मुझे इसकी भनक पड़ी, मेरा लंड पैंट में तनने लगा।

मैंने हल्का-सा जोर लगाकर अपने लंड को भाभी की गांड की दरार पर रगड़ दिया। भाभी ने पीछे मुड़कर देखा। मैं एक पल को डर गया कि शायद वो नाराज हो गई होंगी। लेकिन उन्होंने मुझे देखकर एक कामुक मुस्कान दी और कहा, “मनी, मेरा बैग ऊपर रख दो।”

मेरी जान में जान आई। भाभी गुस्सा नहीं थीं। मैंने उनका बैग ऊपर सामान रखने की जगह पर रख दिया। फिर भाभी आराम से खड़ी हो गईं।

हम दोनों में बातें शुरू हो गईं। मैंने पूछा, “भाभी, आप कहाँ जा रही हैं?”

उन्होंने बताया, “मैं अपने मायके, लखनऊ, जा रही हूँ।”

भाभी अकेली थीं, तो मुझे कोई डर नहीं था। बस में धक्कों के कारण भाभी बार-बार मुझसे चिपक जाती थीं। इससे मेरा लंड पूरी तरह तन गया, और उसका बुरा हाल हो गया। फिर मैंने महसूस किया कि भाभी भी जानबूझकर अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थीं। वो अपनी गांड की दरार को मेरे लंड पर सटाकर पीछे की ओर जोर दे रही थीं। मैंने भी जवाब में अपने लंड को उनकी गांड की दरार में घुसाने की कोशिश शुरू कर दी। बहुत मजा आ रहा था। मन कर रहा था कि अभी भाभी को नंगी करके चोद दूँ, लेकिन मैंने किसी तरह खुद को काबू में रखा।

हम दोनों बातें करते हुए ऐसे दिखा रहे थे जैसे सब कुछ सामान्य हो। तभी भाभी ने धीरे से अपना हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगीं। मेरी तो साँसें रुक गईं। भाभी भरी बस में मेरे लंड को सहला रही थीं। मैंने भी अपने शरीर का वजन आगे की ओर धकेलकर भाभी से और सट गया। हम दोनों इस कामुक पल का पूरा मजा ले रहे थे।

मैंने एक सीट के डंडे पर अपना हाथ रखा। भाभी ने अपने भारी चूचों को मेरी कुहनी पर सटाया और मेरे हाथ को अपने चूचों से रगड़ने लगीं। मैं पागल होने लगा। भाभी के अंदर भी वासना भड़क चुकी थी।

मैंने आसपास देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा। जब सब कुछ ठीक लगा, तो मैंने धीरे से अपने हाथ को भाभी के चूचों पर ले जाकर उनके निप्पलों को छेड़ना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ उनके टाइट निप्पलों पर फिर रही थीं। भाभी की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उनके निप्पल इतने सख्त थे कि नहीं लग रहा था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। मैंने उनके निप्पलों को जोर से मसला, तो भाभी बोलीं, “मनी, आज मेरे साथ मायके चलो। मैं तुम्हें लखनऊ की सैर करवाऊँगी।”

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मैं समझ गया कि भाभी लखनऊ की नहीं, अपनी चूत की सैर करवाने के मूड में हैं। तभी उन्होंने अपना फोन निकाला और अपने घरवालों को बता दिया कि मैं उनके साथ मायके आ रहा हूँ। भाभी को छेड़ते-छेड़ते कब सफर बीत गया, पता ही नहीं चला।

लखनऊ पहुँचकर हम उनके मायके गए। वहाँ हमने थोड़ा आराम किया। मुझे रात का इंतजार मुश्किल हो रहा था। भाभी के घरवालों ने मेरी खूब खातिर की। आखिरकार सोने का समय आ गया। भाभी और मैं एक ही कमरे में सोने वाले थे। ये सोचकर मेरा लंड पहले से ही खड़ा हो गया। भाभी की चूत के बारे में सोचते-सोचते मेरा लंड बार-बार चिपचिपा रस छोड़ रहा था।

लेकिन तभी भाभी की माँ हमारे बीच आ गईं। वो अपनी बेटी से बात करने हमारे कमरे में आ गईं। मैं मन ही मन उन्हें गालियाँ देने लगा। फिर मैंने संतोष किया कि हमारा और भाभी का बिस्तर जमीन पर एक साथ बिछाया गया था, जबकि उनकी माँ ऊपर बेड पर सोने वाली थी।

वो दोनों माँ-बेटी बातें करने लगीं। थोड़ी देर बाद लाइट बुझा दी गई, लेकिन उनकी बातें जारी थीं। मैं पहले से ही सोने का नाटक कर रहा था। लाइट बंद होते ही मैंने चादर से अपने और भाभी के बदन को ढक लिया और उनकी गांड से चिपक गया। ज्यादा हरकत नहीं कर सकता था, क्योंकि उनकी माँ को पता चल जाता। मैंने धीरे-धीरे भाभी की गांड को अपने हाथ से दबाना शुरू किया। मैंने अपना लंड उनकी साड़ी के ऊपर से उनकी गांड पर सटाया।

भाभी अपनी माँ से बातों में लगी थीं। मैंने धीरे से उनकी साड़ी ऊपर करनी शुरू की। अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था, लेकिन उनकी चिकनी टांगों पर उंगलियाँ फिराते हुए मुझे गजब का मजा आ रहा था। जब साड़ी पूरी ऊपर हो गई, तो मैंने अपने पैर उनकी जांघों पर रगड़ने शुरू किए। फिर मैंने उनकी भारी गांड में फंसी जालीदार पैंटी को उनके कूल्हों के बीच से खींचकर नीचे किया। मैंने अपना अंडरवियर भी नीचे सरका लिया और अपना लंड उनकी जांघों के बीच, उनकी चूत के पास सटा दिया। मेरा लंड उनकी चूत और चूतड़ों के बीच फंस गया।

मेरे तने लंड की छुअन से भाभी की हल्की-सी “आह” निकली, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला। वो अपनी माँ को बातों में उलझाए रखते हुए मेरे लंड का मजा ले रही थीं। मैंने अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ना शुरू किया। भाभी मेरा पूरा साथ दे रही थीं।

कुछ देर ऐसे ही रगड़ने के बाद भाभी ने अपने हाथ पर थूक लगाया और उसे पीछे लाकर मेरे लंड के सुपारे पर मलकर चिकना करने लगीं। मेरे लंड का सुपारा चिकना हो गया। उनकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर रगड़ रही थीं, और मैं उनकी चूत चोदने के लिए पागल हो रहा था। मेरे लंड में एक अजीब-सी सनसनाहट दौड़ रही थी।

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फिर भाभी ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर सेट किया और अपनी गांड पीछे धकेल दी। मुझे उनका इशारा समझ आ गया। मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर सटाकर हल्का-सा धक्का मारा। मेरा लंड उनकी गर्म चूत में घुस गया।

“उम्म्ह… अहह… हय… ओह…” मजा आ गया।

भाभी की गर्म चूत में लंड जाते ही मैंने उनकी कमर पकड़ ली और धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाकर उनकी चूत में धक्के लगाने लगा। भाभी भी हल्के-हल्के अपनी गांड मेरे लंड की ओर धकेल रही थीं। धीमी चुदाई शुरू हो गई।

भाभी की चूत में मेरा लंड और टाइट हो गया। उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया था। मैं धीरे से लंड बाहर निकालता और फिर हल्के धक्के के साथ उनकी चिकनी चूत में डाल देता। मेरा पूरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में उतर रहा था। उनकी चूत की पंखुड़ियाँ मेरे लंड को निचोड़ रही थीं। मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था।

कुछ देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही। मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने अपने मोटे लंड को जोर से उनकी चूत में पेल दिया। भाभी की “आह” निकल गई।

उनकी माँ ने पूछा, “क्या हुआ?”

भाभी ने तुरंत कहा, “कुछ नहीं, माँ। ऐसा लगा जैसे पीछे कुछ चुभा।”

उनकी माँ बोली, “लाइट जलाकर देख लो।”

भाभी ने फटाक से कहा, “नहीं माँ, सब ठीक है।”

भाभी को डर था कि लाइट जली तो सारा मजा खराब हो जाएगा। उन्होंने बात संभाल ली। फिर वो दोनों बातों में लग गईं। मैंने कुछ देर तक उनकी चूत में लंड डालकर मजा लिया और फिर उनकी गांड के छेद पर उंगली फिराने लगा।

भाभी ने अपनी जांघें थोड़ी और खोल दीं। मेरी उंगली उनकी गांड में चली गई। वो उचक गईं, लेकिन कोई आवाज नहीं की। मैंने एक-दो बार उनकी गांड में उंगली की और फिर निकाल ली।

पता नहीं भाभी को क्या सूझा, उन्होंने अपना हाथ पीछे लाकर मेरी गांड पर टटोला और मेरे गांड के छेद में उंगली डालने की कोशिश की। मुझे मजा तो नहीं आया, लेकिन ये नया अनुभव था। मेरा लंड उनकी चूत में था, और उनकी उंगली मेरी गांड के छेद को सहला रही थी। फिर उन्होंने अपना हाथ वापस खींच लिया।

मुझे गांड में जलन-सी होने लगी, शायद उनके नाखून से चुभ गया था। मैंने गुस्से में उनकी चूत को जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। “पच-पच” की आवाज हुई, और उनकी माँ को फिर शक हुआ।

वो बोली, “ये कैसी आवाज आ रही है?”

भाभी ने कहा, “कुछ नहीं, मनी को शायद मच्छर परेशान कर रहे हैं। वो मच्छर मार रहा है।”

मैंने अपने धक्के धीमे कर दिए। जोरदार चुदाई मुमकिन नहीं थी। मैं धीरे-धीरे उनकी चूत में लंड चलाता रहा। भाभी पूरे तालमेल के साथ मेरा साथ दे रही थीं।

दोस्तों, धीमी चुदाई का अपना अलग मजा है। जिन्होंने ऐसी प्यार भरी चुदाई की है, वो जानते होंगे कि ये ताबड़तोड़ चुदाई से ज्यादा रस देती है। भाभी की चूत रस छोड़ते हुए इतनी चिकनी हो गई थी कि मेरा लंड मक्खन में डूब रहा था। उनकी गर्म चूत की चुदाई का मजा मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। मैं उनकी चूत को फाड़ देना चाहता था, लेकिन उनकी माँ की मौजूदगी ने रोक रखा था।

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मैंने उनके चूचों को पकड़ लिया और उन्हें कसकर बाँहों में भरते हुए दबाने लगा। भाभी का पूरा बदन मेरे बदन से सट गया। उनके भारी चूचे दबाते हुए मैं उनकी चूत में धीरे-धीरे लंड घिसता रहा।

काफी देर तक हम ऐसे ही हिलते रहे। भाभी की आवाज भारी होने लगी, उसमें कामुकता झलक रही थी। लेकिन वो खुद को काबू में रखे थीं। उनकी माँ अभी भी जाग रही थी। जब भाभी से रहा नहीं गया, तो उन्होंने पीछे हाथ लाकर मेरे चूतड़ पकड़ लिए और मेरी गांड को अपनी चूत की ओर धकेलकर मेरे लंड के धक्के लेने लगीं।

मैं उनकी बेबसी समझ रहा था। अगर उनकी माँ वहाँ न होती, तो मैं उनकी चूत को चोद-चोदकर फाड़ देता। लेकिन हम दोनों मजबूर थे। मैंने लंड को और गहराई तक घुसाने की कोशिश की। उनकी गांड भारी थी, शायद इसलिए लंड जड़ तक नहीं जा रहा था, या फिर उन्हें गहरी चुदाई की आदत थी। वो बार-बार मेरी गांड को अपनी चूत की ओर खींच रही थीं।

उनकी आवाज लड़खड़ाने लगी। लेकिन वो नींद में बड़बड़ाने का नाटक कर रही थीं ताकि उनकी माँ को शक न हो कि उनकी बेटी फर्श पर मेरे मोटे लंड से अपनी चूत की चुदाई करवा रही है।

मैंने तेजी से लंड उनकी चूत में चलाना शुरू किया। मैंने उन्हें कसकर पकड़ा और तीन-चार जोरदार धक्के मारे। फिर मेरा लंड जवाब दे गया। मेरे लंड से गर्म-गर्म वीर्य निकलकर उनकी चिकनी चूत में भरने लगा। मैं झटके मारते हुए सारा वीर्य उनकी चूत में खाली कर दिया। भाभी ने मेरे लंड को अपनी चूत में जकड़ लिया। लग रहा था कि वो भी झड़ गई थीं।

हम दोनों सामान्य हुए। उनकी माँ अभी भी जाग रही थी। मुझे गुस्सा आ रहा था, लेकिन मैं चुपचाप उनकी चूत में लंड डाले लेटा रहा। जब उनकी बातें खत्म नहीं हुईं, तो मैंने भाभी को बाँहों में भर लिया और लंड उनकी चूत में रखकर सो गया।

सुबह जब उठा, तो मैं अकेला था। चादर मेरे ऊपर थी, और मेरा लंड बाहर लटक रहा था, लेकिन अब ढीला था, तो चादर के नीचे पता नहीं चल रहा था। भाभी और उनकी माँ कमरे में नहीं थीं। मैं भाभी के साथ अपने घर वापस आ गया।

अब जब भी मौका मिलता है, मैं भाभी को फोन कर लेता हूँ। वो सेक्सी चुदक्कड़ भाभी मुझे पूरा मजा देती हैं। अब मैं सोच रहा हूँ कि कॉल बॉय का काम शुरू कर दूँ। इससे मुझे भाभियों और आंटियों की चूत चोदने का मौका मिलेगा, और साथ में कुछ कमाई भी हो जाएगी।

दोस्तों, ये थी मेरी भाभी की चूत चुदाई की कहानी।

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