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चचेरे भाई-बहन की चुदाई का मजा

मैंने अपनी बुआ के बेटे, यानी अपने चचेरे भाई के साथ चुदाई का आनंद लिया। बुआ अक्सर अपने बेटे रंजन के साथ हमारे घर आती थीं। मेरा दिल उस पर आ गया और फिर क्या हुआ, जानिए मेरी कहानी में।

दोस्तों, मेरा नाम रिया है। मैं लखनऊ में रहती हूँ। मैं एक साधारण लेकिन बहुत खूबसूरत लड़की हूँ। मेरी सहेलियों में मेरी चूचियाँ और गांड सबसे ज्यादा आकर्षक हैं। मैं दिखने में भी अपनी सहेलियों से ज्यादा सुंदर हूँ।

मैं अपनी सहेली के साथ एक ऑफिस में जॉब करती हूँ। यह जॉब मेरी सहेली ने ही दिलवाई थी। मेरी बड़ी चूचियों और उभरी हुई गांड की वजह से ऑफिस में सभी लोग मुझसे बात करने को उत्सुक रहते हैं। मैं समझती हूँ कि ज्यादातर लोग मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर चोदना चाहते हैं। लेकिन मुझे ऐसे लोगों से कोई मतलब नहीं। मैं अपना काम करती हूँ और समय पूरा होने पर अपनी सहेली के साथ घर चली जाती हूँ।

मेरी बुआ अक्सर हमारे घर आती हैं। वे अपने पूरे परिवार के साथ आती हैं, जिसमें उनका बेटा रंजन भी होता है। मैं और रंजन लगभग एक ही उम्र के हैं, वह मुझसे थोड़ा बड़ा है। हम बहुत अच्छे दोस्त हैं।

जब मेरे ऑफिस की छुट्टी होती है और बुआ रंजन के साथ हमारे घर आती हैं, तो मैं और रंजन बाहर घूमने निकल जाते हैं। कभी-कभी मैं अपनी सहेली को भी साथ ले लेती हूँ। हमारे घर से कुछ दूरी पर मेट्रो स्टेशन है, जिससे हम आसानी से शहर के मेन एरिया में पहुँच जाते हैं।

गर्मियों में मैं छोटे और टाइट कपड़े पहनती हूँ, जिनसे मेरी चूचियाँ और गांड का आकार साफ दिखता है।

एक बार बुआ और रंजन कुछ दिनों के लिए हमारे घर आए। एक दिन मैं और रंजन बाहर घूमने गए। उस दिन उसने मेरे साथ खूब मस्ती की, जिससे मेरा मन उसके साथ भाई-बहन की चुदाई करने का होने लगा।

मैंने ऑफिस से कुछ दिन की छुट्टी ले ली। अब मैं रंजन के साथ ज्यादा समय घर पर बिताने लगी। हम दोनों दिन में ज्यादातर मेरे बेडरूम में रहते, बातें करते, फिल्में देखते और मस्ती करते। शाम को पार्क में घूमने जाते। रात को साथ में खाना खाते। मेरे घरवाले जल्दी सो जाते थे, तो हम देर रात तक फिल्में देखते।

हमारे बीच अभी तक कुछ गलत नहीं हुआ था। हम अच्छे दोस्तों की तरह थे, लेकिन मेरे मन में भाई-बहन की चुदाई की इच्छा जाग रही थी।

रात में जब सब सो जाते, तो हम दोनों खूब मस्ती करते।

एक रात हम बात करते-करते सो गए। उस दिन मैं और रंजन एक ही बिस्तर पर सोए थे। मुझे पता ही नहीं चला कि कब हम एक-दूसरे से चिपककर सोने लगे।

लगभग एक घंटे बाद मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि रंजन मुझे अपनी बाँहों में लेकर सो रहा था और उसका लंड मेरी गांड को छू रहा था। मैं किसी तरह उसकी बाँहों से निकली और थोड़ा दूर सोने लगी। जब वह मुझे पकड़कर सो रहा था, तो मुझे अजीब सा एहसास हो रहा था। मैंने उसके लंड को अपनी गांड पर महसूस किया था। बाद में मुझे पता चला कि रंजन जाग रहा था और जानबूझकर अपना लंड मेरी गांड से टच कर रहा था।

जब मैं उससे दूर सोई, तो वह फिर मेरे पास आया और अपना लंड मेरी गांड से टच करवाने लगा। मैं समझ गई कि वह भी मेरी गांड का मजा ले रहा है। मुझे भी अच्छा लग रहा था, और उसके लंड का स्पर्श मेरी गांड को आनंद दे रहा था। मैं भी कभी-कभी अपनी गांड आगे-पीछे कर रही थी।

मुझे लग रहा था कि आज रात भाई-बहन की चुदाई हो जाएगी, लेकिन न जाने कौन सी झिझक थी कि हमने उस रात कुछ नहीं किया और थोड़ी देर बाद सो गए।

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अगले दिन जब मैं नहाकर आई, तो रंजन ने मुझे देखकर मुस्कुराया। रात की बात याद करके मैंने भी उसे स्माइल दी और अपने कमरे में चली गई।

नाश्ते के बाद मुझे पता चला कि मम्मी और बुआ बाजार जा रही हैं। यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गई। शायद इसलिए कि उनके जाने के बाद मैं और रंजन घर में अकेले रहने वाले थे। मम्मी और बुआ को बाजार में कम से कम 6 घंटे लगने वाले थे। इसका मतलब था कि हमारे पास पूरा दिन अकेले रहने का था।

मैं अपने कमरे में टीवी पर फिल्म देखने लगी। थोड़ी देर बाद रंजन भी आ गया। हम दोनों बिस्तर पर लेटकर फिल्म देखने लगे।

रंजन बार-बार मेरी चूचियों की ओर देख रहा था। उसका ध्यान फिल्म पर कम और मेरी चूचियों पर ज्यादा था। मेरी चूचियाँ वाकई बड़ी हैं, तो वह उन्हें देखकर स्माइल दे रहा था। मैं समझ गई थी कि रात को उसने मेरी गांड में लंड टच करके मजा लिया और अब दिन में मेरी चूचियों को देखकर लुत्फ उठा रहा है।

मैंने आँखों के इशारे से पूछा- क्या देख रहा है?
उसने हाथ से चूची पकड़ने का इशारा किया और मुँह से खाने का भाव बनाया। मैं हँस पड़ी। मैं समझ गई कि आज मजा आने वाला है। मेरी चूत में भी सनसनी होने लगी थी।

मम्मी और बुआ अभी गई नहीं थीं, लेकिन जाने वाली थीं। हमें उनके जाने का इंतजार था।

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मैं रंजन से हँसी-मजाक करने लगी। यह तो बहाना था, असल में हम दोनों का मन सेक्स करने का बन चुका था। मैं चुदास से भर गई थी, क्योंकि कुछ महीने पहले मेरा अपने बॉयफ्रेंड से झगड़ा हो गया था, और मेरी चूत को लंड की सख्त जरूरत थी।

वैसे मैं अपने पड़ोसी लड़के के साथ कभी-कभी सेक्स कर लेती थी, लेकिन उसके साथ भी चुदाई किए हुए कई दिन हो गए थे। मेरी जवानी को देखकर कई लोग मुझे लाइन मारते थे, लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती थी। हर किसी के साथ सेक्स करना न तो आसान होता है और न ही सुरक्षित।

तभी मम्मी की आवाज आई कि वे बाजार जा रही हैं और घर का ख्याल रखने को कहा।

मैंने हामी भरी और उन्हें जाने को कह दिया। उनके जाने के साथ ही मेन दरवाजे के बंद होने की आवाज आई। रंजन गया और दरवाजे पर अंदर से कुंडी लगा दी।

जब वह कमरे में आया, तो वह अपना लंड सहला रहा था। उसने मेरी ओर हँसते हुए देखा। मैंने पूछा- बड़े खुश नजर आ रहे हो, क्या बात है?
मुझे पता था कि वह भी भाई-बहन की चुदाई के लिए बेताब है।

वह लंड सहलाते हुए बोला- आज खजाना मिलने वाला है, इसलिए खुशी दबाए नहीं दब रही।
मैंने अपनी चूचियाँ हिलाते हुए कहा- खुशी को दबाना नहीं चाहिए, बल्कि उसे शेयर करना चाहिए।

वह मेरी बात समझ गया कि मैं उसे लंड दिखाने को कह रही हूँ।

रंजन मेरे शरीर की तारीफ करने लगा, और मैं खुश होने लगी। वह मेरे बालों और होंठों की तारीफ करते-करते मेरी चूचियों पर रुक गया। मैं समझ गई कि वह मेरी चूचियों से आकर्षित हो गया है।

उसने पूछा- तुमने तो बॉयफ्रेंड बनाए होंगे?
मैंने हाँ कहा।
इस पर वह थोड़ा उदास हो गया।

मैंने हँसकर कहा- मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, मैं मजाक कर रही थी।
वह खुश हो गया और मेरे पास आकर अपनी बाँहें फैला दीं। मैंने भी उसे बिस्तर पर आने के लिए अपनी बाँहें फैलाकर बुलाया। वह मेरे साथ बिस्तर पर आ गया और मुझे बाँहों में भरकर चूमने लगा।

मैंने उसका साथ दिया, और हम एक-दूसरे की आँखों में देखकर अपने भाव साझा करने लगे।

उसने मुझे फिर से चूमा, और इस बार मैं भी उसका साथ दे रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।

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रंजन जिम जाता था, इसलिए उसकी बॉडी मुझे पहले से ही पसंद थी। मुझे बॉडी बनाने वाले लड़के बहुत पसंद हैं।

अब हम टीवी नहीं देख रहे थे, बल्कि एक-दूसरे को चूम रहे थे। हमारी भाई-बहन की चुदास बढ़ गई थी। काफी देर तक चूमने के बाद रंजन ने मेरे नाइटी सूट का टॉप उतार दिया। मैं ऊपर से सिर्फ ब्रा में रह गई। फिर उसने मेरा लोअर भी उतार दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वह भी जल्दी से अंडरवियर में हो गया।

गर्मी का मौसम था, तो उसने ऊपर कुछ पहना ही नहीं था। हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए और देर तक चूमते रहे। इससे हमारी चुदाई की इच्छा और बढ़ गई।

फिर उसने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी, और मैं उसके सामने पूरी नंगी हो गई। रंजन ने मेरी एक चूची का निप्पल अपने होंठों में दबाकर चूसा और दूसरी को मसलने लगा। मेरे मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं। मेरी चूचियाँ बेदर्दी से मसली और चूसी जा रही थीं। कई दिनों बाद मुझे चुदाई का सुख मिल रहा था, इसलिए मुझे भी अपनी चूचियों के चूसे और मसले जाने में बहुत मजा आ रहा था।

रंजन ने मेरी चूचियाँ चूसने के बाद नीचे की ओर बढ़ना शुरू किया। वह मेरी नाभि के पास रुका और अपनी जीभ की नोक से मेरी नाभि को चाटने लगा। मैं सिहर उठी। फिर उसने मेरी चूत पर निशाना साधा। उसने मेरी रस टपकाती चूत को देखा और हल्के से अपनी जीभ से चूत के दाने को चाट लिया।

उसकी जीभ के स्पर्श से मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मेरे मुँह से एक किलकारी निकल गई। मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी। मेरी आवाज सुनकर वह एक पल मेरी ओर देखने लगा और मुँह पर उंगली रखकर कम शोर करने का इशारा करने लगा।

हालाँकि हम घर में अकेले थे, तो कोई डर नहीं था। हम दोनों आराम से नंगे होकर ओरल सेक्स का मजा ले रहे थे। उसने मेरी चूत को देर तक चूसा और फिर मेरी नाभि को भी चाटा।

मैं पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी। फिर मैंने कहा- अब मेरी बारी है।
वह खुश हो गया और बिस्तर पर चित लेट गया। मैंने उसके लंड को हाथ से पकड़कर सहलाया और धीरे से उसके सुपारे पर अपनी जीभ फेरी।

उसकी गांड झनझना उठी, और उसके मुँह से ‘आह… उह…’ की आवाजें निकलने लगीं।

मैंने उसके लंड को अपने मुँह में लिया और गले तक ले जाकर खूब चूसा। उसकी सिसकारियाँ निकलती रहीं।

लगभग 5 मिनट की लंड चुसाई के बाद उसने अपना वीर्य छोड़ दिया। उसने मुझे लंड छोड़ने को कहा, लेकिन मैंने उसका वीर्य पीने का फैसला किया। मैंने उसे इशारे से निकल जाने को कहा, और वह अगले ही पल मेरे मुँह में झड़ गया।

मैंने उसके लंड का सारा वीर्य पी लिया। मुझे लंड का वीर्य पीना बहुत पसंद है। मैंने उसके लंड को सहलाते हुए आखिरी बूंद तक निचोड़ लिया और उसे चाटकर साफ कर दिया।

वह निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया, और उसके चेहरे पर थकान दिखने लगी। उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मुझे चूमा और मुझे अपनी छाती पर लिटा लिया।

हम दोनों अधूरी चुदाई के बाद थोड़ी देर चिपककर आराम करने लगे और फिर से गर्म होने तक एक-दूसरे की बाँहों में लेटकर फिल्म देखने लगे।

हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर लेटे थे और बीच-बीच में चूम रहे थे। मैं रंजन का लंड हिला रही थी, और वह मेरी चूचियों को दबाकर निप्पलों को मसल रहा था।

कुछ ही देर में हम फिर से गर्म हो गए। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी गांड के नीचे तकिया रखा और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा।

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धीरे-धीरे उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और चोदने लगा। हम दोनों भाई-बहन की चुदाई शुरू हो गई। हम चुदाई के साथ-साथ एक-दूसरे को चूम भी रहे थे। वह मेरी चूत में जोर-जोर से लंड अंदर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे वह भी सामान्य हो गया, और हम दोनों आराम से सेक्स करने लगे।

मैं मादक सिसकारियाँ ले रही थी, और वह मेरी चूत को तेजी से चोद रहा था। हम दोनों के पसीने से भीगे शरीर एक-दूसरे से रगड़ रहे थे। हम एक-दूसरे को देखकर हँस रहे थे और चुदाई का मजा ले रहे थे। रंजन की कसरती बॉडी को देखकर मेरी चूत को गर्व हो रहा था कि आज एक पहलवान जैसे मर्द के लंड से चुदाई हो रही है।

रंजन जिम जाता था, इसलिए उसका लंड दमदार था और उसमें बहुत ताकत थी। उसके साथ सेक्स करने में बहुत मजा आ रहा था।

मेरी चूत ने जितने लंड लिए थे, उनमें रंजन के साथ मुझे सबसे ज्यादा आनंद आ रहा था। वह मेरी चूत में लंड डालकर मस्ती से चोद रहा था। मैं भी अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी।

चुदाई के दौरान मैंने पूछा- तुमने पहले किसके साथ सेक्स किया है?
उसने बताया कि उसने कई लड़कियों के साथ कई बार सेक्स किया है।

मैं समझ गई कि इसीलिए वह मुझे इतने अच्छे से चोद रहा है।
उसने मुझसे पूछा, तो मैंने कहा- हाँ, मैं भी चुद चुकी हूँ।

न उसने पूछा कि मैंने किसके साथ चुदाई की, और न मैंने पूछा कि उसने पहली बार किसे चोदा।

हम दोनों चुदाई करते हुए पोजीशन बदल रहे थे। कभी मैं उसके ऊपर आकर उसके लंड पर कूद रही थी, तो कभी उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद हम थक गए। हम सेक्स का पूरा मजा ले चुके थे। वह कभी-कभी अपना लंड मेरी चूत से निकालकर हवा खिलाता, जिससे मेरी चूत को भी राहत मिलती। लंड निकालने पर वह मेरी चूत चाटने लगता और फिर लंड डालकर चोदने लगता। इससे हम दोनों बिना झड़े लंबे समय तक चुदाई कर पा रहे थे।

हम दोनों पसीने से तर और थक चुके थे। फिर आँखों के इशारे हुए, और हम चरम सीमा पर पहुँच गए।

उसकी रफ्तार अचानक बढ़ गई, और हम दोनों का एक साथ वीर्य निकल गया। पानी निकलने के बाद हम जोर-जोर से साँसें लेने लगे और निढाल होकर गिर गए।
इस तरह भाई-बहन की चुदाई पूरी हुई।

10 मिनट बाद मैं उठी और नंगी ही रसोई में जाकर नींबू पानी बनाकर लाई। मैंने उसे गिलास दिया। उसने मेरी आँखों में देखकर नींबू पानी पिया। मुझे उसकी मासूम और शरारती नजरों से प्यार हो गया, और मैंने उसे आँख मार दी। वह हँस दिया और मुझे फिर से अपनी बाँहों में खींच लिया।

मेरे चचेरे भाई रंजन ने मुझे आज बेरहमी से चोदा, लेकिन बहुत अच्छे से चोदा। भाई-बहन की चुदाई के बाद मैं बहुत संतुष्ट महसूस कर रही थी। हमारे बीच अब रास्ता खुल गया था। इसके बाद चार दिन तक हमने और सेक्स किया।

फिर रंजन बुआ के साथ अपने घर चला गया। अब जब भी वह हमारे घर आता है, हम भाई-बहन की चुदाई का मजा लेते हैं।

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