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भाभी की गुप्त चुदाई पकड़ी गई

यह कहानी एक भाभी की वासना से भरी दास्तान है, जो सेक्स और जुनून से लबरेज है। भाभी की गुप्त चुदाई पकड़ी गई

रात के नौ बजे का समय था। कई दिन बीत गए थे जब से राधिका भाभी ने रमेश के साथ चुदाई का मजा लिया था। उसका पति संजय घर पर ही था, जिसके कारण राधिका का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने रमेश से मिलने की ठान ली और पास की दुकान के फोन से उसे बुलवाया।
राधिका भाभी: नमस्ते… रमेश को एक बार बुला देंगे?
दूसरी तरफ से आवाज आई: आप कौन बोल रही हैं?
राधिका भाभी: बस इतना कह देना कि राधिका का फोन है।

दुकानदार ने रमेश को बुलाने के लिए अपने नौकर को भेजा।
नौकर बोला: रमेश भाई, कोई राधिका का फोन आया है आपके लिए।

रमेश ने अपना काम छोड़कर फटाफट फोन उठाया: हेलो भाभी, क्या बात है?
राधिका भाभी: रमेश, कहाँ हो तुम? मेरी याद सताती है कि नहीं?

रमेश: अरे मेरी जान, तुम्हें भूलने की बात सोच भी कैसे सकता हूँ? रात को बिस्तर पर तुम्हारी वो गर्माहट और खुशबू ही मेरे साथ होती है। तुम ही मेरे सपनों में आकर वो शरारती खेल खेलती हो, जो मेरी नींद उड़ा देता है।
राधिका भाभी: सच में रमेश, मेरे शरारती रमेश… मेरा दिल भी तुम्हारी गर्मी के लिए तरस रहा है।

रमेश: ओह भाभी, तुम भी कमाल हो। आज रात तुम्हारे घर आता हूँ। पर भाभी, तुम्हारा पति तो घर पर ही है। रात में तुम बाहर कैसे निकलोगी?
राधिका भाभी: रमेश, मेरे पास एक तरकीब है। आज संजय शराब के मूड में है। तुम रात बारह बजे तक चले आना। मैं दरवाजा खुला रखूँगी। तुम चुपके से घर में घुसकर बिजली का मेन स्विच बंद कर देना। मैं बिजली गुल होने का बहाना बनाकर तुम्हारे पास आ जाऊँगी और तुम्हारी बाहों में समा जाऊँगी।

रमेश: वाह भाभी, तुम्हारा दिमाग तो कमाल का है। मेरी चुदक्कड़ भाभी, तुम्हारी चूत का रस पीने की प्यास मुझे भी सता रही है। आज रात मैं बेसब्री से इंतजार करूँगा।

फोन रखने के बाद रमेश ने दुकानदार की तरफ देखा।
दुकानदार बोला: रमेश, क्या माल पकड़ रखा है तूने!
रमेश: हाँ यार, क्या बताऊँ। मैंने कई लड़कियों और औरतों को चोदा है, पर इसकी सर्विस जैसी कोई नहीं। साली बिना कॉन्डम के ही मेरे लंड से चुदवा लेती है। कभी-कभी डर लगता है कि कहीं कुछ हो न जाए, पर अब तक तो सब ठीक है।

दुकानदार: हाँ रमेश, पर एक बात का ध्यान रख। इसका पति कोई छोटा-मोटा आदमी नहीं, राजनीति में है।
रमेश: हाँ, ये तो है। चल, मैं निकलता हूँ, रात को काम है।

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रात बारह बजे रमेश राधिका भाभी के घर पहुँचा। राधिका एक सेक्सी नाइटी में खड़ी थी। उसने रमेश को आते देख लिया था। उसने अपने पति संजय से कहा: अब बस भी करो, सो जाओ। संजय शराब में टुन्न था। राधिका का इशारा रमेश की ओर था, उसे बिजली बंद करवानी थी। उसने रमेश को आँख मारी। रमेश ने बिजली बंद की और राधिका ने उसे चुपके से दूसरे कमरे में जाने का इशारा किया।

बिजली जाते ही संजय की शराब का नशा टूट गया। वो उठा और बिस्तर पर चला गया। पाँच मिनट में ही उसके खर्राटे गूँजने लगे। रमेश इंतजार में था कि कब संजय सोएगा और वो अपना खेल शुरू करेगा।

जैसे ही रमेश को पता चला कि संजय सो गया, उसने पीछे से राधिका को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी गर्दन चूमने लगा। राधिका भी उसकी बाहों में आते ही गर्म हो गई। उसकी गांड को छूते ही रमेश का मोटा लंड तन गया और राधिका की मोटी गांड की दरार में अपनी जगह ढूँढने लगा।

रमेश ने अपना तना लंड राधिका की गांड की दरार में घुसाया। कपड़ों के ऊपर से ही लंड का स्पर्श पाते ही राधिका मचल उठी। उसने पलटकर रमेश के होंठ चूसने शुरू कर दिए।

रमेश ने राधिका की कमर को अपनी बाहों में कस लिया और उसे जकड़ लिया। फिर उसने राधिका को पलटाया और अपना खड़ा लंड उसकी गांड में घुसाने लगा, साथ ही आगे हाथ ले जाकर उसके मोटे चूचों को मसलने लगा। राधिका के मुँह से सिसकारियाँ निकलने को थीं, पर पति पास ही सो रहा था, इसलिए वो खुद को मुश्किल से रोक रही थी। रमेश जोर-जोर से उसके चूचे दबा रहा था।

रमेश का लंड अपने पूरे शबाब पर था। जब राधिका से रहा न गया, उसने पीछे हाथ ले जाकर रमेश के लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और सहलाने लगी। रमेश की हवस और भड़क गई, वो राधिका को काटने लगा।

राधिका बोली: चलो, अंदर चलते हैं। ये शराबी अभी नहीं उठेगा। मैं तुम्हारे लंड के लिए कब से तड़प रही हूँ।

रमेश ने राधिका को गोद में उठाया और कमरे में ले गया। जल्दबाजी में वे दरवाजा लॉक करना भूल गए। बिजली भी बंद थी, तो उन्हें लगा कि अंधेरे में कुछ पता नहीं चलेगा। बेडरूम का दरवाजा बंद किए बिना ही वे चूमाचाटी में जुट गए।

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अंदर जाते ही राधिका ने रमेश की शर्ट और पैंट उतार दी और उसे सोफे पर बिठा दिया। रमेश का लंड उसके अंडरवियर में तन गया था। उसने अंडरवियर भी उतार दिया और नंगा सोफे पर बैठ गया। उसका लंड उसकी जाँघों के बीच साँप की तरह फन उठाए खड़ा था।

राधिका ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर रमेश की गोद में बैठ गई। रमेश का तना लंड राधिका की गांड के नीचे दब गया। रमेश ने राधिका के चूचों को मुँह में लिया और ऐसे चूसने लगा जैसे बरसों से प्यासा हो। राधिका के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

रमेश का लंड राधिका की चूत में घुसने को बेताब था। राधिका की गांड भी रमेश के लंड पर उछलने को तैयार थी।
रमेश बोला: बस भाभी, अब और तड़पाओ मत। इस पर उछलो ना…
राधिका: आह्ह रमेश, तुम मेरे दिल की बात कैसे जान लेते हो? मैं तो खुद कहने वाली थी कि अब अंदर डाल दो। मेरी चूत ने पानी छोड़कर सब तैयार कर लिया है।

राधिका ने अपनी टाँगें फैलाईं और रमेश के तने लंड पर अपनी चूत सेट की। उसने धीरे-धीरे लंड को अपनी चिकनी चूत में उतारा। पूरा लंड अंदर जाते ही दोनों के मुँह से एक साथ “आह्ह” निकला।

लंड पूरा चूत में समा गया था। राधिका ने रमेश के गले में बाँहें डाल दीं और उसके लंड पर उछलने लगी। रमेश ने राधिका के चूचों को मुँह में भर लिया।

“उम्म्ह… आह्ह… मेरी रानी, तुम्हारी गर्म चूत में लंड डालकर मैं सब भूल जाता हूँ।”
राधिका: स्स्स… मेरे राजा, तुम्हारा लंड मेरी चूत की प्यास को और बढ़ा देता है। इसे मैं खा जाऊँगी… आह्ह… चोदो मुझे…

दोनों मस्ती में चुदाई का मजा लेने लगे। राधिका की चूड़ियाँ खनक रही थीं, चूत से पच-पच की आवाजें आ रही थीं, और दोनों की सिसकारियाँ गूँज रही थीं। मजे में खोए हुए वे भूल गए कि घर में कोई और भी है।

तभी संजय नींद से जाग गया। राधिका की चूड़ियों की खनक और सिसकारियों की आवाज सुनकर उसे शक हुआ। उसने तुरंत रसोई से लालटेन जलाई और दूसरे कमरे की ओर बढ़ा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसने देखा कि उसकी बीवी किसी और के लंड पर सवारी कर रही है।

लालटेन की रोशनी कमरे में पड़ते ही राधिका और रमेश की हालत खराब हो गई। संजय ने उन्हें चुदाई करते रंगे हाथों पकड़ लिया। दोनों उसे हक्के-बक्के देखते रह गए। उन्हें नहीं पता था कि संजय जाग सकता है।

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संजय गुस्से में चिल्लाया: साली, तू यहाँ गैर मर्द के लंड से ठुकवा रही है? मेरी माँ ने ठीक कहा था कि तुझ पर नजर रखना। मैंने उनकी बात को हल्के में लिया, पर तू साली चुदक्कड़ यहाँ रंगरेलियाँ मना रही है।

हालाँकि संजय ने उन्हें पकड़ लिया था, लेकिन रमेश का लंड अभी भी राधिका की चूत में था और उसने अपनी मलाई राधिका की चूत में छोड़ दी थी। संजय के आने से धक्के रुक गए थे।

राधिका को भी अहसास हो गया था कि रमेश का माल उसकी चूत में निकल चुका है। उस पर एक अजीब-सा नशा चढ़ा था। संजय की बातों का उस पर कोई असर नहीं हुआ।
संजय गालियाँ दे रहा था: साली, तुझमें इतनी हिम्मत कि मेरे ही घर में गैर मर्द को बिस्तर पर ले आई?
राधिका: तो मैं क्या करती? तुम्हारे लंड से मेरी चूत की प्यास नहीं बुझती। तुम तो दो धक्कों में ढेर हो जाते हो।
संजय: तो साली, सांड का लंड क्यों नहीं ले लेती?
राधिका: मैं तो रमेश का ही लूँगी। तुम जो करना हो, कर लो।

राधिका ने रमेश की ओर देखकर कहा: तुम रुके क्यों? इस नामर्द से डरने की जरूरत नहीं। चुदाई चालू रखो।
रमेश: पर भाभी, मेरा माल तो चूत में निकल चुका है।

राधिका ने रमेश के मुँह पर एक थप्पड़ जड़ा और गुस्से में नंगी ही कमरे से बाहर चली गई। रमेश भी अपने कपड़े लेकर भागने लगा, तभी संजय ने लालटेन उसकी गांड पर दे मारी। गर्म लालटेन लगते ही रमेश गांड मलता हुआ घर से भाग निकला।

संजय राधिका के कमरे की ओर गया, पर राधिका ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। संजय सिर पीटता हुआ दूसरे कमरे में जाकर लेट गया।

आपको ये भाभी की वासना और चुदाई की कहानी कैसी लगी?

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