नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम रिया है। मेरी पिछली कहानियाँ सेक्स स्टोरीज पर छप चुकी हैं, और मुझे आपका बहुत प्यार मिला। इसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देती हूँ। कई पाठकों ने शिकायत की थी कि मेरी नई कहानियाँ नहीं आ रही थीं। समय की कमी के कारण मैं नई कहानी नहीं लिख पा रही थी। अब मैं अपनी नई सेक्स कहानी आपके सामने पेश कर रही हूँ।
ये बात मेरी शादी के कुछ समय बाद की है। ये मेरी चूत चुदाई की सबसे तीव्र घटनाओं में से एक है। मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उनका काम देर रात तक चलता है, और कई बार उन्हें शहर से बाहर भी जाना पड़ता है।
उन दिनों मैं सेक्स को लेकर ज्यादा बेचैन नहीं रहती थी। मेरे पति के ऑफिस में उनका एक दोस्त था, जिसका नाम संजय था। जब मेरे पति शहर से बाहर गए, तो उन्होंने संजय को कहा कि अगर मुझे किसी चीज की जरूरत हो, तो मैं उससे संपर्क करूँ। संजय पहले भी कई बार मेरे घर आ चुका था, और मैं उसे अच्छे से जानती थी।
एक दिन संजय का फोन आया। उसने कहा, “अगर आपको किसी चीज की जरूरत हो, तो मुझे फोन कर देना। मैं आ जाऊँगा।”
मैंने कहा, “ठीक है, जरूरत पड़ी तो बता दूँगी।”
संजय से मेरी कई बार बात हो चुकी थी, इसलिए हमारे बीच कोई असहजता नहीं थी।
एक दिन मेरे सास-ससुर घर पर नहीं थे। मैं बाथरूम में नहा रही थी। मैंने गलती से मेन गेट खुला छोड़ दिया था। नहाकर सिर्फ तौलिया लपेटे बाहर आई, तो देखा कि संजय घर में मौजूद था। उसे देखकर मैं घबरा गई और तौलिया संभालते हुए बोली, “आप कब आए?”
वो बोला, “बस अभी आया। गेट खुला था, और घर में कोई नहीं दिखा। मैंने कई बार आवाज दी, लेकिन शायद तुम बाथरूम में थीं, तो सुनाई नहीं दिया।”
मैंने कहा, “हाँ, मुझे अंदर कुछ सुनाई नहीं दिया।”
मैंने संजय के लिए चाय बनाई, और कुछ देर बात करने के बाद वो चला गया। लेकिन उस दिन के बाद मैंने नोटिस किया कि संजय मेरे बदन को घूरने लगा। मेरे हिप्स और बूब्स पर उसकी नजरें टिकने लगीं। कई बार वो बहाने से मेरे बूब्स को छूने की कोशिश करता।
मैं उसकी हरकतों को समझ रही थी, लेकिन उसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। मैं जानती थी कि वो मेरी कामवासना जगाकर मुझे चोदना चाहता है। मैं उसकी हरकतों को अनदेखा कर देती थी।
कुछ दिन बाद, जब घर पर कोई नहीं था, मुझे बाजार से कुछ सामान चाहिए था। मैंने संजय को फोन करके सामान मँगवाया। जब वो सामान देने आया, तो मैंने उससे सामान लेने के लिए हाथ बढ़ाया। मेरा हाथ गलती से उसकी जिप में लटक रहे लंड से टच हो गया। शायद उसने जानबूझकर ऐसा करवाया।
उसके लंड को छूते ही मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ गया। मैंने तुरंत हाथ पीछे खींच लिया और सामान लिया। रसोई में सामान रखकर जब लौटी, तो मैंने चुपके से उसकी पैंट की ओर देखा। उसका लंड खड़ा हो रहा था, और उसकी शेप पैंट में साफ दिख रही थी।
मैं न चाहते हुए भी उसके लंड को देख रही थी। ये काफी बड़ा और मोटा लग रहा था। मेरी कामवासना जागने लगी। मैंने उसे बैठने को कहा और चाय बनाने रसोई में चली गई। जब लौटी, तो वो सोफे पर टाँगें फैलाकर बैठा था, और उसका लंड पैंट में एक तरफ साफ दिख रहा था।
मैंने एक-दो बार उसके लंड को देखा, तो उसमें उछाल-सा आ गया। मैं थोड़ी घबरा गई। वो वाकई बड़ा और मोटा था। मैं उसके सामने वाले सोफे पर बैठकर चाय पीने लगी। तभी मुझे याद आया कि मैं उसके लिए कुछ खाने को लाना भूल गई। मैं रसोई में बिस्किट लेने गई।
तभी संजय पीछे से आया और मेरे चूतड़ों पर अपना लंड टच करते हुए मुझे बाँहों में लेने की कोशिश करने लगा। मैंने कहा, “ये क्या कर रहे हो?”
लेकिन वो नहीं रुका। उसने अपने तने हुए लंड को मेरी गांड की दरार पर सटा दिया। उसका लंड मेरे कपड़ों को फाड़कर अंदर घुसने को तैयार लग रहा था। फिर उसने मेरी गर्दन चूमनी शुरू की और मेरे बूब्स दबाने लगा।
अब मेरा मन भी डोलने लगा। मैंने अपनी गांड उसके लंड पर सटा दी। उसने मुझे घुमाया, और हमारे होंठ एक-दूसरे से मिल गए। हम दोनों जोर-जोर से एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। रसोई में ही वो मेरे बूब्स दबाता और मुझे चूसता रहा।
फिर उसने मुझे उठाकर बेडरूम में ले गया और बेड पर पटक दिया। उसने अपनी शर्ट उतारी, मेरे ऊपर चढ़ गया, और मेरे बूब्स फिर से मुँह में ले लिए। उसने मेरा टॉप और ब्रा उतारकर मुझे ऊपर से नंगा कर दिया। मेरे बूब्स हवा में आजाद हो गए। वो उन्हें जोर-जोर से चूसने लगा।
फिर उसने मेरा पजामा और पैंटी उतार दी और मेरी चूत में उंगली डालने लगा। मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मैंने उसका लंड पैंट के ऊपर से पकड़कर सहलाना शुरू किया। काफी देर तक हम एक-दूसरे के अंगों को सहलाते रहे। फिर वो घुटनों पर बैठा और अपनी पैंट खोलने लगा। उसने अंडरवियर नीचे किया, और उसका लंड बाहर आ गया।
उसका लंड देखकर मेरी आँखें फैल गईं। ये मेरे पति के लंड से कहीं बड़ा और मोटा था। उसका रंग भी गोरा था, जबकि मेरे पति का लंड तुलना में गहरा था। उसने लंड को हिलाया और मेरे हाथ में दे दिया। ये भारी और मोटा था। मैंने उसे आगे-पीछे करना शुरू किया। वो सिसकारियाँ लेने लगा।
फिर उसने लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं संभाल नहीं पाई, मेरा दम घुटने लगा। मैंने हटाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं रुका और मेरे मुँह में धक्के देने लगा। कई मिनट बाद उसने मेरे मुँह में ही वीर्य निकाल दिया। मैंने उसका सारा माल पी लिया।
वीर्य निकालने के बाद उसने मेरी पैंटी उठाकर अपना लंड साफ किया। मैंने वासना में डूबकर उसके लंड को फिर से चूसना शुरू किया। पाँच मिनट में मैंने उसके सोए हुए लंड को फिर से खड़ा कर दिया। अब मुझे उसके लंड से चुदने की इच्छा हो रही थी। इतना बड़ा लंड मैंने सिर्फ नंगी फिल्मों में देखा था।
जब उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया, उसने मुझे बेड पर धकेला और मेरी टाँगें उठा लीं। उसने लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक धक्का मारा। मेरी जान निकल गई। “उम्म्ह… अहह… हय… ओह…” इतना मोटा लंड मैंने पहली बार लिया था।
वो लंड घुसाता गया। मुझे दर्द होने लगा, लेकिन उसने बिना रुके चुदाई शुरू कर दी। वो गालियाँ देते हुए मेरी चूत चोदने लगा। मुझे उसकी गालियाँ सुनना अच्छा लग रहा था। मैं भी चुदाई का पूरा मजा लेने लगी।
कई मिनट तक उसने इसी पोज में मेरी चूत चोदी, फिर मुझे खड़ा किया। उसने मेरी एक टाँग उठाई और फिर से चुदाई शुरू कर दी। वो गालियाँ देता हुआ बोला, “साली रंडी, मैं कब से तेरी चूत चोदना चाहता था। आज तेरी चूत फाड़ दूँगा।”
वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरी चूत फटने लगी, दर्द से आँखों में पानी आ गया। लेकिन मजा भी आ रहा था, तो मैं उसका साथ दे रही थी। कई मिनट तक चूत चोदने के बाद उसने मुझे उल्टा किया और मेरी गांड के नीचे तकिया रखा। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और लंड को छेद पर रगड़ने लगा। फिर अचानक उसने लंड मेरी गांड में पेल दिया।
मैं दर्द से चीख पड़ी। उसने मेरे बूब्स जोर से भींचे, जिससे मेरा ध्यान दर्द से हटा। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ, और वो मेरी गांड चोदने लगा। मैं अब हँस रही थी।
वो बोला, “साली रंडी, तेरी हँसी को रोने में बदल दूँगा। तेरी चूत तो ढीली हो गई, लेकिन गांड मस्त मजा दे रही है।”
मुझे भी उसका मोटा लंड गांड में लेने में मजा आ रहा था। मैं चाहती थी कि वो ऐसे ही मेरी गांड चोदता रहे।
वो बोला, “रंडी, तुझे तो रोज चोदने का मन करता है।”
मैंने कहा, “तो फिर इतने दिन क्यों रुके रहे?”
वो बोला, “बस सही मौके का इंतजार कर रहा था।”
मैंने कहा, “जब मन करे, मेरी चूत चोद लेना।”
वो बोला, “साली, तेरी गांड भी रोज चोदूँगा। तुझे बड़ी रांड बना दूँगा।”
ऐसा कहते हुए वो मेरी गांड में लंड पूरा पेलने लगा। फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूत में लंड डाल दिया। वो दोगुने जोश से चोदने लगा। कई मिनट बाद उसने मेरी चूत में ही माल छोड़ दिया। मेरी चूत जैसे फट गई थी।
हम दोनों नंगे ही बेड पर पड़े रहे और सो गए। शाम को उठे, तो मैं सचमुच चल नहीं पा रही थी। उसने मेरी चूत और गांड का बाजा बजा दिया था।
सास-ससुर के आने का समय होने पर संजय चला गया। जब तक मेरे पति नहीं लौटे, मैं संजय से चूत और गांड चुदवाती रही। एक रात सास-ससुर की मौजूदगी में भी मैंने चुदाई करवाई, लेकिन सिर्फ एक बार, क्योंकि उनके उठने का डर था। इस तरह संजय ने मेरी चूत और गांड को चोद-चोदकर ढीला कर दिया।
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