Posted in

बेटी ने खुद सील तुड़वाई

नकली बेटी की माँ की चुदाई से आगे की कहानी

जब मेरी आँख खुली, तब सुबह साढ़े दस बज रहे थे। प्रिया बिस्तर पर नहीं थी। रात को मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतारकर फेंकी थी, जो अभी भी फर्श पर पड़ी थी। मैं चादर ओढ़े लेटा था, लेकिन चादर के अंदर बिल्कुल नंगा था और मेरा लंड सुबह-सुबह तना हुआ था।

तभी रिया कमरे में आई और मुझे गुड मॉर्निंग पापा कहकर चाय का कप सिरहाने रख दिया। एक पल को मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, क्योंकि अपनी बेटी के सामने मैं नंगा था और मेरे तने लंड ने चादर को तंबू बना दिया था, जो रिया ने देख लिया था।

चाय रखकर रिया ने फर्श पर पड़ी अपनी मम्मी की ब्रा-पैंटी उठाई और चली गई। मैं चाय पीते हुए सोचने लगा कि ये लड़की क्या सोच रही होगी कि उसकी माँ को कोई गैर मर्द सारी रात चोदता रहा। प्रिया की चीखें, सिसकारियाँ, सब उसने सुनी होंगी। लेकिन मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया।

चाय पीकर मैं उठा और बाथरूम चला गया। नहाकर तैयार होकर नीचे आया, तो प्रिया नहा-धोकर सज-संवरकर तैयार खड़ी थी। मेरे आते ही उसने अपनी बेटियों के सामने मेरे पैर छूए, फिर नाश्ता परोसा। हम चारों ने नाश्ता किया, लेकिन मैंने देखा कि दोनों लड़कियों के चेहरों पर शरारती मुस्कान थी।

उस दिन मेरी छुट्टी थी, तो दोपहर को भी मैंने एक बार प्रिया को चोदा। रात को फिर वही सब हुआ। संजना कुछ शांत थी, लेकिन रिया इस बात से बहुत खुश थी। वो अपनी खुशी जताने के लिए मुझे कई बार चूम चुकी थी। हर वक्त पापा-पापा कहकर मेरे आसपास रहती थी।

अगले दिन रिया मेरे सिर में तेल लगा रही थी, मैं मोबाइल पर कुछ देख रहा था। तेल लगाने के बाद जब मैं लेटना चाहा, तो रिया ने मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया। मुझे इसमें कुछ अजीब नहीं लगा। मैं मोबाइल में व्यस्त था कि अचानक रिया ने मेरे होंठ चूम लिए।

मैं चौंककर उठ बैठा। हैरान होकर बोला- रिया, ये क्या किया तुमने?
वो बोली- आप मम्मी से इतना प्यार करते हो, तो मैंने सोचा आपका शुक्रिया कैसे करूँ!
वो थोड़ा डरी हुई लग रही थी।

मैंने कहा- बेटा, ये सब तो तुम्हारी मम्मी मुझे दे ही रही है, तुम्हें कुछ अलग करने की जरूरत नहीं।
वो बोली- क्यों पापा, क्या मैं आपको अपनी तरफ से कुछ नहीं दे सकती?
मैंने कहा- बेटा, होंठों का चुम्बन तो उस इंसान के लिए होता है, जिसे तुम बहुत प्यार करती हो, जैसे बॉयफ्रेंड या पति।

रिया पहले चुप हो गई, फिर थोड़ा नाराज़ होकर उठते हुए बोली- आपकी मर्ज़ी, आप जो चाहे समझो।

मेरे तो होश उड़ गए कि ये क्या हो रहा है, ये लड़की भी देने को तैयार है। मेरे लिए मुश्किल ये थी कि मैं शुरू से रिया को अपनी बेटी मानता आया था। उसके साथ ये सब? नहीं, ऐसा कैसे हो सकता? मैं उसे समझाऊँगा।

मैंने 2-3 बार रिया को समझाने की कोशिश की, लेकिन उल्टा असर हुआ। रिया ने खुद इकरार कर लिया कि वो मुझसे प्यार करती है।
मैंने कहा- तुम तो मुझे पापा कहती हो?
वो बोली- ठीक है, आज से नहीं कहूँगी।
मैंने बहुत समझाया, लेकिन वो जिद पर अड़ गई।

मैंने कहा- तुमने मुझसे वादा लिया था कि मैं तुम्हारी मम्मी को धोखा नहीं दूँगा, और अब तुम खुद मुझे उस वादे को तोड़ने के लिए उकसा रही हो?
वो बोली- भाड़ में जाए मम्मी। आई लव यू का मतलब आई लव यू!

मेरे लिए ये कश्मकश थी, लेकिन फिर मैंने सोचा, क्यों किसी का दिल दुखाऊँ? न ये मेरी असली बेटी है, न मैं इसका असली बाप। असली बाप असली होता है, नकली बाप नकली।
ये विचार आते ही रिया मुझे सेक्स के लिए परफेक्ट लगने लगी। प्रिया के शरीर में मुझे कमियाँ और रिया के कच्चे जिस्म में खूबियाँ दिखने लगीं।

इसके बाद जब भी मैं प्रिया के घर जाता, रिया मुझसे गले मिलती, तो मैं जानबूझकर उसे अपने जिस्म से सटा लेता ताकि उसके नरम मम्मे मेरे सीने से लगें और मुझे उसके कुंवारे जिस्म की खुशबू मिले। प्रिया समझती थी कि ये बाप-बेटी का प्यार है, लेकिन मेरी नजर अब रिया के लिए बदल चुकी थी।

ये कहानी भी पढ़िए :  किरायेदार बहनें, भाग 1

एक-दो बार मौका मिला, जब मैं प्रिया, रिया और संजना को घुमाने ले गया। सबने जीन्स पहनी थी, लेकिन बाज़ार में घूमते हुए मैंने रिया से कहा- जीन्स तो सभी लड़कियाँ पहनती हैं, लेकिन आजकल शॉर्ट्स का फैशन है।
वो चहककर बोली- तो पापा, मुझे भी शॉर्ट्स ले दो।

मैं उन्हें एक दुकान पर ले गया, सबके लिए जीन्स ली, लेकिन रिया के लिए मैंने खुद शॉर्ट्स चुने।
जब वो ट्रायल रूम से शॉर्ट्स पहनकर निकली, तो मैंने उसकी गोरी जाँघों को घूरते हुए कहा- बेटा, शॉर्ट्स तो ठीक है, लेकिन इसे पहनने के लिए तुम्हें वैक्सिंग भी करवानी होगी।
वो बोली- ये कौन सी बड़ी बात है, मम्मी कर देंगी।

रिया की टाँगों पर ज्यादा बाल नहीं थे। मैंने उसे शॉर्ट्स में ही चलने को कहा। बाज़ार में कई लोग उसे शॉर्ट्स में घूर रहे थे।
वो बोली- पापा, सब मेरी टाँगें घूर रहे हैं।
मैंने कहा- परवाह मत कर, ये बस घूर सकते हैं। सोच कि तुममें कुछ खास है, तभी ये सब तुम्हें देख रहे हैं।

मेरी बात का रिया पर असर हुआ, और वो बिंदास होकर बाज़ार में घूमी। घर आकर वो मुझसे लिपटकर मेरे गाल पर चूमते हुए बोली- सच में पापा, आज जितना मज़ा बाज़ार में आया, पहले कभी नहीं आया।
मैंने मन में सोचा, अरे पगली, मैं तो तुझे बिगाड़ रहा हूँ ताकि एक दिन तू मुझसे चुदे या किसी यार से अपनी फुद्दी मरवा ले।

वो मेरी चालें कहाँ समझ रही थी। और प्रिया? उसकी फुद्दी में तो मैं हर हफ्ते लंड फेरता था, वो उसी में उलझी थी। उसे क्या पता कि मैं उसकी जवान बेटी पर भी नजर रखे हुए हूँ।

मेरी कोशिशें रंग ला रही थीं। रिया मेरे और करीब आ रही थी। बातों-बातों में मैंने उसे बता दिया कि मुझे उसका प्यार मंजूर है।

एक दिन जब हम अकेले थे, मैंने कहा- रिया, एक बात कहूँ?
वो बोली- हाँ पापा?
मैंने कहा- उस दिन तूने जो किस किया था, बहुत छोटा था, मज़ा नहीं आया। एक और मिलेगा?
रिया शरमाकर बोली- फ्री में?
मैंने कहा- तो बोल मेरी जान, क्या चाहिए?

वो दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई। मैं उसके पीछे गया, उसे बाँहों में भरा, घुमाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके होंठ चूसे, उसके छोटे-छोटे मम्मे दबा दिए। वो मेरी गिरफ्त से छूटकर भागी, दरवाज़े पर रुकी, मुड़कर मुस्कुराई और फिर चली गई।

मैं खुशी से बिस्तर पर गिर पड़ा। माँ सेट, बेटी सेट। अब मैं रिया को चोदने के सपने देखने लगा।

लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि रिया कॉलेज में पढ़ती है, वहाँ ढेर सारे लड़के होंगे, फिर वो मुझमें क्या देख रही है?

फिर भी, मेरे दोनों हाथों में लड्डू थे। जब मौका मिलता, मैं रिया को छू लेता। कुछ ही दिनों में मैंने उसके जिस्म के हर अंग को छू लिया। मैंने कहा- रिया, मैं तुम्हें बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूँ।
वो बाथरूम गई, कपड़े उतारे और दरवाज़ा थोड़ा खोलकर बाहर देखा।

कमरे में मैं अकेला था, प्रिया और संजना नीचे किचन में थीं। मैंने इशारा किया, तो रिया बाथरूम से निकलकर मेरे सामने आ गई।
खूबसूरत, पतली-दुबली लड़की। उसके खड़े मम्मे और कसे चूतड़ मुझे दीवाना बना गए। मैंने उसके मम्मों और पूरे जिस्म को छूकर देखा।
मेरा लंड तन गया। मैंने कहा- रिया, अब तुम्हें चोदना पड़ेगा।
वो बोली- पापा, आपकी बेटी हूँ, जब आपका दिल करे!
वो अपने चूतड़ मटकाती बाथरूम चली गई।

वो कपड़े पहनकर लौटी।

मैंने पूछा- रिया, तू खूबसूरत है, तेरी क्लास में लड़के तुझ पर लाइन मारते होंगे, फिर तुझे मुझमें क्या दिखा? और मेरा तो तेरी मम्मी के साथ चक्कर चल रहा है।
वो बोली- पापा, आप मुझे शुरू से अच्छे लगते थे। उस रात जब आप हमारे घर रुके, तो आप और मम्मी के बीच जो हुआ, हम दोनों बहनों ने सुना। मम्मी की सिसकारियाँ सुनकर मैं इतनी उत्तेजित हुई कि मैंने अपने हाथ से खुद को शांत किया। मेरा मन करता था कि जैसे आप मम्मी के साथ करते हो, मेरे साथ करो, तो कैसा लगेगा। ये सोचते-सोचते मैं आप पर मर मिटी। मैं सोच रही थी कि आपसे ये बात कैसे कहूँ, लेकिन आपने खुद कह दिया। आप मेरे प्यारे पापा हो, मैं आपसे कुछ नहीं छुपाऊँगी। अब जब बेटी नंगी हो गई, तो नकली बाप को शराफत का ढोंग करने की क्या जरूरत?

ये कहानी भी पढ़िए :  सीनियर स्टूडेंट की चूत मारी

मैंने कहा- रिया, मुझसे सेक्स करोगी?
वो बोली- आप कुछ भी करो, मैं मना नहीं करूँगी।

मैंने चेक करने के लिए अपनी जीभ निकाली और उसके मुँह में डाल दी। वो मेरी जीभ चूस गई। मैंने उसके मम्मे कसकर दबाए। लेकिन इससे ज्यादा मैं कुछ न कर सका, क्योंकि प्रिया हमेशा घर में होती थी। उसकी मौजूदगी में मैं उसकी बेटी को कैसे चोदता?

मैं तड़प रहा था कि कब मौका मिले और मैं इस कुंवारी लड़की के कोमल तन का भोग लगाऊँ। अब मैं प्रिया को रिया के सामने गले लगाता, चूम लेता।
रिया मुस्कुराती, देखकर कि मैं उसकी माँ की जवानी भोग रहा हूँ। उसे पता था कि मैं मौका मिलते ही उसकी माँ को जमकर चोदता हूँ। उसकी माँ की चीखें सुनकर वो और उत्तेजित होती।

फिर एक दिन रिया का फोन आया- पापा, मम्मी और संजना बाबाजी के दर्शन करने जा रही हैं। मैंने पेपर का बहाना बना दिया, मैं नहीं जा रही।
मतलब वो घर में अकेली थी। मैं खुशी से उछल पड़ा।

जिस दिन प्रिया और संजना गईं, मैंने उन्हें बस चढ़ाया और कहा- तुम चिंता मत करो, मैं रिया को अपने घर ले जाऊँगा।

लेकिन मैं पहले प्रिया के घर गया। रिया वहाँ बैठी थी। मैंने उसे बाँहों में भरा- ओह मेरी प्यारी बेटी!
कहकर मैंने उसके कई चुम्बन ले लिए।
वो खुश हुई- अरे पापा, ये क्या, आप अधीर हो गए।
मैंने कहा- अरे मेरी जान, तेरे इस कच्चे कुंवारे जिस्म को देखकर कौन अधीर नहीं होगा।

मैंने उसे खूब चूमा, उसके गाल, होंठ चूसे। फिर खुद को संभाला कि अभी शाम तक वक्त है, आराम से करेंगे।

मैंने रिया से कहा- बेटा, एक काम कर।
वो बोली- जी पापा?
मैंने कहा- आज शाम को हम मेरे घर जाएँगे, लेकिन उससे पहले यहाँ वो सब करेंगे जो हम मन में सोच रहे थे। मैं चाहता हूँ कि हम शाम तक इस घर में पूरी तरह नंगे रहकर समय बिताएँ, ताकि मैं तुझे जी भरकर नंगी देख सकूँ।
वो बोली- आप मेरे पापा हो, आपकी बात मैं कैसे मना करूँ।

जब वो कपड़े उतारने लगी, मैंने रोका और खुद उसकी टी-शर्ट, लोअर, अंडरशर्ट और चड्डी उतारकर उसे नंगी किया। फिर मैं भी नंगा हो गया।
बाप-बेटी दोनों एक-दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।

मैंने रिया को सीने से लगाया। वो मुझसे चिपक गई। मेरा लंड हमारे पेटों के बीच ऊपर उठ रहा था।

मैंने उसके पूरे जिस्म को चूमा, मम्मे चूसे, पेट, पीठ, जाँघें, सब चूमा। उसकी फुद्दी चाटी, गांड भी चाटी।

मैं आराम से करना चाहता था, लेकिन लालच में सब्र कहाँ। मैंने उसकी फुद्दी को जीभ से खूब चाटा, इतना कि वो पानी छोड़ने लगी। उसका नमकीन पानी मैंने मज़े से चाट लिया।

फिर मैंने कहा- बेटा, पापा का लंड चूसोगी?
वो बोली- मैंने ये कभी नहीं किया, और सच कहूँ, मुझे ये गंदा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है, मत चूसो। लेकिन दिल करे तो चूस लेना।
वो बोली- पता नहीं पापा।

मैं दीवान पर लेट गया और उसे उल्टा अपने ऊपर लिटाया। उसकी टाँगें खोलीं, उसकी फुद्दी अपने मुँह पर सेट की और जीभ लगाने से पहले कहा- रिया, पापा का लंड हाथ में पकड़ और अपने मुँह के पास रख। अगर मन करे, तो चूस लेना।

मुझे पता था कि जब मैं उसकी फुद्दी चाटूँगा और वो पानी छोड़ेगी, तो वो मेरे लंड को चूस लेगी।

और ऐसा ही हुआ। दो-तीन मिनट उसकी फुद्दी चाटने पर उसकी जाँघों की जकड़ मेरे चेहरे पर और उसके हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कस गई। फिर मुझे उसके गुलाबी होंठों का स्पर्श मेरे लंड पर महसूस हुआ। वो मेरे लंड को चूसने लगी।

ये कहानी भी पढ़िए :  बहन की बेटी को चोद कर प्यास बुझायी

वो गर्म थी, मैं भी। देर किस बात की!
मैंने उसे रोका, दीवान पर सीधा लिटाया और कहा- देख बेटा, अब मैं अपना लौड़ा तुम्हारी कुंवारी फुद्दी में डालूँगा। पहली बार है, शायद दर्द हो। अगर दर्द हो, तो बता देना, हम रुक-रुककर करेंगे। लेकिन आज मैं अपना पूरा लंड तुम्हारी फुद्दी में उतारना चाहता हूँ।
वो बोली- पापा, आराम से करना। ये मेरे मुँह में भी मुश्किल से घुसा था। दर्द होगा, लेकिन मैं बर्दाश्त करूँगी।

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया, उसे गीला किया और रिया की कुंवारी फुद्दी पर रखा।
एक पल को मन में आया कि मैं क्या कर रहा हूँ, लेकिन फिर मैंने ऊपर देखा और भगवान से कहा- दुनिया की नजर में ये गलत हो, लेकिन मेरी नजर में ठीक है। इसे सहने की शक्ति दे।

मैंने कमर का ज़ोर लगाया। मेरा लौड़ा रिया की कुंवारी फुद्दी फाड़कर अंदर घुस गया।
उसकी आँखें जैसे बाहर आ गईं। मेरे कंधों को पकड़कर वो बोली- उम्म्ह… अहह… हय… ओह… पापा… नहीं!

लेकिन तब तक मेरा लंड उसकी फुद्दी में घुस चुका था। वो सदमे में थी, लेकिन मैं कामवासना में डूबा था। उसके दर्द की परवाह किए बिना मैंने और ज़ोर लगाया और लंड को और अंदर घुसाया।

रिया के मुँह से अब चीख नहीं निकली। उसकी आँखें फटी थीं, चेहरा पीला पड़ गया था। मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड को उसके जिस्म में पिरो रहा था।
जब तक रिया होश में आई, तब तक मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में था।

मेरे मन में अजीब सी खुशी थी। शायद एक कुंवारी लड़की की सील तोड़ने की, या अपनी नकली बेटी के साथ सेक्स की, या अपनी माशूका की बेटी को चोदने की। पता नहीं क्या, लेकिन मैं बहुत खुश था।

उसके दर्द की मुझे परवाह नहीं थी। मुझे बस अपनी खुशी दिख रही थी।

थोड़ा संभलने पर रिया बोली- पापा, ये क्या कर दिया?
मैंने पूछा- क्या हुआ बेटा?
वो बोली- ऐसा लग रहा है जैसे मुझे बीच से चीर दिया हो, तलवार से काट दिया हो। लगता है मैं मर जाऊँगी।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा बेटा, पहली बार हर लड़की के साथ ऐसा होता है। अगली बार तू बहुत एंजॉय करेगी।

वो बेसुध मेरे नीचे लेटी रही। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे दर्द के सिवा कुछ महसूस नहीं हो रहा। और मैं एक लंपट मर्द की तरह उसे भोग रहा था।

मैं रुका नहीं और चोदता रहा, जब तक मेरा माल नहीं झड़ा। मैंने अपना गाढ़ा वीर्य उसके पेट पर गिराया। मुझे बहुत सुकून मिला, मर्दानगी का अहसास हुआ।
उसे उसी हाल में छोड़कर मैं बाथरूम गया। पहले मूता, फिर शीशे के सामने खड़े होकर खुद को देखा।

मन में आया- वाह, तूने कच्ची कली फाड़ दी। क्या बात है, तू तो बड़ा मर्द है!

खुश होकर मैं कमरे में लौटा। रिया बाथरूम गई और काफी देर तक अंदर रही। फिर बाहर आई।
मैंने उसे बोर्नविटा वाला दूध गर्म करके पिलाया और तेल से उसके बदन की मालिश की। तब वो थोड़ा सहज हुई।

शाम 5 बजे मैं उसे अपने घर ले गया और पत्नी से कहा- इसकी तबीयत खराब है, थोड़ा खयाल रखना।
मुझे लगा कि मेरी पत्नी रिया की हालत देखकर सब समझ गई।

पत्नी ने उसकी बेटी की तरह सेवा की, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसका पति और रिया का नकली बाप ही उसकी इस हालत का जिम्मेदार है।

6 views