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भाभी की तड़प की कथा

इस तड़प भरी कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी भाभी की आग बुझाई? भाई की शादी के बाद भाभी से मेरी गहरी दोस्ती हो गई। एक बार जब भाई एक महीने के लिए बाहर गए, तो…

दोस्तों, मेरा नाम राहुल है, और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली तड़प भरी कहानी भाभी की तड़प की कथा है। मेरी उम्र 24 साल है, कद 5 फीट 6 इंच है, और रंग थोड़ा गेहुंआ है।

हमारे परिवार में कुल 6 लोग हैं—माता-पिता, भैया-भाभी, और मेरी छोटी बहन। मेरी बहन का नाम प्रिया है, जो 19 साल की है। प्रिया दिखने में बहुत सुंदर है और हाल ही में उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा है। मेरे पिता एक सरकारी नौकरी में हैं, और माँ गृहिणी हैं। भैया की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है, जो घर से दो किलोमीटर दूर है। भैया की शादी हाल ही में हुई है।

मेरी भाभी का नाम शालिनी है। शालिनी भाभी बेहद आकर्षक हैं। उनकी फिगर 34-28-36 है। भाभी इतनी खूबसूरत और मोहक हैं कि उन्हें देखकर किसी का भी लंड तन जाए।

जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं उनकी ओर ज्यादा आकर्षित नहीं था। मैं उनका बहुत सम्मान करता था और कभी गलत नजर से नहीं देखा। भाभी भी घर के सभी लोगों का ख्याल रखती थीं। कुछ ही समय में मैं और भाभी इतने करीब आ गए कि हम अच्छे दोस्त बन गए। भाभी मुझसे अपनी निजी बातें साझा करने लगीं।

एक दिन बातों-बातों में भाभी ने पूछा, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?”
मैंने कहा, “नहीं भाभी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।”
भाभी हँसते हुए बोलीं, “अरे, अब नहीं बनाओगे तो कब बनाओगे?”
मैंने जवाब दिया, “भाभी, मुझे तो कोई लड़की पसंद ही नहीं करती।”

भाभी जोर से हँसीं और बोलीं, “तुमने शायद इस पर ध्यान ही नहीं दिया। लड़कियाँ खुद पहल नहीं करतीं, लड़के को ही आगे बढ़ना पड़ता है।”

उनकी बात सुनकर मुझे लगा कि हाँ, ये तो सच है। मैंने कभी किसी लड़की से अपने दिल की बात कही ही नहीं। मैं सोच में डूब गया।

भाभी ने मुझे देखकर फिर हँसते हुए कहा, “जब भी कोई लड़की पसंद आए, तो खुलकर अपने दिल की बात कह देना।”
मेरे मुँह से निकल गया, “भाभी, मुझे तो आप ही पसंद हैं।”
भाभी हँस पड़ीं और बोलीं, “लेकिन मैं तो शादीशुदा हूँ।”

इसके बाद मैं भाभी से लड़कियों के बारे में खुलकर बात करने लगा। वो मुझे लड़कियों की पसंद-नापसंद बताती थीं, और मुझे उनसे इस विषय पर बात करना बहुत पसंद था।

एक दिन अचानक भैया को कुछ काम से दिल्ली जाना पड़ा, एक महीने के लिए। उस दिन मैंने भाभी को बहुत उदास देखा।
मैंने पूछा, “भाभी, आप इतनी परेशान क्यों हैं?”
भाभी बोलीं, “बस, कुछ नहीं… यूँ ही।”
मैंने कहा, “भाभी, आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं। मुझे तो बता सकती हैं।”
भाभी ने बताया, “तुम्हारे भैया दिल्ली जा रहे हैं एक महीने के लिए। मुझे अच्छा नहीं लग रहा। कुछ करने का मन नहीं है।”
मैंने कहा, “चिंता मत करो भाभी, मैं हूँ ना। वैसे भी भैया सिर्फ़ एक महीने के लिए जा रहे हैं, जल्दी लौट आएँगे।”

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भाभी मेरी बात सुनकर चुप रहीं, लेकिन हल्की-सी मुस्कान उनके चेहरे पर आ गई।

मैं उनकी उस मुस्कान का मतलब नहीं समझ पाया, बस इतना लगा कि भाभी थोड़ा खुश हो गईं।

एक हफ्ता बीत गया। भाभी की बेचैनी और बढ़ती गई। अब मुझे भी उन्हें अकेला छोड़ना अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन मैं बिना खटखटाए भाभी के कमरे में चला गया। मैंने देखा कि भाभी बिस्तर पर लेटी थीं और वासना में डूबी अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबा रही थीं। मेरे अचानक आने से वो घबरा गईं और शर्म से सिर झुका लिया।

मैंने पूछा, “भाभी, ये क्या कर रही थीं आप?”
भाभी बोलीं, “कुछ नहीं देवर जी… बस तुम्हारे भैया की याद आ रही थी।”

मुझे समझ आ गया कि भाभी को भैया की नहीं, बल्कि लंड की जरूरत है।

मैंने कहा, “भाभी, मैं आपकी परेशानी हल कर सकता हूँ, लेकिन आपको मेरी एक बात माननी होगी।”
भाभी बोलीं, “कौन-सी बात?”
मैंने कहा, “अभी नहीं, शाम को बताऊँगा।”

मैं शाम का इंतज़ार करने लगा। रात को खाना खाने के बाद मैं टीवी देखने लगा। जब सब सोने चले गए, मैं भाभी के कमरे में गया।

वहाँ भाभी मोबाइल में कुछ देख रही थीं। मेरे अंदर जाते ही वो चौंक गईं और मोबाइल नीचे रख दिया।

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मैंने पूछा, “क्या कर रही थीं भाभी?”
भाभी बोलीं, “कुछ नहीं, बस गेम खेल रही थी। वैसे, आप कुछ बताने वाले थे न?”
मैंने कहा, “हाँ भाभी, मैं आपको इस तरह उदास नहीं देख सकता। मुझे पता है आप पर क्या गुजर रही है।”

इतना कहकर मैं भाभी की ओर देखने लगा। भाभी भी मेरी बात सुनने को उत्सुक दिखीं।

मैंने कहा, “भाभी, अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपकी परेशानी दूर कर सकता हूँ।”
भाभी बोलीं, “जो भी कहना है, साफ-साफ कहो।”
मैंने कहा, “पहले वादा करो कि आप मेरी बात का बुरा नहीं मानेंगी। अगर आपको मेरी बात पसंद न आए, तो साफ बता देना।”

भाभी कुछ समझ गईं।
वो बोलीं, “हाँ, तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो। मैं तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानूँगी।”
मैंने कहा, “भाभी, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ।”

भाभी एक पल के लिए चुप हो गईं, फिर बोलीं, “मैं भी यही चाहती थी, लेकिन तुमसे कह नहीं पा रही थी।”
मैंने कहा, “हाँ भाभी, मुझे आपका दुख देखा नहीं जा रहा था। लेकिन मुझे आपकी वो बात याद आई कि लड़कियाँ पहल नहीं करतीं, लड़के को ही करना पड़ता है।”

यह कहते हुए मैंने भाभी को गले लगा लिया। भाभी ने भी मुझे पूरा साथ दिया। मैं उनके होंठों को चूमने लगा। भाभी ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया।

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मैंने उनके होंठों को बेतहाशा चूमा। भाभी भी मेरे होंठों से होंठ चिपकाकर मेरा साथ दे रही थीं। हम दोनों करीब दस मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने कमरे की कुंडी लगाई और उनके पास लौट आया।

मैंने भाभी की साड़ी और ब्लाउज़ उतार दिया। उनकी ब्रा देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। पतली जाली वाली क्रीम रंग की ब्रा में उनके मम्मे साफ दिख रहे थे। मैंने उनका पेटीकोट भी उतार दिया और भाभी को ब्रा-पेंटी में ला दिया।

भाभी के गोरे शरीर को देखकर मेरा जोश और बढ़ गया। भाभी ने मेरी टी-शर्ट और ट्राउज़र उतार दिए। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और भाभी ब्रा-पेंटी में। मैं उनके पूरे बदन को चूमने लगा।

फिर मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला और उनके मम्मों को आज़ाद कर दिया। उनके रसीले चूचे हवा में लहराने लगे। मैंने उनके मम्मों को बारी-बारी से चूसना शुरू किया। भाभी अपने हाथों से मुझे अपने दूध चुसवा रही थीं। निप्पल चूसने से उनकी वासना चरम पर थी। वो मेरा सिर पकड़कर अपने मम्मे चुसवाते हुए सिसकारियाँ ले रही थीं। मैंने उनके मम्मों को इतना चूसा कि उनकी चूचियाँ लाल हो गईं।

अब मैंने अपना लंड निकाला और भाभी के हाथ में दे दिया। मेरा लंबा लंड देखकर भाभी चौंक गईं।
मैंने पूछा, “क्या हुआ भाभी?”
वो बोलीं, “इतना बड़ा लंड… भगवान! तुम्हारे भैया का तो इससे बहुत छोटा है।”
मैंने कहा, “पसंद आया?”

भाभी मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगीं। बोलीं, “इतने प्यारे औज़ार से कौन लड़की प्यार नहीं करेगी?”
मैंने कहा, “लंड को प्यार करने का ये तरीका ठीक है?”
भाभी बोलीं, “मतलब?”
मैंने कहा, “अगर लंड इतना प्यारा है, तो इसे मुँह में लेकर प्यार करो।”

भाभी शायद यही सुनना चाहती थीं। उन्होंने मेरा लंड तुरंत अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उन्होंने मेरे लंड को गले तक उतारा और दस मिनट तक चूसती रहीं। मुझे उनके मुँह की गर्मी से लंड की मालिश बहुत अच्छी लग रही थी।

दस मिनट की चुसाई के बाद मेरा माल निकल गया। भाभी ने सारा रस अपने मुँह में ले लिया और निगल लिया।

अब मैंने उनकी पेंटी उतारी और उनकी चूत को चाटने लगा। मेरी जीभ के स्पर्श से भाभी की सिहरन बता रही थी कि वो कितनी चुदासी हो चुकी थीं। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की गहराई में डाल दी और चूसने लगा।

भाभी ने मेरा सिर अपनी चूत में दबा लिया और सेक्सी आवाज़ में बोलीं, “आह… कितना मज़ा दे रहे हो… मेरी चूत खा जाओ… चूसो… खा जाओ… अब बर्दाश्त नहीं होता… मेरी चूत में अपना लंड डाल दो।”

मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक धक्के में आधा लंड अंदर डाल दिया। भाभी की चीख निकल गई। वो बोलीं, “अरे भाभीचोद, धीरे डाल… मैं कहीं भाग नहीं रही।”

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उनकी बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया।

भाभी फिर चीखीं, “उम्म… आह… बहनचोद… जान लेगा क्या?”

मेरे मुँह से भी गाली निकली, “साली रंडी… आज तेरी ऐसी चुदाई करूँगा कि तू किसी और लंड के बारे में सोचेगी भी नहीं।”

भाभी बोलीं, “अरे चूतिये… गंडफट… तेरी भाभी तो कब से तेरी रंडी बनने को तैयार थी। तू ही बेवकूफ था, इतने दिन लगा दिए। अब धीरे चोद… मेरी चूत चोदनी है, फाड़नी नहीं।”

मैं उनकी बात सुनकर और जोश में आ गया। मैं इतनी ज़ोर से चुदाई करने लगा कि हर धक्के के साथ उनकी आह निकल रही थी। कमरा फच-फच की आवाज़ से गूँज रहा था।

फिर मैंने कहा, “भाभी, सारी मेहनत मुझसे ही करवाओगी? अब मैं नीचे से चोदना चाहता हूँ। तुम मेरे लंड पर आ जाओ।”

भाभी मेरे लंड पर बैठकर ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे करने लगीं। उनकी चूचियाँ भी ज़ोर से हिल रही थीं। मैं उनके मम्मे मसलते हुए चुदाई करता रहा।

करीब 20 मिनट बाद भाभी झड़ने लगीं। उनके मुँह से मादक आवाज़ निकली, “आह… मैं गई… मर गई…”
उनका रस निकलने लगा। उनकी चूत इतनी गर्म थी जैसे लावा फूट रहा हो।

झड़ने के बाद भाभी मेरे ऊपर निढाल हो गईं। फिर मैंने उन्हें नीचे किया और चुदाई शुरू की। लेकिन उनकी गर्मी मैं ज़्यादा देर नहीं झेल पाया और झड़ने वाला था।

मैंने कहा, “भाभी, मेरा निकलने वाला है। कहाँ डालूँ?”
भाभी बोलीं, “मेरी चूत में ही डाल दे।”

मैंने 10-12 धक्कों के बाद उनकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया।

इस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद भाभी की आँखों में एक अलग चमक थी।

मैंने पूछा, “भाभी, आप खुश तो हैं न?”
भाभी बोलीं, “हाँ, मैं बहुत खुश हूँ। बस एक बात का मलाल है।”
मैंने पूछा, “क्या भाभी?”
वो बोलीं, “मैं तुमसे पहले क्यों नहीं चुद गई।”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं मेरी जान, अब तो हम रोज़ चुदाई करेंगे।”

उस रात मैंने भाभी को पाँच बार चोदा। इस बीच मेरी छोटी बहन प्रिया ने हमारी चुदाई देख ली। फिर मैंने प्रिया की सील कैसे तोड़ी और हमने सामूहिक चुदाई का क्या प्लान बनाया, वो मैं अपनी अगली तड़प भरी कहानी में बताऊँगा।

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