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मेरे दोस्त की बहन की तड़पती जवानी

तड़पती जवानी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की 21 साल की हॉट बहन की कुंवारी चूत चोदकर उसकी सील तोड़ दी।

दोस्तों, नमस्ते! मेरा नाम रोहन है। मैं कोटा, राजस्थान का रहने वाला हूँ, लेकिन अभी उदयपुर में अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं टॉप सेक्स कहानी का नियमित पाठक हूँ।

दोस्तों, मैं 26 साल का एक आकर्षक कद-काठी वाला लड़का हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच है और मेरा लंड 6 इंच लंबा है, जो किसी भी उम्र की तड़पती जवानी, लड़की, भाभी या आंटी की चूत की आग को शांत कर सकता है।

टॉप सेक्स कहानी पर कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते मैंने सोचा कि मैं भी अपनी जिंदगी की एक सेक्स कहानी आपसे साझा करूँ।

मैं इस मेरे दोस्त की बहन की तड़पती जवानी की पहली सेक्स कहानी से आपके लंड और चूत को गीला करने की पूरी कोशिश करूँगा।

ये बात कुछ समय पहले की है। उदयपुर में मेरे फ्लैट के पास मेरा एक दोस्त रहता था, उसका नाम इमरान था। इमरान अपने परिवार के साथ मेरे पड़ोस में रहता था। उसके परिवार में उसकी माँ-बाप और उसकी 21 साल की बहन नाजिया थी। ये नाजिया वही लड़की थी, जिसकी तड़पती जवानी का रस मैंने चखा।

नाजिया की खूबसूरती और बदन के बारे में कहने को मेरे पास शब्द नहीं हैं। वो तो किसी परि से कम नहीं थी। उसके 36-28-36 के फिगर का अंदाज बड़ा ही मदहोश करने वाला था। जब वो चलती थी, तो मानो तूफान आ जाता था। उसका रंग दूध सा गोरा और चेहरा गोल था, नैन-नक्श बहुत ही तेज थे।

नाजिया कॉलेज में बी.ए. के अंतिम साल में थी। उसके पिता का तबादला शहर से बाहर हो गया था, इसलिए घर में सिर्फ तीन लोग रहते थे।

मैं हमेशा से नाजिया की चूत का रस पीना चाहता था और खासकर उसकी गांड का तो दीवाना था। उसकी इस मस्त गांड की चर्चा पूरे मोहल्ले में थी। मैं भी उन चाहने वालों में था जो उसकी तड़पती जवानी का रस चूसना चाहते थे, उसकी चूत और गांड को फाड़ना चाहते थे। लेकिन दिक्कत ये थी कि नाजिया मुझे भाईजान कहती थी और उसके दिल में मेरे लिए ऐसा कुछ नहीं था।

पर किस्मत ने मेरा साथ दिया।

एक दिन दोपहर को नाजिया की माँ का फोन आया। आंटी ने मुझे अपने घर बुलाया और जल्दी आने को कहा।

मैंने पूछा- आंटी, क्या बात हो गई कि आप मुझे अभी बुला रही हैं? सब ठीक तो है?
आंटी बोलीं- बेटा, तुम बस जल्दी आ जाओ।

मैं फटाफट उनके घर पहुँचा। अंदर गया तो देखा कि इमरान अपनी बहन नाजिया से लड़ रहा था। जैसे ही मैं अंदर घुसा, उसने नाजिया पर हाथ उठाया और उसे बुरी तरह मारने लगा।

मैंने तुरंत इमरान को पकड़ा और उसे दूसरे कमरे में ले गया। मैंने पूछा- आखिर बात क्या है? अपनी बहन पर ही हाथ क्यों उठा रहा है?
वो गालियाँ बकता हुआ बोला- ये साली किसी लड़के के साथ होटल में अपनी माँ चुदवाकर आई है।

ये सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। इमरान गालियाँ बकता रहा।
मैंने कहा- एक बार चुप हो जा, मैं नाजिया से बात करता हूँ।
काफी देर बाद वो शांत हुआ।

मैं नाजिया के पास गया। आंटी उसके पास बैठकर रो रही थीं। मैंने आंटी को इमरान के कमरे में भेजा।

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फिर नाजिया के पास गया तो वो रोते-रोते मेरे गले लग गई। मैंने गुस्से में पूछा- बता, क्या हुआ?
मुझे गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसने किसी और को अपनी तड़पती जवानी का रस पिलाया था।

नाजिया बोली- भाईजान, मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं अपनी सहेली के साथ उसके दोस्त से मिलने होटल गई थी।
मैंने कहा- मैं कैसे यकीन करूँ कि तू सही है?
वो बोली- मैं आपको कैसे यकीन दिलाऊँ?

उसकी बात सुनकर मुझे राहत मिली कि शायद इसकी सील अभी सलामत है।

मैंने उसके बदन पर हाथ फेरकर उसे चुप कराने के बहाने मौका भुनाया और कहा- वो तो मैं वक्त आने पर देख लूँगा।
उसके जिस्म को खूब सहलाकर मैंने उसे शांत किया और उसका मोबाइल लेकर अपने नंबर पर रिंग करके उसका नंबर ले लिया।

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थोड़ी देर बाद जब माहौल शांत हुआ, मैं और इमरान मेरे घर चले गए। इमरान मेरे घर सो गया।

मैंने नाजिया को मैसेज किया। हमारी बात शुरू हुई।
नाजिया बोली- जब इमरान भाईजान ने मुझ पर हाथ उठाया, मुझे चोट लग गई।
मैंने पूछा- कहाँ लगी?

वो बोली- ऐसी जगह लगी कि मैं आपको बता नहीं सकती।
मैंने कहा- बता, बताना तो पड़ेगा। नहीं तो कोई परेशानी हो सकती है।
वो डरते हुए बोली- मेरी छाती पर धक्का लगा, वहाँ दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- मतलब तेरे स्तन पर चोट लगी?
वो हिचकिचाते हुए बोली- हाँ, वही।

मैंने उसे डॉक्टर के पास चलने को कहा, पर उसने मना कर दिया।

मैंने कहा- कुछ तो इलाज करवाना पड़ेगा, वो नाजुक जगह है।
वो बोली- आप कोई दवा ला दो।
मैंने कहा- मैंने तेरी चोट देखी कहाँ है? जब तक मुझे पता नहीं कि चोट कहाँ है, मैं दवा कैसे लाऊँ?
चूँकि वो मुझे अपना मानती थी, बोली- ठीक है, आप आकर मेरी वो जगह देख लो।

ये सुनते ही मेरे लंड को मंजिल नजर आई। मैंने इमरान की ओर देखा, वो सो रहा था।

मैंने नाजिया को कहा- ठीक है, मैं आ रहा हूँ।
वो बोली- हाँ, आ जाओ, पर अम्मी घर पर हैं।
मेरे लंड को उसके स्तन देखने की आग लगी थी। मैंने कहा- तुम अम्मी से कुछ मत कहना, मैं आ रहा हूँ।

मैं उसके घर पहुँचा तो देखा आंटी तैयार होकर बाहर खड़ी थीं।

मैंने पूछा- आंटी, नाजिया अब कैसी है? आप कहाँ जा रही हैं?
आंटी बोलीं- बेटा, तुम उससे बात करो, वो मुझसे बात नहीं कर रही। मुझे जरूरी काम से बाजार जाना है। जब तक मैं न लौटूँ, तुम इसके पास रहना।
मैं मन ही मन खुश हुआ और बोला- हाँ आंटी, आप निश्चिंत होकर जाओ। मैं नाजिया के पास हूँ।

आंटी ने राहत की साँस ली और बाजार चली गईं।

मैं अंदर गया तो नाजिया अपने कमरे में गांड ऊपर करके सो रही थी।

मैंने उसकी गांड पर हल्के से हाथ रखा तो वो डरकर उछल पड़ी। फिर मुझे देखकर बोली- अरे, भाईजान आप!
मैंने कहा- हाँ, दिखा कहाँ चोट लगी है?
वो बोली- अभी अम्मी हैं।
मैंने बताया- अम्मी बाजार गई हैं।
वो बोली- मुझे शर्म आ रही है।
मैंने कहा- मैं तो बस देख रहा हूँ, खा नहीं रहा।
वो हँस पड़ी और बोली- अगर खा लिया तो?

ये सुनकर मुझे लगा कि ये तड़पती जवानी मुझसे चुदवाना चाह रही है। मैंने एक हाथ सीधे उसके स्तनों पर रखकर एक स्तन दबा दिया।
वो सिसकारी लेते हुए बोली- आह… आराम से, दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- रुक, अभी सारा दर्द ठीक कर देता हूँ।

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मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी। उसने नीचे काली ब्रा पहनी थी। उसके स्तनों को देखकर मैं पागल हो गया और मेरा लंड अकड़कर दर्द करने लगा।

उसे मेरी पैंट के ऊपर से मेरा लंड खड़ा महसूस हुआ और उसकी आँखों में तड़पती जवानी का नशा दिखने लगा। वो मादक आवाज में बोली- जल्दी देखो और मेरा दर्द ठीक करो।

मैंने नाजिया की ब्रा हटाई तो क्या मस्त चुचे थे, गोरे-गोरे और उन पर हल्के भूरे निप्पल एकदम कड़क।

मैंने कहा- मैं गर्म तेल से मालिश कर देता हूँ, दर्द ठीक हो जाएगा।
वो बोली- आप दवा ला दो, मैं मालिश नहीं करवा सकती।
मैंने पूछा- क्यों?
वो नखरे करते हुए बोली- मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- अब मैंने देख ही लिया है, समय बर्बाद मत कर। आंटी के आने से पहले सारा दर्द दूर कर देता हूँ।
वो चुप रही।

मैं रसोई से तेल गर्म करके लाया।

मैंने उसे सीधे लेटने को कहा। वो वासना भरे चेहरे के साथ लेट गई। मेरा लंड पूरे जोश पर था क्योंकि नाजिया की तड़पती जवानी चखने का सपना पूरा होने वाला था।

मैंने उसकी टी-शर्ट पूरी उतार दी। वो काली ब्रा में कहर ढा रही थी। मैंने उसे आँखें बंद करने को कहा, वो आँखें बंद करके लेट गई।

मैंने उसकी ब्रा हटाई और तेल लेकर मालिश शुरू की। धीरे-धीरे मैंने उसके स्तनों पर तेल लगाया और बीच-बीच में निप्पल दबाए। निप्पल दबाते ही नाजिया सिसकारियाँ लेने लगी। वो होंठ दबाकर अपनी तड़पती जवानी को काबू करने की कोशिश कर रही थी।

मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, अब लंड मारने का वक्त है। मैंने उसके निप्पल मसलते हुए पूछा- अब कैसा लग रहा है?
नाजिया मादक स्वर में बोली- उह… बहुत अच्छा। तुम ऊपर सहला रहे हो और मुझे नीचे गुदगुदी हो रही है।
मैंने पूछा- नीचे भी कर दूँ?

उसके जवाब ने मुझे हैरान कर दिया। वो बोली- कर दो और देखकर पता कर लो कि मैंने होटल में कुछ किया या नहीं।
मैंने कहा- वो देखकर नहीं, कुछ करके ही पता चलेगा।
नाजिया बोली- जो करना है, कर लो, बस मेरी नीचे की खुजली ठीक कर दो।

मैं समझ गया कि ये तड़पती जवानी चुदाई के लिए बेताब है।
मैंने कहा- पहले तुम आंटी से बात करो, मैं इमरान से बात करता हूँ कि वो कितनी देर में आएँगे।
मैंने इमरान को फोन किया, पर उसने नहीं उठाया। आंटी ने बताया कि उन्हें आने में दो घंटे लगेंगे।

मैंने बिना वक्त गँवाए नाजिया का लोअर उतार दिया। उसने काली पैंटी पहनी थी, जो गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी हटाई और उसकी चूत पर मुँह रखकर चाटने लगा।

नाजिया की वासना भड़क उठी और कमरे में उसकी मादक सिसकारियाँ गूँजने लगीं। मैंने अपनी जीभ उसकी गीली चूत में डाल दी। थोड़ी देर में नाजिया का पानी निकल गया। मैंने मुँह हटाकर उसके होंठों से लगा दिया और चूसने लगा। नाजिया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मैंने अपना लंड निकालकर उसके मुँह में देना चाहा। पहले उसने मना किया, पर मेरे जोर देने पर उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। थोड़ी देर बाद हम 69 की पोजीशन में आ गए। हम एक-दूसरे की चूत और लंड चाट रहे थे।

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थोड़ी देर बाद वो बोली- अब नीचे आग लग रही है, बुझा दो प्लीज।
मैंने लंड उसकी चूत पर रखा, पर उसे दर्द होने लगा। उसने आँखें बंद कर रखी थीं।

मैंने एक झटके में आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया। नाजिया की चीख निकल गई- उह… अह… ओह…
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। मैंने लंड की ओर देखा तो वो खून से सना था। खून की वजह से चूत में गीलापन आ गया और लंड आसानी से अंदर-बाहर होने लगा।

नाजिया बोली- देख लिया ना, मैंने होटल में कुछ गलत नहीं किया।
मैं जोश में आकर उसे चोदने लगा। नाजिया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

दस मिनट बाद मैंने नाजिया से घोड़ी बनने को कहा ताकि मैं उसकी गांड देख सकूँ। वो तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डाला और चोदने लगा। इसी बीच नाजिया का पानी निकल गया और वो थककर लेट गई। मैंने फिर से लंड उसकी चूत में डाला और चोदने लगा।

मुझे नाजिया को चोदते हुए आधा घंटा हो गया था। मुझे लगा कि आज के लिए इतना काफी है, क्योंकि आंटी और इमरान कभी भी आ सकते थे।

मैंने लंड चूत से निकालकर नाजिया के मुँह में दे दिया। वो जोर-जोर से चूसने लगी। मैं अपने रस को रोक नहीं सका और “आई लव यू जान” कहते हुए सारा लंडरस उसके मुँह में निकाल दिया। झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर ढेर हो गया।

तभी बाहर आंटी की आवाज आई। हम दोनों जल्दी से उठे और कपड़े पहने। मैंने देखा कि चादर गंदी हो गई थी। हमें लगा कि आज तो पकड़े गए।

मैंने बाहर जाकर आंटी को बातों में उलझाया और नाजिया ने चादर बदल दी।

बाद में मैंने नाजिया से फोन पर पूछा- अब दर्द कैसा है?
वो बोली- वो दर्द तो ठीक है, पर तुमने दूसरा दर्द दे दिया।
मैं हँसा और बोला- तेरी तड़पती जवानी का इलाज जब चाहे कर दूँगा। जब इंजेक्शन लगवाना हो, मेरे घर आ जाया करो या मुझे बुला लिया करो, मैं दर्द ठीक कर दूँगा।

इस तरह मैंने नाजिया का दर्द खत्म किया। मैं अब भी नाजिया को चोदता हूँ और उसकी गांड का मजा भी ले चुका हूँ। एक राज की बात ये भी है कि मैंने नाजिया की माँ को भी चोद लिया है। अगली बार मैं नाजिया की गांड और उसकी माँ की चुदाई की कहानी लेकर आपसे रूबरू होऊँगा।

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