नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम अजय है, उम्र 28 साल। मेरा लंड इतना मस्त है कि इसकी तारीफ कई लड़कियाँ और भाभियाँ कर चुकी हैं। ये मेरी और मेरी सेक्सी भाभी की चुदाई की सच्ची भाभी कि गांड का दीवाना बना कहानी है।
स्कूल खत्म होने के बाद मुझे कॉलेज के लिए शहर भेजा गया। मेरे पड़ोस की आंटी के बेटे और बहू (भैया-भाभी) वहाँ रहते थे। पापा ने उनका पता देकर मुझे भेज दिया।
जब मैं उनके घर पहुँचा और दरवाजा खटखटाया, तो भाभी ने दरवाजा खोला। मैं उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। काले लंबे बाल, गोरे गाल, लाल होंठ, बड़े मम्मे, सपाट पेट, और चौड़ी गांड! उनकी हिलती गांड देखकर मैं कल्पना में खो गया कि उनका गांड का छेद कैसा होगा। मैं सोफे पर बैठ गया, और भाभी मेरे लिए पानी लाईं।
भाभी ने बताया कि भैया 10 दिन के टूर पर गए हैं, और वो घर में अकेली हैं। ये सुनकर मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल आया। भाभी का फिगर 38-34-36, उम्र 35 साल, लेकिन इतनी सेक्सी कि कोई भी उन्हें देखकर बिस्तर पर ले जाना चाहे।
भाभी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया। मैंने सामान सेट किया और उनसे बातें करने लगा। रात में खाने के समय भाभी ने नीली झीनी नाइटी पहनी थी, जिसमें उनका गोरा बदन चमक रहा था। नाइटी चुस्त होने से उनके मम्मे फटने को तैयार थे। नाइटी के गहरे गले से उनके मम्मों के दर्शन हो रहे थे। उनके हाव-भाव से मुझे लगा कि वो चुदने को तैयार हैं।
खाना खाने के बाद मैं उनके रूम में रहा। भाभी बोलीं- अब सो जाओ, मैं नहा लूँ।
मैंने आश्चर्य से पूछा- रात में नहाने का समय?
वो बोलीं- मैं रात में नहाकर सोती हूँ। ये कहते हुए उन्होंने हाथ उठाकर मम्मे हिलाए। मैं उनकी इस अदा पर पागल हो गया। वो मुस्कुराकर नहाने चली गईं।
मुझे नींद नहीं आई। भाभी के मम्मे आँखों में घूम रहे थे। मैं उनके रूम में गया। वो बिस्तर पर लेटी थीं।
मैंने कहा- भाभी, नींद नहीं आ रही, आपके पास सो जाऊँ?
उन्होंने हाँ कर दी।
मैं उनके पास लेटकर लिपट गया। उम्मीद थी कि वो विरोध करेंगी, लेकिन उन्होंने मुझे बाँहों में ले लिया। मैंने उनके मुलायम मम्मों को चूसना शुरू किया। भाभी पहले ना-नुकुर करती रहीं, लेकिन फिर मेरे साथ डूब गईं। मैंने उनकी नाइटी और अपने कपड़े उतार दिए। वो मेरा लंड देखकर मोहित हो गईं और उसे हिलाने लगीं।
मैंने कहा- भाभी, सब्र करो, आज मेरा केला तुम्हें ही मिलेगा।
वो बोलीं- इसे देखकर सब्र नहीं होता, पहले प्यास बुझाओ।
मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और लंड चूत पर सेट किया। भाभी ने लंड को चूत की फाँकों में फँसाया और गांड उठाकर सुपारा अंदर लिया। मैंने जोरदार धक्का मारा। भाभी की चीख निकली- ‘उम्म्ह… अहह… हय… ओह…’, उनकी आँखें फैल गईं, और उन्होंने चादर भींच ली।
मैंने पूरा लंड उनकी रसीली चूत में पेल दिया। एक पल रुककर मैंने उनके मम्मे दबाए और चुदाई शुरू की। एक मिनट में भाभी की चूत मस्त हो गई और लंड का स्वागत करने लगी। मैं उनके मम्मे चूसते और गांड सहलाते हुए तेजी से चोदने लगा। भाभी मेरे मोटे लंड से जन्नत का मज़ा ले रही थीं। वो मुझे चिपकाकर मेरे बालों में हाथ फेरने लगीं।
कुछ देर बाद भाभी तेज सिसकारियों के साथ झड़ गईं। मैंने भी उनकी चूत में सारा रस निकाल दिया। स्खलन के बाद हम सेक्सी बातें करने लगे। मैं उनकी नंगी गांड पर हाथ फेर रहा था। उंगली करने पर वो गांड उछाल रही थीं।
एक और राउंड चुदाई के बाद हम नंगे लिपटकर सो गए। सुबह मैंने फिर उनके मम्मे चूसे और चूत में लंड पेलकर चोदा।
बाद में भाभी रसोई में गईं। मैंने उन्हें पीछे से पकड़कर मस्ती की।
भाभी बोलीं- अभी तक मन नहीं भरा?
मैंने कहा- आप जैसी सेक्सी भाभी हो, तो किसका मन भरेगा?
वो बोलीं- तुम बहुत शैतान हो।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने बरमूडा पहना, और भाभी ने दरवाजा खोला। उनकी दो सहेलियाँ चार बच्चों के साथ आई थीं। बातचीत से पता चला कि उन्हें मार्केट जाना था। भाभी ने मुझे बच्चों का ध्यान रखने को कहा और चली गईं।
मेरे मन में भाभी को चोदने की आग थी। भाभी भी जल्दी वापस आ गईं। उन्होंने बच्चों को बाहर कमरे में बिठाया और ड्रेस बदलकर नाइटी में आईं। मैंने उन्हें पकड़कर चूम लिया। बच्चे आवाज देने लगे, तो भाभी उनके पास गईं। मैंने इशारा किया कि अब चुदवा लो।
बच्चे परेशान कर रहे थे। भाभी ने उन्हें लुका-छिपी खेलने को कहा। मैंने कहा- हम सब खेलते हैं।
खेल शुरू हुआ। तीसरे राउंड में मैं भाभी को रूम में ले गया, उनकी नाइटी उठाई, पैंटी नीचे की, और चूत में लंड पेल दिया। भाभी ने मुश्किल से आवाज दबाई। वो मना कर रही थीं, लेकिन मैंने चोदना शुरू किया। मेरी पकड़ ढीली हुई, तो वो भागीं। मैंने फिर पकड़कर कोने में लंड चूत में डाला और मम्मे दबाते हुए चोदा। चुदाई पूरी कर मैंने लंड नाइटी से पोंछा।
बच्चे बाहर आवाज देने लगे। भाभी बोलीं- अजय, अभी इतना ही, सब आ गए हैं।
वो गांड मटकाकर दरवाजा खोलने गईं। मैं बेड पर उनकी गांड देखता रहा।
बच्चों ने पूछा- आंटी, आपने देर में दरवाजा खोला, भैया कहाँ हैं?
मैंने पीछे से भाभी की गांड पर दाँत से काट लिया। वो चिहुँकी और बोलीं- जाओ, अजय भैया को ढूँढो।
भाभी ने दरवाजा बंद किया। मैंने उन्हें गोद में उठाकर बिस्तर पर पटका और चूत खोलकर चोदने लगा। मम्मे चूसते हुए जोर-जोर से चोदा। दरवाजा फिर बजा, लेकिन मैं नहीं रुका। मैंने तेज धक्कों के साथ भाभी की चूत में रस निकाला। उनके मम्मों पर दाँतों के निशान बन गए।
बच्चों की वजह से हमें अलग होना पड़ा। भाभी बच्चों के साथ बाहर बैठीं। मैं भी कपड़े पहनकर बाहर आया। शाम को सहेलियाँ बच्चों को ले गईं।
जब तक भैया टूर से नहीं लौटे, हमने जी भरकर चुदाई की। मैंने भाभी की गांड भी मारी, जिसकी कहानी बाद में बताऊँगा।
मुझे पता चला कि भाभी अपनी सहेली के भांजे से भी चुद चुकी थीं। ये सुनकर मुझे जलन हुई। मैंने चुदाई के दौरान भाभी से पूछा, तो उन्होंने मजे से बताया कि वो कैसे चुदीं। बाद में मैंने भाभी की सहेली को भी चोद दिया। वो कहानी भी बाद में सुनाऊँगा।
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