“जल्दी कपड़े पहन, तुझे देर हो रही है,” सागर ने कहा। उसकी इस हरकत से भावना के मन में उसके प्रति सम्मान और बढ़ गया था। उसने सागर को जोर से गले लगाया और बोली, “☺️ आय लव यू सो मच… सागर।
क्या रे, तुझे कैसे पता चला मेरे मन की बात? ☺️” यह कहकर उसने उसे चुम्बन दिया। सागर ने मासूमियत से जवाब दिया, “अरे पागल, मन से तुझसे प्यार करता हूं… तेरे मन की बात कैसे नहीं समझूंगा? ☺️” फिर शरारत से हंसते हुए बोला, “देर हो जाएगी तुझे… जल्दी निकल, नहीं तो मुझसे खुद पर काबू नहीं रख पाऊंगा।” भावना हंसते हुए बोली, “हां रे शहाण्या,” और “गुड नाइट माय स्वीट हार्ट” कहकर घर जाने के लिए निकल पड़ी।
सागर उसे टैक्सी तक छोड़ने आया। “ठीक से जा,” कहकर वह रूम में लौट आया। खाने के लिए उसने ऑर्डर किया और टीवी देखते हुए बैठ गया। वेटर ने खाना लाने के बाद वह खाना खाकर बिस्तर पर लेट गया, और आज भावना के साथ बिताए पलों को याद करने लगा। आज उसने भावना का नख-शिख सौंदर्य देखा था, उसका वह अनोखा रूप बार-बार उसकी आंखों के सामने आ रहा था। खुद ही मुस्कुराते हुए उसने करवट बदली, तकिया सीने से लगाया और सो गया।
अगले दिन सागर जल्दी उठा। नहाकर वह भावना का इंतज़ार करने लगा। इधर भावना भी तैयार होकर, नाश्ता करके घरवालों से कहकर निकली कि वह दोस्तों के साथ गेट-टुगेदर के लिए जा रही है। आधे-पौन घंटे में वह सागर की रूम पर पहुंच गई। उसे तैयार देखकर भावना बोली, “अरे वाह… आज जल्दी तैयार होकर बैठा है ☺️।” फिर पूछा, “नाश्ता किया या करना है?” सागर ने कहा, “तेरे लिए रुका हूं, चल करते हैं।” दोनों ने मिलकर नाश्ता किया। सागर ने पूछा, “आज कहां जाना है?” भावना ने जवाब दिया, “वो तेरे लिए सरप्राइज़ है। चल अब…” और उसका हाथ पकड़कर बाहर निकली। रूम से निकलकर दादर स्टेशन पहुंचे, वहां से टिकट लेकर दोनों वीटी (अब सीएसटी) स्टेशन पहुंच गए।
वहां से बाहर निकलकर बस स्टैंड पर गेटवे ऑफ इंडिया जाने वाली बस का इंतज़ार करने लगे। गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचकर उतरते ही सागर बोला, “अरे, हम तो कल यहीं आए थे ना… आज कुछ और देखते हैं ना।” भावना हंसते हुए बोली, “हां रे बाबा ☺️, ज़रा रुक, तुझे समझ आएगा।” उसने एलिफेंटा के लिए टिकट लिया और सागर को लेकर एलिफेंटा जाने वाली नाव में बैठ गई। सागर सोच में पड़ गया कि हम कहां जा रहे हैं? जैसे ही नाव किनारा छोड़कर एलिफेंटा की ओर बढ़ी, चारों तरफ अथाह समुद्र, उस पर हल्की हलचल करती नाव, और आसपास मछलियां पकड़ने उड़ते पक्षियों के झुंड—यह सब सागर देख रहा था। भावना ने उसका हाथ अपनी बाहों में लिया और पूछा, “सागर, कैसा है ये? ☺️ पसंद आया तुझे?” सागर बोला, “अद्भुत, सब कुछ अद्भुत है ग… भावना।” उस रमणीय नज़ारे को नाव के ऊपरी डेक से देखते हुए करीब आधे घंटे में वे एलिफेंटा पहुंच गए।
नाव एलिफेंटा के घाट पर लगी। एक-एक करके यात्री उतर रहे थे। सागर और भावना ऊपरी डेक से नीचे उतरे और घाट पर आए। घाट से अथाह समुद्र और उसकी लहरों के साथ उड़ते पानी के छींटे और हवा का मेल दोनों को महसूस हो रहा था। घाट से करीब आधा किलोमीटर का रास्ता था। पास में छोटी मिनी ट्रेन भी थी, लेकिन दोनों हाथ में हाथ डाले पैदल ही चल रहे थे। उनके साथ कुछ विदेशी पर्यटक भी थे।
एलिफेंटा के पायदान पर पहुंचने पर दोनों तरफ आकर्षक वस्तुओं और कपड़ों के स्टॉल थे। सागर ने भावना के लिए, उसकी ना-नुकुर के बावजूद, एक सुंदर पर्स खरीदा और अपने लिए उसके नाम का ब्रेसलेट लिया। फिर दोनों एलिफेंटा की सीढ़ियां चढ़ने लगे। वहां पहुंचकर प्राचीन गुफाएं और उनके नक्काशीदार काम को देखकर सागर मंत्रमुग्ध हो गया। स्थानीय गाइड से प्राचीन ऋषि-मुनियों के निवास स्थानों और गुफाओं की जानकारी ले रहा था। सब कुछ देखने के बाद दोनों एक गुफा के पास पत्थर पर आराम से बैठ गए और अपने भविष्य, अपने रिश्ते और ढेर सारी बातें कीं। सागर ने भावना को अपनी बाहों में लिया और कहा, “थैंक्स फॉर एवरीथिंग ☺️ भावना।” फिर उसका हाथ पकड़कर बोला, “चल, अब निकलते हैं।” दोनों वहां से निकल पड़े। नीचे उतरते समय एक होटल में खाना खाया और हाथ में हाथ डाले लहरों का मनमोहक नज़ारा देखते हुए लॉन्च के लिए घाट पर पहुंचे। लॉन्च आई और वे गेटवे ऑफ इंडिया की ओर रवाना हुए। लॉन्च के किनारे पर खड़े होकर लहरें, मछलियां पकड़ने वाले पक्षियों के झुंड और रमणीय दृश्य देखते हुए वे गेटवे ऑफ इंडिया पहुंच गए।
वहां से दादर के होटल के लिए निकल पड़े। होटल पहुंचते ही सागर ने ठंडे पानी से नहाया और बाहर आया। उसके बाद भावना भी नहाने गई। तब तक सागर टीवी पर अपनी पसंदीदा फिल्म क्रिमिनल देख रहा था। जैसे ही भावना नहाकर बाहर आई, उसी वक्त फिल्म में गाना शुरू हुआ, “तुम मिले, दिल खिले और जीने को क्या चाहिए।” भावना के बाहर आने की सागर को खबर नहीं थी। उसने टॉवेल लपेटे हुए सागर के पास चुपके से आकर उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके माथे पर अपने होंठ रखे। फिर शरारत से ☺️ उससे थोड़ा दूर जाकर पीठ करके खड़ी हो गई। सागर को उसका इशारा समझ आया। वह उसके पास गया और उसकी पीठ पर से बाल हटाकर उसके गीले थेंबों को अपने होंठों से चूमने लगा। इधर रोमांटिक गाना चल रहा था।
सागर के हर स्पर्श से भावना बेकरार हो रही थी। उसके होंठों का हर छूआन उसे रोमांचित और उत्तेजित कर रहा था। अब भावना ने अपने टॉवेल को खुद उतारा और सागर से लिपट गई। अपने अधीर होंठों से उसके होंठों का लंबा, बेकरार चुम्बन लेते हुए वह अपनी कामेच्छा की तृप्ति के लिए पूरी तरह उसके हवाले हो गई। सागर ने उसे हल्के से उठाकर बिस्तर पर लाया और दोनों उस परम कामक्रीड़ा के सुख का आनंद लेने लगे। कामक्रीड़ा के अंतिम क्षणों को तृप्त होकर जीने के बाद दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे। सागर ने भावना के चेहरे पर आए बालों को अपनी उंगलियों से हटाया और बोला, “भावना… 😢 अब मुझे जाना होगा।” यह सुनते ही भावना की आंखों में आंसू छलक आए।
अगला भाग अनजाने में सब कुछ हुआ – 4
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