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पति-पत्नी और बेटे का थ्रीसम

नीतू और सोहम ने एक-दूसरे के बगल में बैठकर खाना शुरू किया। तभी नीतू की नजर सामने गई। सामने ऋषि खड़ा था। सोहम ने भी चौंककर देखा। ऋषि को देखकर दोनों घबरा गए।

पिछला भाग डैड की इजाजत से मम्मी को चोदा – भाग 3

नीतू ने अपने स्तनों को अपने हाथों से ढक लिया। दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलें। ऋषि ने ही इस अटपटे माहौल को तोड़ा। वह नीतू की ओर देखकर बोला, “अरे, इतना घबराने की क्या बात है? तुमने जो किया, वह मेरी पूरी सहमति से ही तो था ना? मैंने उस दिन सोहम को हमारे कमरे में बुलाया था। लेकिन वह नहीं आया। मेरा ऑफर अभी भी खुला है। अगर तुम्हें एतराज न हो तो मैं भी तुम्हारे साथ खाने बैठ जाऊँ?”

नीतू हिचकते हुए बोली, “अं, नहीं, मतलब हाँ, बैठ ना खाने के लिए।” इतना कहकर नीतू चुप हो गई। ऋषि उसके बगल में खड़ा होकर बोला, “तो बैठी क्या है? मुझे खाना परोस ना। तू परोसेगी नहीं तो मैं खाऊँगा कैसे?” नीतू बोली, “हाँ, परोसती हूँ, तू फ्रेश होकर आ। अभी-अभी तो सफर करके आया है ना?” ऋषि ने उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, “नीतू, तू मुझे दूधमुँहा समझती है? मुझे पता है, मैं फ्रेश होने गया तो तू कपड़े पहन लेगी। और मुझे यह नहीं चाहिए। चल, उठ और खाना परोस।”

नीतू का न चाहते हुए भी मजबूरी हो गई। उसे मरे से भी बदतर हाल लग रहा था। इतनी जल्दी और दिन-दहाड़े ऐसी स्थिति आएगी, यह उसने सोचा भी नहीं था। वह उठी और अपने स्तनों को ढकते हुए थाली लाने गई। एक हाथ से किसी तरह अपने स्तनों को ढकने की कोशिश करते हुए उसने थाली टेबल पर रखी और बोली, “हाँ, अब खा ना।” ऋषि बोला, “तू परोस। बिल्कुल बेशर्मी से परोस।” नीतू ने खाना परोसा। ऋषि अपनी जगह से उठा और एक तरफ जाकर उसने अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगा होकर खाने बैठ गया। वह खाने लगा, तो सोहम ने हिम्मत करके ऋषि से पूछा, “तू तो रात को आने वाला था ना? सुबह मैंने सुना था जब तू मम्मी से बात कर रहा था। और इतनी जल्दी कैसे आ गया?” ऋषि बोला, “बेटा, जब नीतू का फोन आया, मैं वापसी की फ्लाइट में ही था। सोचा, जाकर एक धमाकेदार सरप्राइज दूँ। इसलिए आ गया। वह छोड़। लेकिन बता, तुम दोनों ने मजे किए ना? नीतू तो मुझसे बताने में हिचक रही है। तू तो बता देगा सब?”

सोहम ने साफ शब्दों में कहा, “नहीं, डैड, मैं तुझे इस बारे में कुछ नहीं बता सकता।” ऋषि बोला, “ठीक है। नीतू बताएगी मुझे। लेकिन तुम दोनों के इस हाल से लगता है कि तुम्हारा सेशन अभी-अभी हुआ है। सही है ना?” नीतू तंग आकर बोली, “अब ऐसी बातें बंद कर और खाना खा। अपने ही बेटे से क्या पूछ रहा है? तुझे कुछ शर्म-हया नहीं है?” ऋषि हँसते हुए बोला, “इसमें शर्माने की क्या बात? मैंने ही तो तुम्हें इजाजत दी थी और थ्रीसम का सुझाव भी मैंने ही दिया था। अब उसे हकीकत में लाएँ। इस विषय को यहीं खत्म करते हैं और खाना खाते हैं। मेरा लंड तो पहले से ही तनने लगा है।”

ऋषि चुपचाप खाने लगा। नीतू और सोहम ने जैसे-तैसे खाना खाया। खाना खत्म होने पर नीतू बोली, “ऋषि, तू अब हमारे कमरे में जा। मैं बाकी समेटकर आती हूँ।” ऋषि बोला, “तेरा समेटना होने तक मैं यहीं रुकता हूँ। सोहम भी रुकेगा। हम तीनों एक साथ ही कमरे में जाएँगे।” नीतू ने जल्दी-जल्दी सब समेटा। ऋषि ने नीतू का हाथ अपने हाथ में लिया और अपने कमरे की ओर चल पड़ा। उसने सोहम को साथ आने का इशारा किया। बहुत अनिच्छा से नीतू और सोहम ऋषि के साथ चल पड़े।

कमरे में पहुँचकर ऋषि ने नीतू और सोहम को बिस्तर पर बिठाया और बोला, “हाँ, शुरू करो। तुम लोग शुरू करोगे, तो मैं शामिल हो जाऊँगा।” सोहम तुरंत बिस्तर से उठते हुए बोला, “नहीं डैड, मुझे अभी नहीं जमेगा। तूने अभी जो कहा, वह सही है। हमारा अभी-अभी हुआ है। उससे बेहतर है तुम लोग करो। तुझे तो इच्छा हो ही रही है। मैं थोड़ी देर बाद आता हूँ।” ऋषि बोला, “तुझे अभी इच्छा नहीं हो रही ना? कोई बात नहीं। फिर यहाँ कुर्सी पर बैठ। हम करते वक्त तुझे इच्छा हुई, तो हमें जॉइन कर ले। हमारा होने तक तू तैयार तो हो ही जाएगा। जवान है ना?”

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सोहम कुर्सी पर बैठ गया। ऋषि बिस्तर पर बैठा और नीतू की ओर देखने लगा। नीतू शर्म से सिर झुकाए, अपने स्तनों को हाथों से ढके, शरीर सिकोड़कर बैठी थी। ऋषि ने नीतू की ठुड्डी उठाकर उसका चेहरा अपनी ओर किया। उसके हाथ उसके स्तनों से हटाकर नीचे किए। नीतू ने फिर से शरीर सिकोड़ लिया। उसने चोर नजरों से सोहम की ओर देखा। सोहम सामने की दीवार की ओर देख रहा था। उसे भी अपने माता-पिता को रोमांस करते देखना भारी पड़ रहा था। ऋषि ने नीतू से कहा, “डार्लिंग, मुझे इतनी इच्छा हो रही है, तो क्या तू साथ नहीं देगी? चल ना, सेक्स करते हैं। तू यह भूल जा कि सोहम यहाँ बैठा है, उसकी ओर ध्यान मत दे। या फिर मैं तुझे अच्छा नहीं लगता?” नीतू को उसके आखिरी वाक्य से बुरा लगा। उसने ऋषि की गर्दन पर हाथ फेरा और बोली, “ऐसा मत बोल ना… तू मुझे अच्छा कैसे नहीं लगेगा? मुझे तुझसे कितना प्यार है… मैं तेरी ही हूँ और रहूँगी। प्लीज, ऐसा मत बोल।” बोलते-बोलते उसकी आँखों में आँसू आ गए।

सोहम भी उनकी ओर देख रहा था। ऋषि ने नीतू की आँखें पोंछीं और उसे पास खींचकर उसके होंठों का लंबा चुम्बन लिया। वह उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा। उसके स्तनों को सहलाने लगा। स्वाभाविक रूप से नीतू को भी उत्तेजना होने लगी। उसने अपने हाथ ऋषि की गर्दन में डालकर उसे गले लगाया। दोनों एक-दूसरे की पीठ पर हाथ फेरने लगे। सोहम यह सब कुर्सी पर बैठकर देख रहा था। सामने लाइव सेक्स शो चल रहा था, फिर भी उसका लंड नहीं हिल रहा था। ऋषि नीतू को लेकर लेट गया। उसका लंड तनने लगा था। नीतू और ऋषि एक-दूसरे की बगल में पलटे। ऋषि ने नीतू का एक पैर अपनी कमर पर खींच लिया। सोहम अब बेझिझक दोनों को देखने लगा। नीतू का एक पैर ऋषि की कमर पर होने से उसकी चूत आधी दिखने लगी। अनजाने में सोहम अपने लंड को सहलाने लगा। ऋषि और नीतू एक-दूसरे को चूम रहे थे। ऋषि नीतू के स्तनों को दबा रहा था।

नीतू ने ऋषि के लंड को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया। सोहम ने अपने लंड को नीतू की चूत पर दबाना शुरू किया। उसने एक हाथ से नीतू की गांड को सहलाना शुरू किया। ऋषि बोला, “नीतू डार्लिंग, अब करते हैं। मुझसे रहा नहीं जा रहा।” नीतू उसे चूमते हुए बोली, “करते हैं ना। मुझे अच्छा लगेगा। लेकिन जल्दी झड़ मत जाना, वरना मेरी प्यास नहीं बुझेगी।” अब तक उसे सोहम के वहाँ होने का खयाल ही नहीं रहा। ऋषि बोला, “कोशिश तो पूरी करूँगा। और मान लो मैं जल्दी झड़ भी गया, तो हमारा सोहम है ना! वह तेरी प्यास बुझाएगा।” नीतू को एकदम सोहम के होने का एहसास हुआ। लेकिन अब तक उसका संकोच खत्म हो चुका था। वह ऋषि से बोली, “अरे हाँ, यह तो मेरे ध्यान में ही नहीं था।” फिर उसने धीमी आवाज में ऋषि से पूछा, “हम रोमांस कर रहे हों और सोहम शामिल हो जाए, तो चलेगा?” ऋषि बोला, “क्यों नहीं? बुला उसे।”

नीतू ने हिम्मत करके सोहम की ओर देखा। वह टकटकी लगाए उनका रोमांस देख रहा था। नीतू ने उसे पास आने का इशारा किया। लेकिन सोहम नहीं हिला। नीतू ने उसे प्यारी आवाज में कहा, “राजा, शरमा मत। हमारे साथ आ। ऋषि भी तुझे बुला रहा है।” ऋषि ने सोहम की ओर देखकर कहा, “कम माय सन, जॉइन अस इन द ट्रीट।” सोहम उठकर बिस्तर पर जाकर बैठ गया। नीतू पीठ के बल लेटी और पैर फैलाकर ऋषि से बोली, “कम ऑन डार्लिंग, फक मी नाउ।” ऋषि उठा और नीतू के ऊपर लेट गया। नीतू ने उसका लंड धीरे से अपनी चूत में डालना शुरू किया। ऋषि ने धक्का देकर अपना लंड नीतू की चूत में घुसा दिया। नीतू ने सोहम की ओर देखा और एक हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी। ऋषि ने नीतू के दोनों तरफ हाथ टेककर ऊपर उठा। नीतू ने सोहम से कहा, “मेरी तरफ पलट और मेरे…” शर्म की वजह से उसने वाक्य पूरा नहीं किया। सोहम नीतू की बगल में पलटा और दोनों की नजरें टालते हुए नीतू के स्तनों को दबाने लगा।

अब तीनों पूरी तरह भड़क चुके थे। नीतू और सोहम का संकोच पूरी तरह खत्म हो गया था। सोहम जोर से नीतू के स्तनों को दबा रहा था और नीतू सोहम के लंड को मुट्ठी में पकड़कर हिला रही थी। ऋषि जी-जान से नीतू को चोदने लगा। हमेशा की तरह वह पाँच मिनट में ही झड़ गया। उसने अपना लंड नीतू की चूत से निकाला और उठकर बैठ गया। वह सोहम से बोला, “आ सोहम, नीतू अब पूरी तेरी है। मजे कर और उसे भी मजे दे। मैं आँखें भरकर देखता हूँ।” नीतू उठकर सोहम से बोली, “कैसे करें?” सोहम बोला, “मैं लेटता हूँ, तू मेरे ऊपर बैठकर चो…” उसने अपनी जीभ काट ली। ऋषि को यह समझ आया और वह हँस पड़ा। सोहम लेट गया, तो नीतू अपने पैर मोड़कर सोहम के बगल में पैर रखकर बैठी और उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया। पाँच मिनट चोदने के बाद सोहम ने नीतू को अपने ऊपर खींचा और उसके कान में कहा, “डैड का लंड मुँह में लेकर फिर से तना कर ना। ताकि मेरा होने के बाद वह फिर से तुझे चोदे।” नीतू बोली, “चलेगा। लेकिन यह कैसे होगा?” सोहम बोला, “तू ज्यादा हिल मत। मैं तुझे नीचे से धक्के दूँगा। डैड तेरे बगल में खड़ा होगा और तू उसे मुँह में ले।”

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नीतू सोहम के लंड पर ऊपर-नीचे हिलते हुए ऋषि की ओर देखकर बोली, “आ ना ऋषि। मुझे तू चाहिए हमारे साथ।” ऋषि बिस्तर पर आकर बैठ गया। नीतू ने उसे घुटनों पर बैठने को कहा। वह घुटनों पर खड़ा हुआ, तो नीतू ने ढीला पड़ा लंड मुट्ठी में पकड़कर हिलाना शुरू किया। कुछ देर तक ऋषि बस अपना लंड हिलवाता रहा। फिर उसने नीतू के हिलते स्तनों को दबाना शुरू किया। नीतू उससे बोली, “और जोर से दबा। सेक्स करते वक्त मुझे स्तनों को दबवाना बहुत पसंद है।” ऋषि उसके स्तनों को जोर से दबाने लगा। उसका लंड थोड़ा सख्त हुआ। फिर नीतू ने उसे खड़ा होने को कहा। ऋषि बोला, “खड़ा हुआ तो स्तनों को कैसे दबाऊँ?”

नीतू बोली, “पहले तो खड़ा हो। सोहम मेरे स्तनों को दबाएगा।” ऋषि खड़ा हो गया। नीतू ने सोहम से कहा, “मैं थोड़ा कमर उठाकर लेती हूँ। तू नीचे से मुझे…” वह अपने घुटनों पर जोर देकर थोड़ा ऊपर उठी। सोहम कमर हिलाकर उसे चोदने लगा। नीतू ने ऋषि का थोड़ा सख्त हुआ लंड पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। ऋषि को आश्चर्य हुआ। वह नीतू से बोला, “नीतू, तूने पहले कभी ऐसा नहीं किया! यह कब सीख लिया?” नीतू ने उसका लंड मुँह से निकालकर सोहम की ओर इशारा करते हुए कहा, “इसने सिखाया।” उसने फिर से ऋषि का लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। ऋषि ने फिर पूछा, “लेकिन तुझे यह पसंद है?” नीतू ने सिर हिलाया और लंड चूसना जारी रखा। अब ऋषि भी उसे मुँह में चोदने लगा।

नीचे से सोहम नीतू को धक्के दे रहा था। धीरे-धीरे ऋषि का लंड नीतू के मुँह में पूरी तरह तन गया। वह जोर से नीतू को मुँह में चोदने लगा। कुछ देर बाद ऋषि ने नीतू से कहा, “मेरा झड़ने वाला है।” नीतू ने उसका लंड मुँह से निकाला और बोली, “झड़ जा ना। मैं तुझे मुँह में लेकर चूसती रहूँगी। तू मेरे मुँह में आराम से झड़।” नीतू ने उसका लंड फिर से मुँह में लिया और होंठों, गालों को उसके चारों ओर लपेटकर जोर से चूसने लगी। कुछ मिनटों में ऋषि का लंड काँपने लगा। उसने अपना वीर्य नीतू के मुँह में छोड़ा। नीतू उसका लंड अंदर-बाहर करते हुए उसके वीर्य को अपने मुँह में खींचने लगी। वीर्य झड़ना बंद हुआ, तो उसने लंड नीतू के मुँह से निकाला। नीतू ने बगल की चादर ली और अपना मुँह पोंछा। ऋषि बोला, “अरे, उसे थूक दे…” नीतू हँसकर बोली, “मैंने तो सब निगल लिया। मुझे अच्छा लगा।”

सोहम नीतू के स्तनों को दबाते हुए उसे जोर से धक्के देने लगा। उसने नीतू से कहा, “मेरा होने वाला है।” उसने नीतू को तीन-चार जोरदार धक्के दिए और अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। उसने उसके स्तनों को मुट्ठी में दबाकर उसे आगे खींचा और उसके होंठों को अपने होंठों में जोर से जकड़ लिया। पूरी तरह झड़ने के बाद उसका लंड नीतू की चूत से बाहर निकला। नीतू उठकर खड़ी हो गई। उसकी जाँघों पर सोहम का वीर्य बह रहा था।

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नीतू बाथरूम में गई और पैर धोकर वापस आई। ऋषि फिर से कुर्सी पर बैठ गया। सोहम अभी भी लेटा था। नीतू उसके बगल में बैठी और सोहम से बोली, “मैं अब छोटे सोहम को साफ कर देती हूँ।” वह नीचे झुकी और सोहम के लंड को हर तरफ से चाटने लगी। उसने सोहम का पूरा लंड मुँह में लेकर चूसा। आखिर में उसने लंड छोड़ा और उठकर ऋषि के बगल में बैठ गई। उसने ऋषि का सिर अपनी गोद में लिया और पूछा, “ऋषि, अब तेरे मन की हो गई ना?” ऋषि बोला, “बिल्कुल। लेकिन तुझे अच्छा लगा? तेरा संतुष्ट हुआ?” नीतू बोली, “हाँ, अच्छा लगा। लेकिन अभी और संतुष्ट होना है।” ऋषि बोला, “लेकिन हमारा तो हो गया। तू क्या करेगी?”

नीतू बोली, “अब हमारे बीच सारे पर्दे हट गए हैं। मैं सोहम से संतुष्ट हो जाऊँगी। चलेगा ना?” ऋषि बोला, “जरूर, आगे बढ़।” नीतू ने अपने पैर कुर्सी पर उठाकर फैलाए और सोहम को बुलाया। सोहम को समझ आ गया कि नीतू क्या चाहती है। वह नीतू के सामने नीचे बैठा और उसकी चूत के होंठों को फैलाकर उसमें जीभ फेरने लगा, चूत के अंदर जीभ डालने लगा। नीतू अपनी भगनासा रगड़ने लगी। उसने ऋषि को पास खींचा और बोली, “मुझे चूम और मेरे स्तनों को दबा, मेरे निप्पलों को चिमटी में पकड़कर मसल। निप्पल चूस भी।” ऋषि उसके स्तनों को दबाने लगा, उसके निप्पलों को मसलने लगा। नीतू ने सोहम से कहा, “मेरी भगनासा पर जीभ फेर ना, थोड़ा चूस ना… और अंदर उंगलियाँ डाल।” सोहम अपनी उंगलियों से नीतू को चोदने लगा, उसकी भगनासा पर जीभ फेरने लगा। आखिरकार नीतू पूरी तरह झड़ गई। उसका रस बहने लगा। सोहम उसके सामने से उठा। नीतू ने सोहम को अपने बगल में जगह दी। सोहम बैठा, तो उसने ऋषि और सोहम के सिर को अपने कंधों पर खींच लिया और उनके चेहरों को सहलाने लगी।

थोड़ी देर बाद नीतू ने ऋषि से पूछा, “कल तू नहीं था, तो मुझे और सोहम को बहुत आजादी, बहुत निजता मिली थी। अब तू यहाँ रहेगा। तू यहाँ हो और मुझे इच्छा हो जाए, तो क्या मैं सोहम के साथ सो सकती हूँ? मेरा जन्मदिन बीता और मेरी वासना फिर जाग उठी है। मुझे बीच-बीच में इच्छा हो सकती है।”

ऋषि बोला, “डार्लिंग, मैं तेरा संतुष्टन नहीं कर सकता, तेरी भूख मिटा नहीं सकता, यह सच है। और मैं तुझे सुख से वंचित बिल्कुल नहीं रखना चाहता। तू जब चाहे सोहम के साथ सेक्स कर सकती है—मैं घर में रहूँ या नहीं, दिन हो या रात, मेरे सामने या मेरे पीठ पीछे। तुझे पूरी आजादी है। अभी भी तुम्हें करने की इच्छा हो, तो तुम मजे करो। मेरी ताकत खत्म हो गई है। चाहे मुँह से भी कर दे, तो भी कुछ नहीं होगा। मैं यहाँ बैठकर मजे देखूँगा।”

नीतू बोली, “अभी तो मुमकिन नहीं। अब हम सब आराम करेंगे। शाम को देखते हैं। शायद रात को इच्छा हो जाए।” ऋषि बोला, “एक सुझाव दूँ? मैंने तुम दोनों को दो बार करते देखा। दोनों बार तुम शुरू से ही नंगे थे। मुझे तुम्हारा रोमांस कपड़ों से शुरू होकर और आखिर में नंगे होकर खत्म होने वाला देखना पसंद आएगा। उस वक्त मैं तुम्हें जॉइन नहीं करूँगा। मतलब, मुझे लाइव पॉन देखना है।”

नीतू बोली, “वैसे भी तो चलेगा। लेकिन तेरा सिर्फ बैठकर देखना थोड़ा गलत लगता है। तुझे भी शामिल होना चाहिए।” ऋषि बोला, “अरे, एक बार तो जैसा मैं कहता हूँ, वैसा करो। और अगर मेरी इच्छा हुई, तो जॉइन तो कर ही लूँगा। मैं अभी से बता देता हूँ। मैं तुम्हारा रोमांस, शुरू से आखिर तक, शूट करूँगा। और इसके लिए ना मत कहना। इन खुशी के पलकों को मैं हमेशा के लिए संजोकर रखना चाहता हूँ।”

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