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हॉस्टल गर्ल की बेकरार जवानी

मेरी माँ के स्कूल के हॉस्टल में एक लड़की उनकी चहेती थी। मैंने उस हॉस्टल गर्ल की कुंवारी चूत को अपने घर में चोदा। कैसे? पढ़ें यह मस्त कहानी हॉस्टल गर्ल की बेकरार जवानी और मज़ा लें।

नमस्ते दोस्तों, मैं आपका दोस्त अपनी ज़िंदगी की उस पहली लड़की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे मैंने उसकी कमसिन जवानी के पहले दौर में, यानी 19 साल की कच्ची कली को फूल बनाया। मैंने कई लड़कियों के साथ सेक्स किया, लेकिन उसके जैसी कोई नहीं मिली।

मेरी लंबाई 6 फीट है, रंग गोरा है, और मैं फिटनेस का शौकीन हूँ।

उस समय मेरी उम्र 25 साल थी। गर्मियों का मौसम था जब मैंने उसे पहली बार माँ के स्कूल में देखा। उसका नाम नेहा था। वह माँ की स्टूडेंट थी और स्कूल के हॉस्टल में रहती थी। उसकी उम्र 19 साल थी, और हाइट करीब 5 फीट होगी।

जब मेरी नज़र उस पर पड़ी, तो उसका गोरा, चिकना बदन देखकर मेरी साँसें रुक गईं। वह खूबसूरती की मिसाल थी। उसने स्कूल यूनिफॉर्म—शर्ट और स्कर्ट—पहनी थी। स्कर्ट घुटनों तक थी। उसके काले, घने बालों में दो चोटियाँ थीं। उसकी आँखें नशीली, होंठ रसीले, और बूब्स बड़े, उभरे हुए थे। टाइट शर्ट और टाई की वजह से वे बेहद सेक्सी लग रहे थे। उसकी पतली कमर और चूतड़ों का उभार! उफ!

उस हॉस्टल गर्ल का ऐसा सेक्सी बदन देखकर मेरा लंड तन रहा था। अच्छा हुआ कि मैं माँ के स्कूल ऑफिस में कुर्सी पर बैठा था, वरना कोई देख लेता। मैं पहली बार माँ के स्कूल गया था, इसलिए माँ ने मुझे सबसे मिलवाया, नेहा से भी।

वह मुझे देखकर मुस्कुराई, मैंने भी स्माइल दी।

वह माँ की सबसे पसंदीदा छात्रा थी। माँ को क्लास लेनी थी, तो उन्होंने नेहा से मुझे स्कूल दिखाने को कहा। वह मुझे स्कूल घुमाने लगी।

उसने पूरा स्कूल दिखाया, लेकिन मैं उसकी चाल, हिलते बूब्स, और चूतड़ों की लचक को चोरी-छिपे देख रहा था। जब वह चलती, तो उसके बूब्स हिलते, और पीछे से उसके चूतड़ों का उभार देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता।

शायद वह समझ चुकी थी, क्योंकि उसकी नज़र मेरी पैंट में तने 6.5 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड पर पड़ी, लेकिन उसने नज़रअंदाज़ किया। मैं अपने लंड को शांत करना चाहता था, वरना कोई और देख लेता, तो मुश्किल हो जाती।

मैंने नेहा से वॉशरूम का रास्ता पूछा। उसने स्टाफ वॉशरूम की ओर ले जाने की कोशिश की, लेकिन मैंने कहा- कोई नज़दीकी वॉशरूम दिखाओ।
वह मुझे लड़कियों के वॉशरूम ले गई।

अंदर जाकर मैंने जल्दी से मुठ मार दी, क्योंकि मेरा लंड तड़प रहा था। मेरी सिसकारियाँ निकल रही थीं—‘आह… नेहा…’। मुठ मारने के बाद लंड को राहत मिली। मैं भूल गया कि नेहा बाहर खड़ी थी। मुझे 10-12 मिनट लगे होंगे, और शायद उसने सब सुन लिया।

बाहर निकला, तो वह मुझे पसीने से लथपथ देखकर बोली- क्या हुआ? तबीयत ठीक है?
मैंने कहा- इतना कुछ देखने के बाद मैं आराम करना चाहूँगा।
उसने कहा- अभी तो बहुत कुछ दिखाना बाकी है!
मैंने कहा- क्या?
उसने कहा- स्कूल।
मैंने पूछा- तुम क्या समझीं?
वह हँसी और बोली- आप क्या समझे?

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मैंने सिर्फ़ स्माइल दी और कहा- ठीक है, लेकिन एक शर्त पर—तुम्हें मेरे साथ फोटो खिंचवानी होगी।
वह मान गई।

उसने मुझे पूरा स्कूल घुमाया। मैंने उसकी फोटो ली, हमने सेल्फी ली, और मैं घर वापस आ गया। माँ स्कूल में ही रहती थीं, तो मैं अकेले घर लौटा।

मैंने कई बार नेहा के बारे में सोचकर मुठ मारी। उसकी वजह से मैंने किसी और लड़की के साथ सेक्स नहीं किया। उसकी फोटो देखकर ख्यालों में उसे चोद लेता था। कभी-कभी माँ को फोन करता, तो नेहा उठा लेती। मैं उससे फ्लर्ट कर लेता।

लगभग 6 महीने बीत गए, और दिसंबर शुरू हुआ। किस्मत मेरे साथ थी। माँ के स्कूल में सर्दियों की छुट्टियाँ शुरू हुईं, और माँ घर आईं। मैं खुश था, लेकिन तब फूला नहीं समाया, जब माँ के साथ नेहा को देखा।

माँ ने बताया कि नेहा के घर से उसे लेने कोई नहीं आया, तो उसने माँ से कहा कि वह हमारे घर में छुट्टियाँ बिताना चाहती है।

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे, लेकिन माँ ने कहा- वह तुम्हारी बहन जैसी है।
यह सुनकर मेरी बैंड बज गई। मैंने कहा- ठीक है।

उस दिन बिना कुछ किए मुझे अपने रूम में सोना पड़ा, लेकिन किस्मत ने साथ दिया। अगले दिन माँ को नानी के यहाँ जाना पड़ा—कुछ पारिवारिक संपत्ति का मामला था, और वह एक हफ्ते के लिए। हमारा घर नानी के यहाँ से 250 किमी दूर है।

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मैं खुश था या दुखी, समझ नहीं पा रहा था, क्योंकि माँ ने उसे मेरी बहन बना दिया था।

नेहा खाना बनाती, हम साथ खाते, लेकिन मैं उससे नज़र नहीं मिलाता। वह हैरान थी।

दो दिन बीत गए, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। सर्दी का मौसम था, और मेरी तबीयत खराब थी। मैं जल्दी अपने कमरे में चला गया। मुझे ठंड लग रही थी। नेहा अचानक रूम में आई।

उसने देखा कि मैं काँप रहा हूँ। उसने मेरा बुखार नापा, दवा दी, और बोली- मैं यहीं हूँ, तुम सो जाओ।

मैं सो गया।

रात करीब 2 बजे मुझे गर्माहट महसूस हुई। आँख खोली, तो देखा नेहा मेरे साथ रज़ाई में थी, बिना ब्रा और ऊपरी कपड़ों के, सिर्फ़ नीचे के कपड़े पहने हुए। मैंने कहा- यह गलत है।

मैंने सारी बात बताई। वह हँसने लगी और बोली- मैंने तुम्हें कभी भाई नहीं माना।

मुझे राहत मिली। माँ का डर था, तो उसने कहा- उनको कौन बताएगा?

मैं इतना खुश था कि बयान नहीं कर सकता। आधी नंगी लड़की, जिसे मैं ख्यालों में चोदता था, मेरे बिस्तर पर थी। उस रात मैं उसके गर्म शरीर का स्पर्श लेता रहा। उसकी गर्म साँसें, बदन का अहसास, मेरे लंड को सहलाना, और मेरा हाथ उसके बूब्स के बीच रखना! लेकिन कमज़ोरी के कारण मैं सो गया।

अगली सुबह वह नहाकर आई। उसने गाउन पहना था और गीले बालों से मेरा चेहरा ढक दिया। मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसे पकड़कर बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। उसके होंठ इतने रसीले थे!

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मैंने उसका गाउन खोला और उसके बूब्स चूसने लगा। वे दूध की तरह मुलायम थे। उसकी सिसकारियों से मुझे सुकून मिल रहा था।

मैंने उसके बूब्स खूब चूसे। पहली बार ऐसी लड़की मिली थी, जिसके बूब्स इतने टाइट थे। मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रखा। वह गर्म और टाइट थी। मैंने उँगली डालने की कोशिश की, लेकिन नहीं डाली।

मैंने कहा- उस दिन स्कूल में क्या याद है?
उसने कहा- मैं सब देख रही थी कि तुम मेरे बूब्स और चूतड़ों को कैसे घूर रहे थे। तुम्हारा लंड उफान मार रहा था। मैं जानती हूँ कि तुम टॉयलेट में मेरे नाम की मुठ मार रहे थे। सच कहूँ, मैं उस दिन चुदना चाहती थी, लेकिन मौका नहीं मिला। आज तुम मुझे छोड़ना नहीं, बस चोदते रहना।

उसने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा लंड बस घुसना चाहता था।
मैंने उसका हाथ लंड पर रखवाया। उसने मेरे लंड को उसकी चूत के छेद पर लगाया।

जैसे ही मैंने हल्का-सा लंड अंदर किया, मैं झड़ गया।
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- शायद कल की कमज़ोरी। तुमने इतना सहलाया कि काम से पहले झड़ गया।

उसने कहा- कोई बात नहीं। घर में कोई नहीं, चुदाई कभी भी कर सकते हैं। जाओ, फ्रेश होकर आओ, मैं नाश्ता बनाती हूँ।

मैं फ्रेश हुआ, नाश्ता किया। तबीयत अच्छी थी। लेकिन मेरा लंड सो रहा था। मैंने सोचा, अब क्या करूँ?
उसने पूछा- क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- यही कि कैसे शुरू करूँ?
वह बोली- रुको!

वह माँ के रूम में गई और वही ड्रेस पहन आई, जिसमें मैंने उसे पहली बार देखा था। फिर किचन में जाकर सरसों का तेल लिया, उसमें ठंडा तेल मिलाया, और मुझे बेड पर धक्का दिया।

वह मेरा लंड सहलाने लगी। उसने लंड पर तेल लगाया। मेरा लंड एक्टिवेट हो गया। उसने मेरा खड़ा लंड देखा और चौंककर बोली- ये क्या है?
मैंने कहा- जान, ये तेरी तड़प का इलाज है, और मेरी तड़प तू!

मैंने बताया कि उससे मिलने के बाद मैंने क्या-क्या किया।

अब मेरी बारी थी। मैंने उसे उल्टा किया। वह नीचे थी, मैं ऊपर। मैंने उसके बाल खोले, फिर टाई। मैंने उसे चूमना शुरू किया—गालों पर, फिर फ्रेंच किस। कभी मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालता, कभी वह।

मैंने उसके बूब्स शर्ट के ऊपर से दबाए। वह मचलने लगी। मैंने तेल लिया, उसकी पैंटी हटाकर उसकी चूत पर लगाया। वह उछलने की कोशिश करती, लेकिन मैंने उसे दबाए रखा।

मैंने उसकी शर्ट उतारी और उसे पूरी नंगी कर दिया। उसकी नंगी बॉडी देखकर मैं मचल गया। वह किसी पॉर्न स्टार जैसी लग रही थी। मैंने उसकी चूत को मुँह में लिया और चाटने लगा।

वह मछली की तरह तड़प रही थी। उसकी चूत का पानी मेरे मुँह में आ गया।

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वह पूरी तरह उत्तेजित थी, लेकिन मेरा लंड थोड़ा शांत था। मैंने कहा- अब तेरे ये बड़े हथियार इसे जगा सकते हैं।
उसने बूब जॉब शुरू किया, यानी अपने बूब्स के बीच मेरा लंड लेकर सहलाने लगी।

मैंने कहा- एक बार मुँह में ले लो।
उसने मना कर दिया।
मैं थोड़ा नाराज़ हुआ, लेकिन गुस्से में उसे बेड पर गिराया, लंड खड़ा किया, और उसकी चूत पर रखकर सहलाया। फिर एक झटके में आधा लंड डाल दिया।

वह चिल्लाई- ‘उम्म्ह… आह… ओह…’ मैंने उसके मुँह पर हाथ रखकर तेज़ी से अंदर-बाहर किया। उसकी सील टूट चुकी थी, खून आ रहा था, और उसकी आँखों में आँसू थे।

मैं नहीं रुका, और तेज़ी से चोदने लगा। कुछ देर बाद वह साथ देने लगी। मैंने पूरी गहराई तक चोदा। मेरा 6.5 इंच का लंड पूरा अंदर था। मैं चौंक गया, क्योंकि पहले किसी की चूत में इतना अंदर नहीं गया था। नेहा मज़े ले रही थी।

मैंने उसे बाँहों में उठाकर चोदा। जब उठाकर चोद रहा था, तब उसका पानी निकला, और मैंने भी अपना माल अंदर छोड़ दिया। हम बिस्तर पर गिर गए।

पाँच मिनट बाद वह मेरे ऊपर बैठकर ऊपर-नीचे करने लगी। मैं 15 मिनट बाद फिर चार्ज हो गया।

हमने पूरा दिन सेक्स किया, बिना कंडोम के, क्योंकि वह मेरी पहली ऐसी लड़की थी, जिसे मैं शुरू से चोदना चाहता था।

उसके बूब्स रसीले, जवानी मदहोश करने वाली, और चूत गहरी थी।

तीसरे दिन भी हमने खूब सेक्स किया। हम एक रज़ाई में सोए। खाना बाहर से मँगवाते। सर्दियों की रातों में हम रज़ाई में डूबे रहे, सिर्फ़ खाने और नहाने के लिए निकलते। सात दिन तक हम चुदाई के नशे में डूबे रहे।

मैं वियाग्रा लेता, उसे पिल्स खिलाता, और अंदर झड़ देता। बस एक कमी थी—उसका मेरे लंड को चूसना।

आठवें दिन माँ आ गईं।

लेकिन नेहा चुपके से माँ के सोने के बाद मेरे रूम में आती। हम चुदाई करते, साथ नहाते। मैंने उसकी गांड भी मारी। उसकी चूत और गांड को कली से फूल बना दिया।

अब जब वह चलती है, तो उसका जिस्म दाएँ-बाएँ हिलता है। मैंने उसकी चूत और गांड को फैला दिया। बस एक कमी रह गई—उसके मुँह की चुदाई।

दोस्तों, मेरी यह हॉस्टल गर्ल की चुदाई की सच्ची कहानी आपको कैसी लगी? बताइए, ताकि मैं उसकी मुँह की चुदाई की कहानी, जो उसके घर जाकर की, साझा कर सकूँ।
धन्यवाद।

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