नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम कुश है। ये मेरी पहली दोस्त की साली सेक्स कहानी है, जो मेरे दोस्त की साली की चुदाई की है। अगर कोई गलती हो, तो माफ कर देना।
कुछ साल पहले मैं और मेरे दोस्त का परिवार एक यात्रा पर गए थे। तब मेरी शादी नहीं हुई थी। मेरे दोस्त के साथ उनका पूरा परिवार था, जिसमें उनकी भांजी पिंकी और साली नलिनी भी थीं।
शुरुआत में मुझे नहीं पता था कि वे दोनों भी हमारे साथ होंगी। हमारी यात्रा ट्रेन से शुरू हुई। सब कुछ सामान्य था। हम अपने गंतव्य पर पहुँचे, रात को रूम लिया और सो गए।
सुबह भगवान के दर्शन किए और वापस लौट आए। दोपहर को खाना खाकर थोड़ा आराम किया, फिर हम सब घूमने निकले। हमें आसपास के इलाके में ही घूमना था, इसलिए हमने एक बस ले ली।
बस में मैं सबसे पीछे की सीट पर बैठा था। नलिनी को जगह नहीं मिली, तो वो खड़ी थी। थोड़ी देर बाद वो मेरे घुटनों पर बैठ गई। तब तक मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं था।
बस चलती रही, वो हिलती रही। उसके स्पर्श ने मेरी भावनाएँ बदल दीं। मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया और उसे छूने लगा। नलिनी को भी इस बात का अहसास हो चुका था। मैंने उसे उठने को कहा, लेकिन वो नहीं उठी। शायद वो भी लंड का मज़ा ले रही थी। हम बिना कुछ बोले मज़े लेने लगे। स्टॉप आने पर उतरकर घूमते और वापस अपनी जगह बैठ जाते। वो हर बार और चिपककर लंड का स्पर्श लेने की कोशिश करती।
दो दिन की यात्रा ऐसे ही खत्म हुई। गाँव में नलिनी के परिवार के लोग थे, इसलिए वहाँ कुछ हो नहीं सका। बस इतना हुआ कि हमने एक-दूसरे की चाहत बिना बोले समझ ली।
फिर हम घर वापस जाने लगे। रात की ट्रेन थी, और हमारी कोई सीट कन्फर्म नहीं थी। हम बिना आरक्षण के ट्रेन में बैठ गए, ये सोचकर कि टीटीई से मिलकर कुछ जुगाड़ करेंगे।
लेकिन नसीब ने कुछ और ही सोचा था। ट्रेन में सब अलग-अलग जगह एडजस्ट हो गए। मैंने टीटीई से मिलकर एक सीट कन्फर्म करवाई। करीब दो घंटे निकल गए। सामान उस सीट के पास रखकर सब बिखर गए। उस सीट पर दोस्त की बीवी, मेरी भाभी और नलिनी बैठ गईं।
रात के 12 बज गए। सबको सुलाने के बाद मैं सामान के पास गया। वहाँ भाभी नीचे सो रही थीं, और नलिनी ऊपर की सीट पर अकेली पैर मोड़कर बैठी थी, क्योंकि वो आखिरी सीट थी और ऊपर वाले सो चुके थे।
मैं वहाँ जगह बनाकर बैठ गया। नलिनी से मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी, तो उसने मुझे रोका नहीं। हमारी इधर-उधर की बातें शुरू हुईं—कॉलेज से लेकर पर्सनल बातें।
तब तक मेरे मन में कुछ गलत नहीं था, लेकिन एक झटका ऐसा लगा कि उसका हाथ मेरे हाथ से टकराया। हमने एक-दूसरे की ओर देखा, तो वो शरमा गई। मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा और सहलाने लगा। वो कुछ नहीं बोली।
रात के 2 बज चुके थे। किसी के देखने का सवाल ही नहीं था। फिर भी मैं सावधानी से आगे बढ़ा और उसके पैर सहलाए। वो चुप रही। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैं उसके पाँव सहलाता रहा।
उसने पहल की- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने तुरंत कहा- नहीं। जो सच था।
सहलाते हुए सफर गर्म हो रहा था। मैंने हिम्मत करके उसकी छाती पर हाथ रखा, तो उसके मुँह से ‘ऊंह… आह…’ की आवाज़ आई। मैंने देखा, तो वो मुस्कुराई। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वो लंड सहलाने लगी।
10 मिनट तक ऐसा चलने के बाद मैंने इशारा किया- टॉयलेट चलो।
मैं आगे बढ़ा, और वो 2-3 मिनट बाद टॉयलेट में आ गई। मैंने दरवाज़ा बंद किया और उस पर टूट पड़ा। जहाँ मन हुआ, वहाँ सहलाने लगा।
उसने नाइट पैंट और टी-शर्ट पहनी थी। मैंने टी-शर्ट के अंदर हाथ डालकर उसके मम्मों को मसला। वो पहले से चुदासी थी, और एकदम गर्म हो गई।
मैंने उसकी पैंट में हाथ डालकर चूत में फिंगरिंग की। उसने टाँगें फैला दीं ताकि मेरी उंगलियाँ ठीक से चलें। उसकी चूत गीली थी।
मैंने उसकी पैंटी नीचे की और नीचे बैठकर उसकी चूत में मुँह लगा दिया। मेरी जीभ ने उसे मज़ा देना शुरू किया। वो अपने मुँह को हाथों से दबाकर ‘उह… ओह…’ कर रही थी। मैं चूत चाटते हुए उसके रसीले मम्मों को मसल रहा था।
कुछ मिनटों में वो गांड उठाकर झड़ गई। फिर मैंने उसे नीचे बिठाया और खड़ा हो गया। मैंने अपना लंड हवा में लहराया। उसने लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी।
मैंने कहा- मुँह में लो।
वो ना-ना करने लगी।
मैंने ज़ोर दिया- टेस्ट करो, मज़ा आएगा।
वो मान गई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ मिनट चूसने के बाद उसने छोड़ दिया। मैंने भी कुछ नहीं कहा।
वो फिर हाथों से लंड सहलाने लगी। कुछ सेकंड में मेरा रस निकल गया।
हम चुपके से बाहर आए और अपनी जगह बैठ गए। ट्रेन में इसके आगे कुछ न हुआ। दो दिन की यात्रा के बाद हम अपने शहर लौट आए।
वापस आकर मैं अपने काम में लग गया। एक हफ्ते बाद पिंकी का कॉल आया। उसने बताया कि वो मेरे और नलिनी के बीच हुए सबकुछ जान चुकी है। मैं डर गया।
अगले दिन फिर कॉल आया। मैंने डरते-डरते उठाया, तो नलिनी थी। उसने बताया कि उसने ही पिंकी को सब बताया और वो किसी को कुछ नहीं कहेगी। तब मेरी जान में जान आई। कुछ सामान्य बातें करके कॉल बंद हो गया।
उसी दिन शाम 4 बजे नलिनी का फिर कॉल आया। वो बोली- मेरा तुमसे मिलने का मन है, मिल सकते हो?
मैंने उसकी अन्तर्वासना समझी और तुरंत हाँ कहा।
हमने एक मॉल में शाम 6 बजे मिलने का तय किया।
मैं समय से पहले मॉल के गेट पर उसका इंतज़ार करने लगा। वो दो मिनट देर से गुलाबी वनपीस ड्रेस में आई। वो इतनी मस्त लग रही थी कि मैं उसे देखते ही खो गया।
वो मेरे पास आई और मेरी हालत देखकर हँसने लगी। मैं भी शरमाते हुए हँस पड़ा।
दो मिनट बात करने के बाद हम अंदर गए। एक कॉफी स्टॉल पर बैठकर कॉफी ऑर्डर की और बातें करने लगे। अभी सब सामान्य था।
मैंने उस रात का ज़िक्र किया, तो वो शरमा गई। कॉफी पीते हुए मैंने कहा- आगे क्या?
वो समझ गई, लेकिन कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर कहा- चलो, कुछ मज़े करते हैं।
वो चुप रही। मैं समझ गया कि वो राज़ी है। आज मज़ा नहीं लिया, तो शायद फिर मौका न मिले।
मैंने कॉफी के पैसे दिए और उसका हाथ पकड़कर आने का इशारा किया। वो उठी, तो मैंने हाथ छोड़ दिया। मैं आगे चला, वो पीछे-पीछे आई।
वो थोड़ा नाटक कर रही थी कि कोई देख लेगा।
मैं बोला- कोई नहीं देखेगा, तुम चलो।
मैंने कार निकाली और उसे बिठा लिया।
वो बोली- मेरी एक्टिवा यहीं है।
मैंने कहा- चिंता मत कर, हम दो घंटे में वापस आ जाएँगे।
वो मान गई। हम हाईवे की ओर निकले। 20 मिनट में मैंने उसे खूब सहलाया। वो बहुत गर्म हो चुकी थी। हम एक होटल में पहुँचे। मैंने अकेले जाकर रूम बुक किया और उसे फोन करके बुलाया।
कमरे में जाते ही मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। वो पहले से चुदासी थी और मुझे भी कसकर पकड़ लिया। हड़बड़ी में हम पलंग पर गिर पड़े।
मैंने उसे नीचे दबाकर खूब चूमा।
वो बोली- कपड़े खराब हो जाएँगे।
मैं समझ गया। हमने एक-दूसरे के कपड़े उतारे। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर निप्पलों को होंठों में दबाया और मम्मे मसलते हुए चूसने लगा।
वो बेकाबू होकर मेरे सिर को अपने दूध पर दबा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत को खूब चूसा। कुछ ही देर में वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… ओह…’ करती हुई झड़ गई।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में देना चाहा, तो वो मना करने लगी। मैंने ज़ोर दिया, तो वो मान गई और लौड़ा चूसने लगी। हम जल्दी ही 69 में आ गए।
उसने चूसना बंद किया और बोली- जल्दी करो, मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा।
मैंने सोचा, वक्त कम है, निपट लो।
मैंने उसे सीधा किया और चुदाई की पोजीशन बनाई। सुपारा सेट करके धक्का मारा, तो लंड फिसल गया। मैंने फिर चूत की फाँकों में लंड सेट किया और जोरदार झटका मारा।
वो जोर से चिल्लाई। मैंने उसके मुँह को दबाया और रुक गया। वो शांत हुई, तो मैंने काम शुरू किया। उसकी सील पहले टूट चुकी थी, लेकिन चूत अभी भी टाइट थी। उसकी सील टूटने की कहानी उसने मुझे बताई थी, जो मैं बाद में बताऊँगा।
मैंने धीरे-धीरे उसे ढीला किया। दो मिनट बाद वो मेरे लंड से मज़े लेने लगी। हमारी धकापेल चुदाई शुरू हो गई। मैं उसकी चूचियाँ चूसते हुए चूत रगड़ रहा था। उसकी अकड़न बता रही थी कि वो झड़ने वाली है।
उसने मुझे कसकर पकड़ा। मैं जोर-जोर से चुदाई कर रहा था। वो झड़ गई और निढाल हो गई। मैं अभी भी पूरे जोश में था। उसकी गर्मी ने मेरे लंड को चिकनाई दे दी थी, जिससे मेरे झटके और तेज़ हो गए। वो फिर चार्ज हो गई और गांड उठाकर लंड का मज़ा लेने लगी।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था। वो भी दूसरी बार होने को थी। मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
वो बोली- अंदर ही निकालो, मैं दवा ले लूँगी।
उसके ऐसा बोलते ही मैं और जोश में आ गया। 10-15 करारे झटकों के साथ मैं उसके अंदर झड़ गया।
चुदाई के बाद हमने 10 मिनट आराम किया। फिर बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ किया। कपड़े पहने और होटल से निकल आए।
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