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नकली बेटी की माँ की चुदाई

दोस्तों, ये कहानी मुझे मेरे एक दोस्त ने सुनाई थी। मैंने उसकी इजाज़त से इसे और मज़ेदार बनाया है, तो लीजिए पढ़िए।

मेरा नाम श्याम सुंदर है, और मेरी उम्र अभी 48 साल की है। मेरे परिवार में मेरी पत्नी और मेरा बेटा ही हैं।
आपने मेरी पुरानी कहानियों के दो हिस्सों
*पत्नी की दोस्त पर दिल मचल गया-1*
*पत्नी की दोस्त पर दिल मचल गया-2*
में पढ़ा कि कुछ समय पहले मेरी पत्नी की दोस्त प्रिया मेरे साथ खुलकर बातें करने लगी। वो मुझे जीजा कहकर मज़ाक करती थी। मैंने मौका देखकर प्रिया को चोद दिया, और फिर हमारा नाजायज़ रिश्ता और गहरा हो गया।

प्रिया के घर में मेरी जगह उसके पति जैसी ही है, आज भी वैसी ही है। प्रिया की दोनों बेटियाँ मुझे पापा कहती हैं, और मैं उनकी हर ज़रूरत को पूरी ज़िम्मेदारी से निभाता हूँ।

प्यार इतना बढ़ा कि मैं भूल ही गया कि मेरा सिर्फ़ एक बेटा है। मैंने उन दोनों लड़कियों को भी बाप का पूरा प्यार दिया। उन्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। मेरी पत्नी भी कहती थी कि दोनों लड़कियाँ तुम्हें अपने असली पिता से ज़्यादा प्यार करती हैं।

ये सच भी था, क्योंकि प्रिया का पति घर में रौब झाड़ता था। वो अक्सर लड़कियों को डाँट देता था और कम बोलता था। लेकिन मैं लड़कियों से खूब हँस-बोल लेता था। जब भी उनके घर जाता, दोनों लड़कियाँ बड़े प्यार से मेरे पास आकर चिपक जातीं।

मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि ये किसी और की बेटियाँ हैं। कई बार खेलते-खेलते मैंने दोनों को गोद में उठाया, कंधों पर बिठाया, एक ही बिस्तर पर लेटकर मोबाइल पर गेम भी खेले। खुशी जैसे चारों ओर बरस रही थी।
अब मेरी पत्नी को भी यकीन हो गया था कि मैं सिर्फ़ उन लड़कियों के प्यार की वजह से प्रिया के घर जाता हूँ। इसीलिए कभी-कभी मैं अकेले भी प्रिया के घर चला जाता था।

बस एक बात थी कि प्रिया अक्सर कहती थी- हम सिर्फ़ दिन में ही क्यों मिलते हैं? कोई प्लान बनाओ ना, ताकि हम पूरी रात प्यार का खेल खेल सकें। रात को मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है। मन करता है कि तुम मेरे साथ लेटे हो, और हम दोनों बिल्कुल नंगे होकर पूरी रात एक-दूसरे को प्यार करें।

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मेरी भी यही मुश्किल थी। जब पत्नी घर पर हो, तो मैं रात बाहर कैसे बिताऊँ? और दूसरी समस्या प्रिया की बेटियाँ थीं। उसके घर में वो दिक्कत, मेरे घर में ये दिक्कत।
लेकिन किस्मत कब आपको कहाँ ले जाए, ये कोई नहीं जानता।

ऐसा ही मेरे साथ हुआ।

एक दिन मैं प्रिया के घर गया। प्रिया किचन में थी, तो मैं सीधा किचन में पहुँचा। अपने साथ लाए गरमा-गरम कचौड़ियाँ प्रिया को दीं और मौका देखकर उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया।
जब उसने मुँह घुमाया, तो मैंने उसके होंठ चूम लिए। उसने भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से दिया।

मैंने पूछा- लड़कियाँ कहाँ हैं?
वो बोली- ऊपर अपने कमरे में पढ़ रही हैं।
मैंने झट से उसकी नाइटी ऊपर उठानी शुरू की। वो घबराई- अरे, ये क्या करते हो, कोई आ जाएगा।

मैंने तो बस उसकी फुद्दी देखनी थी, वो देख ली।
मैंने कहा- ठीक है, चाय लेकर ऊपर आ जाओ।

मैं ऊपर लड़कियों के कमरे में चला गया। दोनों लड़कियाँ मुझे देखकर खुशी से चहक उठीं और दौड़कर मुझसे लिपट गईं- हैलो पापा, नमस्ते पापा।
मैंने दोनों को प्यार किया, और वो अपनी-अपनी जगह पर जाकर बैठ गईं।

फिर मैंने उनकी पढ़ाई के बारे में पूछा और इधर-उधर की बातें कीं। तभी प्रिया चाय और कचौड़ियाँ लेकर आ गई।
तभी रिया बोली- अरे कचौड़ियाँ! सचमुच पापा, मेरा अभी कचौड़ियाँ खाने का मन था।
मैंने कहा- देखो, तुम्हारे दिल की बात मैंने सुन ली और अपनी बेटी के लिए कचौड़ियाँ ले आया।

रिया ने एक कचौड़ी उठाई और साथ में मुझे एक पप्पी भी दी।
हमने कचौड़ियाँ खाईं, चाय पी।

चाय पीने के बाद हम वहीं बैठकर बातें करने लगे। पहले बैठे थे, फिर धीरे-धीरे खिसकते हुए लेट गए।
मैं उन्हें अपने मोबाइल पर कुछ मज़ेदार वीडियो दिखा रहा था, जिन्हें देखकर हम सब हँस रहे थे। दोनों लड़कियाँ मेरे बगल में लेटी थीं, और प्रिया मेरे पैरों के पास बैठी थी। ये एकदम पारिवारिक माहौल था। फिर प्रिया बर्तन लेकर किचन चली गई, और संजना भी उसके साथ चली गई।

कमरे में सिर्फ़ मैं और रिया रह गए। जब हम दोनों अकेले थे, तो मैं उठकर बैठ गया। तभी रिया बोली- पापा, एक बात पूछूँ?
मैंने कहा- पूछ, मेरी गुड़िया, क्या बात है?
वो बोली- आप गुस्सा तो नहीं करेंगे?
मैंने मोबाइल बंद करके साइड पर रख दिया, क्योंकि बात कुछ गंभीर लग रही थी।

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मैंने कहा- मैं अपनी गुड़िया की किसी बात पर गुस्सा नहीं करता, बोल।
वो बोली- आप मम्मी से प्यार करते हो?

उसकी बात सुनकर मैं एक पल को सन्न रह गया, लेकिन जवाब तो देना था। सच तो ये था कि मैं प्रिया से सच्चा प्यार नहीं करता था, बस जिस्मानी खिंचाव था।
फिर भी मैंने कहा- हाँ, करता हूँ।
वो बोली- कितना प्यार करते हो?
मैंने कहा- पहले ये बता, तू ये सब क्यों पूछ रही है?
वो बोली- मैंने मम्मी की आँखों में आपके लिए बहुत प्यार देखा है। वो आपको जिस तरह देखती हैं।

मैंने कहा- देख बेटा, अब तू बड़ी हो गई है, दुनिया की बातें समझती है। तो मैं तुझसे कह सकता हूँ कि हाँ, मुझे तुम्हारी मम्मी से मोहब्बत है।
वो एकदम से मुझसे लिपट गई- बस पापा, आप मेरी मम्मी को कभी मत छोड़ना। वो आपको बहुत चाहती हैं। मैंने मम्मी से पूछा था, वो आपसे बहुत प्यार करती हैं। वादा करो, आप मम्मी को कभी धोखा नहीं दोगे।

अब उसका दिल मैं कैसे तोड़ सकता था? मैंने वादा कर दिया कि मैं उसकी मम्मी को कभी धोखा नहीं दूँगा। लेकिन सच तो ये था कि ये रिश्ता ही धोखे की बुनियाद पर टिका था। मैंने अपनी पत्नी को धोखा देकर ही तो प्रिया से रिश्ता बनाया था।

लेकिन मेरे इस झूठे वादे ने उस घर में मेरे लिए नए रास्ते खोल दिए। इसके बाद मैं पूरी तरह उस घर का हिस्सा बन गया। अब लड़कियों के ज़िद करने पर मैं रोज़ उनके घर जाता, चाहे थोड़ी देर के लिए ही सही। दोनों लड़कियाँ मुझे बहुत प्यार करती थीं। अब उनके सामने ही मैं प्रिया से हँसी-मज़ाक करता, उसे बाँहों में भर लेता, कभी-कभी चूम भी लेता।
दोनों लड़कियाँ हमारे इस प्यार को देखकर बहुत खुश होती थीं कि उनकी माँ को ढेर सारा प्यार मिल रहा है।

फिर एक दिन मेरी पत्नी ने कहा कि वो कुछ दिनों के लिए अपने मायके जाना चाहती है।
मैंने मना क्यों करना था? माँ-बेटा दोनों 3-4 दिन के लिए चले गए।

जिस दिन वो गए, उसी दिन मैंने प्रिया को फोन करके बता दिया कि मेरी पत्नी मायके गई है 3 दिन के लिए। अगर तू कहे, तो मैं तेरे घर रहने आ जाऊँ।
उसने मना क्यों करना था?

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उसी शाम मैं ऑफिस से सीधा प्रिया के घर पहुँचा।
पहले शाम की चाय पी, फिर उसे और लड़कियों को लेकर बाज़ार गया। सबको घुमाया, बाहर खाना खिलाया। खूब मज़े करके हम घर लौटे।

अब सोने का वक़्त आया। प्रिया थोड़ा झिझक रही थी कि अपनी बेटियों के सामने वो किसी और मर्द के साथ सोने कैसे जाए।
लेकिन रिया ने खुद ही कहा- मम्मी, आज आप पापा के साथ सो जाओ।
थोड़ा शरमाते, थोड़ा हिचकते हुए प्रिया मेरे बेडरूम में आ गई।

मैंने दरवाज़ा बंद किया और प्रिया को अपनी बाँहों में भर लिया। बस बाँहों में भरते ही प्रिया मुझसे पूरी तरह लिपट गई। सबसे पहले हमने अपने कपड़े उतारे, और बिस्तर पर लेटते ही मेरा लंड उसकी फुद्दी में घुस गया। उम्म्ह… अहह… हय… ओह…
आज जैसे हमारी सुहागरात थी। आज मुझे भी मन था कि साली प्रिया की भोंसड़ी अच्छे से मारूँ।

मेरी आदत थी कि बिना तैयारी के मैं प्रिया के पास जाता नहीं था। आज भी पूरी तैयारी थी। तीन-चार मिनट की चुदाई में प्रिया का पानी झड़ गया। लेकिन जब उसका पानी झड़ा, तो वो खूब तड़पी, खूब चिल्लाई, बिना इसकी परवाह किए कि बगल के कमरे में उसकी दो जवान बेटियाँ क्या सोचेंगी कि मम्मी की कितनी ज़ोरदार चुदाई हो रही है।

बात यहीं नहीं रुकी। उस रात हम दोनों सोए नहीं, बस थोड़ी-थोड़ी देर के लिए। जब भी किसी की नींद खुलती, वो दूसरे को जगा लेता, और फिर चुदाई शुरू।

उस रात मैंने प्रिया को तीन बार चोदा, और वो शायद 6-7 बार स्खलित हुई। हर बार उसने बिना शर्म के खूब शोर मचाकर अपनी चुदाई का तमाशा किया।

सुबह 5 बजे हम सोए।

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