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प्यार और सेक्स सलहज के साथ

मेरा नाम राहुल है और मेरी सलहज का नाम निशा है। निशा बहुत ही खूबसूरत है। मैंने ही अपने साले, अजय, की शादी निशा से करवाने में मदद की थी। अजय मुझसे रिश्ते में बड़े हैं। जब मेरी शादी हुई, तब अजय बैंकिंग सेक्टर में काम करते थे और अभी कुंवारे थे। मेरी शादी के बाद, मेरे ससुर ने कहा, “राहुल, तुम हमारे दामाद हो। अब अजय के लिए कोई अच्छी लड़की ढूंढ दो।”

मैंने हामी भरी और लड़की की तलाश शुरू की। एक दिन मेरे एक दोस्त ने बताया कि उसे एक लड़की के बारे में पता है—पढ़ी-लिखी, साधारण परिवार से, अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है। उसका परिवार गरीब है, इसलिए शादी सादगी से होगी। मैंने सोचा, “ये ठीक रहेगी। शादी हो सकती है।”

मैंने अपने दोस्त को बताया कि अजय रिश्ते में मुझसे बड़े हैं। अगर लड़की का परिवार राजी हो, तो बात बन सकती है। निशा के परिवार ने, जो आर्थिक तंगी से गुजर रहा था, तुरंत हां कर दी।

शादी के दिन, जब मैं अजय को स्टेज पर ले गया, निशा ने मुझे ही दूल्हा समझ लिया और मेरे गले में माला डालने लगी। मैंने इशारे से अजय की ओर बताया, तो वो शरमा गई। उसकी ये भूल मेरे दिल में आग लगा गई।

शादी के बाद हम घर लौटे। निशा की उस हरकत ने मुझे बेचैन कर दिया। उस रात मैंने अपनी बीवी, शालिनी, को इतने जोश से चोदा कि वो चौंक गई। उसने मजाक में कहा, “क्या बात है? निशा के आने की खुशी में मेरी चूत का भोसड़ा बनाने का इरादा है?”

मैं हंसकर उसे चूम लिया।

कुछ समय बाद अजय की नौकरी छूट गई, जिससे ससुराल में रोज झगड़े होने लगे। मुझे लगने लगा कि निशा अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं है, शायद अजय के साथ उसका तालमेल न बैठने की वजह से। मैं समझ गया कि निशा मेरे साथ नजदीकी के लिए तैयार हो सकती है। मैं बस सही मौके का इंतजार कर रहा था।

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एक दिन ससुर जी का फोन आया, “राहुल, मैं अजय और निशा को तुम्हारे पास पुणे भेज रहा हूं। अजय के लिए कोई नौकरी ढूंढ दो। बड़ी मेहरबानी होगी।”

मैंने कहा, “कोई बात नहीं, ससुर जी। आप उन्हें भेज दीजिए। मैं कुछ करता हूं।”

निशा की जवानी मेरे दिमाग में छाई रहती थी। मुझे लगा कि अगर अजय की नौकरी कहीं दूर लग जाए, तो मैं निशा को चोद सकता हूं।

जब वो दोनों पुणे आए, मैंने शालिनी से कहा कि उनका खास ख्याल रखे। अजय से मैंने कहा, “आराम से नौकरी ढूंढो। मैं भी कोशिश करता हूं। तुम मेरे साले हो, यहां कोई दिक्कत नहीं होगी।”

निशा की काया देखने लायक थी: उसकी चुचियां 34 साइज की, कमर 26 की, और गांड 32 की, उभरी हुई। उसकी नजरें बड़ी कामुक थीं। मैंने उसकी चुदास को भांप लिया था। शालिनी की नजर बचाकर, मैं निशा से हल्का-फुल्का मजाक करता और उसे छू लेता। वो मुस्कुराकर मुझे देखती।

अजय को हडप्पा में नौकरी मिल गई, जहां आने-जाने में काफी वक्त लगता था। प्राइवेट जॉब थी, तो समय का कोई ठिकाना नहीं था। मैं जल्दी घर आकर निशा से हंसी-मजाक करता, उसे पटाने की कोशिश में रहता।

एक शाम अजय का फोन आया, “राहुल, आज काम ज्यादा है। मैं घर नहीं आ पाऊंगा। निशा का ध्यान रखना।”

उस रात निशा अकेले गेस्ट रूम में सोई थी। जब मैं शालिनी को चोद रहा था, मुझे लगा कोई मुझे छुपकर देख रहा है। मैंने देखा तो शायद निशा थी। मैंने जानबूझकर अपना लंड दिखाते हुए चुदाई की, ये सोचकर कि मैं निशा को चोद रहा हूं। कुछ देर बाद जब मैंने पानी छोड़ा, तो निशा वहां से हट गई। मेरा शक सही था—वो निशा ही थी। मैंने ये बात शालिनी को नहीं बताई।

चुदाई के बाद शालिनी बोली, “मुझे ठंड लग रही है।”

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मैंने उसे बुखार की गोली और दो नींद की गोलियां दे दीं। चुदाई की थकान और गोलियों के नशे में वो गहरी नींद में सो गई।

रात दो बजे मेरा लंड फिर तन गया, लोहे की रॉड जैसा। शालिनी गहरी नींद में थी, तो मैं सीधा निशा के कमरे में गया। वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में सोई थी, चुदास से भरी। जैसे ही मैंने उसके होंठों पर किस किया, उसने मुझे अपनी उभरी चुचियों से कसकर चिपका लिया।

निशा बोली, “शादी के वक्त से तुम मुझे अच्छे लगते थे, पर कहने की हिम्मत नहीं हुई। आज तुम्हें चोदते देखकर मैं पागल हो गई। तब से अपनी भोस में उंगली कर रही थी।”

मैंने कहा, “निशा, मैं तुमसे प्यार करता हूं।”

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हमने एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर चूमा। मैंने उसकी ब्रा खोली और उसकी गोरी चुचियों को मुंह में लेकर चूसा। निशा बोली, “जीजा जी, मुझे तुम्हारा लंड चूसना है।”

मैं तैयार हो गया। उसने मेरा पायजामा उतारा और मेरे मोटे लंड को मुंह में लेकर रंडी की तरह चूसने लगी। हम 69 की पोजीशन में आए, और मैंने उसकी मुलायम चूत को जीभ से चाटा। मेरी उंगलियों ने उसे गर्म कर दिया, और उसकी चूत से रस टपकने लगा। मैंने उसका रस चट लिया, और उसने मेरा रस पी लिया।

बाथरूम जाकर मूतने के बाद, उसने फिर मेरा लंड चूसा, और दो मिनट में वो खड़ा हो गया। निशा बोली, “मेरे प्यारे, अपनी सलहज की चूत में अपना लौड़ा जल्दी डाल दो।”

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी टाइट चूत में डालने लगा। चूत ने विरोध किया, तो मैंने लंड को फांकों में फंसाया और धक्का मारा। आधा लंड अंदर गया, और वो चिल्लाने को हुई, पर मैंने उसका मुंह दबा दिया। मैंने लगातार धक्के मारे, और लंड पूरा अंदर-बाहर होने लगा। निशा की सिसकारियां निकलीं, “उम्म्ह… अहह… हय… ओह… उई उई।” जल्द ही वो मजा लेने लगी। मैं उसकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था, और वो मुझसे प्यार में डूबी थी।

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जब मेरा माल निकलने वाला था, मैंने पूछा, “कहां निकालूं?”

उसने कहा, “मेरी बुर में ही गिरा दो।”

मैंने कहा, “तू पेट से रह जाएगी।”

वो बोली, “मैं पहले से प्रेगनेंट हूं, अभी शुरूआत है।”

ये सुनकर मैंने सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।

हम अलग हुए, और मैं अपने कमरे में जाकर सो गया। सुबह शालिनी निशा को डॉक्टर के पास ले गई। उस शाम अजय लौटा और बोला, “मुझे नागपुर में नौकरी मिल गई। हम दो दिन बाद जा रहे हैं।”

जब वो चले गए, मेरा दिल टूट गया। लेकिन किस्मत ने साथ दिया—मेरा ट्रांसफर मेरे ससुराल, भोपाल, में हो गया। शालिनी खुश थी, और हम वहां चले गए। निशा को फिर से देखकर, जो अब मां बन चुकी थी, उसकी चुचियां अब और भरी-भरी थीं, मेरा जोश फिर जागा।

हमने भोपाल में एक फ्लैट किराए पर लिया। शालिनी अक्सर अपनी मां के पास जाती थी, जिससे मुझे निशा के अकेलेपन का समय पता चल गया। जब ससुराल खाली होता, मैं चुपके से पहुंचकर निशा को खूब चोदता। निशा अपने पति के साथ नहीं गई थी, क्योंकि उसका बच्चा छोटा था। उसकी चूत मेरे लंड की भूखी रहती, और मुझे उसकी चुचियों से निकलने वाला दूध पीने में बड़ा मजा आता। हमारा ये रिश्ता गुप्त और रोमांचक बना रहा।

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