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डैड की इजाजत से मम्मी को चोदा – भाग 1

ऋषि, नीतू और सोहम का छोटा-सा, अमीर और सुखी परिवार। ऋषि और नीतू चालीस के मध्य में और सोहम बीस साल का। घर का बड़ा बिजनेस, रहने के लिए आलीशान घर। लेकिन एक दिक्कत थी। डायबिटीज की वजह से ऋषि नीतू को शारीरिक सुख पूरी तरह नहीं दे पाता था। इस बात का उसे बहुत अफसोस था। काफी सोच-विचार के बाद उसने फैसला किया कि अगर वह खुद नीतू को यह सुख नहीं दे सकता, तो किसी और से उसे यह सुख दिलवाएगा। उसने यह तोहफा मदर्स डे के दिन देने का तय किया, क्योंकि उसी दिन नीतू का जन्मदिन भी था।

मदर्स डे से एक दिन पहले उसने नीतू को अपनी योजना बताई। नीतू ने इसका पुरजोर विरोध किया। वह बोली, “ऋषि, मैंने कभी शिकायत की है क्या? मैं पूरी तरह खुश हूँ। मुझे सब कुछ बिना माँगे मिला है। मुझे ऐसा कुछ करने के लिए मजबूर मत कर, प्लीज।”

ऋषि ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। वह बोला, “आज तक तूने मेरी कोई बात नहीं टाली। प्लीज, मेरी यह बात भी मान ले। मैं तुझे पूरी तरह सुखी देखना चाहता हूँ।” आखिरकार नीतू मान गई। उसने कहा, “ठीक है। लेकिन इसमें कोई खतरा तो नहीं? कहीं कोई बीमारी न चिपक जाए।” ऋषि बोला, “उसकी फिक्र मत कर। मैंने एकदम भरोसेमंद नौजवान का इंतजाम कर लिया है।”

इतना कहकर वह हमेशा की तरह ऑफिस चला गया। उसने तुरंत सोहम को अपनी केबिन में बुलाया। सोहम के बैठते ही ऋषि बोला, “सोहम, आज मैं तुझे एक काम सौंपने जा रहा हूँ, जो तुझे ही करना होगा। पहले थोड़ा बैकग्राउंड बताता हूँ। मेरी डायबिटीज की वजह से मैं तेरी मम्मी नीतू को वह शारीरिक सुख नहीं दे पाता, जितना उसे मिलना चाहिए। नीतू ने कभी शिकायत नहीं की, लेकिन मुझे पता है कि वह इस मामले में सुखी नहीं है। मैं उसे हर तरह से खुश देखना चाहता हूँ।”

सोहम बोला, “डैड, यह तुम्हारा और मम्मी का निजी मामला है। मुझे क्यों बता रहे हो? तुम जो ठीक समझो, करो। इसमें मेरी क्या मदद हो सकती है?”

ऋषि बोला, “यही बताने के लिए तुझे बुलाया है। क्योंकि यह काम तुझे करना है। तू अपनी मम्मी को यह सुख दे। रुक, कुछ मत बोल। मुझे पता है कि तेरी उम्र के लड़के क्या-क्या करते हैं, और मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं। अब सवाल यह है कि मैं तुझसे ही यह क्यों कह रहा हूँ। मैंने देखा है कि तू अपनी मम्मी को उस नजर से देखने लगा है। तेरे मन में भी नीतू के साथ सोने की इच्छा जागने लगी है। मैंने तुझे कई बार उसकी तरफ ताकते, उसके साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करते देखा है। मैं तुझे यह मौका खुद दे रहा हूँ। मना मत कर। और यह आज ही, नीतू के जन्मदिन पर करना है।”

सोहम हैरान रह गया और बोला, “डैड, यह क्या बोल रहे हो? मैं और मेरी मम्मी के साथ ऐसा करूँ? और क्या मम्मी इसके लिए तैयार हैं?”

ऋषि ने दृढ़ता से कहा, “हाँ, मैंने उसे इसकी भनक दे दी है और उसने हामी भी भर दी है। बस, मैंने उसे यह नहीं बताया कि वह तू है। अब सुन, यह कैसे करना है। आज रात खाने के बाद मैं नीतू को तोहफा दूँगा और फिर उसके साथ सेक्स करूँगा। तू अपनी रूम में तैयार रहना। मेरा हो जाने के बाद मैं उसकी आँखों पर पट्टी बाँधूँगा और तुझे बुलाऊँगा। तू आएगा, काम निपटाएगा और चला जाएगा। तेरी मम्मी को नहीं पता चलेगा कि तू ही था। बस एक बात का ध्यान रखना—तू मुँह से कोई आवाज मत निकालना।”

सोहम बिना कुछ बोले चला गया। सच तो यह था कि उसके मन में खुशी की लहरें उठ रही थीं। उसका बरसों पुराना सपना पूरा होने जा रहा था।

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उस रात खाने के बाद ऋषि ने नीतू को तोहफे दिए और उसे पास खींच लिया। उनका रोमांस शुरू हुआ। नीतू ने हमेशा की तरह उसका साथ देना शुरू किया। दोनों पूरी तरह नंगे होने के बाद नीतू ने अपने पैर फैलाए और हाथ फैलाकर ऋषि को आमंत्रित किया। ऋषि उसके पैरों के बीच बैठा और अपनी चूत में उसका लंड डाला। पाँच-दस धक्कों के बाद वह हमेशा की तरह झड़ गया। नीतू के मुँह से अनायास एक लंबी साँस निकली।

ऋषि उसके ऊपर से उठा और अपनी अंडरवियर पहन ली। नीतू के बगल में बैठकर, उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए वह बोला, “डार्लिंग, अब तुझे सबसे खास तोहफा देने का वक्त है। तू ऐसे ही बिना कपड़ों के लेटी रह। मैं तेरी आँखों पर पट्टी बाँधता हूँ और उसे बुलाता हूँ। वह मेरे बुलावे का इंतजार कर रहा है। मेरी इच्छा है कि तू उसे न देखे। लेकिन तू डरना मत। मैं यहीं रहूँगा।”

नीतू ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा, “ऋषि डार्लिंग, क्या इसकी सचमुच जरूरत है? मैं सचमुच खुश हूँ। तेरी कसम। मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर मत कर।”

ऋषि बोला, “आज तो हमने तय कर लिया है ना? तो कर ना जो मैं कह रहा हूँ—मेरे संतुष्टि के लिए, मेरी ख्वाहिश के लिए। प्लीज…”

नीतू मजबूरी में बोली, “ठीक है। मैं तेरी इच्छा नहीं तोड़ूँगी। लेकिन एक बात सुनोगे? मैं आज तक किसी के सामने नंगी नहीं हुई। मुझे यह सोच भी नहीं सुहाती। मेरी खातिर मेरा सिर्फ निचला हिस्सा खुला रख। पेट से ऊपर मुझे कपड़े पहनने दे। मैं किसी और के सामने पूरी नंगी नहीं हो सकती।”

ऋषि बोला, “कपड़े पहनने की जरूरत नहीं। मैं तेरे ऊपर चादर डाल देता हूँ। वह आएगा, तुझे तृप्त करेगा और चला जाएगा। उसे तेरा चेहरा भी ठीक से नहीं दिखेगा। ठीक है?”

ऋषि ने उसके ऊपर चादर डाली और उसकी आँखों पर काला रूमाल बाँधते हुए बोला, “तैयार रह। मैं उसे बुलाता हूँ।” नीतू ने सिर्फ सिर हिलाया। ऋषि ने सोहम को फोन करके बुलाया।

दो मिनट में सोहम आ गया। वह पूरी तरह नंगा था। उसका लंड तन चुका था। उसने ऋषि और नीतू की ओर देखा। ऋषि ने उसे आगे बढ़ने का इशारा किया और नीतू से कहा, “डार्लिंग, वह आ गया है। तैयार है ना?” नीतू ने सिर हिलाकर हामी भरी। सोहम आगे बढ़ा और अपनी मम्मी के पैर फैलाए। उसने अपनी चूत में लंड डालने की कोशिश की, लेकिन उसे सही जगह नहीं मिल रही थी। ऋषि ने धीमी आवाज में नीतू से कहा, “अरे, उसे लग नहीं पा रहा। उसकी मदद कर।”

नीतू बोली, “मेरी कमर के नीचे एक-दो तकिए रख दे।” ऋषि ने दो तकिए लिए। सोहम ने नीतू की कमर उठाई। ऋषि ने तकिए उसकी कमर के नीचे रखे। नीतू ने सोहम से कहा, “हाँ, अब आ।”

सोहम नीटू के ऊपर लेट गया। नीटू ने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद के पास रखा। सोहम ने धक्का देना शुरू किया। उसकी पहले से गीली चूत में सोहम का लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया। पहले सोहम ने अपने लंड को उसकी चूत में दबाकर रखा।

यह देखकर ऋषि चुपचाप बगल की कुर्सी पर बैठ गया। कुछ देर बाद सोहम नीटू को धक्के देने लगा। नीटू का शरीर तन गया। उसके रोंगटे खड़े हो गए। सालों बाद उसे ऐसा शारीरिक सुख मिल रहा था। जैसे-जैसे सोहम के धक्कों की रफ्तार बढ़ी, नीटू अपनी कमर हिलाने लगी। वह पूरी तरह समरस होकर सोहम का साथ देने लगी। उसके मुँह से “आह, स्स्स, हाँ हाँ हाँ, मर गई, मर गई” जैसे आवाज निकलने लगे।

उसने सोहम को अपने ऊपर खींच लिया और उसके शरीर को बाँहों में जकड़कर बोली, “और जोर से करो। मुझे बर्दाश्त न हो इतना जोर से मारो। मेरी सालों की भूखी चूत को नहला दो, अपने रस से भिगो दो। रुकना मत। तुम्हारा हथियार कितना गर्म है, लोहे की रॉड जैसा सख्त है! जितना वक्त निकाल सकते हो, निकालो। जल्दी झड़ने मत देना।”

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सोहम ने ज्यादा वक्त निकालने के लिए अपनी रफ्तार कम कर दी। वह धीरे-धीरे नीटू को धक्के देने लगा। कुछ देर बाद नीटू बोली, “अरे, धीरे-धीरे क्यों कर रहे हो? थक गए क्या? फिर से जोर के धक्के दो। कुछ ही देर में मेरा हो जाएगा। प्लीज, जोर-जोर से चोदो।”

सोहम ने फिर से नीटू को जोरदार धक्के देना शुरू किया। उसे पसीना आने लगा, लेकिन उसने रफ्तार कम नहीं की। उसकी गोटियाँ नीटू की चूत पर टकराने लगीं। कुछ देर बाद नीटू सुख के चरम पर पहुँच गई। उसका रस बहने लगा। उसकी सोहम के शरीर पर पकड़ ढीली पड़ गई। उसकी कमर हिलना बंद हो गया। उसने अपने हाथ बिस्तर पर रखे। उसके फैले हुए पैर स्थिर हो गए। सोहम ने उसे जोरदार धक्के देना जारी रखा। कुछ देर बाद थकी हुई आवाज में नीटू बोली, “अब और कितना वक्त लगेगा? मैं बहुत थक गई हूँ, लेकिन बहुत तृप्त हूँ, बहुत संतुष्ट हूँ।”

सोहम ने जैसे ही अपना लंड बाहर निकालना शुरू किया, नीटू बोली, “बाहर मत निकालो। तुमने मुझे इतना सुख दिया है। तुम्हारा झड़ने तक इसे जारी रखो। तुम्हारा भी पूरा संतुष्ट होना चाहिए। अपना वीर्य अंदर ही छोड़ दो। इससे तुम्हारा पूरा संतुष्ट होगा।” सोहम ने फिर से नीटू को जोरदार धक्के देना शुरू किया। पाँच मिनट में उसका लंड काँपने लगा और उसने अपने वीर्य को आजाद कर दिया। उसका वीर्य जोरदार पिचकारियों के साथ नीटू की चूत में छूटने लगा। उसने अपना लंड तब तक नीटू की चूत में दबाए रखा, जब तक वीर्य पूरी तरह झड़ नहीं गया। वीर्य झड़ना बंद होने पर उसने लंड बाहर निकाला और बिस्तर से उतर गया।

ऋषि ने सोहम को बाहर जाने का इशारा किया। सोहम थोड़ी अनिच्छा से अपनी रूम में चला गया। उसके जाने के बाद ऋषि ने नीटू के ऊपर की चादर हटाई और उसकी आँखों से रूमाल हटाया। नीटू ने अपनी भारी आँखें खोलकर ऋषि की ओर देखा और उसे पास बुलाकर बोली, “ऋषि, बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं तेरी ऋणी हूँ। ऐसा पति बड़े नसीब से मिलता है।” उसने ऋषि को चूमा और बोली, “अब मुझे बस एक डर है। अगर बार-बार ऐसा करने की इच्छा हुई, तो मुश्किल होगी। लेकिन मैं मन को काबू में रखूँगी।”

ऋषि बोला, “अगर तुझे फिर से इच्छा हुई, तो वह जरूर पूरी होगी। इसके लिए किसी बाहरी को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घर में ही इंतजाम हो जाएगा। क्या समझी कि आज तुझे किसने सुख दिया? अरे, वह तेरा अच्छा जानने वाला है। देखना चाहती है उसे? रुक, अभी बुलाता हूँ। लेकिन उसे देखने की पूरी हिम्मत रख। तुझे शॉक ही लगेगा। पहले मैं तेरी आँखें फिर से बाँधता हूँ।”

नीटू ने फिर से चादर अपने ऊपर खींच ली। ऋषि ने उसकी आँखों पर फिर से पट्टी बाँधी। इस बार उसने सोहम को फोन करके बुलाया। दो मिनट में सोहम अंदर आया। उसने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन रखा था। बिस्तर के पास आने पर ऋषि ने नीटू की आँखों की पट्टी खोली। सोहम को देखकर वह आँखें फाड़कर बोली, “सोहम, इतनी रात को तू यहाँ क्या कर रहा है? सोना नहीं है क्या?” उसने आगे ऋषि से पूछा, “ऋषि, सोहम यहाँ कैसे? और मैं इस हाल में हूँ तब? तू तो किसी और को बुलाने वाला था ना?” सोहम की बोलती बंद हो गई।

ऋषि ने सोहम के कंधे पर हाथ रखा और उसे बिस्तर के पास ले जाकर नीटू से बोला, “यही वह है। मैं तुझे इसे ही मिलवाने वाला था। इसलिए कहा था ना कि तुझे जो चाहिए, वह घर में ही है।। मिल इससे—हमारे जवान बेटे से।।”

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नीटू घबराकर बोली, “मतलब, इतनी देर तक इसने ही मेरे साथ…”

ऋषी हसताना हसताना बोला, “हाँ, नीतू। यही तेरे साथ था। इसने ही तुझे मेरे कहने पर स्वर्ग का सुख दिया। अब समझी न कि यह आनंद तू जब चाहे ले सकती है।”

नीटू को मरे से भी बदतर हाल लग रहा था। उसने अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया और बोली, “तूने यह क्या किया, ऋषि? मुझे अपने ही बेटे के साथ सुला दिया? मेरे हाथों कितना बड़ा पाप करवाया? इस पाप को कहाँ जाकर फेडूँ? छी छी छी। ऐसा सुख मुझे कभी नहीं चाहिए था। इससे तो मैं मर जाना पसंद करती।”

ऋषि उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, “इसमें कोई पाप नहीं है। हम आधुनिक जमाने में रहते हैं। जैसे पेट की भूख होती है, वैसे ही शरीर की भूख होती है। दोनों को मिटाना जरूरी नहीं क्या? भूख कौन मिटाता है, यह मायने नहीं रखता, कैसे मिटती है, यह ज्यादा जरूरी है। अब सिर्फ एक सवाल का जवाब दे—तेरा संतुष्ट हुआ ना? तेरी सेक्स की इच्छा शांत हुई ना?”

नीटू रुआँसी आवाज में बोली, “संतुष्टि, सुख तो जरूर मिला। लेकिन अपने बेटे से? यह सोच भी नहीं सकती। और सोहम को क्या लगा होगा, इसका खयाल भी तूने किया था?”

सोहम ने, ऋषि के बोलने से पहले, नीटू की नजर टालते हुए कहा, “मम्मी, मुझे भी पहले यह सब गलत लग रहा था। लेकिन डैड ने समझाया, तो बात समझ आई। क्योंकि डैड तेरे सुख के बारे में सोच रहे थे। और सच कहूँ? पिछले कई महीनों से मेरे मन में भी तेरे साथ सेक्स करने के सपने आ रहे थे। आज मेरा सपना पूरा हुआ। तू बिल्कुल बुरा मत मान। अगर तेरी इच्छा नहीं होगी, तो हम यह फिर नहीं करेंगे।”

पाँच मिनट खामोशी के बाद नीटू बोली, “जो हो गया, सो हो गया। उसे वापस नहीं लाया जा सकता। अब मुझे यही शंका है कि मुझे फिर से ऐसी इच्छा होगी भी या नहीं। मुझे नहीं लगता कि ऐसा फिर होगा। चलो, देर हो गई है, अब सो जाओ। जो हुआ, उसे भूलने की कोशिश करें।”

सोहम अपनी रूम में चला गया। बाद में ऋषि नीटू के बगल में लेटा और उसे गले लगाकर बोला, “नीटू, सचमुच बुरा मत मान। यह सोच कि पाप किया है, ऐसा कुछ नहीं है। हमने बस शरीर की जरूरत पूरी की। और अगर तुझे फिर से इच्छा हुई, तो मुझे बता। सोहम नहीं, तो हम कोई और देख लेंगे।”

नीटू बोली, “ठीक है। लेकिन एक बात अच्छी हुई। मुझे कहीं बाहर जाना नहीं पड़ा। घर में ही इंतजाम हो गया। यह बात घर तक ही रही। एक बात तो मानती हूँ। आज मेरी शारीरिक वासना सोहम ने पूरी तरह शांत कर दी। पहले जैसे तू मुझे संतुष्ट करता था, वैसा ही आज लगा। और अगर मुझे फिर इच्छा हुई, तो मैं तुझे जरूर बताऊँगी।”

ऋषि ने उसके गाल पर चुम्बन लिया और बोला, “मुझे बताने की कोई जरूरत नहीं। जब तेरा मन हो, तू सीधे सोहम से बोल दे। मुझे कोई ऐतराज नहीं है।”

डैड की इजाजत से मम्मी को चोदा – भाग 2

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