मेरी पड़ोसन भाभी एकदम हॉट और आकर्षक थी. उनकी सेक्सी गांड को देखकर मेरा मन हमेशा उनकी चुदाई करने को करता था. मैंने कैसे उनकी मस्त गांड को चोदा?
सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम.
मैं अपनी पड़ोसन भाभी की गांड चुदाई की कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ. एक लेखक के रूप में अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, हालाँकि मैं लंबे समय से इसकी कहानियाँ पढ़कर आनंद लेता रहा हूँ. इसलिए मैंने सोचा कि आज अपनी कहानी आप सबके साथ साझा करूँ.
अब मैं आपका समय बर्बाद न करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ. उससे पहले मेरा संक्षिप्त परिचय देना चाहता हूँ ताकि आपको कहानी समझने में आसानी हो.
मेरा नाम रवि शर्मा है और मैं दिल्ली से हूँ. मेरी उम्र 25 साल है. यह कहानी मेरी पड़ोस में रहने वाली भाभी की है. भाभी अपने पति के साथ उस मकान में रहती थीं, जिन्हें मैं भैया कहता था. भैया एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं, जबकि भाभी उस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं.
भाभी का फिगर बेहद आकर्षक है. उनके स्तन का साइज 34B है और उनकी गांड 36 इंच की है. उनकी कमर पतली, लगभग 28 इंच की होगी.
भाभी की गांड इतनी सेक्सी है कि जब वो चलती हैं, तो हर कोई उन्हें घूरने लगता है. मैं भी उनकी गांड देखकर इतना उत्तेजित हो जाता था कि बस उनकी चुदाई का सपना देखता था.
मैं हर रोज भगवान से प्रार्थना करता था कि बस एक बार भाभी को चोदने का मौका मिल जाए. एक दिन मेरी यह दुआ कबूल हो गई, जब मुझे भाभी की चुदाई का अवसर मिला.
उस दिन भाभी की कोई परीक्षा थी. परीक्षा केंद्र घर से 15-20 किलोमीटर दूर था. चूँकि भैया के अलावा उनके घर में कोई और नहीं था, इसलिए भैया ने मुझे भाभी को परीक्षा केंद्र तक छोड़ने को कहा. उस दिन भैया को किसी मीटिंग में जाना था.
जब भैया ने मुझे बताया कि मुझे भाभी को परीक्षा केंद्र ले जाना है, तो मेरे मन में खुशी की लहर दौड़ गई. मैं लंबे समय से भाभी के साथ कुछ करने के मौके की तलाश में था. आज वह मौका मेरे सामने था.
मैं जल्दी तैयार होकर भाभी के घर पहुँच गया. भैया ने मुझे कार की चाबी दी, और मैं उनकी कार में भाभी को लेकर परीक्षा केंद्र की ओर चल पड़ा. रास्ते में मेरे और भाभी के बीच बातचीत शुरू हो गई.
रास्ते में बात करते हुए मैंने बहाने से भाभी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछा. उनकी बातों से मुझे लगा कि वो अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं थीं. इससे मेरा काम और आसान हो गया.
कुछ समय बाद हम परीक्षा केंद्र पहुँच गए. भाभी परीक्षा देने चली गईं. दो घंटे की परीक्षा थी, तो मैं कार में बैठकर बोर होने लगा. मैंने सोचा कि बाहर निकलकर थोड़ा टहल लूँ. फिर कुछ देर बाद मुझे पेशाब लगी, तो मैंने आसपास कोई जगह ढूँढी.
सामने एक दूसरा स्कूल था, जहाँ टॉयलेट था. मैं वहाँ चला गया. अंदर जाकर देखा तो दो लड़के पहले से मौजूद थे. उस दिन छुट्टी थी, और वो वहाँ इसलिए थे क्योंकि स्कूल उनके पिता का था.
उनसे बात हुई तो पता चला कि उनका नाम राहुल और रोहन है, और वो स्कूल के मालिक के बेटे हैं. उनकी उम्र मेरे जैसी, यानी 25-26 साल थी. थोड़ी देर में हमारी हँसी-मजाक शुरू हो गया, और हमारी अच्छी बनने लगी. वो मेरे जैसे ही मजाकिया और खुलकर बात करने वाले थे.
जल्दी ही हम तीनों में दोस्ती हो गई. फिर बातों-बातों में सेक्स की चर्चा शुरू हो गई. वो बोले कि रंडी की चुदाई से तो मन भर गया, अब लंड को किसी घरेलू माल की चूत चाहिए. मैं उनका इरादा समझ गया. वो किसी भाभी या आंटी की चुदाई की तलाश में थे.
मेरे दिमाग में तुरंत योजना बनने लगी. मैंने कहा कि मैं तुम्हें एक मस्त माल का जुगाड़ करवा सकता हूँ, बस थोड़े पैसे खर्च करने पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि जितने पैसे माँगे, वो देने को तैयार हैं, बस माल शानदार होना चाहिए.
मैंने कहा- ठीक है, दस हजार में ऐसी चूत दिलवाऊँगा कि तुम हमेशा मेरा एहसान मानोगे.
वो बोले- सच में? जल्दी कर, देर किस बात की?
उनमें चूत चुदाई की ऐसी प्यास थी कि वो दस हजार रुपये देने को तुरंत तैयार हो गए.
तब तक भाभी की परीक्षा खत्म हो चुकी थी. मैंने राहुल और रोहन को कह दिया कि थोड़ा इंतजार करें. मैं भाभी को लेने चला गया. परीक्षा के बाद भाभी बाहर आ गईं.
बाहर आने पर मैंने भाभी को जूस पिलाया और पूछा कि उनकी परीक्षा कैसी गई?
वो बोलीं- ठीक-ठाक रही.
फिर हम कार में बैठ गए. कार में बैठते ही मैंने भाभी के हाथ पर हाथ रखा और बोला- भाभी, अगर आप बुरा न मानें तो कुछ कहना चाहता हूँ.
वो बोलीं- बोलो, क्या बात है?
मैंने कहा- मैं जानता हूँ कि आपकी और भैया की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं चल रही. आप कब तक अपनी इच्छाओं को दबाती रहेंगी? अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपके लिए मजा करने का इंतजाम कर सकता हूँ, और उसमें अच्छे पैसे भी मिलेंगे.
भाभी गुस्से में बोलीं- क्या पागल हो गए हो? मैं कोई धंधे वाली हूँ क्या?
मैंने बात संभालते हुए कहा- नहीं भाभी, मैंने ऐसा कब कहा? मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूँ. अगर खुशी के साथ पैसे भी मिल जाएँ तो क्या बुरा है?
भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने फिर कहा- देखिए, अगर औरत की इच्छाएँ पूरी न हों तो ऐसे रिश्ते का क्या मतलब? मैं तो कहता हूँ कि जब मौका मिल रहा है तो क्यों छोड़ रही हैं? और वो भी दस हजार रुपये के साथ!
पैसे की बात सुनकर भाभी ने हैरानी से मेरी ओर देखा.
फिर बोलीं- लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- कोई नहीं जानेगा, ये जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दीजिए.
वो बोलीं- ठीक है, लेकिन कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.
मैंने कहा- बिल्कुल चिंता न करें.
भाभी ने पूछा- इतने पैसे देगा कौन?
मैंने कहा- वो सब मैंने तय कर लिया है. बस आपको मुझे भी खुश करना होगा.
वो बोलीं- तुम तो घर के जैसे हो, मुझे तुमसे कोई परेशानी नहीं. लेकिन बाहर वाले कौन हैं?
मैंने कहा- मेरे दोस्त हैं, यहीं हैं. अगर आप तैयार हैं तो चलें?
वो बोलीं- ठीक है.
यह सुनकर मैंने भाभी को कार से उतारा और कार लॉक कर दी. फिर हम उस स्कूल में गए जहाँ राहुल और रोहन मेरा इंतजार कर रहे थे.
जब राहुल और रोहन ने भाभी को मेरे साथ देखा, तो उनकी आँखों में हवस की चमक आ गई. मैं अपने दोस्तों के पास गया और एक ओर जाकर बात की.
फिर मैं भाभी के पास लौटा. हम तीनों स्कूल के वेटिंग हॉल की ओर बढ़े. वहाँ दो छोटे बेड थे. हॉल में सेफ्टी थी, और बाहर किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला था.
अंदर जाकर हमने मुख्य दरवाजा बंद किया और दोनों बेडों को मिलाकर एक बड़ा बेड बना लिया. हम चारों बैठकर बातें करने लगे. कुछ देर इधर-उधर की बातें हुईं.
मैं देख रहा था कि राहुल और रोहन भाभी को ऐसी नजरों से देख रहे थे जैसे उन्हें अभी खा लेंगे. फिर उन्होंने भाभी के कंधे पर हाथ रखा, यह संकेत था कि अब वो और इंतजार नहीं कर सकते. भाभी मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं.
हमने भाभी को बेड के बीच में बिठाया. वो दोनों भाभी के स्तनों पर टूट पड़े, उनकी कमीज़ के ऊपर से उन्हें दबाने और मसलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे भूखे शेरों के सामने मांस रख दिया हो. कभी वो भाभी की गर्दन चूम रहे थे, तो कभी उन्हें बाँहों में भर रहे थे.
यह देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया. अब राहुल ने भाभी के होंठ चूसने शुरू किए, जबकि रोहन ने उनकी कमीज़ ऊपर कर दी. भाभी ने उनका साथ देते हुए कमीज़ उतार दी.
लाल ब्रा में भाभी का गोरा बदन हमारे सामने था. उनके स्तन ब्रा से बाहर आने को बेताब थे. ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें जबरदस्ती ब्रा में ठूँसा गया हो.
तभी राहुल ने भाभी की ब्रा को जोर से खींचा. चटाक की आवाज के साथ ब्रा के हुक टूट गए, और रोहन ने ब्रा को उनके स्तनों से हटा दिया. भाभी ऊपर से नंगी हो गईं, और उनके स्तन हवा में लहराने लगे.
स्तन बाहर आते ही वो दोनों उन पर टूट पड़े, उन्हें दबाने और चूसने लगे. एक स्तन को राहुल ने मुँह में लिया, और दूसरा रोहन ने. ऐसा लग रहा था जैसे वो भाभी के स्तनों का दूध पी रहे हों, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के स्तनों से लिपटा हो.
मेरी हालत खराब हो रही थी. मैं एक तरफ बैठकर यह सब देख रहा था और अपनी बारी का इंतजार कर रहा था. मेरा लंड मेरी पैंट में उछल रहा था. मैंने उसे पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया, क्योंकि सामने का दृश्य इतना उत्तेजक था कि मुझसे रुकना मुश्किल था.
कुछ देर तक भाभी के स्तनों को चूसने के बाद उन्होंने भाभी को लिटाया और उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार उतारी तो भाभी की गोरी जाँघों में फँसी नीली पैंटी दिखी. अगले ही पल उन्होंने पैंटी खींचकर भाभी को पूरी तरह नंगी कर दिया.
अब सेक्सी भाभी उनके बीच पूरी तरह नंगी लेटी थी. फिर उन्होंने भाभी को बेड से उतारकर खड़ा किया. वो दोनों भाभी के बदन से लिपटने लगे. रोहन ने भाभी के स्तनों को हाथों में भरा, और राहुल ने पीछे से उनकी गांड दबानी शुरू की.
दोनों के बीच नंगी भाभी सैंडविच की तरह लग रही थी. फिर दोनों ने अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगे हो गए. अब तीनों नंगे होकर एक-दूसरे के बदन से लिपटने लगे. उनके लंड भाभी के शरीर में घुसने को बेताब थे.
फिर उन्होंने भाभी को दोबारा बेड पर लिटाया. रोहन भाभी की चूत चाटने लगा, जबकि राहुल ऊपर जाकर भाभी के मुँह पर अपना लंड रगड़ने लगा. फिर उसने भाभी का मुँह खुलवाकर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और सिसकारियाँ लेते हुए चुसवाने लगा.
भाभी भी गर्म हो चुकी थीं और मजे से लंड चूस रही थीं, क्योंकि नीचे से चूत चटवाने का मजा भी मिल रहा था. फिर दोनों ने पोजीशन बदली. अब राहुल भाभी की चूत चाटने लगा, और रोहन उनका मुँह चोदने लगा. भाभी बेड पर तड़प रही थीं.
मैं भी भाभी की गांड चोदने के मौके का इंतजार कर रहा था. लेकिन पहले राहुल और रोहन को खत्म करना था, इसलिए मैं मुश्किल से खुद को रोक रहा था.
कुछ देर तक दोनों ने भाभी के नंगे जिस्म को चूसा-चाटा और अपना लंड चुसवाया. फिर रोहन ने भाभी को अपने लंड पर बैठने को कहा. रोहन नीचे लेट गया, और भाभी ने अपनी टाँगें फैलाकर रोहन के लंड को हाथ में लिया और उस पर बैठ गईं.
इधर राहुल ने भाभी के मुँह में अपना लंड ठूँसा. भाभी गर्दन घुमाकर राहुल का लंड चूसते हुए रोहन के लंड पर उछलने लगीं. अब मैं भी नंगा हो गया, क्योंकि मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने अपने कपड़े उतारे और लंड हिलाने लगा. फिर मैं बेड पर चढ़ गया. रोहन ने भाभी को अपने ऊपर लिटाया. भाभी के बड़े-बड़े नंगे स्तन रोहन की छाती से सट गए. राहुल रोहन के सिर के पास गया और वहाँ बैठकर भाभी को लंड चुसवाने लगा.
अब भाभी की मोटी गांड मेरे सामने ऊपर उठी थी. मैंने भाभी की गांड को मसला और जोर से कई बार दबाया. फिर अपने लंड पर थूक लगाकर भाभी की गांड के छेद पर भी थूक मला.
भाभी समझ गईं कि उनकी गांड चोदने की तैयारी है, इसलिए वो उठने लगीं, लेकिन राहुल ने उनके सिर को पकड़कर अपने लंड पर दबाया और चुसवाता रहा. मैंने पीछे से भाभी की गांड के छेद पर लंड लगाया और जोर से धक्का दिया. भाभी ने दर्द से राहुल के लंड पर दाँत गड़ा दिए, लेकिन राहुल ने लंड नहीं निकाला. मैंने पूरा जोर लगाकर भाभी की गांड में लंड उतार दिया.
आह्ह… भाभी की गुदाज गांड में लंड गया तो मजा आ गया. इतना सुख पहले कभी नहीं मिला था. मैंने धीरे-धीरे भाभी की गांड को मसलते हुए लंड चलाना शुरू किया. नीचे से रोहन का लंड भाभी की चूत में जा रहा था, और सामने से राहुल का लंड उनके मुँह में था.
तीन लंड अपने तीनों छेदों में लेकर भाभी शायद गांड चुदाई के दर्द को भी भूल गई थीं. अब वो भी तीनों लंडों का मजा ले रही थीं. कुछ देर बाद रोहन का वीर्य भाभी की चूत में निकल गया, और वो हट गया. उसकी जगह राहुल लेट गया और भाभी की चूत चोदने लगा.
मुझे भाभी की गांड चोदते हुए काफी समय हो गया था, और अब मेरा वीर्य भी निकलने वाला था. मैंने तीन-चार जोरदार झटके भाभी की गांड में दिए और अपना वीर्य उनकी गांड में छोड़ दिया. दो मिनट बाद राहुल ने भी भाभी की चूत को उछाल-उछालकर चोदा और अपनी मणि से भर दिया.
तीनों ने भाभी के छेदों में अपना वीर्य निकाल दिया था. जब भाभी उठीं, तो उनकी चूत और गांड से वीर्य टपक रहा था. हम तीनों अभी भी हाँफ रहे थे. मैं पीछे सोफे पर लेट गया. वो दोनों भाभी के साथ बेड पर पड़े थे.
कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हुआ, तो हमने कपड़े पहने. राहुल और रोहन ने वादे के मुताबिक दस हजार रुपये दिए. हम पैसे लेकर बाहर आ गए. भाभी के चेहरे पर संतुष्टि और खुशी थी.
मैं भी भाभी की गांड चोदकर संतुष्ट था. फिर हम कार में बैठे और वहाँ से निकल गए. रास्ते में मैंने भाभी से फिर से लंड चुसवाया और कार में ही उनकी चूत चोदी. उस दिन तीन लंडों की चुदाई ने भाभी को थका दिया था.
उसके बाद कई बार भाभी ने मौका पाकर मुझसे अपनी चूत मरवाई, और मैंने भी उनके पूरे मजे लिए. जब भी भैया घर पर नहीं होते या हमें बाहर जाने का मौका मिलता, हम जमकर आनंद लेते.
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